हृत्पत्री : Foxglove(Introduction, Benefits and Usages)
हृत्पत्री का परिचय: (Introduction of Foxglove)
हृत्पत्री क्या है? (What is Foxglove?)
आज हम बात करेंगे हृत्पत्री नामक औषधि के बारे में| यह मुख्य रूप से हृदय के ऊपर काम करती है इसी कारण इस औषधि का नाम हृत्पत्री रखा गया है| अधिकतर लोगों को इस औषधि के बारे में ज्ञान नहीं होता है जिसके कारण वह हृदय रोग से जुड़ी समस्याओं में इसका लाभ नहीं ले पाते हैं| यदि आप भी हृदय रोग से परेशान हैं और इस औषधि का फायदा लेना चाहते हैं तो इस लेख को विस्तार से पढ़ें|
यह बालूका में छायादार भूमि में पाया जाता है | भारत में मुख्यतः कश्मीर में इसकी खेती की जाती है और दार्जिलिंग तथा नीलगिरी पहाड़ियों पर भी यह पाया जाता है| इस लेख में उन सभी बातों के बारे में बताया गया है जिनके बारे में जानना आपके लिए काफी आवश्यक होता है| हृदय के साथ-साथ इस औषधि का प्रभाव किडनी और मूत्र संबंधी रोगों पर भी पड़ता है| आइए आपको परिचित कराते हैं इस औषधि से होने वाले फायदों के बारे में|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Morphology of Foxglove)
इसका पौधा लगभग 6 फीट तक ऊंचा होता है| नीचे की पत्तियां ऊपर की अपेक्षा बड़ी और सघन होती है| इसके पत्ते तंबाकू के पत्तों के समान होते हैं| इनका उपरी भाग पीले हरे रंग का और निचला भाग कुछ लाल और धूसर रंग का होता है| इन पर कोमल रोम होते हैं और किनारा गोल दंतुर होता है| पत्तियों के बीच से एक सीधा लगभग 1 फुट लंबा पुष्प ध्वज निकलता है जिसमें नीचे से ऊपर तक तिल के समान किंतु उससे कुछ बड़े पुष्प लगे होते हैं| यह पुष्प बैंगनी पीले या सफेद रंग के हो सकते हैं| इसके बीज छोटे, हल्के, अनेक होते हैं| पौधा दूसरे वर्ष अप्रैल से मई के बीच फलता फूलता है उसके बाद बीज बनने के पश्चात सूख जाता है|


हृत्पत्री के सामान्य नाम (Common names of Foxglove )
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Digitalis purpurea |
अंग्रेजी (English) | Foxglove |
हिंदी (Hindi) | तिलपुष्पी, डिजिटैलिस |
संस्कृत (Sanskrit) | धूम्रपुष्पी, हृत्पत्री, तिलपुष्पी |
अन्य (Other) | डिजिटेलीस (गुजराती) निलारप्पूकैयीलाई (तमिल) |
कुल (Family) | Scrophulariaceae |
हृत्पत्री के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic Properties of Foxglove)
दोष (Dosha) | कफवातशामक, पित्तवर्धक (pacifies kapha and vata, increase pitta) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | ह्रदय दुर्बलता शामक, मूत्र रोग शामक |

हृत्पत्री के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Benefits and Usages of Foxglove )
हृदय के लिए लाभदायक (Foxglove for heart)
- हृदय रोगों के लिए हृत्पत्री एक बहुत ही अच्छी औषधि मानी जाती है| इससे प्राप्त होने वाले अर्क को आप उच्च, निम्न रक्त दाब में प्रयुक्त कर सकते हैं| इसके अलावा हृत्पत्री का प्रयोग हृदय के कपाट में आए किसी प्रकार के विकार में भी किया जाता है|
- इस औषधि के पंचांग में अर्जुन की छाल मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से हृदय संबंधी रोगों में अतिशय लाभ मिलता है|
- तिल पुष्पी के पंचांग को सुखाकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से उच्च रक्तचाप और घबराहट जैसे हृदय संबंधी रोगों से आसानी से निपटा जा सकता है| आप इससे बने काढ़े का सेवन सुबह शाम दिन में दो बार कर सकते हैं||
पेट में सूजन आने पर (Foxglove for stomach swelling)
- पेट में यदि सूजन आई है तो इस प्रकार के विकार में आप हृत्पत्री औषधि का प्रयोग कर सकते हैं| यह औषधि पेट में आने वाली सूजन में काफी लाभदायक होती है|
फेफड़ों से संबंधित परेशानी में
- फेफड़ों या स्वसन तंत्र से संबंधित परेशानी में तंबाकू की तरह चिलम में भरकर पीने से यह काफी लाभदायक साबित होता है| अधिक समय तक इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मस्तिष्क में विकार उत्पन्न हो सकते हैं|
- जलते हुए कोयले में यदि इसके बीजों को डालकर सुंघा जाता है तो सांस से संबंधित समस्याओं में आराम मिलता है|

मूत्र रोगों में (Foxglove for urinary disease)
- औषधि के पंचांग में पाषाणभेद मिलाकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को पानी के साथ दिन में 2 बार लेने से मूत्र और किडनी से संबंधित समस्याओं में आराम लिया जा सकता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Foxglove )
- पत्र
सेवन मात्रा (Dosage of Foxglove)
- चिकित्सक के अनुसार
सावधानियां (precautions of Foxglove )
- इसका अधिक प्रयोग करने से हरे रंग की उल्टी, दस्त, मूत्र में कमी, सिर दर्द, हृदय की अनियमितता आदि लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं| इसी कारण इसका उपयोग अच्छे चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए|