शतावरी (Shatavari)
शतावरी का परिचय: (Introduction of Shatavari)
शतावरी क्या है? (What is Shatavari?)
शतावरी को बहुत कम लोग जानते है या नही जानते है| यह एक औषधि है जिसके प्रयोग से आप को कई सारे रोगो से छुटकारा मिल सकता है| क्या आपको पता है कि शतावरी क्या है, शतावरी के फायदे क्या हैं, शतावरी का सेवन कैसे किया जाता है, या यह कहां मिलता है?
आयुर्वेद में शतावरी को एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में बताया गया है| आप अनेक बीमारियों की रोकथाम, या इलाज में शतावरी का प्रयोग कर सकते हैं| अगर आपको शतावरी के फायदे के बारे में जानकारी नहीं है, तो इस लेख को पढने के बाद आप पूरी तरह से शतावरी से परिचित हो जायेंगे|
इस औषधि के उपयोग से आप पित्त का शमन तथा शरीर को बलवान बना सकते है| इसके अलावा बवासीर, घावो के रोपण के लिए अनिद्रा, प्रमेह रोग, मूत्र विकार, जुखाम, सूखी खांसी आदि में बहुत ही फायदेमंद है| इसके फायदे यही पर ही समाप्त नही होते है आइये जानते है इस शतावरी को किन – किन रोग में उपयोग में लिए जाता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Shatavari ki akriti)
इसका पौधा फैलने वाला झाड़ीदार होता है| इसका तना कमजोर, चिकना, भूरे रंग का होता है| इसका कंटक सीधा होता है| इसके पत्ते गुच्छे में होते है| इसके फूल खुशबूदार होते है| इसका फल गोलाकार, झुरीदार हरे रंग का होता है| यह बीजो से युक्त होते है| एक – एक बेल के नीचे कम से कम 100, इससे अधिक जड़ें होती हैं| ये जड़ें लगभग 300- 400 सेमी लम्बी एवं 1 से 2 सेमी मोटी होती हैं| जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं| इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का, पतला छिलका रहता है| इस छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं| इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सूखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है| इसका पुष्पकाल और फूलकाल जनवरी से मई तक होता है|
विरलकन्द शतावर (Asparagus filicinus Buch.Ham ex D.Don)
यह पत्तोदार, शाखाओ वाला पौधा होता है| इसके कन्द छोटे, मांसल होते है| इसके फूल गुच्छे में लगे हुए होते है| इसका कन्द बलकारी, कषाय, कीड़ो का नाश करने वाला, बुखार तथा मूत्र रोग में इसके काढ़े का सेवन किया जाता है|
कुन्तपत्रा शतावर (Asparagus gonoclados Baker)
इसका पौधा झाड़ीदार होता है| इसके कन्द छोटे तथा मोटे होते है| इसके फूल सफेद रंग के होते है| यह कच्चे होते है जब ये हरे तथा पकने के बाद लाल रंग के हो जाते है| इसके कन्द शतावरी से छोटे होते है| इसका कन्द वाजीकार और बलकारक होता है|
शतावरी की प्रजातियाँ (Shatavari ki prajatiya)
1. Asparagus filicinus Buch.Ham ex D.Don
2. Asparagus gonoclados Baker
शतावरी के पौषक तत्व (Shatavari ke poshak tatva)
- विटामिन -ए,
- विटामिन-सी
- विटामिन – ई, के,बी-6
- फोलिक एसिड
- लोहा
- तांबा
- कैल्शियम
- प्रोटीन
- फाइबर
- कैलोरी
शातावरी के सामान्य नाम (Shatavari common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Asparagus racemosus |
अंग्रेजी (English) | Wild asparagus |
हिंदी (Hindi) | सतावर, सतावरि, सतमूली, शतावरी, सरनोई |
संस्कृत (Sanskrit) | शतावरी, शतपदी, शतमूली, महाशीता, नारायणी, काञ्चनकारिणी, पीवरी, सूक्ष्मपत्रिका, अतिरसा, भीरु, नारायणी, बहुसुता, बह्यत्रा, तालमूली |
अन्य (Other) | सतावरा (उर्दू) चोत्तारु (उड़िया) एकलकान्ता (गुजराती) किलावरि (तमिल) छल्लागडडा (तेलगु) शतमूली (बंगाली) बोजान्दन (पंजाबी) शतावरी (मराठी) शतावरि (मलयालम) सतामूलि (नेपाली) |
कुल (Family) | Liliaceae |
शतावरी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Shatavari ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | वातपित्तशामक (pacifies vata and pitta) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter), मधुर (sweet) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), स्निग्ध (oily) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (sweet) |
अन्य (Others) | बल्य, मेध्य, वेदनास्थापन, मूत्रल, शुक्रल |
शतावरी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Shatavari ke fayde or upyog)
झाइयाँ दूर करे
- बढती उम्र के के साथ चेहरे पर दाग धब्बे और झाइयाँ आ ही जाती है| इन झाइयों से राहत पाने के लिए सतावर के चूर्ण में गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे का निखार बढ़ता हो और दाग धब्बे खत्म होते है|
अनिद्रा में (Shatavari for insomnia)
- यदि आपको किसी तनाव या किसी बीमारी की वजह से नींद नही आ रही है तो सतावर के चूर्ण को दूध में पकाकर और इसमे घी मिलाकर सेवन करने से नींद अच्छी आती है|
बवासीर में (Shatavari for piles)
- मसालेदार खाने की वजह से या कब्ज़ के कारण अगर आपको बवासीर की समस्या हो गई है तो सतावर के चूर्ण को दूध के साथ खाने से बवासीर में लाभ होता है|
सिर दर्द में उपयोगी (Shatavari for headache)
- आजकल के तनाव और टेंशन की वजह से सिर दर्द तो एक आम समस्या हो गई है इससे आराम पाने के लिए सतावर की ताजी जड़ को कूटकर इसका रस निकालकर इसमे बराबर मात्रा में तिली का तैल मिलाकर इसे उबाल ले| फिर इस तेल की सिर पर मालिश करने से सिर दर्द और आधासीसी के दर्द से छुटकारा मिलता है|
रतौंधी से छुटकारा पाए
- यदि आप इस रोग से पीड़ित है तो घी में सतावर के पत्तो को भूनकर और इसकी सब्जी बनाकर सेवन करने से रतौंधी में लाभ होता है|
जुखाम में (Shatavari for cold)
- मौसम बदला के नही जुकाम की समस्या हो जाती है| तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सतावर की जड़ का पेस्ट बनाकर पीना चाहिए|
पथरी में (Shatavari for calculus)
- पथरी की बीमारी से परेशान मरीज सतावर के जड़ से बने रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पिएं| इससे पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है|
आवाज के फटने की समस्या में
- अधिक जोर से बोलने,या चिल्लाने पर गला बेठ गया है और इसकी वजह से आपकी आवाज फट गई है| तो ऐसी परेशानी में शतावर, खिरैटी (बला), और चीनी को मधु के साथ चाटने से लाभ होता है।
खांसी में (Shatavari for cough)
- मौसम के कारण यदि खांसी की समस्या हो गई है तो इससे राहत पाने के लिए सतावर और नागबला का काढ़ा बनाकर इसमे घी मिलाकर सेवन करने से खांसी में जल्दी से लाभ होता है|
- सूखी खांसी से परेशान रहते हैं, तो सतावर, अडूसे के पत्ते, और मिश्री को पानी के साथ उबाल लें| इसे दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है|
ह्रदय के लिए (Shatavari for heart)
- सतावर के विशेष गुणों के कारण हृदय स्वास्थ्य में भी इसका उपयोग किया जा सकता है| यदि आप ह्रदय के रोग से पीड़ित है तो सतावर का प्रयोग कर सकते है|
कैंसर में (Shatavari for cancer)
- अगर आप कैंसर से पीड़ित है, और आप कैंसर के लक्षणों को रोकना चाहते हो तो सतावर का प्रयोग कर सकते है| इसमे कुछ ऐसे गुण पाए जाते है जो कैंसर के लक्षणों को रोकते है|
खूनी उल्टी में
- ताजी शतावरी को दूध के साथ पीसकर छानकर दिन में तीन बार पिने से खुनी दस्त में लाभ होता है|
सांस संबंधित परेशानी में (Shatavari for breathing problem)
- शतावरी पेस्ट एक भाग, घी एक भाग, तथा दूध चार भाग लें| इन्हें घी में पकाएं| इसे सेवन करें| इससे सांसों से संबंधित रोग, रक्त से संबंधित बीमारी, सीने में जलन, वात और पित्त विकार, और बेहोशी की परेशानी से आराम मिलता है|
प्रमेह रोग में
- इस रोग से पीड़ित लोगों के लिए शतावरी में रस में गाय का दूध मिलाकर पिने से प्रमेह में लाभ होता है|
मधुमेह से छुटकारा पाए (Shatavari for diabetes)
- खान पान की गडबडी के कारण कई लोग डायबिटीज का शिकार हो जाते है| इन में से यदि आप भी शिकार हो गये है तो शतावरी का उपयोग आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा|
वजन घटाने में (Shatavari for weight loss)
- शतावरी में फायबर और कैलोरी पाया जाता है जो वजन को नियंत्रण में करते है| यदि कोई व्यक्ति वजन के बढने से परेशान है तो शतावरी का लाभ ले सकते है|
मूत्र रोग में (Shatavari for urinary disease)
- यदि आपको पेशाब करते समय दर्द या जलन होती है तो सतावर और गोखरू का शर्बत बनाकर सेवन करने से मूत्र के विकारो में लाभ होता है|
घाव भरने के लिए (Shatavari for wound)
- शतावरी के पत्तों का चूर्ण बनाकर दोगुने घी में तल लें| अब इस शतावरी चूर्ण को अच्छी तरह पीस कर घाव पर लगाएं| इससे पुराना घाव भी ठीक हो जाता है, और जल्दी भर जाते है|
स्तनों के दूध की वृद्धि के लिए शतावरी
- यदि माताओ के प्रसव के बाद दूध में कमी आ रही है| तो शतावरी की जड़ के चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से स्तनों के दूध की वृद्धि होती है|
कमजोरी दूर करने के लिए (Shatavari for weakness)
- अगर आप कुछ काम करने के बाद जल्दी ही थक जाते है| तो इस कमजोरी को दूर करने के लिए शतावरी को घी के साथ पकाकर शरीर पर मालिश करने से कमजोरी दूर होती है|
अपच की समस्या में शतावरी
- खाना ठीक से नहीं पच रहा है, तो शतावरी का उपयोग करना लाभ पहुंचाता है| शतावर के जड़ के रस को मधु, और दूध के साथ मिला लें| इसे पिलाने से अपच जैसी परेशानी से शान्ति मिलती है|
पित्तज प्रमेह में शतावरी
- शतावरी के रस में शहद मिलाकर सुबह – शाम को पिने से पित्तज प्रमेह का शमन होता है|
पुरुष के बल को बढ़ाने के लिए शतावरी
- शतावरी की सब्जी बनाकर सेवन करने से तथा दूध के साथ इसके चूर्ण की खीर बनाकर पिने से पुरुष का बल बढ़ता है|
वीर्य की वृद्धि के लिए शतावरी
- यदि आपके वीर्य की बढ़ोतरी नही हो रही है तो शतावरी को घी के साथ सेवन करने से वीर्य की वृद्धि होती है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Shatavari)
- कन्द की जड़
सेवन मात्रा (Dosages of Shatavari)
- जूस -10 से 20 मिली
- क्वाथ -50 से 100 मिली
- चूर्ण – 3 से 6 ग्राम
शतावरी से निर्मित औषधियां
- शतावर चूर्ण