नीम (Neem): आयुर्वेद के इस कडवे जड़ीबूटी के फायदे इतने है की गिनते गिनते थक जाओगे (Benefits and Us)
नीम का परिचय: (Introduction of Neem)
नीम क्या है? (Neem kya hai?)
क्या आपको पता है हर जगह आसानी से दिखने वाला नीम (Neem) इसके कितने सारे फायदे है| यह तो आप सोच भी नही सकते है| यह स्वाद में जितना कडवा है इसके उतने ही सारे मीठे मीठे फायदे है| आपने कभी भी कल्पना भी नही कि होगी की जिसे आप रोजाना देखते है उसके इतने सारे गुण कैसे हो सकते है| आज आपको इस नीम के बारे में विस्तार से सब कुछ बतायेंगे| इसे पिचुमर्द (कुष्ठ को नष्ट करने वाला), अरिष्ट (जिससे शरीर को कोई हानी न हो), हिङ्गुनिर्यास (हींग के समान जिससे गोंद निकले) आदि नमो से भी जाना जाता है|
नीम के गुणों के कारण इसे धरती का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है। आमतौर पर लोग नीम का प्रयोग घाव, चर्म रोग में फायदा लेने के लिए करते हैं लेकिन सच यह है नीम के फायदे कई अन्य रोगो में भी मिलते है| नीम के पत्ते का काढ़ा घावों को धोने में कार्बोलिक साबुन से भी अधिक उपयोगी है| कुष्ठ आदि चर्म रोगों पर भी नीम बहुत लाभदायक है|
आयुर्वेद में इसके बहुत सारे औषधीय गुण बताये गये है| जो की पूरे भारत में प्रसिद्ध है| इसके रेश –रेश में खून को साफ करने का गुण पाया जाता हैं| नीम का तेल टीबी या क्षय रोग को जन्म देने वाले जीवाणु की तीन जातियों का नाश करने वाले गुणों से युक्त पाया गया है| नीम की पत्तियों का गाढ़ा लेप कैंसर की बढ़ाने वाली कोशिकाओं की बढ़ने की क्षमता को कम करता है| आइए जानते हैं कि इसका उपयोग किन- किन बीमारी में किया जाता है|
नीम का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Neem ki akriti)
नीम भारतीय मूल का एक पूर्ण पतझड़ पेड़ है जो 16 या 25 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है| कभी- कभी 35 या 40 मीटर तक भी ऊंचा हो सकता है| इसकी शाखाएं यानी डालियाँ काफी फैली हुई होती हैं| तना सीधा और छोटा होता है और 2 मीटर तक होता है|
इसकी छाल कठोर तथा दरारयुक्त होती है और इसके तने का रंग सफेद, धूसर लाल रंग का व भूरा भी हो सकता है इसकी लंबी पत्तियों की लड़ी होती है जिनमें गहरे हरे रंग के पत्ते होते हैं| इसके फूल सफेद और सुगन्धित होते हैं| इसका फल चिकना तथा अंडाकार होता है और इसे निबौली कहते हैं| फल का छिलका पतला तथा गूदे तथा रेशेदार, सफेद पीले रंग का और स्वाद में कड़वा, मीठा होता है| इसकी गुठली सफेद और कठोर होती है जिसमें एक या दो तीन भी बीज होते हैं| इसका फूलकाल व फलकाल अप्रैल से जून होता है|
नीम के पौषक तत्व (Neem Nutritional Value)
- प्रोटीन
- कैल्शियम
- विटामिन सी
- कार्बोहाइड्रेट
- फाइबर
- वसा
- अमीनो एसिड
- नाइट्रोजन
- फास्फोरस
- पोटेशियम
- टैनिक एसिड
निम्ब/नीम के सामान्य नाम (Neem common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Azadirachta indica |
अंग्रेजी (English) | Margosa tree |
हिंदी (Hindi) | नीम, निम्ब |
संस्कृत (Sanskrit) | निम्ब, पिचुमर्द, पिचुमन्द, तिक्तक, अरिष्ट, हिङ्गुनिर्यास |
अन्य (Other) | बेटैन (उतराखण्ड ) निमो (उड़िया) नीम (उर्दू) निम्ब (कन्नड़) लिम्बा (गुजराती) वेमू (तेलगु) बेम्मू (तमिल) नीम (नेपाली) निम्ब (पंजाबी) वेप्पु (मलयालम) अजाडेरिखत (अरबी) नीब (फारसी) |
कुल (Family) | Meliaceae |
नीम के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Neem ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter), कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | लघु (light) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | रेचन, ग्राही, कृमिघ्न, अम्लपित्तशामक |
नीम के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Neem ke fayde or upyog)
घावो के उपचार में (Neem for wound)
- यदि आपका घाव ठीक नही हो रहा है तो कुछ इस तरह प्रयोग करे, 40 मिली नीम के तेल में 9 ग्राम कपूर मिला कर रख लें, इसमें रूई का फाहा डुबोकर घाव पर रखने से घाव सूख कर ठीक हो जाता है| इससे पहले घाव को फिटकरी मिले हुये नीम के पत्ते का काढ़े से साफ कर लें| ऐसा करने से आपका धाव जल्दी से ठीक हो जाता है|
- इसके अलावा 10 ग्राम नीम की गिरी तथा 25 ग्राम मोम को 110 ग्राम तेल में डालकर पकाएं| जब दोनों अच्छी तरह मिल जायें तो आग से उतार कर 15 ग्राम राल का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह हिलाकर रख लें| यह मलहम, आग से जले हुए और अन्य घावों के लिए लाभदायक है|
- हमेशा बहते रहने वाले जख्म को नीम के पत्तों के काढ़े से अच्छी प्रकार धो लें| इसके बाद नीम के छाल की राख को उसमें भर दें| 6 या 7 दिन में घाव पूरी तरह ठीक हो जाता है|
दाद से छुटकारा पाने के लिए
- यदि आपको दाद की समस्या है तो आप कुछ इस तरह प्रयोग करे नीम के 10 या 12 पत्तों को दही व शहद के साथ पीसकर लेप करने से दाद या दाद की खुजली, जलन में लाभ होता है|
चर्म रोग में (Neem for skin)
- यदि आप किसी भी प्रकार के चर्म से परेशान है तो आप कुछ इस तरह प्रयोग करे| 100 साल पुराने नीम के पेड़ की सुखी छाल को बारीक़ पीसकर, रात को 4 ग्राम चूर्ण को 300 ग्राम मिली जल में भिगो दे, और सुबह मधु में पिलाकर पिने से आपको अनेक प्रकार के चर्म रोग से जल्दी से छुटकारा मिलता है|
कुष्ठ रोग में उपयोगी (Neem for leprosy)
- एक-एक किलो नीम की छाल और हल्दी तथा दो किलो गुड़ को मिट्टी के बड़े मटके में भरें| इसमें 40 लीटर पानी डालकर मुंह बन्दकर घोड़े की लीद से मटके को ढक दें| 14 दिन बाद निकाल कर अर्क निकाल लें| 10 या 20 मिली की मात्रा में सुबह-शाम सेवन कराने से शरीर को गलाने वाले कुष्ठ में लाभ होता है| दवा सेवन के बाद खाने में बेसन की रोटी घी के साथ सेवन करे|
- कुष्ठ रोगी को पहला दिन नीम के बीजों की 2 गिरी, दूसरे दिन 3 गिरी, इसी प्रकार 1-1 गिरी बढ़ाते हुए सौ गिरी तक खिलाये | इसे घटाते हुए वापस 1 गिरी पर आ जाएं| इसके बाद सेवन बन्द कर दें| इस प्रयोग के दौरान रोगी को चने की रोटी और घी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं देना चाहिए| कुष्ठ रोग में यह तरीका बहुत ही लाभदायक है|
- यदि आप इस रोग से बहुत परेशान है और आपको राहत पानी है तो पांच ताजे नीम के पत्ते और हरा आँवला 11 ग्राम या हरे आँवले के अभाव में छह ग्राम सूखे आँवले लें| सुबह सूर्योदय के पहले ही ताजे पानी में पीस-छान कर पीऐ| इसके साथ ही केले के क्षार, हल्दी व गाय के पेशाब के साथ पीसकर सफेद दागों यानी सफेद कुष्ठ पर लगाते रहने से लाभ होता है|
- इसके अलावा नीम के पत्ते, फूल तथा फल को बराबर भाग लेकर पानी के साथ महीन पीस लें| 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से सफेद कुष्ठ में लाभ होता है|
चेचक में उपयोगी
- यदि आप इस रोग से बहुत परेशान है तो आप नीम की सात लाल कोमल पत्तियां और सात दाने काली मिर्च को मिला लें| इनका एक महीने तक नियमित रूप से खाने से एक साल तक चेचक निकलने का डर नहीं रहता|
- चेचक के दानों में अगर बहुत गर्मी हो तो नीम की 12 ग्राम कोमल पत्तियों को पीसकर, इसका रस बहुत पतला कर लेप करना चाहिए| चेचक के दानों पर कभी भी मोटा लेप नहीं करना चाहिए|
- यदि आपको जलन हो रही है तो नीम के बीजो 6 या 12 की पानी में पीसकर लेप लगाने से चेचक की जलन में लाभ मिलता है|
- यदि आपको इस रोग में अधिक प्यास लगती हो तो नीम की छाल को जलाकर उसके अंगारों को पानी में डालकर बुझा लें और इस पानी को छानकर पिने से प्यास बुझ जाती है| अगर प्यास इससें भी शान्त न हो तो एक लीटर पानी में 12 ग्राम कोमल पत्तियों को उबाल लें| जब आधा पानी रह जाये, तब छान कर पिये |
- चेचक खुलकर न निकले और रोगी बेचैन हो, छटपटाने और रोने लगे तो नीम की हरी पत्तियों का रस 11 मिली सुबह, दोपहर तथा शाम को पिलाना चाहिए|
- जब चेचक ठीक हो जाये तो नीम पत्तो का काढ़ा बनाकर नहाना चहिए| इससे आपको शरीर को लाभ मिलता है|
- चेचक रोग में अगर आपके बाल झड़ जाये तो सिर में कुछ दिनों तक नीम का तेल लगाने से बाल फिर से जम जाते हैं|
- यदि आपको इस रोग से छुटकारा पाना है तो 11 ग्राम नीम के काढ़े में 6 नग काली मिर्च का चूर्ण बुरककर, रोज सुबह कुछ दिन सेवन करने से चेचक जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है|
मधुमेह में उपयोगी नीम (Neem for diabetes)
- मधुमेह में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करने में नीम का सेवन आपको मदद कर सकता है क्योंकि नीम में एक एंटी डायबिटिक की क्रियाशीलता पायी जाती है जिस कारण से यह शर्करा की मात्रा को रक्त में नियंत्रित करने में मदद करता करता है|
दमा में उपयोगी नीम (Neem for asthma)
- नीम का प्रयोग अस्थमा के लक्षणों को कम करने सहायक होता है,क्योंकि निम्ब में कफ हर गुण होते है जो कि अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करते है|
कैंसर में उपयोगी (Neem for cancer)
- नीम का सेवन कैंसर को फैलने से रोकने में सहायक होता है, क्योंकि इसमें एंटी कैंसरकारी गुण होता है जिस कारण ये कैंसर को शरीर में फैलने से रोकता है|
जोड़ो की समस्या को दूर करने में (Neem for joints pain)
- अगर आप जोड़ों के दर्द से परेशान है तो आप निम्ब का प्रयोग कर सकते है, क्योंकि नीम में एंटी इंफ्लेमेटरी का गुण पाया जाता है जो कि जोड़ों के सूजन को दूर कर दर्द में आराम देता है|
शीतपित्त से छुटकारा पाने के लिए
- नीम के अन्दर की छाल को रात भर पानी मे भिगो दें| सुबह इस पानी को छान कर चार ग्राम आँवले के चूर्ण के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से पुराना शीतपित्त या फिर पित्त निकलने की परेशानी ठीक हो जाता है|
कैलेस्ट्रोल को नियंत्रण करने के लिए नीम
- नीम पत्ती का एक्सट्रैक्ट आपके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है क्योकि नीम पत्ती मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ने नहीं देती है|
पाचन संबंधित परेशानी में (Neem for digestion)
- यदि आप लीवर के कारण पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो, आप निम्ब का सेवन शुरू कर सकते हैं| क्यो्कि नीम में हेपटो प्रोटेक्टिव का गुण होता है, जो कि लीवर को स्वस्थ रख कर पाचन की समस्याओं से छुटकारा दिलाता है|
कील मुंहासो में नीम (Neem)
- नीम त्वचा के लिए औषधि में रूप में प्रयोग लाये जाने वाला सबसे प्रसिद्ध प्राकृतिक साधन है| साथ ही ये मुंहासो पर दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है यानि की नीम को चेहरे पर सीधे ही लगा सकते है और इसको खाने से भी त्वचा के विकार या बीमारियां ठीक होते है|
मुँह के छालो में (Neem for mouth ulcer)
- यदि आप छालों से परेशान है तो आपके लिये निम्ब की पत्ती चबाना साथ ही उनको खाना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि नीम की पत्तियों में रोपण हीलिंग का गुण होता है जो कि छालों को जल्दी भरने में मदद करता है|
उच्च रक्तचाप का नियंत्रण करने के लिए (Neem for high blood pressure)
- उच्च रक्तचाप की समस्या से बचाव या उसे नियंत्रित करने में भी निम्ब के फायदे ले सकते हैं| दरअसल, नीम में ब्लड प्रेशर के स्तर को कम करने के गुण मौजूद हैं| नीम की पत्तियों के रस का सीमित मात्रा में सेवन करके उच्च रक्तचाप को नियन्त्रण कर सकते है|
मलेरिया के उपचार के लिए उपयोग नीम
- मलेरिया के प्रभाव और इसके लक्षणों को कम करने में नीम के पत्तों के फायदे ले सकते हैं| क्योकि नीम की पत्तियां एंटीमलेरियल गुण भरपूर पाया जाता है, आपको मलेरिया की बीमारी से छुटकारा दिलाता है|
लीवर को स्वस्थ रखने में नीम का उपयोग (Neem for liver)
- नीम का उपयोग करके लीवर संबंधित परेशानियों से छुटकारा पा सकते है| इसमे उपस्थित गुण जो आपके लीवर को एक दम स्वस्थ एवं निरोगी रखता है| इसके लिए निम्ब के पत्तो के रस का सेवन सीमित मात्रा में करे|
टी.बी. के रोग में उपयोगी नीम (Neem for T.B.)
- यदि आप इस रोग से ग्रस्त है तो आपको नीम के उपयोग करना चहिए क्योकि इसमे पाया जाने वाले गुण जो इस बीमारी से छुटकारा दिलाते है| नीम के पत्तो का सेवन कुछ दिनों तक करके टी.बी. रोग से छुटकारा पा सकते है|
हाथीपांव या फाईलेरिया
- इस रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को नीम का प्रयोग करना चहिए| क्योकि इस में पाए जाने वाले गुण जो इस रोग से लड़ने में मदद करता है| नीम की छाल और खदिर 12-12 ग्राम को 60 मिली गाय में पीसकर छान लें| इसमें 6 ग्राम मधु मिलाकर सुबह, दोपहर तथा शाम पिलाने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है|
खून की बढ़ोतरी के लिए (Neem for anemia)
- यदि आपको कमजोरी रहती है और आपके शरीर में खून की कमी है तो नीम आपके लिए बहुत ही लाभदायक है जो आपके खून को बढाता है| नीम के पत्तो का रस 5 या 10 मिली मात्रा में नियमित रूप से सेवन करने से आपका खून भी साफ होता है और खून की बढ़ोतरी भी होती है| साथ ही यह आपके वजन को भी बढ़ाता है|
बिच्छू के जहर के प्रभाव को कम करने के लिए
- बिच्छू ततैया जैसे विषैले कीटों द्वारा काट लेने पर, निम्ब के पत्तों को बारीक़ पीस कर काटे गए स्थान पर उसका लेप करने से राहत मिलती है, और जहर भी नहीं फैलता|
गर्भ निरोधक के लिए नीम
- नीम का गर्भ निरोधक के रूप में प्रयोग करना बहुत ही आसान है| यदि आप आपने गर्भ को नही ठहराना चाहती है तो आप नीम के तैल में रुई डुबोकर योनि में रखने से गर्भ नही ठहरता है|
बालो की लिखे व जूंए में प्रयोग नीम का|
- यदि आपके सिर में जूंए हो गई है तो आप निम्ब की पत्तियों को उबालकर नहाने से अनेक रोग समाप्त होते है और सिर की जूंए और लिखे भी समाप्त होती है
वात दोष को शांत करने के लिए
- यदि आप इस रोग से परेशान है तो नीम के पत्ते 25 ग्राम, कड़वे परवल के पत्ते 25 ग्राम को 400 मिली पानी में पकाकर, एक चौथाई कप शेष रहने पर शहद मिला कर सुबह-शाम सेवन करने से खून की शुद्धि होती है और वात दोष शांत होता है| इससे गठिया रोग में लाभ होता है| इसके साथ ही निम्ब के पत्तों को कांजी या छाछ में उबालकर तथा पीसकर जोड़ों पर लेप करते रहना चाहिए|
- नीम के बीज के तेल की कुछ बूँदों को पान में लगाकर खिलाने से तथा रास्नादि काढ़े में इसकी 26 बूँदें डाल कर पिने से इससे ऐंठन तथा कई तरह के वात-विकार दूर हो जाते हैं|
गठिया से छुटकारा पाने के लिए (Neem for gout)
- अगर आपको यह रोग बहुत ही परेशान कर रहा है तो 20 या 30 बूँद नीम के छाल के अर्क का 2-4 दिन तक सेवन करें| इसके दो घंटे के बाद ताजी बनी हुई रोटी को घी के साथ खाएं| इससे लकवा व गठिया में लाभ होता है व कई प्रकार के अन्य दर्द भी दूर होते हैं|
दांत के रोगो के लिए (Neem for teeth)
- यदि आपको दांत से संबंधित कोई भी रोग है तो आप सुबह उठकर नीम की डाली से मंजन करने तथा नीम के फूलो से गरारे करने से दांत और मसूड़े दोनों मजबूत होते है|
- इसके अलावा 50 ग्राम निम्ब की जड़ को कूट कर आधा लीटर पानी में एक चौथाई शेष रहने तक उबालें| इस पानी से कुल्ला करने से दांतों के अनेक रोग दूर होते हैं|
लू से छुटकारा पाने के लिए
- यदि आपको गर्मी या धूप के कारण लू लग गई है तो इसका निवारण कुछ इस तरह से करे 8 ग्राम नीम के पंचाग का चूर्ण तथा 7 ग्राम मिश्री को पानी में मिलाकर पीसकर छानकर सेवन करने से लू का शमन होता है|
नकसीर में उपयोगी नीम (Neem for blood bile)
- यदि आपको नाक कान से खून आने की समस्या है और इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते है| तो आप 12 ग्राम नीम के पत्ते का काढ़ा बनाकर सेवन करने से आपको नक्सीर में लाभ मिलता है|
बुखार में उपयोगी नीम (Neem for fever)
- यदि आपको बुखार है तो आप नीम का कुछ इस तरह से प्रयोग कर सकते है| नीम की छाल में मुनक्का और गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर 100 मीली पानी में काढ़ा बनाकर सुबह – दोपहर और शाम को पीने से बुखार में जल्दी से लाभ मिलता है|
- इसके अलावा आप और कुछ इस प्रकार प्रयोग करे निम्ब के कोमल पत्तों में आधा भाग फिटकरी की भस्म मिलाकर पीस लें| आधे -आधे ग्राम की गोलियां बना लें| एक-एक गोली मिश्री के शरबत के साथ लेने से सब प्रकार के बुखार विशेषकर तेज बुखार में बहुत लाभ होता है|
रक्तर्बुद रोग में
- रक्तार्बुद रोग में शरीर में पकने और बहने वाली गाँठे निकल आती हैं| नीम की लकड़ी को पानी में घिसकर मोटा लेप करने से रक्तार्बुद रोग में लाभ होता है|
भगन्दर रोग में उपयोगी नीम
- इस रोग से परेशान व्यक्ति को नीम का कुछ इस तरह उपयोग करना चहिए| छह ग्राम नीम के पंचांग के चूर्ण को रोज नियमित रूप से सेवन करने से पुराने भगन्दर में लाभ होता है|
- भगन्दर या अन्य स्थानों पर होने वाले घावो पर नीम के तैल में कपूर मिलाकर पट्टी बांधने से आपको इससे जल्दी से लाभ मिलता है| और इसके अलावा घेंघा व गलगंड रोग में लाभ मिलता है|
जलन में उपयोगी
- यदि आप आग या अन्य किसी कारण से जल गये हो तो आपको इसकी जलन मिटाने के लिए नीम के तैल को जल्दी से लगाने से आपको तुरंत लाभ मिलता है|
उपदंश में उपयोगी नीम
- उपदंश या सिफलिस एक प्रकार का यौन रोग होता है| इसमें भी नीम से लाभ होता है| 25 ग्राम नीम छाल को मोटा कूट कर 1लीटर खौलते हुए पानी में डालकर, रात भर रहने दें| सुबह छानकर 60मिली की मात्रा में पिये और शेष पानी से लिंग के घाव को साफ करें| इस प्रयोग के दौरान केवल घी, खांड और गेहूं की पतली रोटी का ही सेवन करे|
सूतिका रोग में नीम(Neem) के फायदे
- प्रसव के दौरान ज्यादा दर्द हो रहा हो तो 4 या 5 ग्राम नीम के बीज के चूर्ण का सेवन लाभकारी होता है|
- प्रसव के बाद रुके हुए दूषित खून को निकालने के लिए 15 या 30 मिली नीम के छाल के काढ़े को 7 दिन तक सुबह-शाम पिना चाहिए|
- नीम की 6 ग्राम छाल को पानी के साथ पीस लें| 26 ग्राम घी मिलाकर कांजी के साथ पिलाने से प्रसव के बाद होने वाले रोगों में लाभ होता है|
सफेद पानी से छुटकारा पाने के लिए
- नीम की छाल और बबूल की छाल बराबर-बराबर मात्रा में लेकर 15 या 30 मिली काढ़ा बनाकर 12 या 24 मिली काढ़े का सुबह-शाम सेवन करने से सफेद पानी यानी ल्यूकोरिया रोग में लाभ होता है|
- इसके अलावा 10 ग्राम नीम के छाल के साथ बराबर गिलोय को पीसकर दो चम्मच मधु मिला कर दिन में तीन बार पिलाएं| इससे मासिक के दौरान अधिक रक्तस्राव होने में लाभ होता है|
मासिकधर्म में उपयोगी नीम (Neem for menstrual problems)
- यदि आपको मासिकधर्म किसी भी परेशनी से शिकायत है तो मोटी कूटी हुई नीम की छाल 23 ग्राम, गाजर के बीज 7 ग्राम, ढाक के बीज 4 ग्राम काले तिल और पुराना गुड़ 25- 25 ग्राम लें| इन्हें मिट्टी के बर्तन में 400 मिली पानी के साथ पकाएं| 150 मिली शेष रहने पर छानकर सात दिन तक पिये| मासिक विकारों में लाभ होता है| इसे गर्भवती स्त्री को नहीं देना चाहिए|
प्रमेह में उपयोगी
- यदि आप इस रोग से बहुत परेशान है तो 20 या 30 मिली नीम की छाल का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से सुबह सेवन करने से इस रोग से छुटकारा मिलता है|
- इसके अलावा 25 मिली नीम के पत्ते के रस में एक ग्राम नीला थोथा अच्छे से मिलाकर सुखा मिला कर इसे कौड़ियों में रखकर जला कर भस्म करें| 300 मिग्रा भस्म को गाय के दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करें|इससे प्रमेह में लाभ होगा।
सुजाक रोग में उपचार हेतु नीम
- इस रोग से परेशान रहने वाले व्याक्तियों के लिए यह नीम का बहुत ही अच्छा उपचार है| 45 ग्राम नीम की छाल को 1 लीटरपानी में डालकर पकाए| इससे आधा रहने पर 20 ग्राम कलमी के चूर्ण को डाले और इसे नीम की लकड़ी से हिलाते रहे, और इसे ठंडा होने पर छान ले और 200 ग्राम गाय की छाछ के साथ सेवन करने से आपको इस रोग से छुटकारा मिलता है|
योनि में दर्द मिटाने के लिए
- कई बार स्त्रियों को योनि में दर्द हो जाता है| नीम की गिरी को नीम के पत्ते के रस में पीसकर गोलियां बना लें| गोली को कपड़े के भीतर रखकर सिल लें रोज एक गोली योनि मार्ग में रखने से दर्द में आराम होता है|
स्तन के घाव में प्रयोग नीम का
- यदि कोई भी महिला आपने स्तन पाक से बहुत परेशान है तो तो आप यह प्रयोग कर सकती है| 55मिली सरसों के तेल में 30 ग्राम नीम के पत्ते को पकाकर घोट लें| नीम के पत्ते के काढ़े से घाव को धोकर पोछ लें| उसके बाद राख मिला तेल लगा दें तथा कुछ सूखी राख ऊपर से लगाकर पट्टी बाँध दें| 3 या 4 दिन में काफी आराम हो जाता है| इसके बाद रोज नीम के काढ़े से धोकर नीम तेल लगाते रहें| घाव तुरंत भरकर सूख जाएगा|
पथरी में (Neem for calculus)
- अगर आप पथरी से बहुत परेशान है तो नीम के पत्तों की 400 मिग्रा राख को कुछ दिनों तक लगातार जल के साथ सेवन करें| इसे दिन में 4 बार खाने से पथरी टूटकर निकल जाती है|
- दो ग्राम नीम के पत्तों को 65 से 150 मिली तक पानी में पीस-छानकर डेढ़ मास तक पिलाते रहने से पथरी टूटकर निकल जाती है| इसे सुबह, दोपहर तथा शाम लेना चाहिए
पीलिया में उपयोगी (Neem for jaundice)
- यदि आप इस रोग से परेशान है तो नीम के पंचांग के एक ग्राम महीन चूर्ण में 4 ग्राम घी और 12 ग्राम शहद मिलाकर इसका सेवन करने से शरीर में खून की कमी को दूर होती है और पीलिया ठीक होता है| यदि घी और शहद किसी को अच्छा न लगता हो तो एक ग्राम पंचांग चूर्ण को गाय के पेशाब या पानी या गाय के दूध के साथ भी ले सकते हैं|
- इसके अलावा सुखे हुए नीम के पत्ते, नीम के जड़ की छाल, फूल और फल को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें| इस चूर्ण को एक ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार घी व शहद में मिलाकर अथवा गाय के पेशाब या गाय के दूध या पानी के साथ सेवन करने से पीलिया रोग ठीक होगा|
- नीम की सींक 6 ग्राम और सफेद पुनर्नवा की जड़ 6 ग्राम को पानी में पीस कर छान लें| कुछ दिनों तक पिलाते रहने से पीलिया पेशाब,पेट के रोगो में लाभ होता है|
बवासीर में (Neem for piles)
- बवासीर से परेशान होने वाले व्याक्ति के लिए यह प्रयोग सही है नीम के बीजों की गिरी 200 ग्राम और जड़ की छाल 100 ग्राम को पीसककर इसकी 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर 4-4 गोली को दिन में 4 बार सात दिन तक खाये इसके साथ ही नीम के काढ़े से मस्सों को धोएं या पत्तों को पीस कर मस्सों पर बाँधें| बवासीर में निश्चित लाभ होगा|
- इसके आलावा नीम के बीज की गिरी 24 ग्राम, फिटकरी का फूला 3 ग्राम और सोना गेरू 4 ग्राम को पीस लें| इससे मलहम जैसा बना लें| यदि मलहम जैसा न बने तो उसमें थोड़ा घी या मक्खन अथवा गिरी का तेल मिला कर घोटना चाहिए| इसे लगाने से मस्सों का दर्द तुरंत दूर होता है| खून बहना बन्द होता है एवं मस्से मुरझा जाते हैं| इस प्रयोग में कपूर मिला कर एरंड के तेल में भी मलहम बनाया जा सकता है|
उल्टी को दूर करने के लिए (Neem for vomiting)
- नीम की 8 पत्तियो को 3 बड़ी इलायची और 6 काली मिर्च के साथ महीन पीसकर इसे 300 मिली पानी के साथ मिलाकर पीने से उलटी बन्द होती है|
अरुचि में
- यदि आपको भोजन करने की इच्छा नही हो रही है तो आप 7 या 8 नीम के कोमल पत्तो को घी में डालकर खाने से अरुचि खत्म होती है|
पेट दर्द से छुटकारा पाने में (Neem for stomach)
- यदि आपका पेट दर्द कर रहा है तो आप इसका उपयोग कर सकते है|60 या 70 ग्राम नीम की छाल को जौ के साथ कूटकर 500 मिली जल में पकाएं व इसमें 20 ग्राम नमक भी डालकर आधा शेष रहने पर गुनगुना कर पिने से पेटदर्द में आराम होता है|
दस्त से छुटकारा पाने के लिए (Neem for diarrhea)
- यदि आपके कुछ उल्टा सीधा खाने की वजह से दस्त की समस्या हो गई है तो आप नीम का प्रयोग कर सकते है| नीम की 55 ग्राम अंदर की छाल को मोटा कूट कर 350 मिली पानी में आधा घंटे उबालकर छान लें| इसी छनी हुई छाल को फिर 350 मिली पानी में उबालें| 150 मिली शेष रहने पर छानकर शीशी में भर लें और इसमें पहले छना हुआ पानी भी मिला दें| इस पानी को दिन में 3 बार पिने से दस्त बन्द हो जाता है|
पेचिश में
- यदि आपको पेचिश की समस्या है तो सुबह नीम की निबोलियाँ खाने से पेचिश की समस्या दूर होती है|
अजीर्ण में उपयोगी
- यदि आपको अपच की समस्या है तो आप नीम की सींक, धनिया, सोंठ और शक्कर सभी 7-7 ग्राम को एक साथ मिला लें| इसका काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से खट्टी डकारें, अपच तथा अत्यधित प्यास लगने की समस्या दूर होते हैं|
पेट के कीड़ो में (Neem for stomach bugs)
- अगर आप पेट के कीड़ो के कारण पेट दर्द से परेशान है है तो नीम की छाल, इन्द्रजौ और वायविडंग को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण की 1.5 ग्राम मात्रा में चौथाई ग्राम भुनी हींग मिला लें| इस मिश्रण को मधु में मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं|
कान के बहने के उपचार में (Neem for ear)
- यदि आपको कान बहने की समस्या है तो नीम तेल 33 मिली तथा 4 ग्राम मोम को आग पर गर्म करें| मोम गल जाने पर उसमें फूलाई हुई फिटकरी का 600 मिग्रा चूर्ण अच्छी तरह मिलाकर शीशी में रख लें| फिर इस मिश्रण की 2 या 3 बूँद दिन में दो बार डालने से कान का बहना बन्द होता है|
मोतियाबिंद में उपयोगी नीम
- यदि आपको इस रोग की परेशानी है तो नीम के फूलों को छाया में सुखाकर बराबर भाग कलमी शोरा मिलाकर महीन पीसकर कपड़े से छान लें| इसको आँखो में काजल की तरह लगाने से आँख की फूली यानी मोतियाबिन्द धुंध,जाला इत्यादि रोगों में लाभ होता है और आँखों की ज्योति बढ़ती है|
आँखों के दर्द में उपयोगी नीम (Neem for eyes)
- यदि आपकी आँखे दर्द कर रही है तो आप नीम का प्रयोग कर सकते है| जिस आँख में दर्द हो, उसके दूसरी ओर के कान में नीम के कोमल पत्तों का रस गुनगुना कर 2-2 बूँद डालें| दोनों आँखों में दर्द हो तो दोनों कान में डालने से दर्द समाप्त हो जाएगा|
रतौंधी में उपयोग नीम
- अगर आप इस रोग से परेशान है तो आप निम्ब का प्रयोग कर सकते है| रतौंधी में निम्ब के कच्चे फल का दूध आँखों में काजल की तरह लगाएं। निश्चित लाभ होगा।
- दस ग्राम साफ रूई को फैला कर इस पर निम्ब के 25 सूखे पत्ते बिछाकर एक ग्राम कपूर का चूर्ण छिड़क कर रूई को लपेट कर बत्ती बना लें| इस बत्ती को 12 ग्राम गाय के घी में भिगोकर, जलाकर इससे काजल बना लें| इस काजल को रात के समय आँखो में लगाने से आँखों से पानी गिरना,लाल होना आदि आँखों के रोग दूर होते हैं| यह बच्चों के लिए और भी गुणकारी है|
- नीम की 25 कोंपलें, जस्ता भस्म 24 ग्राम, लौंग 4 नग, छोटी इलायची 7 नग और मिश्री 25 ग्राम को मिलकर इसे खूब महीन पीस छानकर काजल बना लें| इसे सुबह-शाम सलाई से आँखों में लगाने से आँखों के सभी प्रकार के रोग दूर होते हैं तथा आँखों की रौशनी भी बढ़ती है|
आँखों की सूजन में प्रयोग नीम का (Neem for eyes)
- यदि आँखों के ऊपर सूजन के साथ ही दर्द हो और अन्दर खुजली होती हो तो नीम के पत्ते तथा सोंठ को पीसकर थोड़ा सेंधा नमक मिला लें| इसे हल्का गर्म कर लें| एक कपड़े की पट्टी पर इसे रखकर आँखों पर बाँधें| 3 या 4 दिन में आँखों का यह रोग दूर हो जाता है| इस समय ठंडे पानी एवं ठंढ़ी हवा से आँखों को बचाना चाहिए| अच्छा होगा कि यह प्रयोग रात को करें|
आँखों की खुजली व जलन में उपयोगी नीम (Neem)
- आधा किलोग्राम निम्ब के पत्तों को मिट्टी के दो बर्तनों के बीच में रख कंडो की आग में डाल दें| ठण्डा होने पर अन्दर की राख को 150 मिली नींबू रस में मिलाकर सुखा लें| इसे किसी जिसमें हवा ना जा सके बोतल में भर कर रखकर, इस राख को काजल की तरह आँखों में लगाने से आँखों की खुजली तथा जलन में लाभ होता है|
सिर दर्द में उपयोगी नीम (Neem for head ache)
- आज कल तनाव या अन्य किसी टेंशन के कारण सिर दर्द तो एक आम बात हो गई है इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए निम्ब का प्रयोग किया जाता है| इस दर्द के लिए सूखे नीम के पत्ते, काली मिर्च और चावल को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर सूरज उगने से पहले सिर के जिस ओर दर्द हो, उसी ओर की नाक में इस चूर्ण को एक चुटकी भर नाक में डालें| इससे आधासीसी के दर्द यानी माइग्रेन में जल्द लाभ होता है|
काले बाल करने के लिए नीम का उपयोग (Neem for hair)
- यदि आपके बाल सफेद हो रहे हो तो आपको निम्ब का इस प्रकार प्रयोग करना चहिए, नीम के बीजों को भांगरा के रस तथा असन पेड़ की छाल के काढ़े में भिगो कर छाया में सुखाकर, इसके बाद इनका तेल निकालकर 2-2 बूँद नाक में डालें| इससे असमय सफेद हुए बाल काले हो जाते हैं| इस प्रयोग के दौरान केवल दूध और भात यानी पके हुए चावल ही खाने चाहिए|
बालो को लम्बा करने के लिए नीम का उपयोग
- इसके अलावा निम्ब के पत्ते तथा बेर के पत्ते अच्छी तरह पीसकर इसका उबटन या लेप सिर पर लगाकर 1 या 2 घंटे बाद धो डालें| इससे भी बाल काले,लंबे और घने होते हैं|
बालो के झड़ने की समस्या में उपयोग नीम (Neem for hair fall)
- नीम के पत्तों को पानी में अच्छी तरह उबालकर ठंडा हो जाने दें| इसी पानी से सिर को धोते रहने से बाल मजबूत होते हैं, बालों का गिरना या झड़ना रुक जाता है| इसके अतिरिक्त सिर के कई रोगों में लाभ होता है|
योनि के सूखे पन में उपयोगी नीम
- यौन शिथिलता या योनि के सूखे पन में, हर उम्र के पुरुषों और महिलाओं में पाए जाने वाला एक सामान्य यौन विकार है| हालांकि इसकी संभावना बुढ़ापे में ज़्यादा बढ़ जाती है| इसका इलाज करने के लिए भी निम्ब का प्रयोग किया जाता है| नीम के पानी से योनि को बार – बार धोने से योनि का सूखापन दूर होता है|
नीम के पेड़ से अन्य फायदे (Other benefits of Neem)
- सुबह उठते ही निम्ब की दातुन करने तथा फूलों के काढ़े से कुल्ला करने से दांत और मसूड़े निरोग और मजबूत होते हैं|
- दोपहर को इसकी ठंडी छाया में आराम करने से शरीर स्वस्थ रहता है|
- शाम को इसकी सूखी पत्तियों के धुएँ से मच्छर भाग जाते हैं|
- इसकी मुलायम कोंपलों को चबाने से हाजमा ठीक रहता है|
- सूखी पत्तियों को अनाज में रखने से उनमें कीड़े नहीं पड़ते|
- निम्ब की पत्तियों को पानी में उबाल कर स्नान करने से अनेक रोगों से छुटकारा मिल जाती है| सिर-नहाने से बालों की जुएं मर जाते हैं|
- निम्ब की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से कील-मुंहासे मिट जाते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है|
- इस के तेल में डुबोकर तैयार पोटली को योनि में रखने से गर्भ नहीं ठहरता| इसलिए यह परिवार नियोजन का अच्छा साधन है|
- निम्ब के पत्तों का रस खून साफ करता है और खून बढ़ाता भी है| इसे 6 से 12 मिली की मात्रा में रोज सेवन करना चाहिए|
- रोज निम्ब के 20 पत्तों को भिगोई हुई मूंग की दाल के साथ पीस लें| बिना मसाला डाले, घी में पकौड़ी तल कर 20 दिन खाने से और खाने में केवल छाछ और अधिक भूख लगने पर भात खाने से बवासीर में लाभ हो जाता है| इस दौरान नमक बिल्कुल न खाएं व थोड़ा सेंधा नमक ले सकते हैं|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Neem)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- फल
- फूल
- तैल
सेवन मात्रा (Dosages of Neem)
- चूर्ण -1 या 3 ग्राम
- क्वाथ -50 या 100 मिली या फिर चिकित्सक के अनुसार
सावधानियां– (Precautions of Neem)
कमजोर कामशक्ति वालो को नीम का प्रयोग नही करना चहिए क्योकि यह कामशक्ति को नष्ट करता है और शराब पिने वालो को भी नीम का प्रयोग नही करना चहिए|