Grapes
अंगूर का परिचय: (Introduction of Angoor)
अंगूर क्या है? (Angoor kya hai?)
आज हम बात करेंगे एक बहुत ही रसीले फल अंगूर के बारे में| इस फल की एक यह बात सबसे अच्छी है कि इसका सेवन सभी लोग कर सकते है| फिर चाहे उसकी प्रकृति गर्म हो या ठंडी| इसके साथ ही दूसरे फलों को छीलने में परेशानी आती है लेकिन इसे बिना छिले ही बड़े आराम के साथ खाया जाता है|
अंगूर कैल्शियम, मैग्नेशियम,विटामिन, आयरन, कॉपर, जिंक आदि जैसे खनिज तत्वों का एक अच्छा स्रोत है| यदि एक स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो वह लगभग सभी बिमारियों से बचाव कर सकता है| इसके अलावा रोगी भी इसका सेवन कर के जल्द ही रोगों से छुटकारा पा सकता है|
इसके सिर्फ फल ही काम की चीज़ नही होते बल्कि इसका हर अंग किसी न किसी काम में लिया जाता है| इसे द्राक्षा (जो मन को प्रिय हो), मृद्वीका (जो शरीर को मृदु और स्निग्ध रखे), गोस्तनी (गो स्तन के आकार वाली) आदि नामों से जाना जाता है| यह फल छोटे बच्चों से लेके अधिक उम्र के बुजुर्गो द्वारा आसानी से खाया जा सकता है| इसका प्रयोग अलग अलग अनुपान के साथ कर के रोगों का भी शमन किया जा सकता है|
यह फल कई प्रकार का होता है| उदाहरण के लिए काले, हरे अंगूर, बैंगनी, छोटे, मोटे और लम्बे अंगूर आदि| आइये आपको परिचित कारते है अंगूर और उससे होने वाले चमत्कारिक फायदों से| इन्हें जान के आप इसका सेवन जल्द ही करने लगेंगे|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Angoor of creation)
भारत में यह फल उत्तरी और उत्तरी पश्चिमी राज्यों में अधिक पाया जाता है| इसके फल लता पर लगते है जो पतली होती है| इसके पत्तें मानव के ह्रदय के आकार के होते है| इसके फूलों का रंग हरा होता है| इसके फूलों में एक प्रकार की खुशबू आती रहती है| इसके फल अंडाकार, रसीले और अलग अलग रंगों के होते है जो गुच्छों मे लगे रहते है|अगस्त से मई के बीच इसके फूल और फल आते है|
अंगूर में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Angoor ke poshak tatva)
- विटामिन C, E, K
- Calcium
- Carbohydrates
- Magnesium
- Potassium
- Sodium
- Iron
- Copper
- जिंक आदि|

अंगूर के सामान्य नाम (Angoor common names)
Botanical name (Botanical Name | Vitis vinifera |
English (English) | Grapes, Common grape vine |
Hindi (Hindi) | दाख, मुनक्का, द्राक्ष, अंगूर |
Sanskrit (Sanskrit) | द्राक्षा, स्वादुफला, मधुरसा, मृद्वीका, गोस्तनी, स्वाद्वी |
Other (Others) | द्राक्या (उड़िया) कोट्टन (तमिल) द्राक्षा (कन्नड़) धाकू (कोंकणी) मनेका (बंगाली) मुन्टीरी (मलयालम) |
Total (Family) | Vitaceae |
अंगूर के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Angoor ayurvedic properties of
Shortcoming (Dosha) | पित्तशामक (pacifies pitta) |
Juice (Taste) | Sweet |
Property (Qualities) | स्निग्ध (oily), मृदु (soft), गुरु (heavy) |
Semen (Potency) | cold |
Vipak(Post Digestion Effect) | Sweet |
Other (Others) | मेध्य, रक्त्प्रसदन, रक्तपित्तशामक, मूत्रल |

अंगूर के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Angoor its benefits and uses)
आँखों के लिए लाभदायक अंगूर का सेवन (Angoor for eyes)
- द्राक्ष के पके हुए फल आँखों के लिए बहुत लाभदायक होते है| इनका नियमित सेवन आँखों की रोशनी को बढाने में सहायक होता है| इसके फल में पाया जाने वाला विटामिन C आँखों की रक्षा करता है और नेत्र रोगों का शमन करता है|
खून की कमी पूरी करे (Angoor for anemia)
- मुनक्का को घिस कर उसमे पुराना घी मिला कर पानी के साथ पकाएं| पकाते समय जब केवल घी बच जाए तो उसे सुरक्षित पात्र में भर लें| इस घी को दिन में दो बार खाने से जल्द ही खून की कमी पूरी हो जाएगी|
- इसके अलावा आप इसके फलों का सेवन भी कर सकते है| इसका फल आयरन का एक अच्छा स्रोत है जो खून को बढाता है|
रक्तपित्त में लाभदायक अंगूर (Angoor for blood bile)
- मिश्री और मधु को मुनक्का और हरड से बने हुए काढ़े में डाल कर सेवन करने से नकसीर या रक्तपित्त में लाभ मिलता है|
- स्वादुफला की कुछ बूंदों को नाक से धीरे धीरे लेने से भी इस रोग का शमन होता है| इस फल के शीतल होने के कारण यह रक्तपित्त में जल्द लाभ करेगी|
ह्रदय के लिए उत्तम फल स्वादुफला (Angoor for the heart)
- सीने में दर्द या जलन हो रही है तो स्वादुफला का कल्क बना लें| इस कल्क में मधु और लौंग मिलाकर लेने से दर्द और जलन में लाभ मिलता है|
- इसके अलावा किशमिश का सेवन करने से भी ह्रदय शूल से छुटकारा पाया जा सकता है|
- यदि कोई व्यक्ति स्वादुफला का सेवन नियमित रूप से करता है तो उसके लिए यह खून को पतला करने के कार्य करती है जिसके चलते ह्रदय रोगों से बचाव होता है|
- इसके फल में पाए जाने वाले तत्व नसों में खून का थक्का नही बनने देते| इससे भी कई प्रकार की बीमारियों से बचाव होता है|
- स्वादुफला का सेवन उच्चरक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है| इसके लिए आप इसके रस में मधु मिलाकर लें सकते है|
- इन सब समस्याओं के अलावा भी यह कोलेस्ट्रोल के स्तर का भी नियंत्रण कर सकता है| इसी कारण अंगूर का किसी भी दृष्टि से सेवन आपको लाभ ही लाभ देगा|
अम्लपित्त या एसिडिटी में (Angoor for acidity)
- भीगी हुई मुनक्का और सोंफ को जल में अच्छे से मसल कर उस पानी का सेवन करने से एसिडिटी में लाभ मिलता है|
- शक्कर, दाख और हरड के चूर्ण से बनी हुई गोलियों को दिन में दो बार ठन्डे पानी के साथ लेने से अम्लपित्त से छुटकारा मिलता है|
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये (Angoor for immunity)
- लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पोषक तत्वों की कमी के कारण कम होती जाती है| इससे अनेक बीमारियाँ कमजोर लोगो के शारीर को अपना घर बनाने लगती है| यदि आप भी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना चाहते है बहुत ही आसानी से उपलब्ध होने वाले इस फल का सेवन कर सकते है| यह जरुरी तत्वों की कमी को पूरी करता है जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है|
पाचन तंत्र को मजबूत बनाए अंगूर (Angoor for digestion)
- पाचन तंत्र में थोड़ी सी भी खराबी होने पर पूरी पाचन क्रिया और उसके अंग प्रभावित होने लगते है| लम्बे समय तक यह अव्यवस्था कई बिमारियों को न्यौता देती है| यदि आप भी पाचन को मजबूत बनाने या अव्यवस्था को सही करने के लिए अंगूर का सेवन कर सकते है|
- यदि पेट में दर्द हो रहा हो तो स्वादुफला और अडूसा का काढ़ा बना कर दिन में दो बार पीना चाहिए| इससे पेट दर्द का जल्द ही शमन होगा| इसके अलावा कब्ज, दस्त, अजीर्ण, पेट फूलना आदि पाचन की समस्याओं में भी लाभ मिलता है|
दुर्बलता को दूर कर हष्ट पुष्ट बनाये (Angoor for weakness)
- दूध में मखाना, मुनक्का और छुहारे को डाल कर खीर बना लें| इस खीर का सेवन आपको जल्द ही हष्ट पुष्ट कर देगा|
- मुनक्का के बीजों को निकाल कर रात में सोते समय खा लें| खाने के बाद थोडा पानी पी लें| थोड़े ही दिनों में आप देखेंगे कि आप पहले से हष्ट पुष्ट होते जा रहे है|
स्वस्थ बालों के लिए (Angoor for hair)
- अंगूर में विटामिन C पाया जाता है जो बालों के लिए काफी हद तक लाभदायक सिद्ध होता है| यदि आप भी बाल झड़ने, सफ़ेद बाल, दो मुहे बाल, रुसी से परेशान है तो अंगूर का सेवन करना चाहिए| इससे जल्द ही आपके बालों से जुडी समस्याएँ समाप्त होगी|

अधिक गर्मी और जलन होने पर अंगूर (Angoor for body heat and irritation)
- गाय के दूध में पके हुए दाख का रोज रात को लेने से गर्मी शांत होती है|
- इसके अलावा मिश्री और मुनक्का को मिलाकर लेने से भी गर्मी और जलन में लाभ मिलता है|
कैंसर में (Angoor for cancer)
- स्वादुफला के फलों का सेवन कैंसर के प्रति रोध प्रदर्शित करता है| इसी कारण इसका सेवन करने वाले लोगो को कैंसर का खतरा बहुत कम रहता है| इसके फल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन C, K, E, आयरन, कार्बोहाइड्रेट पाए जाते है| यही तत्व कैंसर से हमारा बचाव करते है|
सिर दर्द का शमन करें अंगूर (Angoor for headache)
- प्रकुपित पित्त के कारण होने वाले सिर दर्द में मुनक्का, मिश्री और मुलेठी के चूर्ण को नस्य देना चाहिए| इससे सिर दर्द का शमन होगा| इसके साथ ही तनाव भी दूर होगा|
- आधासीसी या माइग्रेन के दर्द में भी इसे नस्य लेने से काफी लाभ मिलता है|
गला बैठने पर (Angoor for the throat)
- गला बैठने के कारण यदि सूजन, जलन और दर्द हो रहा है तो इसके लिए इसके फलों से उत्पन्न रस से गरारे करने चाहिए|
कब्ज़ में अंगूर का सेवन (Angoor for constipation)
- घृत में भूने हुए मुनक्का पर थोडा सा सैंधा नमक डाल लें| सोने से पहले इसे खाने से कब्ज़ की समस्या में लाभ मिलेगा|
- रात के समय हल्के गर्म दूध में मुनक्का डाल कर पीने से मल त्याग में आसानी रहती है जिससे कब्ज़ में लाभ मिलता है|
बुखार का शमन करें अंगूर (Angoor for fever)
- प्रकुपित पित्त के कारण बुखार आने पर अमलतास और दाख के रसीले भाग का काढ़ा बना कर दिन में एक से दो बार पीने से लाभ मिलता मिलता है|
- नियमित रूप से इसके फल से बने हुए शरबत को पीने से बुखार दूर होती है|
खांसी का शमन करे (Angoor for cough)
- मुनक्का के चूर्ण में पिप्पली और मिश्री के चूर्ण को मिला दें| अब इसमें शहद मिला लें| उचित अवधि तक इसका सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है|
- काली मरीच, दाख, आमलकी, खजूर और पिप्पली के चूर्ण को उचित मात्रा में सेवन करने से खांसी में बहुत अच्छा लाभ देखने को मिलता है|
दस्त को रोकने में मददगार (Angoor for diarrhea)
- स्वादुफला के पत्तों का सेवन वैद्य के अनुसार करने से सभी प्रकार की दस्त का शमन होता है| इसके पत्तें में अतिसार रोधी गुण पाए जाते है| इसके अलावा इसके फल में फाइबर भी पाया जाता है जो दस्त में लाभ देता है|
बार बार प्यास लगने पर अंगूर (Angoor for excessive thirst)
- बार बार पानी पीने के बाद भी यदि आपकी प्यास न बुझती है तो इसके लिए स्वादुफला और मुलेठी का काढ़ा बहुत उपयोगी होगा| आप इसका सेवन सुबह, दोपहर और शाम के समय कर सकते है|
In piles (Angoor for piles)
- स्वादुफला के फलों की भस्म को गाय के घी के साथ लेने से बवासीर में लाभ मिलता है| इसका मुख्य प्रयोग खूनी बवासीर के लिए किया जाता है|
- इसके अलावा आप द्राक्षासव या द्राक्षारिष्ट का प्रयोग भी कर सकते है|
मूत्र रोगों में (Angoor for urinary tract disease)
- दही के पानी में पीसी हुई मुनक्का और मिश्री को मिलाकर सेवन करने से मूत्र से जुडी सभी प्रकार की समस्याओं से निजात मिलता है|
- मुनक्का की चटनी बासी जल में मिलाकर लेने से मूत्र त्याग के दौरान आने वाली कठिनाई का शमन होता है|
पथरी को बाहर निकाले अंगूर का सेवन (Angoor for calculus)
- काली मरीच और मुनक्का को अच्छे से एक साथ मिश्रित कर के सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग द्वारा बाहर निकल जाती है|
- गोक्षुर के काढ़े के साथ अंगूर से बनी भस्म का सेवन पथरी को गलाने में सहायता करता है|
सांसों की बदबू से छुटकारा दिलाएं अंगूर (Angoor for bad breath)
- मुनक्का का रोजाना सेवन करने से सांसों के साथ आने वाली बदबू दूर होती है और इसके साथ ही कफ विकारों में भी लाभ मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग)(Important parts of Angoor)
- Root
- leaf
- Seed
- Almanac
Dosage of intake Angoor)
- जूस – पाचन शक्ति के अनुसार
- चूर्ण – पाचन शक्ति के अनुसार
- वटी – पाचन शक्ति के अनुसार
- decoction – पाचन शक्ति के अनुसार
अंगूर से निर्मित औषधियां
- wine tasting
- Drakshasava
- द्राक्षादिक्वाथ
- द्राक्षादिलेह