विजयसार (Vijaysar)
विजयसार (बीजक) का परिचय: (Introduction of Vijaysar)
विजयसार क्या है? (What is Vijaysar)
क्या आप परेशान है? रोगो से, अब आपको परेशान होने की जरूरत नही है| यह औषधि आपके लिए बहुत ही लाभकारी है| जिसके बारे में आज आप जानकर हो जाओगे हैरान| विजयसार रोगो के लिए प्रकृति का वरदान है| कुष्ठ रोग, कफज विकार को दूर करने के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जाता है|
क्या आपको पता है इसके फूल का प्रयोग रक्तपित्त की समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है| इसे औषधियों में से आयुर्वेद में एक महान औषधि माना जाता है| हाथीपाँव, सफेद दाग, दाद, मोटापा मासिकधर्म ने आने वाली समस्या आदि में इसका प्रयोग किया जाता है|
इसकी लकड़ी से बने बर्तन में पानी पिने से आने रोगो से छुटकारा पा सकते है| मधुमेह, धातु रोग, गठिया जैसे रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है| यह नही यह औषधीय गुणों का खजाना है| आइये जानते है की इसका प्रयोग किन – किन बीमारी में किया जाता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Vijaysar ki akriti)
यह भारत में समस्त भागो में पाया जाता है| सुश्रुत में बीजक को कफपित्तहर मानकर कुष्ठरोग में बहुलता से इसका प्रयोग किया गया है| रक्तपित्त में इसके फूलो का प्रयोग बताया गया है| दूषित जल की शुद्धि के लिए असन का प्रयोग बताया है| वाग्भट ने गुदकुट्टक नामक बालरोग में बीज के चूर्ण का त्वचा का लेप एवं भगन्दर प्रतिषेध में त्रिफला के साथ असन का प्रयोग किया जाता है| बीजक के निर्यास का हीरादक्खन (खूनखराबा) रूप रूप में उपयोग करते है प्राचीन काल में बीजक की लकड़ी से बने पात्रों में अंजन रखने का विधान किया गया है|
यह लगभग 30 मीटर तक ऊँचा सुंदर पेड़ होता है| इसका तना फैली हुई शाखादार होता है| इसका तना गहरे भूरे रंग का होता है| इसकी बाहर की परत गुलाबी रंग की होती है| इसकी छाल में आघात या क्षत करने से गहरे लाल रंग का गोंद निकलता है, जो सूख कर काला तथा कठोर हो जाता है| इसको उबालकर एवं सुखाकर प्रयोग किया जाता है| यह गाढ़े लाल रंग के चमकीले टुकड़ों में होता है, जो माणिक के समान लाल रंग का दिखाई देता है| इसको तोड़ने से भूरे रंग का चूरा निकलता है तथा चबाने से यह दांतों में चिपक जाता है|
इसके पत्ते हरे रंग के तथा अंडाकार और उपरी सतह पर शिराओ में युक्त होते है| इसके फूल सुगन्धित,पीले रंग के होते हैं| इसकी फलिया चपटी, मुड़ी हुई होती है| इसके अंदर 1 से 3 बीज होते है| इसका फूलकाल और फलकाल अगस्त से अक्टूबर थ होता है|
विजयसार के सामान्य नाम (Vijaysar common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Pterocarpus marsupium |
अंग्रेजी (English) | Indian Kino tree |
हिंदी (Hindi) | विजयसार, बीजा, बीजासाल |
संस्कृत (Sanskrit) | बीजक, पीतसार, पीतशालक, बन्धूकपुष्प, प्रियक, सर्जक, असन; |
अन्य (Other) | दामुल अरववैन (उर्दू) ब्यासा (उड़िया) अस्सन (कोंकणी) बीया (गुजराती) पीरासाराम (तमिल) येगि (तेलगु) पीताशाल (बंगाली) बीब्ला (मराठी) वेना (मलयालम) विजयसार (नेपाली) |
कुल (Family) | Fabaceae |
विजयसार के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Vijaysar ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | कषाय (astringent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | शोथहर, केश्य, स्तम्भन, कृमिघ्न, रक्तपित्तशामक |
विजयसार के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Vijaysar ke fayde or upyog)
मधुमेह के लिए (Vijaysar for diabetes)
- यह एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण ना तो कुछ सही तरह से खा सकते है ना ही जीवन सही तरीके से जी सकते है| यदि आप भी इस परेशान से पीड़ित है तो विजयसार का उपयोग करके डायबिटीज में लाभ पा सकते है|
गठिया में (Vijaysar for gout)
- बढती उम्र के साथ या वात के कारण किसी को भी यदि जोड़ो के दर्द की समस्या है तो इसे आराम पाने के लिए विजयसार की लकड़ी का उपयोग किया जाता है|
लीवर के लिए (Vijaysar for liver)
- यदि आप लीवर से संबंधित रोग से परेशान है तो इस औषधि का प्रयोग कर सकते है| विजयसार आपके लीवर को स्वस्थ्य रखने का काम करता है| विजयसार में मोजूद कुछ पौषक तत्व जो हेपेटोपैथी के लक्षणों को नियंत्रण में करता है|
अस्थमा की बीमारी को दूर करने के लिए (Vijaysar for asthma)
- कई कारणों से अस्थमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं| जिनका उपचार करने के लिए विजयसार की लकड़ी का उपयोग किया जाता है| यह औषधि अस्थमा के लिए बहुत ही उपयोगी है|
पेट के कीड़ो को नष्ट करने के लिए (Vijaysar for stomach bugs)
- विशेष रूप से विजयसार बच्चों के लिए बहुत ही प्रभावी मानी जाती है। क्योंकि अक्सर बच्चों के पेट में कीड़े हो जाते हैं जिसके कारण उनको पर्याप्त पोषक तत्व प्राप्त नहीं होते हैं, साथ ही पेट दर्द की समस्या भी हो जाती है| इन कीड़ो को नष्ट करने के लिए विजयसार के पेड़ की छाल का चूर्ण बनाकर नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट होते है|
दस्त के इलाज के लिए (Vijaysar for diarrhea)
- यदि आपके खान – पान की गडबडी या किसी मसालेदार भोजन करने की वजह से यदि आपको दस्त की समस्या को गई है तो विजयसार की छाल का काढ़ा बनाकर सेवन करने से दस्त से राहत मिलती है|
खून की कमी में (Vijaysar for anemia)
- जिन लोगों को खून की कमी है या एनीमिया से पीड़ित है तो विजयसार आपके लिए बहुत ही फायदेमंद जडीबुटी है| इसमे मौजूद आयरन की मात्रा जो एनीमिया के खतरे से बचाता है| यह आयरन की कमी को दूर कर खून की वृद्धि को बढ़ता है|
बालो की समस्या के लिए (Vijaysar for hair problems)
- बालों के झड़ने या टूटने की समस्या से परेशान हैं, तो विजयसार की लकड़ी को पानी में भिगोकर रखें, बाद में उसी पानी से बाल धोने से बालों की समस्या से राहत मिलती हैं|
दाद खुजली में विजयसार
- दाद – खुजली से परेशान है, तो एक से तीन महीनों तक विजयसार की पत्तियों का पेस्ट बनाकर लगाने से त्वचा संबंधी सभी विकारों से छुटकारा मिलता हैं|
दांतों के दर्द से (Vijaysar for teeth)
- दांत में दर्द हो रहा हो, तो विजयसार की छाल को बारीक पीसकर, उसी से दांतों की मालिश करने से दांत दर्द में आराम मिलता हैं|
हड्डी टूटने पर (Vijaysar for bones)
- यदि किसी कारण किसी की हड्डी टूट गई है तो विजयसार की छाल का लेप करने से हड्डी ठीक हो जाती है|
हाथीपांव में विजयसार
- यदि आप फाइलेरियया की समस्या से ग्रसित है तो प्रतिदिन सुबह खदिर, बीजक तथा शाला के पेस्ट गाय का मूत्र तथा शहद मिलाकर पिने से हाथीपांव का जल्दी से शमन होता है|
आँखों के लिए (Vijaysar for eyes)
- यदि आप आँखों के रोग से परेशान है तो बराबर भाग में तिल तैल तथा विभीतक तैल में चार गुना भृङ्गराज का रस तथा विजयसार का क्वाथ मिलाकर लोहे के पात्र में तैल पाककर, ठंडा करके एक दो नाक के रास्त से लेने से आँखों के रोग में लाभ होता है|
मासिकधर्म न आने की परेशानी में विजयसार
- यदि आपका मासिकधर्म समय पर नही आता है तो विजयसार का लाभ ले सकते है| इसके लिए ज्योतिषमाय के पत्ते सज्जीक्षार, वचा तथा विजयसार को दूध में पीसकर तीन दिन तक पिने से रुका हुआ मासिकधर्म आ जाता है|
मोटापे की परेशानी में (Vijaysar for obesity)
- यदि आपके शरीर की चर्बी बढती ही जा रही है तो विजयसार के काढ़े में मधु मिलाकर सेवन करने से मोटापा का शमन होता है|
खुजली में (Vijaysar for itching)
- खुजली से राहत पाने के लिए विजयसार की छाल का पेस्ट बनाकर खुजली वाले स्थान पर लेप करने से खुजली का शमन होता है|
सफेद दाग में विजयसार
- क्या आप परेशान है सफेद दाग से और यदि राहत पाना चाहते है तो विजयसार के पत्तो को पीसकर लेप करने से कुष्ठ तथा सफेद दाग शमन होता है|
उपदंश में
- उपदंश यानि प्रजजन संबंधित रोग यदि आपके इस रोग से पीड़ित है तो खदिर एवं असन का काढ़ा बनाकर प्रयोग करने से तथा इनके पेस्ट को गुग्गुल या त्रिफला के साथ मिलाकर प्रयोग करने से उपदंश का शमन होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Vijaysar)
- जड़
- पत्ती
- फूल
- छाल
- गोंद
सेवन मात्रा (Dosages of Vijaysar)
- चूर्ण – 10 से 20 ग्राम
- क्वाथ -15 से 20 मिली