अकरकरा (Akarkara): जीभ पर रखते ही काम शुरू कर देती है ये औषधि (Benefits and Usage)
अकरकरा का परिचय (Introduction of Akarkara)
अकरकरा क्या है? (What is Akarkara)
आयुर्वेद हमारे पूर्वजो और ऋषि मुनियों द्वारा हमे दिया गया उपहार हैं और आयुर्वेद की एक अनमोल औषधि है “अकरकरा”| विभिन्न प्रकार के रोगों में काम में लिए जाने वाला यह एक पौधा होता हैं| कई आयुर्वेदिक औषधियों को बनाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता हैं|
माना जाता हैं कि इसका प्रयोग पिछले 400 वर्षो से आयुर्वेद में किया जा रहा हैं| साल की पहली बारिश में इसके पौधे निकलना शुरु हो जाते हैं| किसी के द्वारा यदि इसकी जड़ को चबाया जाता हैं तो वह गर्मी महसूस करने लगता हैं| महाराष्ट्र में इसकी डंडी का अचार बनाकर खाया जाता हैं|
इस लेख में अकरकरा से होने वाले सभी फायदों को विस्तार से बताया गया हैं|
अकरकरा में पाए जाने वाले रासायनिक तत्व (Akarkara ke poshak tatva)
- ऐनासाईक्लिन
- पाईरेथ्रीन
- पेलीटोरिन
- एनेट्रिन
- हाइड्रोकेरोलिन
- टैनिन
- डिहाइड्रोसाईक्लिन
- एल्कामाइड्स
- इन्युलिन
- वाष्पशील तेल
- सीसेमिन
अकरकरा की प्रजातियाँ (Akarkara ki prajatiya)
- आकारकरभ (Anacyclus pyrethrum)
- भारतीय अकरकरा (महाराष्ट्री) (Acmella oleracea)
- दिर्घवृन्त अकरकरा (क्षुद्र अकरकरा) (Acmella paniculata)
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Akarkara ki akriti)
यह औषधि तीन प्रकार की होती हैं-
- आकारकरभ (Anacyclus pyrethrum)
आयुर्वेद में इसी अकरकरा का प्रयोग किया जाता हैं| इसे असली अकरकरा भी कहा जाता हैं क्यों कि कई औषधियों के गुण थोड़े ही महीनों या थोड़े साल तक ही टिकते हैं परन्तु इसके गुण में 7 सालो तक किसी प्रकार का अंतर नही आता हैं| इसका सेवन कर लेने के बाद किसी भी कडवे पदार्थ का स्वाद मालूम नही पड़ता हैं|
बाह्यसरंचना – वर्षा ऋतु की शुरुआत में ही यह पौधा पनपने लगता हैं| इसके ताने और शाखाओं में रवें निकले होते हैं| इसके डंठल सख्त नही होते हैं| इसकी जड़ 2 से 10 cm तक लम्बी तथा 4 से 20 cm तक मोटी हो सकती हैं| यह वजनदार होता हैं| इसकी भूरी छाल मोटी और झुर्रीदार होती हैं|
- भारतीय अकरकरा (महाराष्ट्री) (Acmella oleracea)
यह आकारकरभ अकरकरा की तुलना में कम गुणों वाली होती हैं इसके बाद भी इसका उपयोग कई रोगों में किया जाता हैं|
बाह्यसरंचना- इसकी ऊंचाई 30 से 60 cm के बीच हो सकती हैं| यह भी वर्षा ऋतु में होने वाला शाकीय पौधा होता हैं| इसके पत्तो का आकार अंडे की आकृति के समान, भाले की आकृति के समान, त्रिकोण जैसी आकृतियों के समान हो सकता हैं| इसके फूल गुच्छो में पीले या भूरे रंग के होते हैं| इसके फलचपटे, अंडाकार आदि आकृतियों के हो सकते हैं|
- दिर्घवृन्त अकरकरा (क्षुद्र अकरकरा) (Acmella paniculata)
इस पौधे की लम्बाई लगभग 30 cm होती हैं तथा इसकी पत्तियां ऊपर से नुकीली होती हैं| फूलो का रंग पीला होता हैं| इसके फूलो का काढ़ा बना कर गरारे करने से दांतों का दर्द और चूर्ण बना कर दांतों पर रगड़ने से दांतों के दर्द में लाभ मिलता हैं|
अकरकरा के सामान्य नाम (Akarkara common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Anacyclus pyrethrum |
अंग्रेजी (English) | Pellitory Root |
हिंदी (Hindi) | अकरकरा |
संस्कृत (Sanskrit) | आकारकरभ, आकल्लक |
अन्य (Other) | अकरकरहा (उर्दू) अकोरकरो (गुजराती) अकरकरमु (तेलुगु) अकराकरा (नेपाली) बेहमपाबरी (फारसी) |
कुल (Family) | Asteraceae |
अकरकरा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Akarkara ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata) |
रस (Taste) | कटु (pungent) |
गुण (Qualities) | रुक्ष (dry), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | उत्तेजक, वेदनास्थापक, शोथहर, जंतुघ्न, बल्य |
अकरकरा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Akarkara ke fayde or upyog)
बुखार को दूर भगाएं (Akarkara for fever)
- इस औषधि से बनी हुई वटी का सेवन करने से आपकी बुखार कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाएगी|
- औषधि के चूर्ण में यदि उचित मात्रा में चिरायते का अर्क मिलाया जाता है तो बुखार में लाभ मिलता है|
- इस औषधि की मूल का चूर्ण बना कर उसे जैतून के तेल में मिला कर मालिश करनी चाहिए| इससे बुखार कुछ ही समय में उतर जाता है|
ह्रदय रोगों में (Akarkara for heart)
- अर्जुन के पेड़ की छाल और आकारकरभ की जड़ का चूर्ण कर इन्हें मिला कर सुबह शाम लेना चाहिए| इससे ह्रदय में होने वाले रोग जैसे घबराहट, सीने में दर्द, कम्पन होना, ह्रदय की कमजोरी जैसे रोगों से छुटकारा मिलता हैं|
- कुलंजन, सोंठ, आकारकरभ का काढ़ा बना कर इसका सेवन करने से ह्रदय को मजबूती मिलती हैं और ह्रदय का कार्य सही प्रकार से हो पाता हैं|
आँख से जुड़े रोगों में (Akarkara for eyes)
- आकारकरभ की जड़ के रस की 2 से 4 बूंदों को नाक में डालने पर पुराने नेत्र रोगों में लाभ मिलता हैं|
जुखाम में (Akarkara for cold)
- आकारकरभ की जड़ के रस की 2 से 4 बूंदों को नाक में डालने पर जुखाम, आधीसीसी (माइग्रेन), पुराना प्रतिश्याय जैसे रोगों का नाश होता हैं|बच्चो को इसका सेवन थोड़े पानी के साथ कराना चाहिए|
दांत दर्द में (Akarkara for teeth)
- आकारकरभ के फूल को दांतों के बीच रखकर चबाने से दर्द खत्म होता हैं|
- इस औषधि की जड़ या फूल में से किसी एक के साथ कपूर, सैंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पीड़ा खत्म होती हैं|
- दांतों में कीड़ा लगने पर, मसूड़ों की सूजन में, पीड़ा में इसके फूलों का उपयोग करना चाहिए|
- आकारकरभ की जड़ के साथ हल्दी तथा सैंधा नमक मिला लें| इसके बाद इसमें सरसों का तेल मिला कर दांतों पर रगड़ने से दांत के दर्द और दुर्गन्ध की समाप्ति होती हैं|
मुख से आने वाली दुर्गन्ध में (Akarkara for bad breath)
- नागरमोथा, आकारकरभ, भुनी हुई फिटकरी, काली मिर्च, सैंधे नमक को बारीक पीस कर मंजन करने से दुर्गन्ध समाप्त होती हैं|
गले से जुड़े रोगों में अकरकरा
- अकरकरा की जड़ या फूल को चूसने या अकरकरा के चूर्ण का सेवन उचित मात्रा में करने से कंठ की समस्या में लाभ प्राप्त होता हैं|
- अकरकरा के काढ़े का सेवन करने से तालू, दांत और गले के रोगों में लाभ मिलता हैं|
हिचकी में (Akarkara for hiccup)
- इस औषधि के पौधे की जड़ के चूर्ण के साथ मधु का सेवन करने से लाभ मिलता हैं|
सिर दर्द में (Akarkara for headache)
- अकरकरा की पीसी हुई जड़ को या अकरकरा के फूल को पीस लें| अब इसे हल्का गर्म करके माथे पर लेप करने से सिर दर्द में आराम मिलता हैं|
- यदि आप जुखाम के कारण होने वाले सिर दर्द से परेशान हैं तो अकरकरा के फूल को दांतों के बीच रखकर चबाने से दर्द खत्म होता हैं|
दमा में (Akarkara for asthma)
- अकरकरा के चूर्ण को सूंघने से दमा में लाभ होता हैं|
खांसी में (Akarkara for cough)
- अकरकरा और सोंठ का काढ़ा बना कर दिन में दो बार सेवन करने से खांसी में लाभ होता हैं|
- इस औषधीय गुण युक्त पौधे की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कफ विकारों में लाभ मिलता हैं|
उदर रोगों में (Akarkara for stomach)
- अकरकरा की जड़ का चूर्ण, पिपली का चूर्ण मिलाकर इसमें भुनी हुई हींग डालकर दिन में दो बार सेवन करने से उदर रोगों में लाभ मिलता हैं|
आफरे में अकरकरा
- शुंठी का चूर्ण और अकरकरा की जड़ का चूर्ण बना कर सुबह शाम लेने से इसमें लाभ मिलता हैं|
हकलाने की समस्या में अकरकरा
- इस औषधि की जड़ का चूर्ण, काली मरीच और बहेड़ा का चूर्ण बना कर उसे मधु के साथ सुबह, शाम और दोपहर को सेवन करना चहिये| इससे हकलाना या तुतला कर बोलने में फर्क पड़ता है|
मासिक धर्म के विकारों में (Akarkara for menstrual problem)
- इसका सेवन करने से मासिक धर्म की अनियमितता और उसमे होने वाली पीड़ा का शमन किया जा सकता हैं| अकरकरा के काढ़े में सुबह शाम हिंग डाल कर पीने से इस समस्या में लाभ होता हैं|
वीर्य विकार में (Akarkara for semen disease)
- अकरकरा के काढ़े में अकरकरा की जड़ के चूर्ण को मिलाकर शिश्न पर लेप करने से वीर्य से जुड़े विकारों में लाभ मिलता हैं|
गृध्रसी में अकरकरा
- अखरोट के तेल और अकरकरा के चूर्ण को मिला कर मालिश करने से इस रोग की धीरे धीरे समाप्ति होती हैं|
जोड़ो के दर्द में (Akarkara for joints pain)
- अकरकरा के काढ़े का लेप, सिकाई, आदि करने से इस रोग में लाभ मिलता हैं| इसी कारण आमवात और गठिया जैसे रोगों में भी आराम मिलता है|
घाव जल्दी भरने के लिए उपयोगी अकरकरा (Akarkara for wound)
- घाव को जल्दी भरने के लिए इसकी जड़ को पीस कर घाव के ऊपर लगाना चाहिए|इससे घाव भरने में आसानी रहती है|
खुजली होने पर (Akarkara for itching)
- खुजली वाले स्थान पर यदि इसके पत्तों और पुष्प को अच्छे से पीस कर लगाया जाता है तो खुजली का समापन होता है|
मिर्गी रोग में लाभदायक (Akarkara for epilepsy)
- इस औषधि की जड़ का चूर्ण बना कर यदि उसे शहद के साथ सुबह और शाम लिया जाता है तो मिर्गी रोग की समस्या हल होती है|
- इस रोग का शमन करने के लिए ब्राह्मी और इस औषधि की मूल का काढ़ा काफी हद तक लाभदायक रहता है|
लकवे के लिए लाभदायक (Akarkara for paralysis)
- इस औषधि की जड़ के चूर्ण को सुबह शाम दिन में दो बार शहद के साथ लेने से लकवा ठीक होता है|
- मुंह के लकवे में अकरकरा के काढ़े के साथ उशवे का सेवन करना चाहिए|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Akarkara)
- तना
- मूल
- पुष्प
- फल
सेवन मात्रा (Dosages of Akarkara)
- स्वरस 5 से 10 मिली
- फूल 1 से 2 ग्राम
अकरकरा से निर्मित औषधियां
- आकारकरभादि चूर्ण