सर्पगन्धा (Sarpgandha)
सर्पगन्धा का परिचय: (Introduction of Sarpgandha)
सर्पगन्धा क्या है? (What is Sarpgandha)
इस औषधि के नाम से ही पता चल रहा होगा की यह सांपो के विष को प्रभाव को कम करने के लिए सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है| कहते हैं कि साँप अगर काट ले तो जहर से पहले आदमी डर से ही मर जाता है, लेकिन यदि आप सर्पगन्धा के उपयोग के बारे में जानते हों तो आप न तो डर से मरेंगे और न ही जहर से| सर्पगंधा की जड़ी साँप के विष को उतारने की एक अच्छी दवा है|
सर्पगंधा के बारे में अनेक रोचक कथाएं प्रचलित हैं| उदाहरण के लिए कहा जाता है कि कोबरा से लड़ने से पहले नेवला सर्पगंधा की पत्तियों का रस चूस कर जाता है| पहले इसे पागलों की दवा भी कहा जाता था क्योंकि सर्पगंधा के प्रयोग से पागलपन भी ठीक होता है| यह कफ और वात को शान्त करता है, पित्त को बढ़ाता है और भोजन में रुचि पैदा करता है| यह दर्द को खत्म करता है|
इसके अलावा इसके औषधि गुण से यह नींद अच्छी लाने में मदद करता है| मिरगी रोग, घाव, पेट के कीड़े को नष्ट करता है| यह अनेक प्रकार चूहे, साँप, छिपकिली आदि जानवरों के विष को खत्म करता है| धवलविटप (जो वनस्पति मन और शरीर को शुद्ध करे), चद्रमार (जो मन की तीव्रता को शांत करे) आदि इसके अन्य नाम भी पाए गए है| वात के कारण होने वाले रोग, दर्द, बुखार आदि को समाप्त करता है| आइये इसके अन्य फायदों के बारे में जानते है की यह और किन – किन रोगो में काम में आता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Sarpgandha ki akriti)
यह लगभग पुरे भारत में पाया जाता है| कही स्थानों पर इसकी खेती की जाती है| सर्पगन्धा जड़ का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है| इसका पौधा 20 से 45 सेमी तक ऊँचा, सीधा और अनेक सालो तक चलने वाला होता है| इसका तना भूरे व सफेद रंग का होता है| इसकी पत्तिय हरे रंग की चमकीली, लम्बी, चौड़ी तथा भालाकार होती है| पत्तियां ऊपर की ओर गाढ़े हरे रंग की तथा नीचे हल्के रंग की होती है| यह आगे के भाग से नुकीली होती है| इसके फूल गुलाबी, सफेद तथा गहरे नील रंग के होते है| इसके फल छोटे – छोटे मांसल, मटर के समान चिकने तथा कच्ची अवस्था में हरे ओर पकने के बाद बैंगनी रंग के हो जाते है| इसके बीज अंडाकार होते है| इसकी जड़ बहुत ही अधिक कठोर, टेढ़ी – मेढ़ी तथा खुरदरी, लम्बी होती है| जगह –जगह गाठेदार, पीले भूरे रंग की तथा झुर्रीदार होती है| इसको तोड़ने पर टुकड़े छोटे – छोटे हो जाते है| इसका फूलकाल और फलकाल अप्रैल से सितम्बर तक होता है|
सर्पगंधा की जड़ का प्रयोग रोगों की चिकित्सा में किया जाता है| सर्पगंधा की मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त और भी दो प्रजातियाँ होती हैं जिनका दवा के रूप में प्रयोग में किया जाता है|
Rauvalfia tetraphylla L. (वन्य सर्पगन्धा)
वन्य सर्पगन्धा यह एक छोटा झाड़ीदार पौधा होता है| इसकी पत्तियां एक साथ चार-चार की संख्या में लगी हुयी होती हैं| फूल गुच्छों में लगते हैं और हरे,सफेद रंग के होते हैं| फल गोलाकार, कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर जामुनी- गुलाबी रंग के हो जाते हैं| इसकी जड़ लम्बी तथा भूरे,सफेद रंग की होती है| सर्पगंधा की जड़ में इसकी मिलावट की जाती है|
सर्पगन्धा के सामान्य नाम (Sarpgandha common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Rauvolfia serpentina |
अंग्रेजी (English) | Serpentine root |
हिंदी (Hindi) | नकुलकन्द, सर्पगन्धा, धवलबरुआ, नाकुलीकन्द, हरकाई चन्द्रा, रास्नाभेद |
संस्कृत (Sanskrit) | सर्पगन्धा, धवलविटप, चद्रमार, गन्ध नाकुली |
अन्य (Other) | पातालगरुड (कोंकणी) सर्पगन्धी (कन्नड़) चीवनमेलपोडी (तमिल) पालालागानी (तेलगु) छोटा चाँद (बंगाली) चांदमरुवा (नेपाली) हरकी (मराठी) |
कुल (Family) | Apocynaceae |
सर्पगन्धा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Sarpgandha ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | निद्राजनक, दर्द शामक, ज्वर शामक, कृमि शामक |
सर्पगंधा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Sarpgandha ke fayde or upyog)
अनिद्रा से छुटकारा पाए (Sarpgandha for insomnia)
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद का आना जरूरी है| यदि आपको अच्छी नींद नहीं आती हो तो सर्पगंधा आपके लिए काफी लाभकारी हो सकती है| यह तनाव को दूर करके मांसपेशियों को आराम दिलाने में सहायता करता है| इससे अच्छी नींद आती है|
- अच्छी नींद के लिए 2 से 3 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करें| दो ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण में दो ग्राम खुरासानी अजवायन का चूर्ण और बराबर मात्रा में शक्कर मिला लें| इसे रात को सोने से पहले सामान्य जल के साथ सेवन करने से भी नींद अच्छी आती है|
पागलपन जैसे रोग में आराम दिलाये सर्पगन्धा
- पागलपन और मिर्गी दोनों ही मस्तिष्क से जुड़े हुए रोग हैं| सर्पगंधा इन दोनों ही बीमारियों में लाभकारी है| सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से पागलपन तथा मिर्गी में लाभ होता है| सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण को गुलाब जल के साथ सेवन कराने से पागलपन में लाभ होता है|
विष के प्रभाव को कम करे सर्पगन्धा
- सर्पगंधा का प्रयोग विभिन्न प्रकार के विषों को समाप्त करने के लिए भी किया जाता है| साँप के काटने पर सर्पगंधा की जड़ को पानी में घिस कर पिने से लाभ होता है|
- सर्पगन्धा, चोरक, सप्तला, पुनर्नवा आदि द्रव्यों का एकल या मिश्रित प्रयोग करने से विभिन्न प्रकार के विषो का शमन होता है |
बुखार में उपयोगी (Sarpgandha for fever )
- बुखार कम करने के लिए बहुत सी दवाओं का सेवन किया जाता है किंतु जब कोई खास परिणाम नजर नहीं आता है| ऐसे में तब सर्पगंधा जड़ी बूटी रामबाण की तरह काम करता है| सर्पगन्धा के सेवन से बुखार से छुटकारा पाया जा सकता है|
तनाव में (Sarpgandha for stress)
- चिंता एक ऐसी समस्या है जिससे बाहर निकल पाना किसी भी व्यक्ति के लिए सरल नहीं है| जब तक जीवन है तब तक चिंता या तनाव भी है| यह चिंता तनाव का रूप ले लेती है तनाव से राहत पाने के लिए सर्पगन्धा का प्रयोग किया जाता है|
पेट दर्द से राहत पाए (Sarpgandha for stomach pain)
- सर्पगंधा अपच और कब्ज को दूर करता है| यह गैस को समाप्त करता है| इन कारणों से होने वाले पेट के दर्द में सर्पगंधा की जड़ का काढ़ा बनाकर पिने से जल्दी से लाभ होता है|
मासिक विकार में (Sarpgandha menstrual problem)
- सर्पगंधा के सूखे फल के चूर्ण को काली मिर्च तथा अदरक के साथ पीस लें| इसे खाने से मासिक धर्म नियमित होने लगता है| इससे मासिक धर्म के दौरान दर्द होना, कम या अधिक बहाव होना आदि आर्तव विकार भी ठीक होता है|
सुख प्रसव के लिए सर्पगन्धा
- यदि प्रसव के दौरान दर्द हो रहा हो और प्रसव नहीं हो रहा तो सर्पगंधा की जड़ के काढ़े का सेवन कराना चाहिए| इससे गर्भाशय में संकोचन होना प्रारंभ हो जाता है जिससे प्रसव होने में आसानी हो जाती है|
- इसके अलावा सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण में बराबार भाग शक्कर मिला लें| इसे शहद के साथ सेवन कराने से भी सामान्य प्रसव में सहायता मिलती है|
हैजा में उपयोगी सर्पगन्धा
- हैजा होने पर सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण को गुनगुने जल के साथ सेवन करें| इससे हैजा में जल्दी से लाभ होता है|
रक्तचाप ठीक करने के लिए (Sarpgandha for blood pressure)
- सर्पगंधा से बनी वटी का सेवन करने से उच्च रक्तभार ठीक होता है| सर्पगंधा घन वटी का सेवन करने से उच्चरक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर ठीक होता है|
खूनी उल्टी में सर्पगन्धा
- यदि आपको उल्टी के साथ खून आने की परेशानी भी है तो इस बीमारी से राहत पाने के लिए कुटज की जड़ के काढ़े में सर्पगन्धा का चूर्ण मिलाकर पिने से खूनी उल्टी से छुटकारा मिलता है|
कुक्कुर खांसी में (Sarpgandha for cough)
- कुक्कुर खांसी को काली खांसी भी कहते हैं| बच्चों में होने वाली यह एक संक्रामक बीमारी है| कुक्कुर खांसी होने पर काफी तेज तथा लगातार खांसी उठती है| लगातार खांसने से रोगी घबरा जाता है| अंत में उसे उलटी हो जाती है| इसलिए इससे छुटकारा पाने के लिए सर्पगन्धा के चूर्ण को मधु के साथ मिलाकर सेवन कराने से कुक्कुर खांसी में लाभ होता है|
सांस संबंधित रोग में (Sarpgandha for breathing problem)
- अगर किसी को भी सांस संबंधित रोगो से परेशानी है तो इसे राहत पाने के लिए सर्पगन्धा के चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से सांस संबंधित रोगो में लाभ होता है|
गर्भावस्था के समय दर्द में राहत सर्पगन्धा
- गर्भावस्था के शुरुआती दो तीन महीनों में भ्रूण का मांस पूरी तरह नहीं बना होता है| इस अवस्था में यदि किसी कारण से गर्भपात हो जाए केवल खून ही गिरता है| इसे ही गर्भस्राव कहते हैं| गर्भस्राव होने के बाद यदि दर्द तथा खून का निकलना बंद न हो तो सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करें| इससे आपको जरुर ही लाभ होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Sarpgandha)
- फल
- जड़
सेवन मात्रा (Dosages of Sarpgandha)
- चूर्ण -3 से 5 ग्राम
- काढ़ा – 10 से 30 मिली या चिकित्सा के अनुसार
सावधानी (precautions of Sarpgandha)
- सर्पगन्धा का अधिक सेवन करने से शरीर में घबराहट, ह्रदय में भारीपन, रक्तचाप में कम होना आदि लक्षण होते है| इसका सेवन चिकित्सा के अनुसार ही करना चहिए|
सर्पगन्धा से निर्मित औषधियां
- सर्पगंधा वटी, चूर्ण, योग
- सर्पगंधा सत्व तथा सुरासार