कुटजघन वटी: पाचन तंत्र से जुड़े 6 रोगों में प्रभावशाली औषधि
कुटजघन वटी का परिचय (Kutajghan vati introduction: Benefits, dosage)
कुटजघन वटी क्या हैं? (Kutajghan vati kya hai?)
यह आयुर्वेदिक औषधि हैं तथा इसका मुख्य घटक कुटज होता हैं जिसे कूड़ा भी कहा जाता हैं | इस वटी मुख्य रूप से पेट के सभी रोगों को दूर करती हैं | कुटज का पौधा बहुत अधिक कडवा होता हैं जिसके कारण यह पेट के रोगों का समापन करता हैं |
कुटजघन वटी के अलावा कुटज से कुटजारिष्ट भी बनाई जाती हैं जो सिरप के रूप में होती हैं | यदि किसी भी व्यक्ति को कुटजारिष्ट लेने में परेशानी हो तो वह कुटजघन वटी का उपयोग भी कर सकते हैं|
इसका सेवन करने से पतले दस्त में लाभ मिलता हैं | कोलाईटिस, पेचिश, पेट में संक्रमण और पेट में अल्सर जैसी समस्या इस औषधि के माध्यम से समाप्त की जा सकती हैं |
कुटजघन वटी के घटक द्रव्य (Kutajghan vati ke ghatak dravya)
- कुटज की ताज़ी छाल
- अतीस
कुटजघन वटी बनाने की विधि (Kutajghan vati banane ki vidhi)
इस औषधि को बनाने के लिए कुटज की छाल को उचित मात्रा में पानी के साथ उबाले | जब इसका आँठवा हिस्सा शेष रह जाए तो इसे नीचे उतार कर ठंडा कर लें | इसके वापस इसे, पहले मध्यम आंच और बाद में धीमी आंच पर पकाएं | जब यह थोडा गाढ़ा हो जाये तो इसे सूर्य की धूप में अच्छे से गाढ़ा कर लें | इसके बाद इसमें अतीस का चूर्ण मिला कर गोलिया बना कर सुखा लें | इसके बाद आप इस औषधि का उपयोग कर सकते हैं |
कुटजघन वटी के फायदे (Kutajghan vati ke fayde)
दस्त में (for loose motion)
अतिसार, ज्वर और ग्रहणी रोग और अन्य कारणों से आने वाले बहुत पतले दस्त में यह औषधि उपयोगी होती हैं | दस्त में व्यक्ति को बार बार मल त्यागने जाना पड़ता हैं| इस स्थिति के कारण व्यक्ति का शरीर दिन दिन कमजोर होता जाता हैं | यह औषधि सभी प्रकार के दस्त को रोकने में सहायता प्रदान करती हैं |
कोलाईटिस में
इस रोग में बड़ी आंत में सूजन आ जाती हैं जिसके कारण बुखार, दस्त, पानी की कमी, वजन में गिरावट, दर्द या ऐंठन आदि समस्याएँ देखने को मिलती हैं | इसे किसी भी कारण नजरअंदाज नहीं करना चाहिए | इस रोग में मुक्ति पाने के लिए यह वटी एक उत्तम स्त्रोत हैं |
पेचिश में
इस रोग में बड़ी आंत में संक्रमण हो जाता हैं | इसकी अनदेखी करने पर यह घाव में बदल जाता हैं | जिसके कारण दस्त के साथ खून भी आने लगता हैं | यह एक गंभीर समस्या बन जाती हैं | इस रोग की समाप्ति करने के लिए इस औषधि का उपयोग उत्तम रहता हैं |
इसके औषधीय गुण संक्रमण की दूर कर व्यक्ति को स्वस्थ बनाने में सहायता करते हैं |
पेट में अल्सर (for stomach ulcer)
भोजन के पाचन के लिए पेट में उत्पन्न होने वाला महत्वपूर्ण HCL अम्ल और पेट की दीवारों पर स्थित म्यूकस का जब संतुलन बिगड़ जाता हैं तो यह पेट को नुकसान पहुंचाता हैं|
इससे पेट में छाले हो जाते हैं जिसके कारण पेट में जलन, जी मचलना, खट्टी डकार आदि समस्याएँ आती हैं |
यह वटी का सेवन इस स्थिति में करने से समस्या से बाहर निकला जा एकता हैं | इसके अलवा यह पेट के कीड़ो को भी मारती हैं |
कुटजघन वटी के अन्य फायदे (Kutajghan vati ke anay fayde)
- सूजन में
- अधिक पसीना आने पर
कुटजघन वटी की सेवन विधि (Kutajghan vati ki sevan vidhi)
• 2-4 गोली दिन में 4-5 बार ठन्डे जल के साथ लें |
कुटजघन वटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Kutajghan vati ke sevan ki savdhaniya)
- किसी भी व्यक्ति को (विशेष रूप से गर्भवती महिला) इसका सेवन करने से पहले किसी अच्छे वैध्य की सलाह जरुर लेनी चाहिए |
- यदि आप पहले ही किसी रोग की चिकित्सा ले रहे हैं तो इस बात की जानकारी आपके डॉक्टर को जरुर दें |
- यदि आपके सिर में गंभीर चोट लगी हो, एलर्जी, मानसिक विकार और फेफड़ो में गांठो से पीड़ित हैं तो आपको इस औषधि के सेवन से परहेज करना चाहिए |
कुटजघन वटी की उपलब्धता (Kutajghan vati ki uplabdhta)
- दिव्य कुटजघन वटी (DIVYA KUTAJGHAN VATI)
- बैधनाथ कुटजघन वटी (BAIDYANATH KUTAJGHAN VATI)
- ऊंझा कुटजघन वटी (UNJHA KUTAJGHAN VATI)
- डाबर कूटजघन वटी (DABUR KUTAJGHAN VATI)
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