अनार (Pomegranate): ये है अनार जो कोई खाता अपनी सेहत खूब बनाता (know 36 Benefits and usages)
अनार का परिचय (Introduction of Anar)
अनार क्या है? (Anar kya hai?)
किसे अनार खाना पसंद नहीं होता है|बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक यह फल सबका पसंदीदा होता हैं| स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह सभी के लिए गुणकारी पौष्टिक भी होता है|लोग सामान्यतः यह जानते हैं कि अनार का उपयोग शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी मतलब शरीर में खून की कमी होने पर किया जाता है, लेकिन क्या आप यह भी जानते हैं की खून को बढ़ाने के साथ-साथ यह और भी कई सारी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है|अनार के साथ-साथ इसके पौधे के अन्य भाग भी औषधियों के रूप में उपयोग में लिए जाते हैं|
इसके बीज दांतों की तरह दिखने से इसे दंतबीज भी कहा जाता है| कई वैद्य और चिकित्सक इसका उपयोग करने की सलाह देते हैं| ऐसे में कई बार कई व्यक्ति इन्हें नजरंदाज़ कर देते हैं परन्तु अनार के बारे में इस लेख में पढने के बाद आप जरुर इसका सेवन शुरू कर देंगे|
तो चलिए आज परिचय कराते हैं अनार से |इसके साथ ही हम आपको परिचित कराएंगे अनार में पाए जाने वाले गुणों के बारे में और इसके साथ यह भी कि किस प्रकार इसका सेवन करने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है|
अनार की प्रजातियाँ (Anar ki prajatiya)
पूरे विश्व के साथ ही अनार लगभग पूरे भारत में पाया जाता हैं| स्वाद के आधार पर ये तीन प्रकार के होते हैं|
- देशी अनार (खट्टे अनार)
- कंधार के अनार (मीठे अनार)
- काबुल के अनार (इसमें एक बहुत मीठा अनार होता हैं जिसमे गुठली नही पाई जाती इसलिए उसे बेदाना अनार भी कहा जाता हैं तथा यह सबसे उत्तम मानी जाती है|)
अनार में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Anar ke poshak tatv)
- प्रोटीन
- विटामिन
- वसा
- कैल्शियम
- मैग्नीशियम
- फास्फोरस
- पोटेशियम
- आयरन
- शर्करा
- इलेजिक अम्ल
- टैनिन
- कोनिन
- लिपिड
- गैलिक अम्ल
- पेलिटीरिन आदि|
अनार के सामान्य नाम (Anar common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Punica granatum |
अंग्रेजी (English) | Pomegranate, Apple of Grenada |
हिंदी (Hindi) | अनार, दाड़िम |
संस्कृत (Sanskrit) | करकः, दाडिमः, रक्तपुष्पकः |
अन्य (Other) | गुल अनार (उर्दू) दालिम (उड़िया) दाड़िम (उत्तराखंड) दाड़िम गाछ (बंगाली) दारुण (पंजाबी) |
कुल (Family) | Punicaceae |
अनार के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Ayurvedic properties of Anar)
दोष (Dosha) | त्रिदोषहर (pacifies tridosha) |
रस (Taste) | मधुर (sweet), कषाय (ast.), अम्ल (sour) |
गुण (Qualities) | लघु (light), स्निग्ध (oily) |
वीर्य (Potency) | अनुष्ण |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (मधुर जाति ), अम्ल (अम्ल जाति) |
अन्य (Others) | शोथहर, रोपण, जंतुघ्न, मेध्य’ |
पाचन तंत्र को मजबूत बनाएं (Anar for improve digestion)
- दाड़िम का सेवन करने से यह आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है जिससे आपके द्वारा गाया गया गरिष्ठ भोजन भी आसानी से पच सकता है|एक स्वस्थ पाचन तंत्र एक स्वस्थ शरीर की पहचान होता है|
पीलिया रोग में (Anar for jauandice)
- अनार के रस से अधिक मात्रा में चीनी मिलाकर इसका सेवन सुबह शाम दोपहर या दिन में तीन से चार बार करने से पीलिया रोग में लाभ होता है|
एनीमिया में (Anar for anemia)
- पांडु रोग में सूखे हुए अनार के पत्तों को सुबह-सुबह छाछ के साथ सेवन करना चाहिए|
बच्चो में होने वाले सूखा रोग में
- पुटपाक विधि द्वारा दाड़िम की कली का रस प्राप्त कर ले|इस रस में थोड़ा दूध मिलाकर रोजाना पिलाने से इस रोग का नाश होता है|
बच्चों को लगने वाली बार-बार प्यास की समस्या में
- कई बच्चे होते हैं जो बार-बार लगने वाली प्यासी समस्या से परेशान होते हैं|इस समस्या को दूर करने के लिए समान मात्रा में दाड़िम अर्थात उसके दाने, जीरा तथा नागकेसर के चूर्ण में शक्कर या शहद मिलाकर बच्चों को चटाना चाहिए|
माइग्रेन या आधीसीसी में
- यदि आपको भी माइग्रेन के कारण बहुत तेज सिर दर्द होता है तो दाड़िम की छाल को घिस कर माथे पर लेप करना चाहिए जिससे इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है|
सामान्य सिर दर्द में
माइग्रेन के अतिरिक्त इसे सामान्य सिर दर्द में भी उपयोग में लिया जा सकता है|कई लोगों को दैनिक जीवन में हल्के सर दर्द की शिकायत रहती है| इसके लिए छाया में सूखे हुए दाड़िम के पत्ते तथा उनमें सूखा धनिया मिलाकर इनका चूर्ण कर ले|
इसके बाद इसमें गेहूं का आटा मिलाकर उसे गाय के घी में हल्का भूरा होने तक भून ले| जब यह ठंडा हो जाए तो इसमें खांड मिला ले इसके बाद सुबह शाम इसे दूध के साथ लेने से आने वाले चक्कर और सिर दर्द में लाभ होता है|
बाल झड़ने की समस्या में (Anar for hair fall)
- बालों को झड़ने से रोकने और उन्हें मजबूत बनाने के लिए दाड़िम के पत्तों के रस में उनका कल्क और सरसों का तेल मिलाकर उस तेल को पका कर मालिश करने से बालों का झड़ना दूर होता है|
त्वचा की समस्या में (Anar for skin disease)
- यदि आप भी त्वचा पर होने वाली कीलों, झाइयों और काले दाग धब्बों से परेशान है तो दाड़िम के तेल की मालिश करने से इन समस्याओं में लाभ मिलता है|
- दाड़िम के पत्तों का काढ़ा बनाकर घाव के स्थान पर धोने से घाव जल्दी भरता है|
- दाड़िम की छाल के काढ़े का उपयोग नाक या कान में घाव होने या दर्द होने पर भी किया जाता है|
- पिसे हुए दाड़िम के पत्तों में सरसों का तेल डालकर खुजली होने वाली जगह पर मालिश करने से खुजली से जल्द आराम मिलता है|
मोतियाबिंद में
- अनार के पेड़ की छाल को पके हुए दाड़िम के रस में घिसकर इसमें उचित मात्रा में गुंजा का छिलका निकाल कर घिसे|इस कल्क को प्रभावित स्थान पर लगाने से मोतियाबिंद में राहत मिलती है|
आंखों में होने वाली सामान्य समस्याओं में (Anar for eyes disorder)
- दाड़िम के पत्तों का रस बनाकर उन्हें खरल में डालकर पीस लेंतथा जब यह सूख जाए तो इसे कपड़े से छानकर रख दे|दिन में दो बार या सुबह-शाम इसे आंखों में लगाने से आंखों में होने वाली खुजली, आंखों में होने वाले स्त्राव, आंखों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है|
रक्तपित्त में (Anar for blood bile)
- नकसीर से या रक्तपित्त से छुटकारा पाने के लिए दाड़िम के पत्तों का काढ़ा पिलाना चाहिए तथा पत्तों को पीसकर माथे पर लेप करना चाहिए|
फेफड़ों को मजबूत बनाएं (Anar for strong lungs)
- दाड़िम का सेवन करने से आपके फेफड़े मजबूत ही नहीं होते हैं बल्कि यह फेफड़ों से संबंधित टी.बी. की बीमारी को भी समाप्त करने में सहायता करता है| इसीलिए रोज एक दाड़िम का सेवन जरूर करना चाहिए|
कान में होने वाले दर्द या कान बहने की समस्या में (Anar for ear disorder)
- उचित मात्रा में तिल्ली के तेल, गोमूत्र तथा दाड़िम के पत्तों के रस को धीमी आंच पर पकाएं| जब केवल तेल शेष रह जाए तो उसे छानकर रख लें|इस तेल को सुबह शाम कान में डालने से कान में होने वाले दर्द और कान बहने की समस्या को समाप्त किया जा सकता है|
मुंह के छालों में अनार का प्रयोग
- दाड़िम के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के छालों में लाभ होता है|
दांतो और मसूड़ों की समस्या में
- यदि आप भी मसूड़ों की समस्या या दांतो से जुड़ी समस्या से परेशान है तो आपको भी अनार तथा गुलाब के सूखे हुए फूलों को पीसकर उनका मंजन करना चाहिए|इससे मसूड़ों में आने वाला पानी बंद हो जाता और मसूड़े मजबूत होते हैं|
खांसी, जुखाम और कंठ रोग में (Anar for cold, cough and throat problems)
- दाड़िम के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर इसे सुबह दोपहर और शाम को पीने से खांसी जुकाम और कंठ रोगों में लाभ मिलता है|
- अनार के अर्क का सेवन करने से खांसी में मुख्य रूप से लाभ होता है|
बार-बार आने वाली हिचकी की समस्या में अनार(Anar for hiccup)
- यदि आपको भी बार बार हिचकी आती है तथा इसके आते समय बहुत अधिक पीड़ा होती है तो इसके लिए,दाड़िम के स्वरस में छोटी इलायची के बीच, वंशलोचन, सूखा पुदीना, जहर मोहरा, खटाई तथा पिपली का चूर्ण मिलाकर चटनी बना ले|इस चटनी का सेवन उपयुक्त मात्रा में करने से हिचकी की समस्या में राहत मिलती है|
दमा की समस्या में अनार का उपयोग (Anar for asthma)
- सूखे अनार दाने के साथ-साथ सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, दालचीनी, तेजपत्ता, इलायची इन सब को मिलाकर इन का चूर्ण कर लें तथा समान मात्रा में खांड भी मिला ले|इसका सेवन सुबह शाम करने से दमा रोग के साथ-साथ ह्रदय से जुड़ी बीमारियां, जुखाम, खांसी, सांस फूलना आदि का नाश होता है|
हृदय रोगों का शमन करने में उपयोगी अनार (Anar for heart disease)
- यदि अनार के शरबत का सेवन नियमित रूप से किया जाता है तो कई सारे हृदय रोगों से निजात पाया जा सकता है क्योंकि दाड़िम का सेवन करने से रक्त की शुद्धि तथा रक्त का स्तर बढ़ता है इसी कारण इससे हृदय रोगों में भी लाभ मिलता है|
अजीर्ण में
- पके दाड़िम के रस में भुने हुए जीरे और गुड़ को मिलाकर सुबह दोपहर और शाम लेने से अजीर्ण का नाश होता है और पाचन तंत्र एकदम स्वस्थ हो जाता है|
भूख बढ़ाने में मददगार अनार
- अनार के रस और शहद का सेवन एक साथ करने से भूख में बढ़ोतरी होती है तथा व्यक्ति हष्ट पुष्ट होता है|
दस्त की समस्या को रोकने में मददगार अनार (Anar for diarrhea)
- दस्त की समस्या होने पर अनार के फल के छिलके का चूर्ण बनाकर उसका सेवन सुबह-शाम जल के साथ करने से दस्त पर रोक लगती है|
- अतिसार के साथ यदि रक्त भी आता हो तो ऐसी स्थिति में दाड़िम की छाल तथा कड़वे इंद्रजौ को अच्छे से पीसकर उनका काढ़ा बना लेने के बाद इसका सेवन दिन में तीन बार करना चाहिए|
पेट के कीड़ों का शमन करें अनार (Anar for stomach bugs)
- खट्टे दाड़िम के छिलके तथा उचित मात्रा में शहतूत को पानी में उबालकर पिलाने से पेट के कीड़ों का शमन होता है|
खून की उल्टी होने पर
- अनार के पत्तों के रस को सुबह शाम पीने से उल्टी के साथ आने वाले रक्त तथा लू लगने से बचने में फायदा मिलता है|
- सामान्य प्रकार की उल्टी में यदि अनार के रस को गुनगुना करके उसमें शक्कर या मिश्री मिलाकर पिलाने से उल्टी बंद होती है|
हैजा रोग में अनार
- कई बार लोगों को हैजा रोग हो जाता है और वह इतने परेशान हो जाते हैं कि इसका असर उनके दिमाग पर पड़ने लगता है जिससे मानसिक शक्ति कमजोर हो जाती हैं|हैजा रोग होने पर परेशान होने के बजाय यदि खट्टे अनार का रस रोज पिया जाता है तो इस रोग का जल्द ही शमन हो जाता है|
बवासीर में (Anar for piles)
- दिन में दो बार अनार के पत्तों का रस का सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है|
- अनार के पत्तों से बने क्वाथ का सेवन करने से भी गुदा रोग में लाभ होता है|
मूत्र विकारों में अनार (Anar for urinary problems)
- यदि आप भी मूत्र विकार जैसे मूत्राघात, मूत्रकृछ जैसी समस्याओं से परेशान है तो अनार के पत्तों तथा हरे गोखरू दोनों को जल में पीसकर छानकर इनका सेवन करना चाहिए|
- इसके अतिरिक्त दाड़िम के रस में यदि छोटी इलायची के बीज और सोंठ का चूर्ण डालकर पिलाया जाता है तो मुख्य रूप से मूत्र आघात में लाभ मिलता है|
स्तनों के विकास में
- अनार के पत्तों के रस में तिल का तेल मिलाकर इन्हें धीमी आंच पर पकाएं|जब सिर्फ तेल बच जाए तो इसे रख ले तथा दिन में दो से तीन बार मालिश करें|
गर्भपात की स्थिति में
- यदि महिला को पांचवे महीने के आस पास गर्भपात की आशंका होती हो तो अनार के पत्तों के चूर्ण तथा चंदन के चूर्ण में दही और शहद मिलाकर उन्हें गोल कर पीना चाहिए|
- अनार के पत्तों के कल्क को उदर के आसपास लगाने से गर्भपात से बचाव होता है|
- गर्भावस्था में मीठे दाड़िम के दानों का सेवन करने से गर्भिणी में रक्त की कमी नहीं होती है|
श्वेत प्रदर में
- अनार तथा अनार के पेड़ की छाल के काढ़े में थोड़ी हल्दी मिलाकर धोने से श्वेत प्रदर में राहत मिलती है|
हाथ पैरों की जलन में अनार
- अनार के पत्तों के कल्क को हाथ और पैरों के तलवों पर लगाने से इनकी जलन में कमी होती है|
नाखून के अंदर आने वाली सूजन या दर्द में अनार
- अनार के फूल, धमासा तथा हरड को बराबर मात्रा में पीसकर नाखून में भरने से नाखून में होने वाली पीड़ा या नाखून में किसी भी प्रकार की सूजन को आसानी से दूर किया जा सकता है|
मिर्गी रोग में (Anar for epilepsy)
- मिर्गी के रोगियों को अनार के पत्तों के काढ़े में गाय का घी और खांड मिलाकर पिलाना चाहिए|
- अनार के पत्ते तथा गुलाब के फूलों का काढ़ा बनाकर उस में गाय का घी मिलाकर गुनगुने रूप में इसे दिन में दो बार पिलाना चाहिए इससे मिर्गी रोग से राहत मिलती है|
निद्रा नाश होने पर (Anar for insomnia)
- अनार के पत्तों का काढ़ा बनाकर इसमें घर में दूध मिलाकर पिए इससे अनिद्रा की समस्या दूर होती है|
टाइफाइड या आन्त्रिक ज्वर में (Anar for Typhoid)
- टाइफाइड होने पर अनार के पत्तों के काढ़े में सेंधा नमक मिलाकर पीना चाहिए|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Anar)
- जड़
- फूल
- पत्ती
- बीज
- पंचांग
- फल का छिलका
सेवन मात्रा (Dosage of Anar)
- जूस – 10 से 20 ml
- चूर्ण – 2 से 5 ग्राम
- क्वाथ -10 से 15 ml
सावधानियाँ (Precautions of Anar)
- शीत प्रकृति वाले लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए या इसके सेवन से परहेज करना चाहिए
अनार से निर्मित औषधियां
- दाड़िमचतुःसम
- दाड़िमाष्टक
- दाड़िमादि चूर्ण
- दाड़िमाद्य तेल और घी
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