महिलाओं एवं पित्त रोगियों लिए चमत्कार से कम नहीं – लोध्र(Lodhra: benefits an usages)
लोध्र का परिचय: (Introduction of Lodhra)
लोध्र क्या है? (Lodhra kya hai?)
लोध्र के बारे में आप शायद ही जानते होंगे, या आप पहली बार ही नाम सुन रहे होंगे| लेकिन आपको बता दे की यह एक बहुत ही उत्तम औषधि है जो प्रजनन संबंधित रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है| दरसल यह बहुत फायदेमंद औषधि है |
आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी औषधीया है| जिसको अनेको रोगो में उपयोग लिया जाता है| जिनमे से यह लोध्र भी एक महत्वपूर्ण औषधि है| जिसका प्रयोग अनेको रोगो में किया जाता है| यह लोध्रा आँख, कान, मुंह और स्त्री रोगों आदि के लिए रामबाण का काम करती है|
लोध्र खून की गर्मी, मधुमेह, थैलीसिमिया आदि रक्त से जुड़े रोग, बुखार, पेचिश, अरुचि, विष तथा जलन आदि का नाश करता है| इसके फूल तीखे, कड़ुए, ठंडी तासीर वाले होते हैं जो कफ व पित्त का नाश करने वाले होते हैं| इसके तने की छाल सूजन कम करने वाली, बुखार को ठीक करने वाली, खून का बहाव रोकने वाली, पाचन सुधारने वाली होती है| इसके फायदे यही पर ही खत्म नही होते है| इसके भी फायदे है जिसके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवाएंगे|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Lodhra ki akriti)
लोध्रा के पेड़ मध्यम आकार के होते हैं| इसकी छाल पतली तथा छिलकेदार होती है| इसके फूल सफेद और हल्के पीले रंग के तथा सुगन्धित होते हैं| लोध्रा के द्वारा लाख (लाक्षा) को साफ किया जाता है, इसलिए इसे लाक्षाप्रसादन भी कहते हैं| इसके तने की छाल धूसर रंग की खुरदरी होती है| इसके पत्ते चौड़े तथा भालाकार, चिकने, गहरे हरे रंग के होते है| यह आगे के भाग पर नुकीले होते है| इसके फूल सफेद, हल्के पीले रंग के तथा खुशबूदार होते है| इसके लम्बे तथा बैंगनी रंग के होते है| इसके बीज 1 या 3 होते है| इसका फलकाल तथा फूलकाल नवम्बर से मई तक होता है|
लोध्र के सामान्य नाम (Lodhra common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Symplocos racemosa |
अंग्रेजी (English) | Californian cinchona |
हिंदी (Hindi) | लोध |
संस्कृत (Sanskrit) | लोध्र, तिल्व, तिरीट, गालव, स्थूलवल्कल, जीर्णपत्र, बृहत्पत्र, पट्टी, लाक्षाप्रसादन, मार्जन |
अन्य (Other) | लोधपठानी (उर्दू) लोधो (उड़िया) भोमरोटी (असमिया) लोध (कोंकणी) पछेट्टू (कन्नड़) लोधर (गुजराती) लोड्डूगा (तेलगु) वेल्ली-लोथी (तमिल) लोध (बंगाली) लोध्र (मराठी) लोध्र (नेपाली) पाछोत्ती (मलयालम) |
कुल (Family) | Symplocos |
लोध्र के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Lodhra ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | शोथहर, व्रणरोपण, कुष्ठशामक, ज्वरघ्न |
लोध्र के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Lodhra ke fayde or upyog)
पेट के अल्सर में उपयोगी लोध्र
- अल्सर होने का कारण पित्त दोष का बढ़ना होता है जिसके वजह से प्रभावित स्थान पर अत्यधिक जलन होने लगती है| ऐसे में लोध्र के शीत गुण के कारण यह अल्सर जैसी परेशानी में भी लाभ पहुंचाता है साथ ही ये कषाय होने से अल्सर को शीघ्र भरने में मदद करता है|
आँखों के रोग में (Lodhra for eyes)
- यदि आपको आँखों संबंधित कोई सा भी रोग है तो लोध्र का काढ़ा बनाकर मुंह, आँखों को धोने से आँखों के रोग समाप्त होते है|
- इसके अलावा सेंधा नमक, त्रिफला, पीपल, लोध्र तथा काला सुरमा को बराबर मात्रा में लें| इसे नींबू के रस में घोंटकर आंख में काजल की तरह लगाएं| इससे भी आंखों के रोगों का नाश होता है|
- यदि आपकी आँख किसी कारण वंश सूज गई है तो सफेद लोध्र की छाल के चूर्ण को गाय के घी में भूनकर इसकी पोटली बनाकर इसको गुनगुने पानी में भिगोकर इसे मसलकर, ठन्डाकर के आँखों को धोने से आँखों की सूजन तथा आँखों के दर्द से आराम मिलता है|
- आँखों में जलन, खुजली तथा दर्द आदि की हालत में घी में भुने लोध्र एवं सेंधा नमक को कांजी से पीसकर पोटली बना लें| इसकी बूँदों को आंखों में गिरने से जलन, खुजली तथा दर्द का नाश होता है|
- पित्त, रक्त एवं वात विकार के कारण आँख आने पर नींबू के पत्ते तथा लोध्र की छाल को पुटपाक विधि से पकाएं| इसके चूर्ण अथवा काढ़े में दूध मिलाकर आंखों में एक या दो बूंद टपकाने से लाभ होता है|
- सफेद लोध्र को घी में भूनकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गुनगुने जल में भिगोकर, खूब मल लें। इसे ठंडा करके कपड़े से छानकर आंखों को धोने से आँख के दर्द में आराम होता है|
मासिक विकार में उपयोगी
- लोध्र की छाल को पीसकर पेट के निचले हिस्से में लगाएं| इससे मासिक धर्म विकारों में लाभ होता है| लोध्र को पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तन के दर्द ठीक होते हैं|
मसुडो से खून निकलने पर
- दांत की जड़ों या मसूड़ों से खून आने की स्थिति में लोध्र की छाल का काढ़ा बना लें| इसका गरारा करने से दांतों से खून आना बंद हो जाता हो जाते है| तथा मुँहे के रोग में लाभ होता है|
गर्भ के लिए लोध्र
- आठवें माह में यदि गर्भपात की आशंका हो तो लोध्र के चूर्ण, मधु और पिप्पली चूर्ण को दूध में घोलकर गर्भवती को पिलाने से गर्भ स्थिर हो जाता है और गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है|
सफेद पानी में
- अक्सर महिलाए सफेद पानी के कारण बहुत ही परेशान रहती है, और उनको कमजोरी महसूस भी होती है| इसलिए इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए लोध्र की छाल के पेस्ट में बरगटत की छाल का काढ़ा मिलाकर सेवन करने से सफेद पानी में लाभ होता है|
मधुमेह में (Lodhra for diabetes)
- मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए लोध्रासव का सेवन करने से धीरे धीरे रक्त मे शर्करा की मात्रा को कम करने में मदद मिलती है|
योनि के विकारो में
- लोध्र का काढ़ा बनाकर योनि को धोने से प्रदर तथा योनि के विकारो में लाभ होता है|
कान के रोग में लोध्र
- कान के रोग से परेशान हैं, तो लोध्रा को दूध में पीसकर, छान लें| इसे कान में एक या दो बूंद डालने से कान के रोगों से राहत मिलती है|
नकसीर में (Lodhra for blood bile)
- मौसम के कारण आपके नाक कान से खून निकलने की समस्या है तो उशीरादि चूर्ण, खस, कालीयक, लोध्र आदि, अथवा लोध्र चूर्ण में बराबर मात्रा में लें| इनमें लाल चंदन चूर्ण मिला लें| इसे चावल के धोवन में घोल कर शक्कर मिला कर पिएं| इससे नाक-कान से खून आना, जलन, बदबूदार सांसों की बीमारी ठीक होती है|
कील मुंहासे में लोध्र
- यदि आप कील मुहांसों से परेशान है तो धनिया का पाउडर, बच और लोध की छाल तीनों को बराबर की मात्रा में मिलाकर पानी के साथ पीसकर लेप बना लें| अब यह लेप सुबह नहाने से पहले और रात को सोने से पहले चेहरें पर लगा लें इससे कील मुंहासे नष्ट हो जाएंगें| इसके साथ ही आपके चेहरे की चमक भी बढ़ेगी|
घाव में उपयोगी (Lodhra for wound)
- यदि आपको कही पर चोट लगने के कारण घाव हो गया है तो अर्जुन, गूलर, पीपल, लोध्र, जामुन तथा कटहल की छाल के महीन चूर्ण को घाव पर छिड़कने से घाव जल्दी भरता है|
खून के बहाव को रोकने के लिए लोध्र
- चोट लगने के कारण खून निकल रहा और रुक भी नही रहा है| तो लोध्र, मुलेठी, प्रियंगु आदि के चूर्ण को घाव के मुंह पर छिड़कें| इसे हल्का रगड़ कर पट्टी बाँध देने से खून का थक्का जम जाता है|
पेचिश में उपयोगी
- यदि आप पेचिश से परेशान है तो दही के साथ लोध्र के चूर्ण का सेवन करने से पेचिश का शमन होता है|
पेट के कीड़ो को नष्ट करे लोध्र
- पेट में कीड़ा हुआ है और इस परेशानी के कारण रातों की नींद ख़राब हो जाती है| लोध्रासव का सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं|
अन्य फायदे
- लोध्र का सेवन करने से प्रमेह, बवासीर, कुष्ठ रोग, पीलिया, ग्रहणी तथा मोटापे का शमन होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Lodhra)
- छाल
- पत्ती
- फूल
सेवन मात्रा (Dosages of Lodhra)
- घोल -2 से 3 ग्राम या चिकित्सक के अनुसार
लोध्र से निर्मित औषधियां
- लोध्रासव
- लोध्रादि क्वाथ