कमल (Kamal)
कमल का परिचय: (Introduction of Kamal)
कमल क्या है? (Kamal kya hai?)
वैसे तो फूल कई तरह के होते है है लेकिन जब इनकी बात आती है तो सबसे पहले नाम आता है कमल का| सब फूल तो बाग़ बगीचों आदि में उगाये जा सकते है लेकिन कीचड में उगने वाले इस कमल की बात ही निराली होती है| इसे भारत का राष्ट्रीय फूल भी घोषित कर दिया गया है अर्थ यह फूल हमारा राष्ट्रीय फूल है|
दिखने में बहुत ही सुन्दर और मनोरम दिखने वाले इस कमल के ढेरों फायदें है जिन्हें जान कर आप चौंक जायेंगे| आयुर्वेद में कमल का प्रयोग रोगों का शमन करने के लिए, उनसे छुटकारा पाने के लिए किया जाता है| ऐसे में यदि कोई भी इसके फायदों की जानकारी से वंचित नही रहना चाहिए|
इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन जैसे और भी कई पोषक तत्व पाए जाते है जिनके कारण रोगों का शमन करने में सहायता मिलती है| तो चलिए आज आपको कमल के फायदों से पूरी तरह परिचित कराते है| मुख्य रूप से यह तीन प्रकार का होता है|
कमल की प्रजातियाँ (Kamal ki prajatiya)
- कमल
- कुमुद
- नीलकमल
कमल का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Kamal ki akriti)
इनकी जड़ जल में चार फीट नीचे तक पायी जा सकती है| इसके पत्तों का आकार थाली के जैसा होता है जो पानी में तैरता रहता है| इसका पत्ता काफी चिकना होता है| यह जल को शोभित करता है जिसके कारण इसे कमल के नाम से जाना जाता है| इसके पत्तों की विशेष आकृति के कारण अरविन्द, सौ दलों से युक्त होने के कारण शतपत्र, पौष्टिक होने के कारण पुष्कर आदि नामों से भी इसे जाना जाता है|
इसके फूल सफ़ेद या गुलाबी रंग होते है| जिनमे से खुशबु आती रहती है| इसमें फूल की कई पत्तियां रहती है| इन पत्तियों के बीच केसर जैसा दिखने वाला एक छत्ता होता है| इसकी जड़ की सब्जी और अचार बनाया जाता है|
कुमुद का बाह्य स्वरुप (Kumud ki akriti)
यह लगभग कमल के जैसा ही दिखाई देता है लेकिन इसके पत्ते कुछ कठोर होते है| इसके फूलों का रंग सफ़ेद होता है| इसके बीजो का रंग पकने पर लाल से भूरा या काला हो जाता है|
नीलकमल का बाह्य स्वरुप (Neelkamal ki akriti)
यह भी बिलकुल कमल की तरह ही दिखाई देता है बस इसके फूलों का रंग नीला होता है| इसी कारण इसे नीलकमल कहा जाता है|
कमल में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Kamal ke poshak tatva)
- कैल्शियम
- कार्बोहाइड्रेट
- फास्फोरस
- आयरन
- प्रोटीन
- स्टार्च
- वसा
कमल के सामान्य नाम (Kamal common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Nelumbo nucifera |
अंग्रेजी (English) | Lotus, Pink water lily, Sacred lotus |
हिंदी (Hindi) | कमल |
संस्कृत (Sanskrit) | पद्मम्, नलिनम्, अरविन्दम्, सरसिज, कुशेशयम्, तामरसम्, पुष्करम्, |
अन्य (Other) | नीलोफर (उर्दू) सूरीयाकमल (गुजराती) तामरई (तमिल) कोमोल (बंगाली) बेखनीलोफर (फारसी) |
कुल (Family) | Nymphaeaceae |
कुमुद के सामान्य नाम (Kumud common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Nymphaea nouchali burm |
अंग्रेजी (English) | European water lily, Water Lily, White waterlily |
हिंदी (Hindi) | कुमुद, कमोदनी, कोई, कुई |
संस्कृत (Sanskrit) | श्वेतकुवलय, कुमुद, कैरव |
अन्य (Other) | गुले नीलोफर (उर्दू) शालुक (बंगाली) सेतो कमल (नेपाली) कमोद (मराठी) ब्रीमपोश (कश्मीर) |
कुल (Family) | Nymphaeaceae |
नीलकमल के सामान्य नाम (NeelaKamal common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | |
अंग्रेजी (English) | Blue lotus, Indian blue water Lily |
हिंदी (Hindi) | कफई, कँवल, कोक्का, नीलकमल |
संस्कृत (Sanskrit) | त्पल,असितोत्पल, कुवलय, नीलकमल, नीलपत्ते, नीलोत्पल, नीलपंकज, उत्पलक |
अन्य (Other) | राँगकेन (उड़िया) बीलेनेडीले (कन्नड़) कृष्णकमल (मराठी) कनवल (गुजराती) सितम्बेल (मलयालम) |
कुल (Family) | Nymphaeaceae |
कमल के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Kamal ke ayurvedic gun
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | कषाय (ast.), मधुर (sweet), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), स्निग्ध (oily), पिच्छिल |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (sweet) |
अन्य (Others) | दाहप्रशमन, मेध्य, तृष्णानिग्रहण, त्वगदोषहर |
कमल के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Kamal ke fayde or upyog)
रक्तपित्त में (Kamal for blood bile)
- लाल कमल का केसर, नील कमल, प्रियंगु आदि से बने हुए काढ़े का सेवन यदि रक्तपित्त या नकसीर में किया जाता है तो इससे अतिशय लाभ मिलता है| इसकी प्रकृति ठंडी होती है जो प्रकुपित पित्त और रक्त का शमन कर के रक्तपित्त में लाभ देती है|
त्वचा रोगों में (Kamal for skin disease)
- त्वचा रोगों में कमल का बहुत अच्छा प्रयोग किया जाता है| बाजारों में इससे बनने वाले सौन्दर्य उत्पाद की भी बिक्री की जाती है| उदाहरण के लिए कमल से बनी क्रीम, इत्र आदि| इसकी पत्तियों या फूल को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे में चमक आती है|
- खुजली चलने पर इसकी जड़ का लेप करना काफी लाभदायक साबित होता है| आप भी इस उपाय का प्रयोग कंडू या खुजली की समस्या में कर सकते है| इसका प्रयोग दाद पर भी काफी अच्छे परिणाम देता है|
- इसके और बरगद के पत्तों से बनी हुई भस्म को तेल के साथ मिलाकर त्वचा पर लगाने से कई प्रकार के त्वचा रोगों का शमन किया जा सकता है|
बालों के लिए फायदेमंद कमल (Kamal for hair)
- असमय सफ़ेद बालों की समस्या होने पर मिट्टी के बर्तन दूध और नीलकमल को लगभग 25 से 30 दिनों तक के लिए जमीन में गाढ़ दें| इसे उचित समय के बाद बाहर निकाल कर बालों में लगाने से बालों में नमी आती है, बाल मुलायम होते है और सफ़ेद बालों से राहत मिलती है|
- झड़ते बालों के लिए अश्वगंधा, बहेड़ा, उत्पल, तिल, सुपारी, प्रियंगु के फूल आदि का लेप बना कर लगाने से बालों का झड़ना कम होता है|
- उत्पल के केसर में आमलकी, तिल और मुलेठी मिलाकर बालों की जड़ो में लगाने से बालों की रुसी समाप्त होती है|
जलन और गर्मी का शमन करे (Kamal for body heat and irritation)
- शहद को पीसे हुए कमल के केसर में मिलाकर खाने से जलन और गर्मी में लाभ मिलता है| यह शरीर में ठंडक पहुंचाती है और गर्मी को शांत करती है|
- कमल के पञ्चांग का सेवन करने से शरीर में होने वाली गर्मी और जलन समाप्त होती है|
रक्त प्रदर की समस्या का समाधान करे कमल
- कमल के केसर और मिश्री को एक साथ खाने से रक्त प्रदर की समस्या में लाभ मिलता है| यह अधिक बहने वाले रक्त पर रोक लगाता है|
ह्रदय के लिए लाभदायक (Kamal for heart)
- कमल का सेवन विधि अनुसार करने से ह्रदय को लाभ मिलता है| यह रक्तचाप के और कोलेस्ट्रोल के स्तर को शरीर में नियंत्रित करने में मदद करता है| इसी के चलते ह्रदय रोगों से बचाव की सम्भावना और भी बढ़ जाती है|
मूत्र रोगों का शमन करे (Kamal for urinary disease)
- गोमूत्र के साथ तेल में तैयार किये गए कमल कंद का सेवन करना कई प्रकार के मूत्र रोगों का समाधान करता है| इसके अलावा कमल और उत्पल से एक पेय आसव विधि द्वारा बना कर लेने से मूत्र त्यागते समय आने वाली समस्याओं का शमन होता है| इस आसव का सेवन करते समय आप इसमें शहद भी मिला सकते है|
बवासीर में (Kamal for piles)
- मक्खन के साथ इसके केसर और शक्कर को मिलाकर सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है| इसके अलावा कमल के पत्तों से बने चूर्ण में मिश्री या शक्कर मिला कर खाने से भी बवासीर में लाभ मिलता है|
दस्त में फायदेमंद (Kamal for diarrhea)
- दस्त के साथ यदि खून भी आता हो तो ऐसे में बकरी के दूध को मोचरस, कमल, उत्पल, मंजिष्ठा आदि में पका के पीना चाहिए| इससे अतिसार में लाभ मिलता है|
- बच्चो को यदि पेचिश की समस्या हो तो सफ़ेद कमल के केसर में शक्कर, शहद और खांड मिलाकर चावल के पानी के साथ ले तो इस समस्या का शमन होता है|
बुखार में (Kamal for fever)
- इसके फूलों से बने शरबत या काढ़े का सेवन बुखार को उतारता है शरीर का तापमान सामान्य करने में सहायता करता है| इसका सेवन मलेरिया के बुखार को भी शांत करने में मदद करता है|
दांतों के कीड़ो का शमन करे (Kamal for teeth)
- दांतों में कीड़ें दांत ठीक से साफ़ न करने, अधिक मीठा खाने, रात को सोने से पहले दांत साफ़ न करने आदि वजह से हो सकते है| ऐसे में कमल की जड़ को दांतों के बीच रख कर चबाने से कीड़ों का समापन होता है|
उल्टी या वमन होने पर कमल (Kamal for vomiting)
- भूने हुए कमल के गट्टे के सफ़ेद भाग को मधु के साथ सेवन करने से उल्टी या वमन आना बंद हो जाती है| आप इसके गट्टे के स्थान पर बीजो को भी भून कर मधु के साथ खा सकते है|
गर्भाशय के लिए कमल
- गर्भाशयस्राव को रोकने के लिए यदि कमल और कुमुद के पत्तों से बने हुए पेस्ट का सेवन किया जाता है तो इससे लाभ मिलता है| आप इसमें शक्कर या शहद भी मिला सकते है|
- कमल की लम्बी डंडी में शक्कर और तिल मिलाकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को शहद के साथ खाने से गर्भ गिरने की सम्भावना कम हो जाती है|
सिर दर्द में (Kamal for headache)
- कमल का सेवन करने से सामान्य और माइग्रेन या आधासीसी जैसे सिर दर्द का भी आसानी से शमन किया जा सकता है| यदि आप भी सिर दर्द का शमन करना चाहते है तो इसका सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है|
खांसी को दूर करे (Kamal for cough)
- जब पित्त के प्रकुपित होने पर खांसी होती है तो ऐसे में इसके बीजो से बने हुए चूर्ण को मधु के साथ खाना चाहिए| इससे खांसी का जल्द ही समापन हो सकता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Kamal)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- फूल
- पञ्चांग
- पुष्प केसर
- फल
सेवन मात्रा (Dosage of Kamal)
- जूस -20-30 ml
- चूर्ण – 3-6 gram
कमल से निर्मित औषधियां
- अरविन्दासव