योगराज गुग्गुल: बीमारियाँ अनेक दवा एक, जाने कैसे, यहाँ पर
योगराज गुग्गुल का परिचय (Yograj guggul: introduction: Benefit, dose)
योगराज गुग्गुल क्या हैं ?( Yograj guggul kya hai?)
यह वात रोगों का जड़ से शमन करने वाली एक आयुर्वेदिक औषधि हैं | योगराज गुग्गुल वात रोगों के शमन के साथ साथ त्रिदोष को भी नियंत्रित करती हैं| जोड़ो का दर्द, कुष्ठ रोग, किसी भी प्रकार का दर्द, मिर्गी रोग, लम्बे समय से हो रही कब्ज़ जैसी अनगिनत बिमारियों को यह औषधि खत्म करने की क्षमता रखती हैं |
इसके अलावा यह औषधि पुरुषो और महिलाओं के जनानांगो में सुधार कर संतान की प्राप्ति कराती हैं | भगंदर, अर्श, प्रमेह, मूत्र की अधिकता, मोटापा जैसी और भी कई समस्याओं में योगराज गुग्गुल सहायक हैं |
योगराज गुग्गुल के घटक द्रव्य (Yograj guggul ke ghatak dravy)
- चित्रक
- पीपलामूल
- अजवायन
- कालाजीरा
- वायविडंग
- अजमोद
- जीरा
- देवदारु
- चव्य
- छोटी इलायची
- सैंधा नमक
- कूठ
- रास्ना
- गोखरू
- धनिया
- त्रिफला
- नागरमोथा
- सौंठ
- मिर्च
- पीपल
- दालचीनी
- खस
- यवक्षार
- तालीस पत्र
- तेजपत्र
- शुद्ध गुग्गुल
- घी
योगराज गुग्गुल बनाने की विधि (Yograj guggul banane ki vidhi)
गुग्गुल और घी को छोड़कर बाकी बची सारी औषधियों का अच्छे से चूर्ण बना लें | अब गुग्गुल में थोडा थोडा घी और थोडा थोडा चूर्ण मिला कर कूटे| जब सारा चूर्ण गुग्गुल में अच्छी तरह से मिल जाये तो इनकी गोलियां बना कर सुखा लें |
योगराज गुग्गुल के फायदे (Yograj guggul ke fayde)
वातरक्त में (for gout)
इस रोग को गठिया रोग भी कहा जाता हैं | शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाने के कारण यह रोग उत्पन्न होता हैं | इसमें जोड़ो में दर्द होना, चुभन होना, सूजन होना और उन का लाल हो जाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं |
योगराज गुग्गुल का सेवन यदि इस रोग में किया जाये तो यह शरीर के भीतर जा कर यूरिक एसिड की मात्रा को कम करती हैं और साथ ही इससे होने वाले दर्द, सूजन और पीड़ा से भी आराम दिलाती हैं |
कुष्ठ रोग में (for leprosy)
आयुर्वेद में इस रोग को त्वचा रोग के अंतर्गत रखा गया हैं| रक्त और शरीर में वायु बिकार से होने वाला यह रोग त्वचा पर प्रभाव डालता हैं | कुष्ठ रोग भी कई प्रकार के होते हैं | कुष्ठ रोग में यदि इस औषधि का सेवन किया जाये तो इससे रोग का समापन किया जा सकता हैं |
शूल में (for pain)
चूँकि यह औषधि वात विकारो को मुख्य रूप से समाप्त करती हैं इसलिए शरीर में हो रहे किसी भी प्रकार के दर्द में यह एक उत्तम औषधि हैं | आयुर्वेद के अनुसार यदि आपके शरीर में किसी प्रकार का दर्द बार बार हो रहा हैं या लगातार होता रहता हैं तो इसका मुख्य कारण वात रोग ही हैं |
अपस्मार (मिर्गी) में
यह मस्तिष्क से जुडी हुई एक समस्या होती हैं| इसके अलग अलग प्रकार होते हैं | यह रोग वंशानुगत, सिर में चोट या अन्य और भी कई कारणों से हो सकता हैं | मस्तिष्क से जुडी इस समस्या में कई बार व्यक्ति अपना नियंत्रण खो देता हैं जिससे किसी दूसरी घटना होने का भय बना रहता हैं |
योगराज गुग्गुल या सेवन यदि इस रोग में किया जाये तो निश्चित रूप से व्यक्ति को आराम मिलता हैं | यह औषधि मस्तिष्क को बल और शान्ति देता हैं |
त्रिदोष को संतुलित करें( for tridosha balance)
पित्त का कार्य पाचन करना होता हैं यदि पाचन से जुडी हुई कोई समस्या आये तो यह औषधि अच्छा प्रभाव दिखाती हैं | इसी प्रकार कफ का कार्य शरीर में रस की क्रिया को व्यस्थित रख कर स्निग्धता देना होता हैं | यदि इस प्रक्रिया में कोई दिक्कत आये तो इसका समापन योगराज गुग्गुल से किया जा सकता हैं | वात विकारो को यह औषधि मुख्य रूप से समाप्त करती हैं |
वीर्य विकार की समाप्ति
वीर्य की कमी, वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, वीर्य विकार के कारण संतान प्राप्ति ना होना जैसी समस्याओं में योगराज गुग्गुल का प्रयोग करना चाहिए | यह औषधि वीर्य विकार को समाप्त कर संतान प्राप्ति में मददगार होती हैं |
मासिकधर्म की विकृति
महिलाओं में मासिक धर्म से जुडी विकृति जैसे मासिक धर्म का ना आना, समय पर नही आना, अधिक बार आना, अधिक रक्त प्रवाह की समस्या को भी इस गुग्गुल का सेवन करके समाप्त किया जा सकता हैं| यदि इस विकार के कारण संतान प्राप्ति नही हो रही हो तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती हैं |
अर्श रोग में (for piles)
अर्श रोग को बवासीर या पाइल्स भी कहा जाता हैं | यह रोग गुदा से जुड़ा हुआ हैं जिसमे गुदा द्वार पर बादी वाले या खूनी मस्से हो सकते हैं| यह रोग मोटापे, कब्ज़ होने से और गर्भावास्था के दौरान अधिक हो सकता हैं | योगराज गुग्गुल का सेवन करने से मोटापा और कब्ज़ की समाप्ति होती हैं जिससे इस रोग में आराम मिलता हैं|
कब्ज़ में (for constipation)
योगराज गुग्गुल का सेवन पुरानी से पुरानी कब्ज़ को समाप्त करने के लिए किया जाता हैं | कब्ज़ होना एक आम बात हैं लेकिन जब यह स्थिति लगातार बनी रहे तो इससे अर्श, आमवात जैसे रोग होने की सम्भावना रहती हैं |
कृमियों का नाश करें
व्यक्ति के पेट में कीड़े होने के कारण उसके द्वारा खाया गया भोजन कीड़े खा जाते हैं जिससे मनुष्य में पोषण की कमी होती जाती हैं | एलोपैथी की कृमिनाशक दवाइयां सामान्यतः जहरीली हुआ करती हैं | परन्तु यह औषधि बिना किसी विष के कीड़ो को खत्म करती हैं |
अन्य रोगों में (Yograj guggul anay rogo me )
- प्रमेह
- उदावर्त में
- भगंदर में
- खासी में
- रक्त विकार को समाप्त करें
- ह्रदय को मजबूत बनाये
- श्वसन रोग में
- लीवर के लिए
- एलर्जी में
- आमविष की समाप्ति
- मोटापा कम करें
- मूत्र की अधिकता में लाभदायक
- पांडू रोग में
योगराज गुग्गुल की सेवन विधि(Yograj guggul ki sevan vidhi)
- वात रोगों में- रास्नादि क्वाथ के साथ
- पित्त रोगों में- काकोल्यादि क्वाथ के साथ
- कफ रोगों में- आरग्वादि क्वाथ के साथ
- प्रमेह रोगों में- दारुहल्दी क्वाथ के साथ
- पांडू रोग में- गो मूत्र के साथ
- मोटापे में- शहद के साथ
- कुष्ठ रोगों में- नीम क्वाथ के साथ
- वातरक्त में- गिलोय क्वाथ के साथ
- सूजन और दर्द में- पीपल के क्वाथ के साथ
- उदर रोगों में- पुनर्नवादि क्वाथ के साथ 2 से 6 गोली का सेवन करना चाहिए |
योगराज गुग्गुल का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Yograj guggul ke sevan ki savdhaniya)
• किसी भी व्यक्ति को औषधि का सेवन करने से किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए |
• इसका सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए |
योगराज गुग्गुल की उपलब्धता (Yograj guggul ki uplabdhta)
- बैधनाथ योगराज गुग्गुल (Baidyanath Yograj guggul)
- दिव्य योगराज गुग्गुल (Divya pharmacy Yograj guggul)
- धूतपापेशवर योगराज गुग्गुल (Dhootpapeshwar Yograj guggul)
- डाबर योगराज गुग्गुल (dabur Yograj guggul)
- दीप आयुर्वेदा योगराज गुग्गुल (deep ayurveda Yograj guggul)
- ऊंझा योगराज गुग्गुल (unjha Yograj guggul)
- लामा योगराज गुग्गुल (Lama Yograj guggul)
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