चुकन्दर: (Beetroot: Introduction, Benefits and Usages)
चुकन्दर का परिचय (Introduction of Beetroot)
चुकन्दर क्या है? (What is Beetroot?)
एक ऐसा मुसला जड़ वाला पौधा है चुकन्दर | जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जायेंगे| चुकंदर का प्रयोग भारत में सभी स्थानों पर किया जाता है| इसकी सभी स्थान पर खेती भी की जाती है| इसका उपयोग साग व सलाद और जूस बनाने के लिए किया जाता है| इसके साथ ही इसके औषधीय गुण भी बहुत है|
यह शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है चुकन्दर के सेवन करने से शरीर में खून की कमी पूरी होती है और केंसर का खतरा कम रहता है| साथ ही यह आँखों की रोशनी के लिए अच्छा और शरीर की चर्बी कम करने के लिए बहुत ही उपयोग में लिया जाता है|
चुकन्दर को आप किसी भी तरह से खाएं तो आपको हर तरफ से लाभ मिलता है| भारत में सबसे अधिक चुकंदर पैदा किया जाता है और यह लगभग सभी मौसम में पाया जाता है लेकिन सर्दियों में अधिक पाया जाता है| चुकन्दर देखना में छोटा होता है लेकिन इसके अनेक फायदे है|
चुकन्दर का बाह्यस्वरूप (Morphology of Beetroot)
चुकंदर 30-90 सेमी ऊँचा, मांसल, कंद, मोटा तना वाला, शाकीय पौधा होता है। इसके पत्ते मूली या शलगम और के पत्ते जैसे होते हैं। चुकंदर के फूल 2-3 के गुच्छों में या एकल, लम्बे बेलनाकार जैसे होते हैं| इसकी जड़ अंदर से बैंगनी लाल रंग की होती है| चुकंदर सितम्बर से फरवरी महीने में फलता, फूलता है|
चुकन्दर के सामान्य नाम (Common names of Beetroot )
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Beta vulgaris |
अंग्रेजी (English) | Beetroot, Garden beet, red beet, leaf beet |
हिंदी (Hindi) | चुकंदर, पालक |
संस्कृत (Sanskrit) | पलंकी |
अन्य (Other) | पालक, चकुन्दर ( उर्दू ) सेनासिरा,(कन्नड़) सलाख (नेपाली ) सेनसीरई (तमिल) पालक (बंगाली) |
कुल (Family) | Chenopodiaceae |


चुकंदर के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Ayurvedic Properties of Beetroot)
दोष (Dosha) | |
रस (Taste) | मधुर(Sweet), |
गुण (Qualities) | |
वीर्य (Potency) | |
विपाक(Post Digestion Effect) | |
अन्य (Others) |
चुकन्दर के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Benefits and Usages of Beetroot)
आँखों के रोग में चुकन्दर (Beetroot for eyes)
- यह सभी को पता है कि आँख लाल होने पर कितना दर्द होता है। तब चुकन्दर के कन्द के रस को कनपटी पर लगाने से नेत्राभिष्यंद या आँखें लाल हो जाने पर दर्द या आँख आने पर होने वाले कष्ट से आराम मिलता है|
मुँह के रोग में (Beetroot for mouth)
- मुख के छाले या दांत का दर्द , बच्चो या किसी व्यक्ति के दांतों में दर्द या किसी व्यक्ति के मुंह में छाले होने पर चुकन्दर के पत्तो का काढ़ा बनाकर गरारे करने से दांत का दर्द और मुंह के छाले ठीक होते है|
आधासीसी में चुकन्दर
- चुकन्दर के जड़े के रस को 1-2 बूंद नाक में डालने से आधासीसी के दर्द में लाभ मिलता है
गंजापन में चुकन्दर
- चुकन्दर के पत्ते के रस को कुछ दिनों तक लगातार सिर में लगाने से सिर का गंजापन से छुटकारा मिलता है या चुकन्दर के पत्ते के रस में हल्दी मिलाकर सिर में लगाने से लाभ मिलता है|
सिर की जुएं में चुकन्दर
- चुकन्दर के फल का काढ़ा बनाकर सिर धोने से सिर की रुसी तथा जूंए दूर होती है|
खांसी में (Beetroot for cough)
- चुकन्दर की जड़ तथा बीज को एक साथ पीसकर देने से खांसी, साँस की तकलीफ तथा अस्थमा रोग से भी छुटकारा मिलता है|
कान दर्द में (Beetroot for ear)
- अक्सर सिर दर्द होने पर या किसी दूसरे बीमारी के लक्षण के प्रभाव के कारण कान में दर्द होता है| चुकन्दर के पत्तो से रस को गुनगुना करके 2-3 बूंद कान में डालने से कान को सूजन और दर्द में लाभ मिलता है| और कान के दर्द में चुकन्दर खाने से दर्द में लाभ मिलता है|
कब्ज में चुकन्दर (Beetroot for constipation)
- खाने-पीने में गड़बड़ी हुई कि नहीं पेट में गड़बड़ी होना लाजमी हो जाता है। चुकन्दर के 2 -3 ग्राम बीज चूर्ण का सेवन करने से आध्मान (पेट फूलना) तथा विबन्ध (कब्ज) में लाभ मिलता है |
मोच में
- चुकन्दर के ताजे पत्तों को पीसकर मोच पर लगाने से दर्द और सूजन कम होती है तथा अल्सर के घाव में लगाने से जल्दी ठीक होता है|
घाव में (Beetroot for wound)
- यदि किसी भी प्रकार शरीर पर घाव हो जाये तो चुकन्दर के पत्ते को पीसकर घाव पर लगाने से शरीर के घाव ठीक होते है|
जलन में चुकन्दर
- अगर खाना बनाते हुए या किसी भी प्रकार जल जाये तो चुकन्दर के पत्तों का काढ़ा बनाकर ठंडा करके जले हुए जगह पर लगाने से जल्द आराम मिलता है|
झाईया में चुकन्दर
- अगर धूप में ज्यादा देर रहने के कारण या प्रदूषण के कारण या की अन्य वजह से चेहरे पर झाइंया पड़ने लगी हैं तो चुकन्दर के पत्ते के रस में शहद मिलाकर चेहरे पर लगाने से दाग धब्बे या झांईयां मिटती है|
सूजन में (Beetroot for inflammation)
- यदि आपके शरीर के किसी भी अंग में सूजन के कारण के कारण दर्द हो रहा है तो चकुंदर के तैल की मालिश करने से सूजन व दर्द का शमन होता है|
- इसके अलावा चुकन्दर के पत्तो के रस में शहद मिलकर सूजन पर लगाने से बहुत ही जल्द आपको लाभी मिलता है|
बवासीर में चुकन्दर (Beetroot for piles)
- यदि किसी भी व्यक्ति को मस्सो की समस्या है तो आप चुकन्दर की मूल के चूर्ण को घी के साथ 21 या 22 दिनों तक सेवन करने से जल्दी ही लाभ मिलता है|
वजन में (Beetroot for weight loss)
- चुकंदर का सेवन वजन को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है, क्योंकि इसमें लैक्सटिव का गुण देखा गया है जो कि शरीर के गंदगी बाहर निकाल कर वजन कम करने में मदद करता है|
हड्डियों में (Beetroot for bones)
- चुंकदर का सेवन हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में सहायक होता है, क्योंकि इसमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो कि हड्डियों की मजबूती प्रदान करने में मदद करता है|
गर्भावस्था में (Beetroot for pregnancy)
- यदि कोई भी महिला इस अवस्था के दौरान चुकन्दर का सेवन करती है तो उनके लिए बहुत ही फायदेमंद होता है |
पाचन में (Beetroot for digestion)
- चुकंदर का सेवन पाचन शक्ति को अच्छा रखने में सहायक होता है, क्योंकि ये लीवर को मजबूती प्रदान कर खाने को पचाने में सहयोग करता है|
लीवर में (Beetroot for liver)
- लीवर को स्वस्थ रखने में चुकंदर का प्रयोग फायदेमंद होता है| चुकंदर के जूस का सेवन लिवर पर फैट जमा नहीं होने देता और लीवर भी नियमित रूप से अच्छा कार्य करता है|
ह्रदय में (Beetroot for heart)
- यह आपके ह्रदय की लिए भी काफी फायदेमंद होता है| इसका सेवन आपकी खून की कमी को पूरा करता है|
कैंसर में (Beetroot for cancer)
- चुकंदर का सेवन कैंसर से बचाने में सहायक होता है, क्योकि इसमे बहुत सारे औषधीय तत्व पाए जाते है जो बचाव में सहायक होते है|
रक्तचाप में (Beetroot for blood pressure)
- चुकंदर का प्रयोग रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार होता है| चुकंदर का जूस पीने से रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Beetroot)
- पत्ती
- बीज
सेवन मात्रा (Dosages of Beetroot)
- जूस – फल 10-15 मिली |
- चूर्ण – बीज का चूर्ण 1-2 ग्राम
- क्वाथ – काढ़ा 5-10 मिली |
सावधानियां (Precautions of Beetroot)
- चुकन्दर उचित मात्रा में सेवन करने से कोई दुष्प्रभाव नही है लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से रक्त में कैल्शियम की कमी हो जाती है और वृक्क विकार उत्पन्न होता है तथा कब्ज व मधुमेह रोग हो जाता है
- इसका अधिक सेवन करने से पेट में मरोड़े होने लगते है|