काली मिर्च (Black peeper)
काली मिर्च का परिचय: (Introduction of Kali mirch)
काली मिर्च क्या है? (What is Kali mirch?)
भारत में शायद ही कोई ऐसा ही घर होगा जो जहा पर काली मिर्च का प्रयोग नही होता है| यह मसालों की रानी मानी जाती है| चाहे हम कोई भी सब्जी बनाएं| सब्जी सूखी हो या रसदार या फिर नमकीन से लेकर सूप आदि में, हर व्यंजन में काली मरिच का प्रयोग किया जाता है| भोजन में काली मिर्च का इस्तेमाल केवल स्वाद के लिए नहीं किया जाता है| यह हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक है|
काली मरिच को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है जो हमारे शरीर कई सारी बीमारियों से मुक्त करवाती है| लंबे समय से आयुर्वेद में इसका औषधीय प्रयोग होता रहा है| वास्तव में काली मिर्च के औषधीय गुणों के कारण ही इसे भोजन में शामिल किया जाता है| काली मिर्च का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है|
काली मिर्च के औषधीय गुणों से यह वात – कफ को नष्ट करती है| यह भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, लीवर को स्वस्थ बनाती है और दर्द तथा पेट के कीड़ों को खत्म करती है| यह पेशाब बढ़ाती है और दमे को नष्ट करती है| इसके फायदे यही पर समाप्त नही होता है| आइये जानते है की इसका प्रयोग किन – किन बीमारी में किया जाता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Kali mirch ki akriti)
इस पौधे के पत्ते पान के पत्ते जैसे होते है| यह दिखने में छोटी गोल तथा काले रंग की होती है| इसका स्वाद काफी तीखा होता है। इसकी लता बहुत समय तक जीवित रहने वाली होती है| बहुत तेजी से फैलने वाली और कोमल लता होती है| इसकी लता मजबूत सहारे से लिपट कर ऊपर बढ़ती है|
एक वर्ष में इसकी लगभग दो उपज प्राप्त होती हैं| पहली उपज अगस्त से सितम्बर में और दूसरी मार्च से अप्रैल में| बाजारों में दो प्रकार की मिर्च बिकती है| सफेद मिर्च और काली मरिच| कुछ लोग सफेद मिर्च को काली मरिच की एक विशेष जाति मानते हैं| कोई सहिजन के बीजों को ही सफेद मिर्च मान लेते हैं| सफेद मिर्च काली मरिच का ही एक अलग रूप है| आधे पके फलों की काली मरिच बनती है तथा पूरे पके फलों को पानी में भिगोकर हाथ से मसल कर ऊपर का छिल्का उतार देने से वह सफेद मिर्च बन जाती है| छिल्का हट जाने से इसकी गरम तासीर कुछ कम हो जाती है तथा गुणों में कुछ सौम्यता आ जाती है|
इसका पौधा एक झाड़ीदार भूमि पर फैलने वाला होता है| यह चिकना होता है| इसका तना गोलाकार होता है| शाखाये स्थूल तथा मुलायम होती है| इसके पत्ते चौड़े, गोलाकार तथा अंडाकार होते है| इसका आधा भाग चमकीला तथा स्थूल होता है| इसके फुल छोटे तथा मंजीर अपने आप आते है| इसके फल गुच्छे में लगे हुए तथा गोलाकार होते है| जब यह पके हुए होते है तो यह पीले रंग के होते है और सूखने के बाद यह काले रंग के हो जाते है| इसके बीज गोल तथा कठोर होते है| सूखे फलो को काली मरिच कहते है| इसका फुलकाल जुलाई से अगस्त तक तथा फलकाल अक्टूबर से फरवरी तक होता है|
काली मिर्च के पौषक तत्व (Kali mirch ke poshak tatva)
- कैल्शियम
- आयरन
- फास्फोरस
- कैरोटीन
- थायमीन
- रिबोफ्लोवीन
- कार्बोहाइड्रेट
- प्रोटीन
- पोटैशियम
- मैग्नीशियम
- मैंग्नीज
- जिंक
- क्रोमियम
- विटामिन- ए
काली मिर्च के सामान्य नाम (Kali mirch common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Piper nigrum |
अंग्रेजी (English) | Black pepper |
हिंदी (Hindi) | मरिच, मिरच, गोल मरिच, काली मरिच, दक्षिणी मरिच, चोखा मिरच |
संस्कृत (Sanskrit) | मरिच, वेल्लज, उष्ण, ऊषण, कृष्ण, पवित्र, श्याम, वेणुज, यवनप्रिय |
अन्य (Other) | कान्चा गोट मिर्चा (उड़िया) काली मिर्च (उर्दू) मिरीअम (कोंकणी) ओल्ले मोणसु (कन्नड़) मरितीखा (गुजराती) मरिचमु (तेलगु) मिलागु (तमिल) मिर्च (बंगाली) काली मिर्च (पंजाबी) मिरे (मराठी) लह (मलयालम) |
कुल (Family) | Piperaceae |
काली मिर्च के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Kali mirch ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata) |
रस (Taste) | कटु (pungent) |
गुण (Qualities) | लघु (light), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | लेखन, बल्य, उत्तेजक, दीपन, पाचन |
काली मिर्च के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Kali mirch ke fayde or upyog)
पाचन में (Kali mirch for digestion)
- अपने भोजन में काली मरिच का उपयोग करने से पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिल सकता है| काली मरिच में पाया जाने वाला पाइपरिन अग्नाशय यानी पेट के पाचन एंजाइमों को उत्तेजित कर पाचन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है
दिमाग को तेज करने में काली मिर्च का उपयोग (Kali mirch for brain)
- अगर आप रोजाना जिंदगी में अपने किसी भी कार्य को आसानी से पूरा कर लेते हैं तो उसके पीछे हमारे दिमाग का बहुत बड़ा हाथ होता है| यह हमें किसी भी कार्य को ठीक तरह से पूरा करने के लिए मदद करता है| दिमाग की कार्यप्रणाली को तेज बनाने के लिए भी काली मरिच का सेवन काफी फायदेमंद होता है| इसमें मौजूद पिपीरिन नामक गुण दिमागी कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रभावी रूप से कार्य करता है| इसके आपको रोजाना दो या तीन काली मरिच का सेवन करना चहिए|
कैंसर में उपयोगी काली मिर्च (Kali mirch for cancer)
- काली मरिच में एंटी कैंसर गुण पाया जाता है| इस गुण के कारण काली मरिच शरीर में कैंसर को पनपने से रोक सकती है| यदि आपको भी कैंसर की शिकायत है तो काली मरिच का सेवन जरुर करना चहिए|
मधुमेह में उपयोगी काली मिर्च (Kali mirch for diabetes)
- आजकल की खराब जीवन शैली के कारण मधुमेह का खतरा बढ़ता ही जा रहा है| मधुमेह के चपेट में आने के कारण हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है| वहीं, काली मरिच का सेवन अगर नियमित रूप से किया जाए तो यह ब्लड शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखकर मधुमेह के खतरे को काफी हद तक कम कर देती है|
कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए काली मिर्च
- शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने पर कई समस्याओं के पनपने का खतरा बना रहता है| ऐसे में कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए काली मरिच का उपयोग किया जा सकता है| यदि आपको भी कोलेस्ट्रोल बढने की शिकायत है तो इस औषधि का उपयोग कीजिये| कोलेस्ट्रोल को कम करके ह्रदय रोगो के भी बचा जा सकता है|
पेट के कीड़ो में (Kali mirch for stomach bugs)
- यदि पेट के कीडो के कारण आपका पेट दर्द करता है तो काली मरिच के चूर्ण को छाछ के साथ सुबह काली पेट पिने से पेट के कीड़े निकल जाते है|
अजीर्ण में काली मिर्च
- यदि आपको भूख नही लगती है और आपको अजीर्ण की समस्या रहती है तो काली मरिच के चूर्ण के साथ बराबर भाग सोंठ, पीपली, जीरा और सेंधा नमक मिला लें| इसे भोजन के बाद गर्म पानी के साथ लेने से अपच तथा अजीर्ण में लाभ होता है|
कब्ज में (Kali mirch for constipation)
- यदि आपको कब्ज की समस्या है तो काली मरिच के चूर्ण, भुनी हुई हिंग को अच्छी तरह से मिला ले और इसमें शुद्ध कपूर मिलाकर गोलिया बनाकर आधे – आधे घंटे के अंतर में लेने से कब्ज की समस्या और हैजे की समस्या में आराम मिलता है|
जुखाम में (Kali mirch for cold)
- अगर आपको मौसम बदलने के कारण बार – बार जुखाम की परेशानी रहती है तो काली मरिच के चूर्ण को दूध तथा मिश्री के साथ सेवन करे तथा इसके 7 दाने खाने से जुकाम में आराम मिलता है|
दांत दर्द में (Kali mirch for teeth)
- काली मरिच के चूर्ण को जामुन या अमरूद के पत्तों या पोस्तदानों के साथ पीस लें| इससे कुल्ला करने से दांत दर्द ठीक होता है, और गले के विकार, स्वर के बढ़ने में भी लाभदायक है|
खांसी में (Kali mirch for cough)
- यदि आपको खांसी की समस्या है तो काली मरिचचूर्ण को शहद और घी में मिला लें| इसे सुबह शाम चाटने से सर्दी, सामान्य खाँसी, दमा और सीने का दर्द मिटता है| इससे फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है|
- गाय के दूध में काली मरिच के चूर्ण को पकाकर सेवन करने से सांस तथा खांसी में लाभ मिलता है|
- गले की खराश तथा खांसी में काली मरिच को मुँहे में चूसने से आपको खांसी में लाभ मिलता है|
रतौंधी में काली मिर्च
- यदि आपको इस रोग की समस्या है तो काली मरिच को दही के साथ पीसकर आँखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी में लाभ मिलता है|
- यदि आपके आँखों की पलको के उपर फुंसी हो गई है तो काली मरिच को पानी के साथ घिसकर लेप करने से फुंसी पक कर फुट जाती है और आपको आराम मिलता है|
- काली मरिच के चूर्ण को देशी घी में मिलाकर खाने से अनेक प्रकार के आँखों के विकार ठीक होते है|
सिर दर्द में (Kali mirch for headache)
- एक काली मरिच को सुई की नोंक पर लगाकर उसे दीपक में जला लें| इसमे से निकलने वाले धुएं को सूंघने से सिरदर्द में आराम होता है| साथ ही हिचकी भी बंद होती है| सिर दर्द में काली मरिच के फायदे बहुत लाभकारी होता हैं
- यदि आपको माइग्रेन के दर्द की समस्या है तो भृंगराज के रस अथवा चावलों के पानी के साथ काली मरिच को पीसकर माथे पर लेप करने से माइग्रेन का दर्द ठीक होता है|
गठिया में (Kali mirch for gout)
- बढती उम्र के गठिया की समस्या भी बढती जा रही है| इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए काली मिर्च को तेल में पकाकर मालिश करने से गठिया और जोड़ो के दर्द में बहुत ही लाभ मिलता है|
घाव में (Kali mirch for wound)
- काली मिर्च को पानी में पीसकर फोड़े फुंसियों व सूजन पर लेप करने से घाव सूख जाता है| इससे घाव जल्दी भर जाते हैं और सूजन दूर होती है|
मूत्र रोग में (Kali mirch for urinary disease)
- एक ग्राम काली मिर्च और बराबर मात्रा में खीरा या ककड़ी के बीज को पानी के साथ पीस लें| इसमें मिश्री मिलाकर छानकर पिने से पेशाब में जलन तथा पेशाब में दर्द आदि की परेशानी में लाभ होता है|
बुखार में (Kali mirch for fever)
- अगर आपको मौसम बदलने के कारण अक्सर बुखार की समस्या हो जाती है तो काली मिर्च, अजवायन और हरी गिलोय पानी में पीसकर छानकर पिलाने से तेज बुखार में भी लाभ होता है|
कमजोरी दूर करने के लिए (Kali mirch for weakness)
- कमजोरी आलस्य, उदासीनता आदि दूर करने के लिए काली मिर्च के दाने, सोंठ, दालचीनी, लौंग और इलायची थोड़ी थोड़ी मात्रा में मिला लें| इसे चाय की तरह उबाल लें| इसमें दूध और शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है| कमजोरी दूर करने में काली मिर्च के औषधीय गुण बहुत फायदेमंद साबित होते हैं|
बवासीर में (Kali mirch for piles)
- यदि आपके कुछ मसाले दार खाने की वजह से बवासीर की समस्या हो गई है तो काली मिर्च चूर्ण, भुना जीरा, शहद या शक्कर को मिला लें| दो बार छाछ के साथ या गर्म पानी के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है|
- एक ग्राम काली मिर्च चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार प्रयोग करें| इससे गुदा का बाहर निकलना बंद हो जाता है|
लकवा में (Kali mirch for paralysis)
- काली मिर्च के चूर्ण को किसी भी वातशामक तेल में मिलाकर लकवा ग्रस्त अंग पर मालिशकरने से बहुत लाभ मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Kali mirch)
- फल
सेवन मात्रा (Dosages of Kali mirch)
- चूर्ण – 1 से 2 या चिकित्सा के अनुसार
सावधानी (precautions of Kali mirch)
- काली मिर्च का उपयोग खुनी बवासीर, अम्लपित, गर्भावस्था में नही करना चहिए|
काली मिर्च से निर्मित औषधियां
- मरिचादि गुटिका
- मारिचादि तेल
- मरिचादि चूर्ण
- मरिचादि घृत