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अधःपुष्पी: 17 फायदें, उपयोग (Adhapushpi: Benefits, usages)

अधःपुष्पी का परिचय (Introduction of Adhapushpi)

Table of Contents

अधःपुष्पी क्या है? (Adhapushpi kya hai?)

हम सभी के जीवन में कोई न कोई छोटी या बड़ी बीमारी आती रहती है| इस बीमारी का रूप तब भयावह हो जाता है जब इसका उचित समय पर उपचार नही किया जाता या इसके प्रति लापरवाही बरती जाती है| सभी लोग एक स्वस्थ जीवन चाहते है परन्तु बिना किसी मेहनत के, जो कि किसी भी प्रकार संभव नही हो सकता| रोगों से ग्रस्त होने पर अनेक प्रकार की औषधियों का प्रयोग किया जाता है उनमे से एक है अधःपुष्पी | इसके पुष्प खिलने पर नीचे की और लटक जाते है इसलिए इसे अधःपुष्पी कहा जाता है|

यदि आयुर्वेद में प्रचलित अधःपुष्पी नामक औषधि का प्रयोग करते है तो हमे हमारी सोच से भी अच्छे परिणाम मिलते है| इसके फूलों के नीचे की ओर झुके रहने के कारण ही इसे अधःपुष्पी कहा जाता है| यह नेत्र रोगों में विशेष लाभ देती है|

इस औषधि का प्रयोग प्राचीन काल से रोगों के उपचार में होता रहा है| कई जगह वर्तमान के समय में भी इसका प्रयोग किया जाता है| आइये आपको परिचित कराते है अधःपुष्पी के औषधीय गुणों और इसके उपयोग से, जिससे आप स्वयं उपचार कर रोगों की रोकथाम कर सकते है| यह भारत में लगभग सभी जगह पाया जाता है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Adhapushpi ki akriti)

अधिकतर वर्षा ऋतु में खिलने वाला यह पौधा लगभग 50 cm तक ऊँचा हो सकता है| यह रोमो से युक्त होता है| इसके पुष्प सफ़ेद रंग के होते है जो नीचे की ओर झुके होते है| यही इस पौधे की पहचान होती है| इसके फल भी श्वेत वर्ण के होते है जो अंडाकार होते है| इसकी गंध बहुत तीखी होती है| यह जुलाई से जनवरी के बीच फलता फूलता है|

अधःपुष्पी के सामान्य नाम (common names of Adhapushpi)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Trichodesma indicum
अंग्रेजी (English)Indian Borage
हिंदी (Hindi)अन्धाहुली, छोटा कुलफा, रातमण्डी, साल नोटा
संस्कृत (Sanskrit)अधपुष्पी (पुष्प खिलने पर नीचे की और लटक जाते है), अंधपुष्पी, अधोमुखा, द्राविका, गोलोमी
अन्य (Other)हेटा मुंडिया (उड़िया) अधोमुखी (कन्नड़) अंधाहुली (गुजराती) गुवागुट्टी (तेलुगु) कनिके कुरो (नेपाली)
कुल (Family)Boraginaceae 
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अधःपुष्पी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic Properties of Adhapushpi)

दोष (Dosha) कफवातशामक (pacifies vaat, cough)
रस (Taste) कटु (pungent), तिक्त (bitter)
गुण (Qualities) लघु (light)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)व्रणशोथहर, विषरोधी, मृदुकारी
अधःपुष्पी के आयुर्वेदिक गुण धर्म Herbal Arcade
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अधःपुष्पी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Adhapushpi ke fayde or upyog)

जोड़ो के दर्द और सूजन में (Adhapushpi for joint pain and swelling)

  • आज कल जोड़ो के दर्द से हर कोई परेशान रहता है| बुजुर्ग अपनी आयु के कारण तो नौजवान अधिक देर तक बैठे रहने या खड़े रहने के कारण| ऐसे में यदि इस दिव्य औषधि के पञ्चांग के पीसे हुए पञ्चांग के चूर्ण का लेप प्रभावित स्थान पर किया जाता है तो इससे दर्द और सूजन में आराम मिलता है| इसी कारण इसे आमवात और गठिया में भी काम में लिया जाता है|

घाव भरने के लिए (Adhapushpi for injury)

  • विभिन्न कारणों से लगी चोट के घाव यदि नही भर पा रहें है तो इस औषधि की जड़ को पीसकर उसका लेप घाव पर करना चाहिए| इससे घाव के जल्दी भरने में मदद मिलती है|

दाद, खाज और खुजली का शमन करे अधःपुष्पी (Adhapushpi for skin problems)

  • दाद, खाज और खुजली सामान्य समस्याएँ है जो किसी भी व्यक्ति को आसानी से हो सकती है | इन्हें समाप्त करने के लिए प्रभावित स्थान पर इस औषधि के पत्तों का रस या इस औषधि के पत्तों को रगड़ना चाहिए|

बालों का झड़ना बंद करे (Adhapushpi for hair fall)

  • यदि आप बाल झड़ने की समस्या से परेशान है फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष| इस स्थिति में इसकी जड़ का काढ़ा बना ले| अब इस काढ़े से बालों को धोने से बालों का झाड़ना कम होता है और बालों में चमक आती है|
  • अधःपुष्पी की जड़ को पीस कर उसे थोडा गाय के घी में भून लें| अब थोड़ी सी हींग को भूनकर उसे घी में मिला लें| इसे बालों की जड़ों में लगाने पर बालों का झड़ना बंद होता है| इससे बाल मजबूत भी होते है|

आँखों के रोगों में (Adhapushpi for Eyes disorder)

  • यह औषधि आँखों के रोगों के लिए बहुत उपयोगी होती है| पीसे हुए पञ्चांग को आँखों के चारों तरफ लगाने से आँखों का दर्द खत्म होता है और बहुत सारे नेत्र विकारों से छुटकारा मिलता है|

दमा में (Adhapushpi for Asthma)

  • सांस की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को इसके बीजो के अन्दर के गुदे से बनी गोलियों का सेवन करना चाहिए| इससे जल्द ही इस समस्या का समाधान होता है और रोगी को राहत मिलती है|

दस्त बंद करने में मददगार अधःपुष्पी (Adhapushpi for diarrhea)

  • यदि आप कई दिनों से दस्त की समस्या से परेशान है तो इस औषधि की जड़ को पीस कर दिन में एक से दो बार लेने पर इससे आराम मिल सकता है| इसे पानी के साथ पीसना चाहिए|

पेचिश का समापन करें (Adhapushpi for dysentery)

  • पेचिश की स्थिति में जड़ का काढ़ा बना कर या जड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए | इससे पेचिश में तुरंत आराम मिल सकता है और व्यक्ति भी स्वस्थ होता है|

प्रमेह में लाभदायक अधःपुष्पी (Adhapushpi for gonorrhea)

  • प्रमेह रोग से पीड़ित रोगी को इस औषधि के फूलों के साथ मिश्री मिला कर तैयार गुलकंद का सेवन दिन में एक से दो बार करना चाहिए| इसका सेवन करने से इस रोग का जल्द शमन होता है|

मूत्रकृच्छ में लाभदायक अधःपुष्पी (Adhapushpi for urinary disorder)

  • कई लोगो को मूत्र त्याग करते समय दर्द, जलन या मूत्र त्याग की इच्छा के बाद भी मूत्र न आना जैसी समस्याएँ बनी रहती है| इन सब को दूर करने के लिए अधःपुष्पी के पञ्चांग को पीसकर पिलाना चाहिए | इससे इन समस्याओं का जल्द समापन होता है|

पथरी में लाभकारी (Adhapushpi for stone)

  • पथरी को शरीर से बाहर निकालने के लिए इस औषधि को कई बार उपयोग में लिया जाता है और साथ ही इसके सफल परिणाम भी देखने को मिलते है| यदि आप भी पथरी से परेशां है तो इसका सेवन करने से यह मूत्र मार्ग से बाहर की ओर निकल जाती है |

गर्भाशय के विकारों में (Adhapushpi for uterus disorder)

  • यदि किसी स्त्री को गर्भाशय से सम्बंधित विकार होते है तो उन्हें संतान प्राप्ति में कठिनाई आ सकती है| ऐसे में अधःपुष्पी के पञ्चांग से निर्मित रस का सुबह शाम सेवन करने से इसमें लाभ मिलता है|

वीर्य विकारों को दूर करें (Adhapushpi for semen disorder)

  • वीर्य से जुड़े विकारों के कारण भी संतान प्राप्ति में बाधा पड़ सकती है| इस विकार को दूर करने के लिए अधःपुष्पी के पञ्चांग का चूर्ण बना कर उसमे उचित मात्रा में मिश्री मिला कर गाय के दूध के साथ दिन में एक से दो बार लेने से इस विकार की समाप्ति होती है|

सांप काटने पर (Adhapushpi for snake bite)

  • सांप काटने पर हमारी प्राथमिकता वैसे तो चिकित्सालय होनी चाहिए लेकिन, जब चिकित्सालय अधिक दूरी पर हो तो अधःपुष्पी की जड़ को पीस कर उसका लेप वहां करना चाहिए जहां साप ने काटा हो| ऐसा करने से दर्द, सूजन, जलन आदि का शमन होता है तथा विष का प्रभाव भी कम पड़ता है|

बवासीर में (Adhapushpi for piles)

  • हमारे घर या हमारे आस पास कोई न कोई व्यक्ति बवासीर या अर्श से पीड़ित होता ही है| ऐसे में यदि अधःपुष्पी का सेवन किया जाता है तो बवासीर में लाभ मिलता है, और मस्सों की समस्या भी जल्द समाप्त होती है|

अधिक पसीने की समस्या में (Adhapushpi for more sweat problem)

  • अधिक पसीने की समस्या में और उससे आने वाली दुर्गन्ध को दूर करने के लिए यदि इस औषधि के फूलों का प्रयोग किया जाता है, तो निश्चित ही इस समस्या का शमन होता है|

उपदंश में (Adhapushpi for syphilis)

  • उपदंश के घावों को भरने के लिए पीड़ित को इस औषधि पत्तों का लेप घावों पर करना चाहिए| इससे बहुत जल्द उपदंश के घाव भर जाते है|

अधःपुष्पी के उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Adhapushpi)

  • जड़
  • पत्ती
  • बिज
  • पंचांग
  • फूल

सेवन मात्रा (Dosage of Adhapushpi)

  • चूर्ण – 1 से 2 ग्राम तक
  • वटी – 1 या 2
  • क्वाथ – 10 से 15 ml तक

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