अलसी (Flax) के फायदे इतने की गिनते गिनते थक जाओगे(Benefits and dosage)
अलसी का परिचय (Introduction of Flax)
अलसी क्या है? (What is Flax)
अलसी (Flax) का प्रयोग लगभग हर रसोईघर में किया जाता है|परंतु इससे होने वाले कई औषधीय फायदे भी होते हैं जिनके बारे में हमें अभी तक कोई ज्ञान नहीं था|आज हम जानेंगे कि अलसी या अतसी को किस प्रकार एक औषधि के रूप में लिया जा सकता है|आखिर इसमें ऐसे क्या गुण हैं जिससे यह बहुत सारे रोगों को समाप्त कर पाने में सक्षम होती है|
मुख्य रूप से इसके बीजों का इस्तेमाल होता है|अलग-अलग स्थानों पर इसकी रंग रूप में और आकार में भिन्नता पाई जाती है|गर्म प्रदेशों में पाई जाने वाली अलसी सबसे उत्तम मानी जाती है|
अलसी में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutritional Values of Flax)
- अवाष्पशील तेल
- प्रोटीन
- मॉम
- फास्फोरस
- लिलोनोइक अम्ल
- फाइबर
- ओमेगा 3 फैटी एसिड
- मिनरल्स
- विटामिन बी डी सी आदि
- पोटेशियम
- कोपर
- मैग्नीज
- मैग्नीशियम
- आयरन आदि|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Alsi ki akriti)
यह छोटी तथा घनी डालियों वाला पौधा होता हैं जो 60 से 120 cm तक ऊँचा हो सकता हैं| इसके पत्ते घास से पत्तों की तरह दिखते हैं| इसकी जड़ सफ़ेद और पतले रेशो से युक्त होती हैं| इस पौधे के फूल नीले-बैंगनी या सफ़ेद रंग के होते हैं| इन फूलों की पंखुड़ियाँ जल्द ही जड़ जाती हैं और उनके स्थान पर एक गोलाकार सरंचना उभर जाती हैं| यह दिसम्बर से जनवरी तक फलते फूलते हैं|
अलसी के सामान्य नाम (Alsi common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Linum usitatissimum |
अंग्रेजी (English) | Common Flax |
हिंदी (Hindi) | तीसी, अलसी |
संस्कृत (Sanskrit) | अतसी, नीलपुष्पी, उमा, क्षुमा, मसरीना, पार्वती |
अन्य (Other) | पेसू (उड़िया) अलसी (उत्तराखंड) अगसीबिज (कन्नड़) तीसी (बंगाली) अगासी (मलयालम) |
कुल (Family) | Linaceae |
अलसी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic properties of Flax)
दोष (Dosha) | वातशामक (pacifies vata), कफपित्तवर्धक (increase cough and pitta) |
रस (Taste) | मधुर (sweet), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), स्निग्ध (oily), पिच्छिल |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | ग्राही, अनुलोमन, मूत्रल, शुक्रनाशक |
अलसी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Alsi ke fayde or upyog)
कब्ज में (Alsi for constipation)
- एक स्वस्थ मनुष्य को दिन में कम से कम एक बार मल त्याग करना चाहिए|लेकिन कई बार व्यक्ति कब्ज का शिकार हो जाते हैं और मल त्याग आसानी से नहीं कर पाते हैं ऐसी स्थिति में अलसी के बीजों के तेल का सेवन करने से कब्ज में ही नहीं बवासीर में भी लाभ होता है|
सिर दर्द में अलसी (Flax for headache)
- अत्यधिक प्रदूषण तनाव और अन्य कारणों से सिर दर्द आजकल आम समस्या बन चुकी है| सिर दर्द होने पर लोग अलग-अलग प्रकार की दवाइयां लेने लगते हैं जिनसे उनका सिर दर्द तो ठीक हो जाता है परंतु अन्य अंगों में दुष्प्रभाव देखने को मिलता है|
- ठंडे पानी में अलसी के बीजों को पीसकर उनका लेप करने पर सिर दर्द में आराम मिलता है और किसी प्रकार का दुष्प्रभाव भी नही होता हैं|
मस्तिष्क के विकास में अलसी
- अलसी में प्रोटीन, मिनरल्स, ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो दिमाग का विकास करने में सहायक होते हैं| इसका सेवन यदि बच्चों को कराया जाता है तो मस्तिष्क के विकास में लाभ मिलता है|
अनिद्रा में (Alsi for insomnia)
- यदि आप भी अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे हैं तो अलसी का सेवन करने से आपकी इस समस्या का हल आसानी से हो सकता है|
बालों से जुड़ी समस्या में (Alsi for hair problem)
- यदि आप भी अपने बालों को काला, घना, लंबा करना चाहती है तो अलसी आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा| अलसी में उपस्थित पोषक तत्व बालों को पोषण देते हैं|
आंखों का लाल या दर्द होना (Flax for eyes)
- अलसी भिगोए जल की बूंद को आंखों में डालने से आंखों में दर्द और उन में होने वाली जलन तथा लालपन से छुटकारा मिलता है|
जुखाम में (Alsi for cold)
- जुखाम दूर करने के लिए अलसी के बीजों धुम्रपान करना चाहिए|
खांसी में (Alsi for cough)
- खांसी को दूर करने के लिए अलसी के बीजों को भून ले तथा उनका चूर्ण बना लें| अब इस चूर्ण में शहद या मिश्री मिलाकर सुबह शाम लेने से खांसी का शमन होता है|
दमा या अस्थमा में अलसी(Flax)
- अलसी के बीजों को उबालकर इसमें ऋतु के अनुसार (ठंड में शहद और गर्मी में मिश्री )इन तत्वों का सेवन करने से अस्थमा में लाभ होता है|
वात और कफ से जुड़े विकारों में अलसी
- यदि आपको वात विकार होता हैं तो शरीर में दर्द, सूजन तथा कफ संबंधी विकार जैसे खांसी, अस्थमा या दमा, सांस लेने में तकलीफ जैसे समस्या हो तो भुनी हुई अलसी के चूर्ण में मिश्री तथा काली मिर्च मिलाकर उचित मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ लेने से इनका नाश होता है|
हृदय रोगों में (Alsi for heart disease)
- यदि आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है तो आपको अवश्य ही इसका सेवन करना चाहिए|इसका सेवन करने से यह आपके हृदय की अनियमित धड़कनों को नियमित करती है तथा हार्ट अटैक या ह्रदयघात जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाती है|
अलसी प्लीहा की अनियमित वृद्धि होने पर (Flaxfor spleen enlargement)
- प्लीहा की वृद्धि को रोकने के लिए अलसी के भुने हुए बीजो से बनाए गए चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए|
अलसी मोटापा कम करने में (Flax for obesity)
- कई लोग अपने मोटापे से परेशान होते हैं और कई तरह के उपाय कर लेने के बाद भी उनका मोटापा कम नहीं हो पाता है लेकिन अलसी के बीजों का सेवन करने से निश्चित ही मोटापे में कमी आती है और व्यक्ति स्वस्थ भी रहता है|
मधुमेह में (Alsi for diabetes)
- कुछ ही दिनों तक अलसी का सेवन करने पर मधुमेह है को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है|यह किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव भी नहीं छोड़ती है|
मूत्र विकारों में (Alsi for urinary disease)
- यदि आपको मूत्र त्याग करने में कठिनाई होती है तो अलसी और मुलेठी का काढ़ा बनाकर उसमें कलमी शोरा मिलाकर दो 2 घंटे के अंदर पिलाने से इसमें आराम मिलता है और मूत्र त्याग की कठिनाई दूर होती है|
- पेशाब में जलन, पेशाब का रुक रुक कर आना, पेशाब में खून आना, इन शिकायतों को दूर करने के लिए अलसी और मुलेठी के काढ़े को तीन तीन घंटों के अंतराल पर देना चाहिए
प्रमेह में अलसी
- प्रमेह रोग में अलसी के तेल का सेवन लाभ देता है|
त्वचा संबंधित समस्याओं में (Alsi for skin disease)
- त्वचा पर होने वाली झुर्रियां, काले दाग धब्बे, आदि को मिटाने के लिए अलसी का सेवन करना चाहिए|यह त्वचा को चमकदार बनाती है तथा व्यक्ति को युवा रहने में सहायता प्रदान करती हैं|
सुजाक रोग में अलसी
- अलसी के तेल का सेवन प्रभावित स्थान पर करने से रोग में लाभ मिलता है|
वीर्य संबंधित समस्याओं में (Alsi for semen disorder)
- अलसी के साथ काली मिर्च और शहद का सेवन करने से पुरुषों में वीर्य का पतलापन, वीर्य की गुणवत्ता कम होना आदि समस्याओं में लाभ मिलता है|
घाव में (Alsi for wound)
- घाव जल्दी भरने के लिए भी इस औषधि का प्रयोग बहुत उत्तम होता है| इसके अलावा यदि जले हुए पर इसे लगाया जाता है तो जल्दी आराम मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Alsi)
- तेल
- फूल
- बिज
सेवन मात्रा (dosages of Flax)
- तेल -5-10 ml
- चूर्ण -3-6 ग्राम
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