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चावल (Chaval)

चावल का परिचय: (Introduction of Chaval)

Table of Contents

चावल क्या है? (Chaval kya hai?)

क्या आप जानते है कि बड़े ही चाव से खाये जाने वाले चावल के कितने ही फायदे है| यह गरीबो का राजा कहलाता है क्यों कि चावल को किसी भी प्रकार से खाया जा सकता है| यह हर घर की रसोई  में आसानी से उपलब्ध हो जाता है| चावल के आटे से पराठे  भी बनाये जाते है| तंडुल स्वादिष्ट होने के साथ साथ ही  इसमें  बहुत सारे औषधीय गुण भी पाए जाते है|

क्या आपको पता है यह औषधीय गुणों का भंडार है| इसमे विभिन्न प्रकार के विटामिन पायें जाते है | तंडुल शरीर को शीघ्र ही उर्जा प्रदान करने वाला सोत्र है| यह  बुढापे प्रक्रिया को धीमा करने की क्षमता करता है|  चावल के इस्तेमाल से उल्टी, बवासीर, पीलिया, दस्त  आदि बीमारियों का इलाज किया जाता है|

कुछ लोग इसे हल्का भोजन बताते है तो कुछ इसे मोटापे का सोत्र मानते है| शाही तंडुल वात, कफ को  बढाता हैं और लाल शाही तंडुल वात, पित्त, कफ  तीनो को शांत करता है|    

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Chaval ki akriti)

चावल एक प्रकार का अनाज है| यह सीधा छोटा, घास की प्रजाति का पौधा होता है| इसका तना 60-120 सेमी लम्बा,रेशेदार जड़ वाला,पत्तेदार,गोल एवं पीले रंग का होता है| इसके पत्ते सीधे, 30-60 सेमी लम्बे एवं 6-8 मिमी चौड़े अथवा अत्यधिक चपटे,रेखित तथा खुरदरे होते हैं|

इसके फूल 8-12 मिमी लम्बे गुच्छों में होते हैं। इसकी बाली 7.5-12.5 सेमी लम्बी,एकल या 2-7 के गुच्छों में प्रायः नीचे की ओर झुकी हुई, हरी तथा पकने पर चमकीली सुनहरी पीली होती है| घास जैसा हरा अथवा पके हुए धूसर रंग के फल को ही धान कहते हैं| इसी धान से चावल निकालते हैं| इनके दाने सफेद रंग के होते हैं, जिन्हें चावल कहते हैं। भारत में अधिकांश स्थानों पर वर्ष में एक बार, तथा कुछ स्थानों पर धान की फसल वर्ष में दो या तीन बार भी ली जाती है|

चावल की प्रजातियाँ (Chaval ki prajatiya)

  1. बासमती चावल
  2. सुपर कर्नेल  बासमती चावल
  3. परी बासमती चावल
  4. किरन बासमती चावल
  5. पीके  बासमती चावल
  6. शालीचावल

चावल के रासायनिक तत्व (Chaval ke poshak tatva)

  • थायमिन
  • रिबोफ्लेविन
  • नायसिन
चावल के सामान्य नाम Herbal Arcade
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चावल के सामान्य नाम (Chaval common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Oryza stiva
अंग्रेजी (English)Rice  
हिंदी (Hindi)चावल ,धान
संस्कृत (Sanskrit)शालिधान्यम्  ,तंडुल: ,व्रीही :
अन्य (Other)    चउल (उड़िया ) भट्टा ( कन्नड़ ) भात (गुजराती) अरशी (तमिल ) धान्यमु (तेलगु)  धान (बंगाली ) धाम (पंजाबी ) तांदुल (मराठी) अरी  (मलयालम)
कुल (Family)Poaceae

चावल के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Chaval ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha) त्रिदोषसंतुलन (Balance tridosha)
रस (Taste) मधुर (sweet)
गुण (Qualities) लघु (light), स्निग्ध (oily), मृदु (soft)
वीर्य (Potency) शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect) मधुर (sweet)
अन्य (Others)दीपन,पाचन, ज्वरहर, ग्राही
Ayurvedic properties of chaval Herbal Arcade
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चावल के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Chaval ke fayde or upyog)

शरीर को ऊर्जा प्रदान करे

  • चावल या तंडुल का सेवन आपके शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है| इसमें काफी अच्छी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो आपके शरीर को दैनिक ऊर्जा देने का काम करता है| यदि आप भी थोड़े ही काम के बाद थकान महसूस करने लगते है तो ऊर्जा के लिए तंडुल का प्रयोग कर सकते है|

रक्तचाप में चावल (Chaval for blood pressure)

  • रक्तचाप की समस्या वाले लोगों के लिए तंडुल का सेवन फायदेमंद हो सकता है| इसके सेवन से आपको बहुत ही जल्द फायदा मिलता है|

त्वचा रोग में (Chaval for skin)

  • आग से जले हुए स्थान पर शालि तंडुल को पीसकर लेप करने से दर्द कम होता है|
  • शालि तंडुल को पीसकर लगाने से फोड़े, फुन्सी तथा रोमकूप, शोथ, बालतोड़ में लाभ होता है|
  •  सफेद तंडुल को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे को धोने से झाइयाँ मिटती है|

अतिसार (Chaval for diarrhea)

  • गन्ने से बने शक्कर को घी में भूनकर पीस लें| इसमें लावे का चूर्ण| मिश्री एवं मधु मिलाकर सेवन करने से खून और पेट की गर्मी से होने वाली दस्त पर रोकने लगती है|
  • चावल को पकाकर  छाछ के साथ सेवन करने से गर्मी अत्यधिक प्यास, जी मिचलाने की समस्या तथा दस्त में लाभ होता है|
  • यदि आपको दस्त है तो आपको तंडुल का सेवन करना चहिए इसके सेवन से आपको बहुत जल्दी से दस्त का शमन होता है|

स्तनपान कराने वाली महिलाओ के प्रयोग में

  • शालि तंडुल के बारीक टुकड़ों को दूध के साथ पकाकर पतली खीर बना लें। इस खीर को खाने से स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध में वद्धि होती है|

उल्टी में (Chaval for vomit)

  • आपके प्रतिकूल खाने की वजह से आपको उल्टी हो रही है तो तंडुल के लावे से बने सत्तू में मधु मिलाकर सेवन करने से  उल्टी बंद हो जाती है|

भूख न लगने की समस्या दूर करे चावल

  • तंडुल का लावा, कपित्थ, मधु और पिप्पली की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें इस चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से सभी प्रकार की उल्टी तथा भूख न लगने की समस्या ठीक होती है|

पेट के कीड़ो में (Chaval for stomach bugs)

  •  यह समस्‍या सबसे अधिक बच्‍चों को होती है| बड़ों को भी आंतों में कीड़े हो सकते हैं|  चावल को भूनकर उनको रातभर के लिए पानी में भिगो दें| सुबह छानकर चावल के पानी को पीने से पेट के सभी प्रकार के कीड़े मर जाते हैं|

बवासीर में (Chaval for piles)

  • यदि आपको बवासीर की समस्या है तो तंडुल का अधिक से अधिक प्रयोग करे| शाली एवं साठी तंडुल का सेवन करने से  खूनी बवासीर में लाभ मिलता है |
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पीलिया में (Chaval for jaundice)

  • लिवर से जुड़ी समस्या होने से पीलिया रोग होता है या आपके शरीर में खून की कमी से भी पीलिया रोग उत्पन्न होता है |  रोजाना भोजन में शालि चावल खाएँ। इससे लीवर से जुडी समस्या ठीक होती  है और पीलिया रोग दूर होता है।

पेशाब के दर्द में (Chaval for urinary disease)

  • पेशाब में होने वाली जलन तथा पेशाब में दर्द आदि की समस्याओं में तंडुल काफी फायदेमंद  हैं| शतावर,काश, कुश, गोखरू, विदारीकन्द, शाही तंडुल ईख तथा कसेरू को बराबर मात्रा में लें| इसे पानी में रात भर भिगो दें| इस पानी की 20-40 मिली हिम, मधु एवं शक्कर मिलाकर सेवन करें| इससे पित्त के कारण पेशाब में होने वाली परेशानियों में लाभ होता है|

मासिक दर्द में (Chaval for menstrual problem)

  • मासिक धर्म के दौरान  रक्तस्त्राव अधिक हो रहा हो तो यह उपाय करें| रोजाना दूध में भिगोए हुए लाल शालि चावल को पीस ले| इसमें मधु मिलाकर सेवन करने से तेज रक्तप्रदर में जल्दी  ही लाभ होता है|

हड्डियों में (Chaval for bones)

  • हड्डी टूटना – टूटी हुई हड्डी पर घास बांधकर, शालि तंडुल के आटे और शतधौत घी को मिलाकर लेप करने से  टूटी हुई हड्डी  जुड़ जाती हैं|

पैरो की जलन में चावल

  •  शालि तंडुल के धुले हुए पानी से पैरों को धोने पर पैरों की जलन शांत होती है|

बुखार में (Chaval for fever)

  • बुखार होते ही लोग चावल का सेवन बंद कर देते हैं, लेकिन यदि हम शालि चावल का प्रयोग करें तो यह बुखार को दूर करने में भी लाभकारी होता है|
  • गोक्षुर तथा छोटी कटेरी के काढ़े से लाल शालि चावल की पेय बनाकर सेवन करें| इससे बुखार के कारण उत्पन्न होने वाली पसलियों के दर्द, पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द तथा सिर दर्द कि समस्या आदि में लाभ होता है|

बालों की समस्या के लिए (Chaval for hair)

  • बालों से संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए चावल के पानी का प्रयोग फायदेमंद होता है, क्योंकि चावल के गुण के कारण चावल का पानी बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है|

पेचिश की समस्या के लिए चावल

  • अगर आप पेचिश की समस्या से परेशान है तो आपके लिए चावल का सेवन फ़ायदा दे सकता है इसमें लघु गुण होने से ये पेचिश में मल प्रवृति को नियंत्रित करता है साथ ही  हल्का होने से ये जल्दी  पच जाता है|

पाचन में उपयोगी (Chaval for digestion)

  • अगर आपको पाचन संबंधी समस्या है तो तंडुल का प्रयोग आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है क्योंकि  चावल  पचने में हल्के होते है जो कि पाचक अग्नि के कमजोर होने पर भी शीघ्र पच कर आपको फायदा पहुंचा सकते हैं|

शरीर को हष्ट –पुष्ट बनाने में

  • यदि आपका शरीर कमजोर है और आप अपने शरीर को ह्ष्ट –पुष्ट करना चाहते है तो आपको आपने आहार में चावल को शामिल करना  चाहिए|

पैरो की सूजन में (Chaval for swelling)

  • शालि तंडुल को पीसकर पैरों में लगाने से पैरों की सूजन तथा जलन मिट जाती है| 

रक्तपित्त में चावल (Chaval for blood bile)

  • रक्तपित्त यानी खूनी पित्त में शरीर गर्म हो जाता है| इससे खून नाक, गुदा और मूत्रद्वार आदि स्थानों से बाहर आने लगता है| तंडुल  के चूर्ण में गाय के  घी एवं मधु मिलाकर खाने से रक्तपित्त में लाभ होता है|
  • शालि तंडुल तथा साठी चावल का भोजन में प्रयोग रक्तपित्त के रोगियों के लिए फायदेमंद है|
  • गोक्षुर तथा छोटी कटेरी के काढ़े से लाल शालि-तंडुल की पेय बनाकर सेवन करें| इससे बुखार के कारण उत्पन्न होने वाली पसलियों के दर्द, पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द तथा सरदर्द की समस्या आदि  में  लाभ मिलता है|
  • जलन, उल्टी तथा अत्यधिक प्यास से पीड़ित रोगी को तंडुल के सत्तू में शक्कर तथा मधु मिलाकर सेवन कराने से लाभ होता है।
  • पुराने शालि तंडुल तथा साठी तंडुल से बनाए गए दलिया तथा भात आदि का सेवन करने से  बुखार में फायदेमंद होता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Chaval)

  • जड़
  • बीज

सावधानियां (Precautions of Chaval)

  • पथरी और मधुमेह रोगी के लिए तंडुल हानिकारक होता है| अतः वैद्य की चिकित्सा परामर्श अनुसार हि प्रयोग करे|