गेंदा (Genda)
गेंदा का परिचय: (Introduction of Genda)
गेंदा क्या है? (Genda kya hai?)
फूल तो कई तरह के होते है पर कुछ फूल है जो सभी लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर लेते है| उन्ही फूलों में से एक फूल है गेंदा | गेंदे का फूल इतना खूबसूरत और सुन्दर दिखता है कि कोई भी इसको आसानी से पहचान लेता है| इसमें आने वाली खुशबू और भी मनमोहक होती है|
आपने शायद आज तक गेंदे के फूल को बाग़ बगीचों में, घर के आँगन में खुशबू, सौन्दर्य उत्पाद और सजावट के लिए ही प्रयोग किया होगा| कैसा लगेगा जब आपको यह पता पड़ेगा कि जिस गेंदे को आप सिर्फ दो तीन चीज़ों के लिए उपयोग में ले रहे है वह शरीर के रोगों का भी नाश कर सकता है|
इसका सेवन आपके जीवन को पूरी तरह से स्वस्थ बना सकता है| यदि आप भी अपने जीवन को गेंदे की तरह ही सुंगंधित और भरा पूरा बनाना चाहते है तो इस लेख को विस्तार से पढ़े|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Genda ki akriti)
इसका पौधा छोटा होता है जिसकी ऊंचाई लगभग 60 cm हो सकती है| इसका तना मोटा होता है| इसकी शाखाएँ फैली हुई रहती है| इसका तना लाल-बैंगनी रंग का दिखाई देता है| इसके पत्तें दोनों किनारों से कटे हुए होते है| इसका फूल तो मानो एक तरह से नीम्बू ही होता है| इसका फूल घना और पील नारंगी रंग का होता है| इसके फल भी आते है जो कुछ mm तक के हो सकते है| इसके बीज लम्बे और काले होते है जो पंखुड़ियों में लगे होते है|
गेंदा के सामान्य नाम (Genda common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Tagetes erecta |
अंग्रेजी (English) | Marigold, Big marigold, African merigold |
हिंदी (Hindi) | गेंदा, गुल्तोरा, कलग, लालमुरुगा, हजारा, मखमली |
संस्कृत (Sanskrit) | झंडुः, गणेरुक, सथुलपुष्प |
अन्य (Other) | गेन्दू (उड़िया) गलगोटो (गुजराती) कनकापुचटी (तमिल) सयपत्री (नेपाली) रोजी (मराठी) सनारी (मणिपुरी) |
कुल (Family) | Asteraceae |
गेंदा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Genda ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter), कषाय (ast.) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | रक्तरोधक, शोथहर, रक्तशोधक, रक्तार्श |
गेंदा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Genda ke fayde or upyog)
त्वचा के लिए लाभदायक गेंदा (Genda for skin)
- कई बार घाव गहरे होने के कारण जल्दी नही भरते है ऐसे में संक्रमण का खतरा अधिक बना रहता है| यदि आप इसके पत्तों का लेप घाव पर करते है तो इससे जल्दी लाभ मिलता है| इसके प्रयोग से फोड़े फुंसियों का भी शमन हो जाता है| पत्तों के रस को भी घाव पर लगाने से लाभ मिलता है|
- सूजन या मोच में इसके पञ्चांग से बने रस को लगाना चाहिए| इससे सूजन का शमन होता है और मोच में भी आराम मिलता है|
- शरीर पर फोड़े फुन्सिया आदि त्वचा रोग उत्पन्न हो जाने पर पत्तों के लेप को हल्का गर्म करके लगाना चाहिए|
- हाथ या पेरों की त्वचा जब फट जाए तो ऐसे में इसके पत्तों से रस निकाल कर उसे वेसलीन में मिला लें| अब इसे फटी हुई एडियों या हाथ की फटी हुई त्वचा पर लगाने से आराम मिलेगा|
खून को साफ़ करें गेंदा
- गेंदे का सेवन आपके रक्त में उपस्थित विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालने में मदद करता है| इसके कारण त्वचा रोगों का शमन तो होता ही है इसके अलावा भी बार बार आने वाली बुखार, जुखाम आदि भी समाप्त होते है|
- कुष्ठ का शमन भी इसके सेवन से किया जा सकता है|
प्रदर की समस्या में गेंदा
- मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर इसके फूलों का पेस्ट बना कर उसमे घी मिश्रित कर के सेवन करना चाहिए| इससे रक्त स्राव कम होने में सहायता मिलती है|
- इसके अलावा गेंदे के सेवन से श्वेत प्रदर की समस्या का समाधान भी किया जा सकता है|
अस्थमा को दूर करे गेंदा का सेवन (Genda for asthma)
- गेंदे के बीजों को पीस कर उसमे मिश्री मिलाकर थोड़े से पानी के साथ लेने से अस्थमा या दमा में लाभ मिलता है| सांस की नाली के कारण भी कई बार अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है तो इसके लिए गेंदे से बने आसव का सेवन सबसे उत्तम रहता है|
वीर्य विकारों में लाभदायक (Genda for semen disorder)
- वीर्य विकारों को दूर करने के लिए इसके बीज और मिश्री को बराबर मात्रा में दिन में दो बार दूध के साथ लेना चाहिए| इससे वीर्य का पतलापन मिटाता है और वीर्य गाढ़ा होता है|
पथरी को बाहर निकालने में सहायक गेंदा का सेवन
- सुबह शाम गेंदे के पत्तोंसे बने हुए काढ़े का सेवन करने से गुर्दे की पथरी को मूत्र मार्ग के द्वारा बाहर निकालने में सहायता मिलती है|
बवासीर का समापन करे (Genda for piles)
- इसके फूल को घी में सेक कर लेने से बवासीर में आराम मिलता है| इसे आप सुबह दोपहर और शाम के समय ले सकते है| खून के बहने में भी इससे लाभ मिलेगा|
- इसके अलावा फूलों से निकलने वाले रस को पीने से भी बवासीर में लाभ मिलता है|
मोतियाबिंद में
- आँखों से जुडी इस समस्या में यदि इसके फूलों से बने रस को आँखों के बाहर लगाया जाता है तो लाभ मिलता है| इसके साथ ही आँखों के नीचे आने वाली सूजन का भी शमन होता है|
मधुमक्खी के काट लेने पर
- किसी कारण यदि मधुमक्खी ने काट लिया है तो गेंदा के पत्तों का लेप बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए| इससे जलन और दर्द कम होता है|
रक्तपित्त या नकसीर में (Genda for blood bile)
- यह समस्या अधिकतर गर्मी के मौसम में देखी जाती है| इस समस्या में रोगी के नाक या अन्य किसी जगह से बिना दर्द के खून निकलने लगता है| ऐसे में इसके पत्तों से बने रस को नाक में डालने से लाभ मिलता है| आप इसकी एक से दो बूंद को नाक में डाल सकते है|
कान दर्द में (Genda for earache)
- कान में दर्द होने पर इसके पत्तों से बने हुए रस को हल्का गर्म करके कुछ बूंद कान में डालनी चाहिए| इससे जल्द ही कान दर्द का शमन होता है|
दांत दर्द में (Genda for teeth)
- गेंदे के पत्तों से निर्मित काढ़े को कुछ देर मुंह में रखने से या गरारा करने से दर्द कम होता है|
स्तनों में सूजन आ जाने पर
- शरीर में वायु विकार या अन्य कारणों से जब स्तनों में सूजन आ जाती है तो ऐसे में इसके पत्तों का लेप करना लाभदायक होता है| इसके साथ ही आप सेक भी कर सकते है| गेंदे में एंटी इन्फ्लामेट्री गुण पाए जाते है जो सूजन का शामन करते है|
कैंसर में फायदेमंद (Genda for cancer)
- यदि आप भी एक कैंसर के रोगी है और उससे बचाव करना चाहते है तो इसके पञ्चांग का सेवन किया जाता है तो कैंसर से बचाव हो सकता है| इसके साथ ही सामान्य लोग भी इस बीमारी से बचने के लिए पञ्चांग का सेवन कर सकते है|
कब्ज़ में लाभदायक (Genda for constipation)
- कब्ज़ की समस्या होने पर यदि इसकी जड़ के सार का सेवन किया जाता है तो लाभ मिलता है| इसकी जड़ के सार में विरेचक गुण पाए जाते है जो कब्ज़ का समापन करते है|
बुखार में (Genda for fever)
यदि आपको नियमित रूप से बुखार की शिकायत हो रही है तो ऐसे में आप गेंदे का सेवन कर सकते है| इसका सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकाल के बुखार में लाभ देता है|
मूत्र रोगों का समापन करे गेंदा का सेवन (Genda for urinary disease)
यदि आपको मूत्र त्याग करने में परेशानी आ रही है या मूत्र अल्पता की शिकायत हो रही है है तो इसके पत्तों से निर्मित रस में मिश्री डाल कर सुबह दोपहर और शाम को पीने से लाभ मिलता है|
सुजाक को दूर करे
गेंदे के पत्तों और काली मिर्च के पेस्ट को पानी में डालकर मिश्रित कर के पीने से सुजाक की समस्या का समाधान होता है|
कामशक्ति की अधिकता होने पर
कामशक्ति को कम करने के लिए गेंदे के बीजों का चूर्ण खाना चाहिए|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Genda)
- पत्ती
- फूल
सेवन मात्रा (Dosage of Genda)
- जूस -5-10 ml