चाय (Tea)
चाय का परिचय: (Introduction of Chai)
चाय क्या है? (What is Chai?)
रोज सुबह उठते ही हम जिस चीज को सबसे पहले तलाशते है वह है चाय (चविका)| भारत के लगभग सभी घरों में चाय का सेवन किया जाता है| हर उम्र के व्यक्ति इस पेय को बहुत पसंद करते है| चाय मेहमानवाजी का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है| कोई हमारे घर आये या हम किसी के भी घर जाये चाय सबसे पहले हाजिर की जाती है|
लेकिन क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि जिस चाय का दिन रात आप सेवन कर रहे है वह कितनी फायदेमंद या कितनी नुकसानदायक है? अगर आप ये सब नही जानते है तो आज हम आपको चाय से होने वाले फायदें और नुकसान के बारे में विस्तार से बताएँगे| चाय भारत का मूल निवासी नही है इसे ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में लाया गया था| इसके बाद भारत में लगभग सब जगह इसका प्रयोग किया जाने लगा| आज के समय में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिसमे चाय का प्रयोग नही किया जाता है|
चाय में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Chai ke poshak tatva)
- कार्बोहाइड्रेट
- आयरन
- मैग्नीशियम
- जिंक
- कॉपर
- कैफीन
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Chai ki akriti)
इसका पौधा लगभग 15 मीटर तक ऊँचा होता है| इसके पौधों को समय समय पर काट दिया जाता है ताकि इसकी खेती में आसानी हो और साथ ही इसकी गुणवत्ता भी अच्छी हो| काटने के बाद इसकी ऊंचाई लगभग 150 cm के आस पास रह जाती है| इसके पत्ते आगे से नुकीले तथा चिकने होते है| इसके फूल सफ़ेद रंग के खुशबूदार एकल या साथ में लगे हो सकते है| फल तीन कोण वाले होते है| फलों के अन्दर गोल, चिकने, लाल भूरे रंग के बीज उपस्थित रहते है| इसके फूल और फल दिसम्बर से मार्च के मध्य आते है|
चाय के सामान्य नाम (Chai common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Camellia sinensis |
अंग्रेजी (English) | Tea |
हिंदी (Hindi) | चाय |
संस्कृत (Sanskrit) | श्यामपर्णी, चाहम्, चविका |
अन्य (Other) | चाइ (उड़िया) चा (कन्नड़) करूप्पुट्टेयिलेई (तमिल) थेयाकू (तेलुगु) चिया (नेपाली) घेयाले (मराठी) |
कुल (Family) | Theaceae |
चाय के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Chai ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (Pacifies kapha and pitta) |
रस (Taste) | कषाय (Astrigent) |
गुण (Qualities) | लघु (light), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | वातकारक,दीपन, पाचन, निद्रानाशक, स्वेदकारक |
चाय के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Chai ke fayde or upyog)
सिर दर्द में लाभदायक चाय (Chai for headache)
- भारत में सिर दर्द होने पर कई लोग चविका का सेवन करते है जिससे सिर दर्द में आराम मिलता है| यह नुस्खा कई दवाओं के सेवन से अच्छा माना जाता है| आप सिर दर्द से छुटकारा पाने के लिए अदरक की चाय का सेवन दिन में दो बार कर सकते है|
- इसके अलावा यदि इसकी पत्तियों का फांट बनाकर सेवन किया जाता है तो इससे भी सिर दर्द का शमन किया जा सकता है|
अस्थमा और खांसी का शमन करे (Chai for asthma and cough)
- चविका, त्रिफला, रेवंदचीनी से बने हुए काढ़े का सेवन यदि खांसी और अस्थमा की समस्या में किया जाता है तो इससे कफ का शमन होता है तथा खांसी और अस्थमा में आराम मिलता है|
जुखाम में (Chai for cough)
- जुखाम में यदि चविका , मुलेठी तथा वनफ्सा का काढ़ा बना कर लिया जाता है तो इससे नाक बहना बंद होता है तथा जुखाम में आराम मिलता है|
माहवारी के दर्द से निपटे
- माहवारी के समय जिन महिलाओं को अधिक दर्द का समाना करना पड़ता है उन्हें अदरक और दालचीनी मिलाकर चविका का सेवन दिन में दो बार करना चहिये| इससे दर्द में आराम मिल सकता है|
सूजन का शमन करे (Chai for swelling)
- सूजन वाले स्थान पर यदि चविका को पीस कर हल्का गर्म करके लेप किया जाता है तो इससे सूजन का शमन किया जा सकता है| यदि आप भी सूजन का शमन करना चाहते है तो इस उपाय का प्रयोग कर सकते है|
बुखार में लाभदायक (Chai for swelling)
- ज्वर या बुखार में यदि इसकी पत्तियों से निर्मित फांट का सेवन किया जाता है तो इससे बुखार को दूर किया जा सकता है|
मूत्र से जुड़े रोगों में (Chai for urinary disease)
- चविका का प्रयोग मूत्र रोगों में करने से मूत्र रोगों को दूर किया जा सकता है| आप इसकी पत्तियों का प्रयोग भी मूत्र रोग में कर सकते है|
त्वचा रोगों में (Chai for skin disease)
- किसी भी चीज़ से जलने पर यदि पानी में चाय डाल कर काढ़ा बनाकर ठंडा होने पर प्रभावित स्थान को धोया जाता है तो इससे फफोले नही पड़ते तथा दाग भी नही रहते|
पेट दर्द का शमन करे (Chai for stomach pain)
- चाय से निर्मित काढ़े में यदि पुदीना, अकरकरा मिलाकर सेवन करने से वात के कारन होने वाले पेट दर्द का शमन किया जा सकता है|
आँखों के लिए (Chai for eyes)
- आँखों में यदि एक से दो बूंद चाय से निर्मित फांट की डाली जाती है तो इससे नेत्र से जुड़े विकारों में लाभ मिलता है|
कामशक्ति को बढ़ाये चाय
- चाय में दालचीनी और मिश्री मिलाकर लेने से कामशक्ति में बढ़ोतरी की जा सकती है|
कंठ के लिए (Chai for throat)
- अधिक गर्म चीजों के सेवन से यदि गले में समस्या उत्पन्न हो रही है तो इसके लिए चाय के काढ़े से गरारे करने चाहिए| इससे कंठ सम्बन्धी समस्या में लाभ मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Chai)
- पत्ती
- बीज
सेवन मात्रा (Dosage of Chai)
क्वाथ – 15-30 ml
अधिक मात्रा में चाय पीने के नुकसान
- नींद में कमी होना
- अधिक सेवन से घबराहट होना
- आँतों के लिए हानिकारक
- सीने में जलन पैदा करना आदि|