कटहल: आकार और गुण दोनों में धनी है ये फल (Kathal)
कटहल का परिचय:(Introduction of Kathal)
कटहल क्या है? (Kathal kya hai?)
आकार में एक बहुत बड़ा फल होता है कटहल| इसका प्रयोग कच्ची और पकी हुई दोनों ही अवस्थाओं में लाभदायक होता है| कच्चे कटहल की सब्जी बनाई जाती है जबकि पके हुए को फल के रूप में बड़े ही चाव से खाया जाता है|
इसके फल ही नही बीजों में भी भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते है| आपने भी कहीं कहीं कटहल को देखा तो होगा| लेकिन क्या आप सोच सकते है कि कटहल के कुछ ऐसे फायदें भी होते है जो आपको रोगों को दूर भगाने के लिए काम में आते है| आयुर्वेद में इस फल को अलग अलग अनुपानों के साथ ले कर आप भी अपना जीवन स्वस्थ बना सकते है|
आइये आपको परिचित कराते है इस दिव्य फल के दिव्य गुणों के बारे में| इस फल में भरपूर मात्रा में पोटेशियम, विटामिन, आयरन, जिंक, फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Kathal ki akriti)
काफी जल्दी बढ़ने वाला इसका पेड़ लगभग 18 मीटर तक ऊँचा हो सकता है| इसका तना सीधा होता है तथा इसकी त्वक चिकनी, काले या पीले रंग की हो सकती है| इसके पत्तों का रंग एक तरफ फीका और एक तरफ से गहरा होता है|
इसके फल काफी लम्बे, बेलनाकार और कांटो युक्त होते है| फलों का रंग पीला हरा होता है| फल के अन्दर सफ़ेद रंग की गिरी पायी जाती है तथा इसके बीज भी बड़े होते है| इसके फल और पत्तों पर एक सफ़ेद रंग का दूध जैसा पदार्थ भी पाया जाता है| सर्दी से गर्मी के बीच इसके फल और फूल आते है|
कटहल में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Kathal ke poshak tatva)
- विटामिनA, C, B6
- थायमिन
- पोटेशियम
- कैल्शियम
- आयरन
- जिंक
- फाइबर आदि|
कटहल के सामान्य नाम (Kathal common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Artocarpus heterophyllus |
अंग्रेजी (English) | Jackfruit, Jackfruit tree |
हिंदी (Hindi) | कटहर, कटहल, कठैल |
संस्कृत (Sanskrit) | पनस, कण्टकिल, अतिबृहत्फल, आमाशयफल, स्कन्धफल, महासर्ज |
अन्य (Other) | चक्का (मलयालम) फणस (मराठी) रुख कटहर (नेपाली) फनस (गुजराती) कान्थल (असमिया) |
कुल (Family) | Moraceae |
कटहल के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Kathal ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातवर्धक (कच्चा फल), (वातपित्तशामक) (पका फल) |
रस (Taste) | मधुर (sweet), कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), स्निग्ध (oily) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (sweet) |
अन्य (Others) | शोथहर, व्रणपाचन, रक्तस्तम्भन, त्वगदोषहर |
कटहल के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Kathal ke fayde or upyog)
पाचन तंत्र को मजबूती दें (Kathal for digestion)
- इसमें पाया जाने वाला फाइबर आपकी पाचन में काफी हद तक सहायता करता है| इसके अलावा यह एक रेशेदार फल होता है तथा इसके कारण भी पाचन में कोई तकलीफ नही आती है| इसके रेशे भी पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में एक अच्छी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है|
वजन को नियंत्रित करें (Kathal for weight loss and gain)
- यदि आप वजन बढ़ाना चाहते है तो पके हुए कठैल का सेवन आपके लिए बहुत हितकर साबित हो सकता है| इसे भोजन में शामिल करने से आप हष्ट पुष्ट हो सकते है|
- इसके अलावा यदि आप वजन घटाना चाहते है तो कच्चे कठैल को खाना चाहिए| इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जिससे काफी देर तक आपका पेट भरा रहता है और बार बार भोजन नही करना पड़ता| इसके चलते आपका वजन भी धीरे धीरे कम होने लगता है|
त्वचा सम्बन्धी समस्याओं में कटहल का प्रयोग (Kathal for skin)
- घाव को कठैल के पत्तों से बने हुए काढ़े से धोने पर घाव को भरने में अधिक समय नही लगता है|
- घाव पर यदि इसके पत्तों का लेप किया जाता है तो उससे भी घाव जल्दी भरने में मदद मिलती है|
- दाद होने पर कठैल के पत्तों से बने हुए रस को लगाना चाहिए| इससे दाद मिटता है|
- लाल दाने या खुजली हो जाने की स्थिति में इसके पेड़ की छाल का चूर्ण बना कर उसका लेप करना चाहिए|
- कठैल के पत्तों के पेस्ट को सरसों के तेल में पका लें| जब यह अच्छी तरह से पाक जाये तो तेल को छान कर अलग कर लें| इस तेल को शरीर पर लगाने से सभी प्रकार के त्वचा रोगों से छुटकारा मिलता है|
सूजन मिटायें (Kathal for swelling)
- सूजन वाली जगह पर इस के फल और पत्तों से निकलने वाले दूध का लेप करने से सूजन का शमन होता है|
खून की कमी को पूरा करें कटहल का उपयोग (Kathal for anemia)
- इस पेड़ पर पाए जाने फल आयरन का एक अच्छा स्रोत होते है| इसीलिए जब एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति इसका सेवन करता है तो खून की कमी दूर होती है| इसके साथ ही यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं में भी सुधार कर खून को साफ़ करता है|
दमा या अस्थमा को समाप्त करें कटहल (Kathal for asthma)
- यदि आप या आपके आस पास अस्थमा से पीड़ित रोगी है तो उसे कच्चे कठैल को उबाल कर, उस पानी को ठंडा कर के पिलायें| ऐसा थोड़े दिनों तक करने से आपको बहुत जल्द आराम मिलेगा|
ह्रदय के लिए कटहल का प्रयोग (Kathal for heart)
- ह्रदय रोगों का शमन करने तथा ह्रदय को मजबूती प्रदान करने के लिए कटहल के रस का सेवन लाभदायक होता है| इसके फल में काफी अच्छी मात्रा में पोटेशियम होता है| इसके चलते यह रक्तचाप को भी नियंत्रित कर पाने में सहायक होता है|
दस्त का समापन करें (Kathal for diarrhea)
- दस्त से परेशान व्यक्ति को यदि कठैल की जड़ का काढ़ा बना कर पिलाया जाता है तो जल्द ही आराम मिलता है|
गठिया रोग का शमन करें कटहल (Kathal for gout)
- कठैल के फल को बीच में से काट कर उसका काढ़ा बना कर दिन में एक बार पीने से गठिया के कारण होने वाले दर्द का शमन होता है| इसमें पाया जाने वाला कैल्शियम नामक पदार्थ हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है|
- इसके फल से निकलने वाले तेल से प्रभावित स्थान पर मालिश करने से भी दर्द का शमन होता है|
भूख बढ़ाये कटहल का सेवन (Kathal for increase hunger)
- काली मिर्च, शक्कर और इसके फल से निर्मित रस का सेवन एक साथ या इन्हें मिला कर करने से भूख बढती है और व्यक्ति को बल मिलता है|
मिर्गी या अपस्मार का समापन करे (Kathal for epilepsy)
- कठैल के पेड़ की छाल का काढ़ा बना कर दिन में एक से दो बार पीने से इस रोग में आराम मिलता है|
रक्तपित्त में कटहल (Kathal for blood bile)
- रक्तपित्त या नकसीर की समस्या होने पर इसके पके हुए फल का सेवन काफी लाभदायक होता है| इसके फल की प्रकृति शीतल होती है जो प्रकुपित पित्त को नष्ट करती है|
- इसके अलावा बीजों का काढ़ा भी इसके लिए उचित होता है|
कठैल का उपयोग वीर्य विकारों के लिए (Kathal for semen disorder)
- वीर्य विकार के कारण वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, बांध्यता जैसी कई समस्याएँ आने लगती है| इन सभी समस्याओं का शमन बहुत जरुरी होता है| इसके लिए पके कठैल का सेवन उचित होता है| यह वीर्य का पतलापन दूर कर मात्रा को बढ़ाता है|
सिर दर्द को दूर करें (Kathal for headache)
- कठैल की जड़ से प्राप्त होने वाले रस को उचित मात्रा में रोगी के नाक में डालने से सिर दर्द में लाभ मिलता है|
हैजा को दूर करें कटहल
- कठैल के फूलों का चूर्ण या उन्हें पानी के साथ पीस कर सेवन करने से हैजा और उससे जुडी तकलीफों का समापन होता है|
थकावट को दूर करे कटहल (Kathal for weakness)
- कठैल फल के रस में दूध मिश्री कर के सेवन करने से थकावट दूर होती है और ऊर्जा बनी रहती है|
विषाक्त जीव के काट लेने पर
- किसी कारणवश यदि सांप या बिच्छु ने काट लिया हो तो इसके पत्तों का कल्क बना कर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए| इससे जलन, दर्द और जहर का असर कम हो जाता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Kathal)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- पंचांग
सेवन मात्रा (Dosage of Kathal)
- क्वाथ – 50-100 ml
सावधानियाँ (Precautions of Kathal)
- कटहल का ज्यादा मात्रा में सेवन पाचन तंत्र सम्बन्धी समस्याएँ आ सकती है|
- कठैल को खाना खाने के बाद ही लेना चाहिए| इसके अलावा कठैल खाने से बाद पान का सेवन नही करना चाहिए| इससे दुष्परिणाम उत्पन्न हो सकते है|