अगस्त्य (Agastya): 20 से ज्यादा फायदे और सुनहरे फूल इस औषधि को ख़ास बनाते है (Benefits and Usages)
अगस्त्य का परिचय (Introduction of Agastya)
अगस्त्य क्या है? (Agastya kya hai?)
सामान्यतः लोग इस दिव्य गुणों वाले वृक्ष से अनजान होते हैं| जहाँ जल अधिक होता हैं यह पेड़ आसानी से वहां मिल सकता हैं| भारत में अगस्त्य पंजाब, असम, बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात जैसे कई राज्यों में बहुतायत के साथ पाया जाता हैं|
यह वृक्ष कई रोगों के निदान में काम में लिया जाता है| कोई न कोई व्यक्ति किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होता ही है| यदि कोई भी व्यक्ति इस पौधे का उचित मात्रा में उचित तरह से सेवन करता हैं तो उसे किसी न किसी प्रकार से फायदा करता हैं|
इस वृक्ष की सफ़ेद, पीले, नीले और लाल फूलों के आधार पर चार प्रकार की प्रजातियाँ बताई जाती हैं| पीले, नीले और लाल फूलों के मुकाबले सफ़ेद फूलों के वृक्ष को अधिक काम में लिया जाता हैं|
इसमें इतने औषधीय गुण होने के कारण ही इस वृक्ष को आयुर्वेद में उपचार के लिए काम में लिया जाता हैं| आज आपको परिचित कराते हैं इस दिव्य गुणों से भरपूर वृक्ष और इसके फायदों के बारे में|
अगस्त्य में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Agastya ke poshak tatva)
- प्रोटीन
- तेल
- अमीनो अम्ल
- कैल्शियम
- फास्फोरस
- लौह
- विटामिन a, b, c आदि|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Agastya ki akriti)
अगस्त्य के वृक्ष की आयु छोटी रहती हैं| यदि इन्हें उचित मात्रा में जल नही मिलता हैं तो यह नष्ट हो जाता हैं| इसी कारण यह वृक्ष अक्सर नम और जल वाले स्थानों के आस पास अधिक होता हैं| इसकी पत्तियां घनी, लम्बी होने के साथ ही पीला और हरा रंग लिए होती है| इसकी लकड़ी मुलायम, श्वेत होती हैं जो थोड़े समय के बाद सड़ जाती है| इसके बीज फलियों में उपस्थित रहते है| इसके फूल अक्टूबर से नवम्बर तथा फल जनवरी से फरवरी के बीच होते है|
अगस्त्य के सामान्य नाम (Agastya common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Sebania grandiflora |
अंग्रेजी (English) | Scarlet wisteria tree, West Indian pea,Sesban |
हिंदी (Hindi) | अगस्त्य (प्रायः शरद ऋतु में पुष्प आने के कारण), अगस्त, हथिया, अगस्तिया, बास्ना |
संस्कृत (Sanskrit) | मुनिद्रुम (मुनिद्रुम ऋषि के नाम का पेड़ होने के कारण), अगस्त्यः, मुनिप्रिया, सुर्यप्रिया, वंगसेनः (बंगाल में अधिक होने के कारण), वक्रपुष्प, स्थूल पुष्प, मुनिपुष्प, पवित्रः |
अन्य (Other) | अगस्त (उर्दू) बूको ( उड़िया) अगासे (कन्नड़) अगस्ती (बंगाली) सिसबान (अरबी, फारसी) |
कुल (Family) | Fabaceae |
अगस्त्य के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Agastya ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | पित्तकफशामक (pacifies pitta and cough) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | ज्वरनाशक, विषघ्न |
अगस्त्य के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Agastya ke fayde or upyog)
जुखाम में (Agastya for cold)
- अगस्त्य के पत्तों का रस निकाल कर एक से दो बूंद नाक में डालने से जुखाम का शमन होता है|
- अगस्त के पेड़ की मूल के रस में यदि मधु मिलाकर लिया जाता हैं तो जुखाम की समस्या में लाभ मिलता है|
गला बैठने पर (Agastya for throat problem)
- अगस्त की पत्तियों का काढ़ा बना कर गरारें करने से गला बैठने की समस्या के साथ ही कफ में खून का निकलना भी बंद हो जाता है|
सिर से जुडी समस्याओं में (Agastya for head)
- यदि सुबह या सूरज ढलते समय सिर दर्द हो तो अगस्त्य के पत्तों का रस निकाल कर सुबह खाली पेट नाक में डालने पर इस समस्या का समाधान होता है|
- यदि कोई व्यक्ति आधासीसी (Migraine) से पीड़ित है तो सिर के जिस ओर पीड़ा होती है उसकी विपरीत दिशा वाले नाक में अगस्त्य के पत्तों या पुष्प के रस को डालना चाहिए जिससे इस समस्या में लाभ मिलता है|
आँखों की समस्याओं का करे समाधान (Agastya for eyes)
- यदि रात्रि के समय आपको साफ़ दिखाई न देकर कुछ धुंधलापन लगता है तो अगस्त्य के फूलों के रस को आँख में डालना चाहिए| इसके अलावा अगस्त की सब्जी का सेवन भी आपकी आँखों की रोशनी को बढाता है|
- अगस्त के फूलों को तोड़ते समय एक शहद सा पदार्थ निकलता है यदि उसे आँखों में लगाया जाता है तो नेत्र विकारों का शमन होता है|
काला मोतिया होने पर लाभदायक अगस्त्य
- अगस्त्य के पुष्पों से उत्पन्न शहद को काजल की तरह आँखों में लगाने से काला मोतिया की समस्या का समाधान होता है|
पेट दर्द में (Agastya for stomach)
- यदि आप किसी भी कारणवश पेट दर्द से परेशान है या कई पुरानी पेट दर्द की समस्याओं ने आपको घेर रखा है तो अगस्त की छाल का काढ़ा बना कर उसमे सैंधा नमक और उसके साथ ही एक से दो लौंग मिलाकर दिन में दो बार लेने से पेट दर्द और पेट से जुडी कई समस्याओं का समाधान होता हैं|
- इसके अलावा यदि अगस्त्य से निर्मित रस में सैंधा नमक और हींग मिला कर पीने से भी लाभ मिलता है|
दस्त पर रोक लगाये अगस्त्य (Agastya for diarrhea)
- यदि काफी समय से आप दस्त से पीड़ित और परेशान है तो अगस्त के त्वक क्वाथ का सेवन करना चाहिए| इससे दस्त की समस्या में बहुत जल्द आराम मिलता है|
कब्ज़ की समस्या खत्म करे अगस्त्य (Agastya for constipation)
- रोज दिन में दो बार अगस्त्य की छाल के काढ़े का सेवन करने पर कब्ज़ की समस्या से छुटकारा मिलता हैं|
सफ़ेद पानी की समस्या में कारगर अगस्त्य
- अगस्त्य के पत्तों के रस के साथ उचित मात्रा में मधु मिलाकर लेने से महिलाओं में लिकोरिया या सफ़ेद पानी की समस्या समाप्त होती हैं|
- श्वेत प्रदर के चलते महिलाओं का शरीर काफी कमजोर हो जाता है ऐसी स्थिति में अगस्त्य के पुष्पों की पकोड़ी बनाकर खायी जा सकती है इससे दुर्बलता का नाश होता है|
प्रमेह में फायदेमंद अगस्त्य
- प्रमेह रोग से पीड़ित रोगी को अगस्त्य के सूखे हुए फूलों के चूर्ण को दूध या मधु के साथ लेना चाहिए| इससे प्रमेह रोग का शमन होता है|
गठिया में लाभदायक अगस्त्य (Agastya for gout)
- गठिया से पीड़ित व्यक्ति यदि धतूरे और अगस्त्य की जड़ दोनों को समान मात्रा में पीस कर इस लेप की मोटी परत प्रभावित जोड़ो पर बांधते है तो इससे गठिया का दर्द कम होता है और रोगी को आराम मिलता हैं|
खाज-खुजली को दूर करे
- किसी भी प्रकार के त्वचा संक्रमण तथा खुजली को दूर करने के लिए अगस्त्य के फूलों के चूर्ण को दही के साथ जमा दें| अगले दिन इस दही का मक्खन निकाल कर उसे प्रभावित स्थान पर लगाने से इसका शमन होता है|
फोड़े में
- गुनगुने अगस्त्य के पत्तों को यदि फोड़े वाले स्थान पर बांधा जाता है तो फोड़ा फूट जाता है तथा कुछ ही दिनों में यह पूरी तरह ठीक भी हो जाता है|
अपस्मार में लाभ दें अगस्त्य (Agastya for epilepsy)
- अपस्मार या मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को अगस्त्य के पत्तों का चूर्ण तथा मरीचचूर्ण को गोमूत्र के साथ पीस कर पीड़ित को समय समय पर सुंघाने से रोग का शमन करने में सहायता प्राप्त होती है|
बेहोशी में
- बेहोश व्यक्ति को होश में लाने के लिए अगस्त्य के पत्तों के रस की दो से तीन बूंद डालनी चाहिए| इसे लेते ही व्यक्ति होश में आ जाता है|
याददाश्त बढ़ाये अगस्त्य (Agastya for memory)
- अगस्त्य के बीजों का चूर्ण बना कर उस चूर्ण को गाय के कच्चे दूध के साथ दिन में दो बार सुबह और शाम लेने से दिमाग तेज होता है और याददाश्त भी बढती है|
बुखार में (Agastya for fever)
- यदि आपको बुखार है और उसके साथ ही आपको पुन्सियों की भी समस्या है तो अगस्त्य की छाल का काढ़ा बना कर पीना चाहिए| इससे ज्वर का तुरंत नाश होता है|
- अगस्त्य की मूल के चूर्ण को पत्तों के रस के साथ लेने से बुखार के साथ ही अस्थमा में भी लाभ पहुंचता है|
रक्तस्राव को रोके
- किसी व्यक्ति को यदि किसी कारणवश चोट लगी हो और खून का बहना बंद नही हो रहा तो अगस्त्य के पुष्पों की सब्जी बना कर खिलानी चाहिए| इससे रक्त का बहना बंद होता है|
पेट के कीड़ों को मारे (Agastya for stomach bugs)
- अगस्त्य के पत्तों का विभिन्न रूप से प्रयोग करने से पेट में उपस्थित कीड़ो का शमन होता है और व्यक्ति का स्वास्थ्य भी स्वस्थ होता है|
नकसीर की समाप्ति (Agastya for blood bile)
- रक्तपित्त को नकसीर भी कहा जाता है| अगस्त्य में बहते हुए रक्त को बंद करने की क्षमता होती है| इसी कारण आयुर्वेद में नकसीर में इस औषधि का प्रयोग बताया जाता है|
गुल्म रोग में लाभदायक अगस्त्य
- अगस्त्य की फलियों का सेवन करने से गुल्म रोग का समाधान होता है| इसकी फलियों का काढ़ा बना कर भी इसका उपयोग किया जा सकता है|
खून की कमी को पूरा करें (Agastya for anemia)
- अगस्त्य में कई ऐसे पोषक तत्व होते है जो खून की कमी को समाप्त करने के लिए जरुरी होते है| यदि आप खून की कमी को पूरा करने के लिए इस औषधि का सेवन करते है तो इसके साथ ही आपको कई लाभ और लाभ भी मिलते है|
सूजन और दर्द में (Agastya for swelling)
- किसी भी कारण होने वाली सूजन और दर्द को मिटाने के लिए भी इस औषधि की फलियों का प्रयोग काफी प्रचलित है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Agastya)
- जड़
- बीज
- फल
- पचांग
सेवन मात्रा (Agastya for dosages)
- क्वाथ –50-100 ml
- जूस –10-20 ml