द्राक्षारिष्ट: स्वादिष्ट किशमिश से बनी औषधि के 12 हैरान कर देने वाले फायदे
द्राक्षारिष्ट का परिचय (Introduction of Draksharishta: Benefits, dosage)
द्राक्षारिष्ट क्या हैं?? (Draksharishta kya hai ??)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि हैं जो अरिष्ट विधि द्वारा बनायीं जाती हैं| यह औषधि हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होती हैं| द्राक्षारिष्ट औषधि का मुख्य घटक सूखे अंगूर हैं जिसे हम दाख और किशमिश कहते हैं|
इस औषधि का उपयोग मुख्य रूप से सांस, आंतो, और पाचन समस्या को बेहतर बनाने के लिए किया जाता हैं| लम्बी बीमारी के बाद आई कमजोरी को खत्म करने में भी यह औषधि फायदा करती हैं| आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम और जिंक जैसे बहुत ही महत्वपूर्ण खनिज इस औषधि में पायें जाते हैं |
इसके अतिरिक्त विटामिन बी और विटामिन सी भी इस औषधि में होने के कारण इसे एक टॉनिक के रूप में भी पहचाना जाता हैं| यह औषधि टी.बी. जैसे घातक रोग को भी खत्म करने में सहायता करती हैं| शारीरिक कमजोरी, भूख ना लगना, कब्ज़, अनिंद्रा, आम ज्वर जैसी तकलीफों में भी राहत देती हैं| इस औषधि के माध्यम से महिलाओ के गर्भाशय से सम्बंधित रोगों को भी खत्म किया जा सकता हैं|
द्राक्षारिष्ट औषधि के घटक द्रव्य (Draksharishta ke ghatak)
- मुनक्का
- गुड़
- इलायची
- कालीमिर्च
- दालचीनी
- तेजपत्ता
- नागकेसर
- धातकी पुष्प
- वायविडंग
- जल
द्राक्षारिष्ट औषधि बनाने की विधि (Draksharishta banane ki vidhi)
इस औषधि को बनाने के लिए सर्वप्रथम उचित मात्रा में जल ले कर मुनक्का के साथ उबाला जाता हैं| उबलते हुए जल का चौथाई हिस्सा शेष रह जाने पर इसे नीचे उतार कर ठंडा होने पर मुनक्का को अच्छे से मसल लें| इसके पश्चात पानी को छान लें| इसके पश्चात पानी में बाकी सारी जड़ी बूटियों (धाय के फूल को छोड़कर) को डाल दे तथा मिश्रण को गर्म कर लें|
सबसे अंत में इसमें धातकी पुष्प मिलाएं जाते हैं तथा इसे कुछ और देर तक पकाया जाता हैं| अब इसे अच्छे से बंद कर दे ताकि इसमें वायु प्रवेश ना कर सके| अब इसे 30 से 45 दिनों तक ऐसे ही छोड़ दे| निश्चित अंतराल के बाद जब यह मिश्रण तैयार हो जाता हैं तो यह द्राक्षारिष्ट औषधि कहलाती हैं| इस प्रकार यह औषधि सेवन के लिए बिलकुल तैयार हैं|
द्राक्षारिष्ट औषधि के फायदे और उपयोग (Draksharishta ke fayde)
सांस सम्बंधित रोग में
सांस सम्बंधित रोग जैसे अस्थमा, गले में संक्रमण, फेफड़ो में संक्रमण, फेफड़ो में कफ की अधिकता होने से सांस लेने में परेशानी आती हैं और खांसी की शिकायत भी होती हैं| यदि इन संक्रमणों का इलाज़ नही किया जाएँ तो यह संक्रमण आगे चल कर श्वसन रोगों में परिवर्तित हो सकते हैं| सांस से जुड़े लगभग हर रोग का इलाज़ द्राक्षारिष्ट औषधि के पास हैं| इसका सेवन करने से सांस सम्बंधित रोगों में कमी आती हैं|
आंतो से जुडी समस्याओ में
व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसी होगी यह व्यक्ति की आंतो पर निर्भर करता हैं| रोग प्रतिरोधक प्रणाली की 70 फीसदी कोशिकाएं आंतो में होती हैं| अनुचित पोषण और विभिन्न कारणों से मनुष्य की आतों में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं|
इन सारे विकारो को समाप्त करने और आंत से जुड़े हुए हर रोग को खत्म करने में मदद करना द्राक्षारिष्ट औषधि का एक महत्वपूर्ण कार्य हैं| इसका सेवन करने वाले व्यक्ति कभी भी आंत से सम्बंधित रोगों से ग्रसित नही हो पाते और पहले से ही ग्रसित व्यक्ति को भी जल्द ही राहत मिल जाती हैं|
राजयक्ष्मा रोग को रोकने में असरदार
जब खांसी कई दिनों तक रहती हैं और कुछ समय बाद जब खांसी के साथ खून आने लगते हैं और रात को पसीना आना तथा इन दिनों में बुखार आना टी.बी. के लक्षण होते हैं| इसके साथ ही तेजी से वजन कम होना, थकान महसूस करना, सांस फूलना जैसे लक्षण भी इसमें देखने को मिलते हैं| इस औषधि का सेवन करने से टी.बी. जैसे घातक रोग का भी नाश करने में भी मदद मिलती हैं| इस औषधि में उपस्थित औषधीय गुण टी.बी. को खत्म करने में मदद करते हैं|
निमोनिया को मिटायें
निमोनिया फेफड़ो में होने वाला एक संक्रमण हैं जिसे फुफ्फुस प्रदाह भी कहा जाता हैं| इस रोग में फेफड़ो में संक्रमण के कारण बलगम वाली खांसी, बुखार, ठण्ड लगना और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएँ सामने आती हैं| इस स्थिति को निमोनिया कहा जाता हैं| इस रोग को समाप्त करने में मदद करने के लिए द्राक्षारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए| इस औषधि का सेवन करने से निमोनिया जैसी समस्या का समाधान होता हैं|
ह्रदय को मजबूत बनायें
यह औषधि ह्रदय को मजबूत बनाए रखने की कारगर औषधि हैं| यह औषधि शरीर के भीतर जा कर खून को पतला करती हैं| खून पतला होने से हार्ट अटैक जैसी समस्याए खत्म होती हैं| ह्रदय के धडकने में होने वाली समस्या, जन्म से ही होने वाले ह्रदय दोष आदि को यह औषधि खत्म कर ह्रदय को मजबूत बनाती हैं| एक स्वस्थ ह्रदय स्वस्थ शरीर की पहचान होता हैं|
बवासीर को खत्म करें
यह समस्या मोटापे, कब्ज़ और गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्या हैं| इस समस्या का मुख्य कारक कब्ज हैं| इस स्थिति में मलाशय में सूजन और खुजली होती हैं| गुदा में बैचैनी और रक्त स्त्राव होता हैं| इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए द्राक्षारिष्ट औषधि का उपयोग बहुत उपयुक्त रहता हैं| यह औषधि बहुत जल्द इस समस्या का समाधान करने में मदद देती हैं|
पाचन से सम्बंधित समस्या का हल
यह औषधि पाचन से सम्बंधित सारी समस्याओ का एक इलाज़ हैं| पाचन तंत्र के कमजोर होने के कारण अपच, गैस, कब्ज़ की समस्या को यह औषधि समाप्त करती हैं| कई बार ज्यादा खाना भी ख़राब पाचन का कारण बन सकता हैं जिसके कारण तनाव और कभी कभी तेज पेट दर्द से भी गुजरना पड़ता हैं|
कम मात्रा में पानी पीना, अधिक शराब और सिगरेट, अनियमित भोजन, फ़ास्ट फ़ूड या जंक फ़ूड खा लेना भी पाचन तंत्र ख़राब होने के कारण हो सकते हैं| किसी भी कारण ख़राब हुए पाचन तंत्र को इस औषधि की सहायता से सही किया जा सकता हैं |
रक्त पित्त की समस्या को खत्म करें
अचानक नाक से खून बहना जिसे आम भाषा में नकसीर भी कहा जाता है| ऐसी समस्या सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में अधिक देखने को मिलती हैं| यह हमारे गलत खान पण पान और शरीर में अधिक गर्मी होने के कारण होती हैं इसके कारण रक्त शरीर के कई हिस्सों से बाहर आने लगता हैं| इस समस्या का समाधान करने के लिए द्राक्षारिष्ट औषधि का उपयोग करना चाहिए| इसका उपयोग करने से यह रक्त पित्त की समस्या को खत्म कर देती हैं|
रक्त प्रदर की समस्या खत्म करें
हार्मोन्स के संतुलित ना होने से महिलाओ में मासिक धर्म के समय जो अत्यधिक मात्रा में रक्त का स्त्राव होता हैं यह औषधि ऐसी रक्त प्रदर की समस्या को खत्म कर देती हैं| इसका सेवन करने से यह शरीर के भीतर जा कर हार्मोन्स का संतुलन करती हैं जिससे रक्त प्रदर की सारी समस्याओ को खत्म करने में सहायता करती हैं| इसके अतिरिक्त मासिक धर्म में होने वाली शारीरिक पीड़ा को भी यह औषधि खत्म करती हैं|
पुराने रोग के कारण आई कमजोरी
यदि आपने थोड़े दिनों पहले ही किसी लम्बी बीमारी से छुटकारा पाया हैं और आपका शरीर बहुत कमजोर हो चुका हैं तो आपको द्राक्षारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए| यह औषधि आपके शरीर में आई कमजोरी को दूर करती हैं और आपको फुर्तीला और बलवान बनाती हैं| इसका सेवन करने से थकान भी दूर होती हैं|
ग्रहणी रोग में फायदेमंद
ग्रहणी रोग में शुरुआत में बिना दर्द के पानी के समान दस्त आता हैं| इसके गंभीर होने पर शाम के भोजन के तुरंत बाद भी मल त्यागने जाना पड़ता हैं| इस रोग को दूर करने में द्राक्षारिष्ट औषधि की सहायता लेनी चाहिए|
अनिद्रा की स्थिति में
विभिन्न कारणों के कारण अनिद्रा की समस्या को भी द्राक्षारिष्ट औषधि दूर करती हैं| इसका उपयोग करने से तनाव भी समाप्त होता हैं जिससे नींद में कमी नही होती| यह औषधि बिना कोई नुकसान पहुचाएं व्यक्ति की अनिद्रा की स्थिति का समाधान करती हैं|
द्राक्षारिष्ट औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा (Draksharishta ki sevan vidhi)
आयु | मात्रा |
बच्चो के लिए | 5 से 10 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्तियों के लिए | 10 से 25 मिलीलीटर |
दिन में कितनी बार ले | दिन में दो बार सुबह शाम |
सेवन का उचित समय | खाना खाने के बाद |
किसके साथ ले | गुनगुने जल के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
द्राक्षारिष्ट औषधि का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Draksharishta ka sevan karte samay savdhaniya)
- इस औषधि को अधिक मात्रा में नही लेना चाहिए |
- गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाएं इसके सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लवें|
- इस औषधि को नमी से दूर रखें
- छोटे बच्चो को देने से पहले एक अच्छे चिकित्सक की सलाह लें|
द्राक्षारिष्ट औषधि की उपलब्धता (Draksharishta ki uplabdhta)
- बैधनाथ द्राक्षारिष्ट (BAIDYANATH DRAKSHARISHTA)
- डाबर द्राक्षारिष्ट (DABUR DRAKSHARISHTA)
- झंडू द्राक्षारिष्ट (ZANDU DRAKSHARISHTA)
- सांडू द्राक्षारिष्ट (SANDU DRAKSHARISHTA)
- गुआफा द्राक्षारिष्ट (GUAFA DRAKSHARISHTA)
- दीप आयुर्वेदा द्राक्षारिष्ट (DEEP AYURVEDA DRAKSHARISHTA)
- कोट्टकल द्राक्षारिष्ट (KOTTAKAL DRAKSHARISHTA)
- अग्निवेश द्राक्षारिष्ट (AGNIVESH DRAKSHARISHTA)
- डी.ए.वी. फार्मेसी द्राक्षारिष्ट (D.A.V. PHARMACY DRAKSHARISHTA)
- केरला आयुर्वेदा द्राक्षारिष्ट (KERALA AYURVEDA DRAKSHARISHTA)
- जीवा द्राक्षारिष्ट (JIVA DRAKSHARISHTA)
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