आमवातारि रस: जाने क्यों हैं यह औषधि इतनी कारगर आमवात में? (Amvatari ras: Introduction, Benefits And oses)
आमवातारि रस का परिचय (Introduction of Amvatari ras: Benefits, doses)
आमवातारि रस होता क्या हैं ? (Amvatari ras kya hai?)
इस औषधि का अर्थ इसके नाम में ही छुपा हुआ हैं | आमवातारि रस को रस इसलिए कहा गया हैं क्यों की इसमें पारा उपस्थित होता हैं जिसे आयुर्वेदा में रस कहा जाता हैं |
आमवातारि रस वात से जुडी हुई हर एक समस्या का समाधान कर पाने में सफलता प्राप्त करती हैं | यह मुख्य रूप से आमवात या वातरक्त को समाप्त करने की एक कारगर औषधि हैं |
यह इस रोग में कैसे काम करती हैं? इससे पहले जान लेते हैं की आमवात या वात दोष होते क्या हैं?
आमवातारि रस के घटक द्रव्य (Amvatari ras ke ghatak dravay)
- शुद्ध पारा
- शुद्ध गंधक
- आंवला
- हरड
- बहेड़ा
- चित्रकमूल की छाल
- शुद्ध गुग्गुल
- अरंडी का तेल
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आमवातारि रस बनाने की विधि (Amvatari ras banane ki vidhi)
ऊपर दी गयी सारी औषधियों को उचित मात्रा में ले कर सबसे पहले पारे और गंधक की कज्जली बना लें |
इसके बाद अन्य औषधियों के चूर्ण तथा शुद्ध गुग्गुल को पीस कर अरंडी के तेल के साथ खरल कर के गोलियां बना लें | गोलियां बनाने के बाद इन्हें सुखा कर उपयोग में लिया जा सकता हैं |
आमवातारि रस के फायदे (Amvatariras ke fayde)
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वात दोष में
वात का अर्थ होता हैं वायु | वायु हमारे शरीर के रक्त प्रवाह में सहायक होती हैं इसके साथ ही हड्डियों के संतुलन के लिए भी शरीर में वायु सहायक होती हैं | शरीर में होने वाली गतिविधियाँ कराने में भी वायु का महत्वपूर्ण कार्य हैं |
यदि शरीर में उपस्थित वात में किसी भी प्रकार की समस्या आती हैं तो इससे शरीर की कई क्रियाएँ प्रभावित होती हैं | शरीर में वायु से जुडी कोई भी समस्या इस औषधि के माध्यम से समाप्त की जा सकती हैं |
वातदोष के लक्षण
- शरीर के अंगो में रूखापन होना
- चुभन जैसा दर्द
- हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन
- हड्डियों का खिसकना और टूटना
- अंगों में कमजोरी महसूस करना
- अंगों का ठंडा और सुन्न होना
- कब्ज़ की समस्या
- नाख़ून, दांतों और त्वचा का फीका पड़ना
आमवात में
यह रोग भी वात दोष का ही हिस्सा होता हैं | जब व्यक्ति की पाचन क्रिया कमजोर होती हैं तथा इसके कारण भोजन का पाचन सही से नही हो पाता| जब यह अपचा भोजन शरीर में पड़ा पड़ा सड़ने लगता हैं|
इस सड़े हुए भोजन को या इस विषाक्त पदार्थ को ही आयुर्वेद में आम कहा जाता हैं| सामान्य भाषा में आमवात को गठिया बाय भी कहा जाता हैं |
45 से 50 वर्ष की आयु में यह अधिक देखने को मिलता हैं| जब यह आम खून में मिल जाता हैं तो इससे कई तरह की बीमारियाँ होती हैं |
इस रोग को आमवात इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि यह शरीर में उपस्थित वायु में मिल जाता हैं |
आम के वायु में मिलने के बाद यह शरीर में जहाँ जहाँ भी जायेगा दर्द, अकड़न और सूजन उत्पन्न करेगा | इसका मुख्य असर जोड़ो पर होता हैं |
आमवातारि रस का प्रयोग इस रोग में करने पर इसमें उपस्थित पारा पाचन तंत्र में जठराग्नि को बढाता हैं और बाकी औषधियां आम को समाप्त करने का काम करती हैं | इस प्रकार यह इस रोग के लिए एक बहुत ही बढ़िया औषधि हैं |
अन्य फायदे
- शूल में
- सूजन में
- किसी भी प्रकार के वात दोष में
पथ्य और अपथ्य वात रोगों में (Vaat rog me pathya or apathya)
वात रोग में खाने योग्य पदार्थ | वात रोग में खाने हेतु अयोग्य पदार्थ |
अनाज – जई का आटा (पका हुआ ), चावल (बासमती ) व गेहूं आदि। दालें – कुलथ सब्जियाँ व फल- मूली शकरकंद, प्याज, कद्दू, पालक, आंवला, अंगूर, केला, खजूर, सेब, अनानास, अनार अन्य – मक्खन, घी, दूध, दही, पनीर, चीनी, शहद, सरसों का तेल, तिल का तेल आदि | | अनाज –बाजरा, जौ, मक्का, ब्राउन राइस दाल – मसूर, मूंग की दाल और चने की दाल सब्जियाँ – बेंगन, ब्रोकली, पत्ता गोभी, फूल गोभी अन्य – आचार, चटनी, मीट, मांस, जंक फ़ूड आदि |
आमवातारि रस औषधि की सेवन विधि (Amvatari ras ki sevan vidhi)
- 1 से 2 गोली का सेवन सुबह शाम गरम जल के साथ करना चाहिए |
- इसके अलावा इसका सेवन महारास्नादि क्वाथ, दशमूल क्वाथ या एरंड के तेल के साथ भी किया जा सकता हैं |
आमवातारि रस का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Amvatari ras ke sevan ki savdhaniya)
- औषधि का सेवन अधिक मात्रा में ना करें |
- इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरुर लें |
आमवातारि रस की उपलब्धता (Amvatari ras ki uplabdhta)
- बैधनाथ आमवातारि रस (BAIDYANATH AMWATARI RAS)
- धूतपापेशवर आमवातारि रस (DHOOTPAPESHWAR AMWATARI RAS)
- दिव्य आमवातारि रस (DIVYA PHARMACY AMWATARI RAS)
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Note- यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा| (If you have any question feel free to ask. I will respond to each valuable comment)
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