अपराजिता (Aparajita)
अपराजिता का परिचय: (Introduction of Aparajita)
अपराजिता क्या है? (What is Aparajita?)
आज हम चर्चा करेंगे एक बेल अपराजिता के बारे में| इसकी बेल दूसरे पेड़ों के सहारे बड़ी होती है| इस बेल का प्रत्येक भाग एक औषधि के रूप में काम में लिया जाता है| यह अधिकतर घरो की सजावट के लिए भी उपयोग में ली जाती है|
इसे फलने फूलने के लिए किसी भी प्रकार की विशेष देखभाल की आवश्यकता नही पड़ती है| लेकिन जो भी व्यक्ति इसका सेवन उचित मात्रा में करता है यह विशेष रूप से उसका खयाल रखती है| बारिश के मौसम में यह अच्छी तरह से खिलती है|
आयुर्वेद में इसे एक औषधि बना कर लोगो के कल्याण के लिए उपयोग में लिया जाता है| इसमें उपस्थित गुण कई सारे रोगों का शमन करने में सहायता करते है| तो आइये आपको पूरी तरह परिचित कराते है इस औषधि के गुणों और फायदों के बारे में|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Aparajita ki akriti)
इसकी लता दिखने में लम्बी और बहुत ही मनोरम होती है| इसके तने कुछ पतले दिखाई पड़ते है|इसके पत्तें हरे चमकीले, गोल और आकार में थोड़े छोटे होते है| फूलों का रंग नीला और सफ़ेद होता है तथा आकार कुछ गाय के कान के जैसा दिखता है| इसकी फली एक तलवार के आकार की होती है| इसकी फली में काले रंग के चिकनाहट भरे बीज निकलते है| यह जुलाई से मार्च तक होता है|
अपराजिता में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Aparajita ke poshak tatva)
- कैल्शियम
- मैग्नीज
- मैग्नेशियम
- जस्ता
- आयरन
- सोडियम
- विटामिन
- एंटी ओक्सिडेंट
अपराजिता की प्रजातियाँ (Aparajita ki prajatiya)
सफ़ेद फूल वाली अपराजिता
नीले फूल वाली अपराजिता
a) इकहरे फूल वाली
b) दोहरे फूल वाली
अपराजिता के सामान्य नाम (Aparajita common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Clitoria ternatea |
अंग्रेजी (English) | Winged-leaved clitoria, Butterfly pea, Blue pea |
हिंदी (Hindi) | अपराजिता, कोयल, कालीजार |
संस्कृत (Sanskrit) | गोकर्णी, गिरिकर्णी, योनिपुष्पा, विष्णुक्रान्ता, अपराजिता |
अन्य (Other) | गोकर्णी (मराठी) गोकरन (बंगाली) धनन्तर (पंजाबी) अराल (मलयालम) ओपोराजिता (उड़िया) |
कुल (Family) | Fabaceae |
अपराजिता के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Aparajita ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | त्रिदोषसंतुलन (balance tridosha) |
रस (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter), कषाय (ast.) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | शोथहर, कुष्ठशामक, वामक, विरेचक |
अपराजिता के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Aparajita ke fayde or upyog)
आधासीसी या माइग्रेन के कारण होने वाले सिर दर्द में (Aparajita for headache)
- इस समस्या में सिर के एक तरफ के हिस्से में बहुत तेज दर्द होता है| ऐसे में इसके बीज से निर्मित रस को नाक में डालने से आराम मिलता है|
- पीसी हुई जड़ और बीज को सूंघने से भी इस रोग का शमन होता है|
- इसके अलावा इस रोग में इसकी फली के रस को भी सूंघा जा सकता है| ऐसा करने से भी सिर दर्द का शमन होता है|
मस्तिष्क को मजबूत बनाये अपराजिता का सेवन
- इस औषधि का सेवन करने से मस्तिष्क को ताकत मिलती है| इसके साथ ही याददाश्त और बुद्धि भी बढती है| इसके लिए आप दोनों में से किसी का भी सेवन कर सकते है| दोनों प्रकार की अपराजिता मस्तिष्क के लिए कारगर होती है|
कुष्ठ का शमन करे (Aparajita for leprosy)
- इस औषधि की जड़ और चक्रमर्द की जड़ का लेप बना कर शरीर पर मलने से कुष्ठ रोग का शमन होता है और त्वचा में भी सुधार होने लगता है|
- इसके अलावा यदि इसके बीजों को घृत में थोडा सा सेक कर दिन में दो बार पानी के साथ लिया जाता है तो सफ़ेद दाग मिटते है|
- ठन्डे पानी में इसकी जड़ या मूल को घिसकर देह पर मलने से श्वित्र रोग का भी शमन होता है|
- यदि आप किसी प्रकार के फोड़े या फुंसी से परेशान है तो अपराजिता की मूल और सिरके को मिलाकर लेप बना कर फोड़े पर लगाना चाहिए|
मूत्र रोगों में (Aparajita for urinary disease)
- किसी भी प्रकार के मूत्र रोग का शमन करने के लिए इस औषधि की जड़ को पीसकर गुनगुने जल के साथ लेना चाहिए| इससे सभी प्रकार के मूत्र रोगों का शमन होने लगता है|
आमदोष का निवारण करे
- यदि आपके शरीर में किसी प्रकार के विषैले पदार्थ मौजूद है जिसके कारण आप बार बार बीमार पड़ते रहते है| तो ऐसे में इस औषधि का सेवन आपको सभी प्रकार के विषाक्त पदार्थो से छुटकारा दिलाने में मदद करता है|
वामक और विरेचन में
- किसी भी रोग की चिकित्सा से पहले आयुर्वेद के अनुसार आपका पेट एक दम साफ़ होना चाहिए| ऐसा करने के लिए आप अपराजिता का उपयोग कर सकते है| इसके सेवन से उल्टी और दस्त से पेट पूरी तरह साफ़ हो जायेगा| इसके लिए आप इसके पत्तों का प्रयोग कर सकते है|
सूजन का समापन करे (Aparajita for swelling)
- शरीर में आई किसी भी प्रकार की सूजन को समाप्त करनेके लिए आप इस औषधि के पत्तों का प्रयोग कर सकते है|
- इसके अलावा आप इसके बीजों का चूर्ण बना कर उनका लेप सूजन वाले स्थान पर कर सकते है|
घाव को भरने के लिए (Aparajita for heal wound)
- इस औषधि के पत्तों को अच्छे से घोट कर उनकी लुगदी बना कर घावों पर लगाने से लाभ मिलता है| इस लुगदी को बांधने के बाद इस पर ठंडा पानी छिडकते रहना चाहिए|
घेंघा रोग का शमन करे (Aparajita for goiter)
- घी में सफ़ेद फूलों वाली अपराजिता को पीसकर खाने से इसका शमन होता है|
- श्वेत कोयल की मूल का चूर्ण बना कर सुबह सुबह जल के साथ लेने से गलगंड में लाभ मिलता है|
- सफ़ेद कोयल की जड़ का पेस्ट बना कर घृत के साथ लेने से इस रोग में आराम मिलता है|
गले के छाले दूर करें
- इस औषधि के पत्तों का काढ़ा बना कर गरारे करने से गले में हो रहे छालों और घावों में लाभ मिलता है| इसके अलावा गले बैठने पर भी इसका सेवन किया जा सकता है|
आँखों की रोशनी बढ़ाये (Aparajita for eyes sight)
- सफ़ेद अपराजिता और पुनर्नवा की जड़ का पेस्ट बना कर उसमे बारीक पीसे हुए जौ को डालकर अच्छी तरह मिला लें| अब इसे एक बत्ती की तरह बना कर आँखों में काजल की तरह लगाने से आँखों की रोशनी बढती है| इसके साथ ही अन्य नेत्र विकारों का भी शमन होता है|
पेट में पानी भर जाने पर
- सेके हुए अपराजिता के बीजों को कूटकर गर्म पानी के साथ लेने से जलदोर या पेट में पानी भर जाने की समस्या में लाभ होता है| इसके साथ ही बालकों में होने वाले निमोनिया का इलाज भी इस उपाय से किया जा सकता है| इसे आप सुबह और शाम के वक्त ले सकते है|
जिगर और तिल्ली के रोगों में (Aparajita for liver and spleen)
- यदि आप भी तिल्ली और लीवर के रोगों से परेशान है तो ऐसे में आपको इस औषधि की जड़ का सेवन लाभ पहुंचा सकता है|
दर्द में (Aparajita for pain)
- किसी भी प्रकार के बाहरी या आंतरिक दर्द में भी इस औषधि का उपयोग किया जा सकता है| दर्द का शमन करने के लिए आप इसके पत्तें या जड़ का प्रोग कर सकते है|
पेट के कीड़ों को मारे (Aparajita for stomach bugs)
- अनुचित भोजन या दूषित भोजन और जल का सेवन करने के कारण पेट में कीड़ें होने लगते है| इनका शमन करना बहुत आवश्यक होता है| इसके लिए आप इसके पत्तों का काढ़ा बना कर पी सकते है|
अस्थमा को दूर करें (Aparajita for asthma)
- कहा जाता है कि यदि एक बार अस्थमा की बीमारी से सामना हो गया तो इससे पीछा छुड़वाना बहुत मुश्किल हो जाता है| ऐसे में यदि इसकी जड़ का पेय या शरबत बना कर पिया जाता हिया तो इस रोग से छुटकारा पाने में सहायता मिलती है|
कान दर्द को दूर करे (Aparajita for ear)
- इस औषधि के पत्तों से थोडा रस निकाल कर उसे हल्का गर्म कर के कान के आस पास लगाने से कान दर्द में लाभ मिलता है|
दांत दर्द से राहत दिलाये अपराजिता का सेवन
- इस औषधि की जड़ में काली मिर्च को पीसकर मिला लें| अब इसे दांतों के नीचे रखने से दांत दर्द कम होता महसूस होने लगता है|
पीलिया में (Aparajita for jaundice)
- इस औषधि की जड़ को पीस कर छाछ में मिलाकर पीने से पीलिया रोग का शमन होता है|
पथरी का इलाज़ करे (Aparajita for calculus)
- चावल के पानी में कोयल की जड़ का चूर्ण मिला कर दिन में दो बार लेने से पथरी मूत्र मार्ग द्वारा बाहर निकल जाती है|
अंडकोष के विकारों में
- पीसे हुए बीजों को हल्का गर्म कर के अंडकोष पर लेप करने से इसके विकारों का शमन होता है| इसके साथ ही इसकी सूजन में भी कमी आती है|
संतान प्राप्ति के लिए लाभदायक अपराजिता का प्रयोग
- यदि किसी कारण बार गर्भ गिर रहा है तो सफ़ेद कोयल की त्वक को अच्छे से पीसकर छान कर बकरी के दूध में मिला दें| इसके साथ शहद डाल कर यदि सेवन किया जाता है तो जल्द ही गर्भ ठहरने लगेगा|
- इसकी छाल के स्थान पर आप पत्तों या मूल का भी उपयोग कर सकती है|
अपराजिता का सेवन करे सुजाक में लाभ
- अपराजिता के पञ्चांग का काढ़ा बना कर रोगी को उसमे बैठाने से सुजाक में लाभ मिलता है|
- इसके अलावा इसकी जड़ की छाल, मिश्री और काली मरीच को सही मात्रा में पानी में डाल कर उसे छान कर पीने से सुजाक की समस्या का शमन होता है| इसे आप प्रातः काल सेवन कर सकते है|
गठिया का शमन करे (Aparajita for gout)
- गठिया और आमवात जैसे रोगों में हड्डियों में आने वाली सूजन और दर्द का शमन करने के लिए इसके पत्तों का पेस्ट प्रभावित जोड़े पर लगाना चाहिए| इससे यह रोग जल्द ही समाप्त हो जाता है|
हाथीपांव की समस्या से राहत दिलाये अपराजिता
- इस औषधि की जड़ का पानी के साथ लेप बना कर उस लेप को गुनगुना कर लगाने से इस समस्या में राहत मिलती है|
- इसके पत्तों का पेस्ट बना कर उसे पोटली में कर प्रभावित स्थान पर सेक करने से भी इस समस्या में लाभ मिलता है|
बुखार का शमन करे (Aparajita for fever)
- विषम ज्वर में यदि इसकी बेल को कमर में बांधा जाता है तो बुखार का शमन होता है|
सांप के काट लेने पर
- किसी भी कीट या जीव द्वारा काट लिए जाने पर चिकत्सालय जाना ही प्राथमिकता होनी चाहिए| परन्तु जब जाने में देरी हो रही हो तो ऐसे में सर्पाक्षी और सफ़ेद कोयल की जड़ का काढ़ा बना लें| उस काढ़े में घी में पका कर उसमे हींग, भांगरा, वच और सोंठ मिलाकर मट्ठे के साथ पिलाने से जहर का प्रभाव कम होता है|
रक्तप्रदर में
- मासिक धर्म के दौरान यदि अधिक मात्रा में रक्तस्राव हो रहा हो तो इस औषधि के रस को मिश्री में मिलाकर देने से लाभ मिलता है|
मधुमेह में लाभदायक (Aparajita for diabetes)
- इस औषधि में पाए जाने वाले पोषक तत्व रक्त में शर्करा के स्तर को सामान्य करने में मदद करते है जिससे मधुमेह में लाभ पहुँचता है|
ह्रदय के लिए अपराजिता (Aparajita for heart)
- अपराजिता का सेवन ह्रदय रोगों में भी लाभदायक होता है| यह सभी प्रकार के ह्रदय रोगों से बचाव में सहायक होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Aparajita)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- पंचांग
- फूल
- जड़ की छाल
सेवन मात्रा (Dosage of Aparajita)
- जूस – 5 से 10 ml
- चूर्ण – चिकित्सक के अनुसार
- क्वाथ – 10 से 20 ml