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शालपर्णी (Shalparni)

शालपर्णी का परिचय: (Introduction of Shalparni)

Table of Contents

शालपर्णी क्या है? (What is Shalparni)

क्या आप परेशान है बवासीर, आँखों के रोग, मधुमेह, ह्रदय रोगो से| इन रोगो के लिए शालपर्णी एक रामबाण औषधि है| यदि आप शालपर्णी का उपयोग करते है, तो इन रोगो का शमन कर सकते है| शालपर्णी एक औषधि है जिसके उपयोग से कई सारी बीमारियों से निजात पा सकते है|

आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी औषधीया है| जिसका उपयोग कही सारे रोगो के उपचार के लिए किया जाता है| इन औषधियों के फूल पत्ती और जड़ का उपयोग किया जाता है| इन में से यह शालपर्णी नाम की एक औषधि है| जिसका उपयोग प्राचीन काल से  ही प्रयोग में लिया जा रहा है|

यह औषधि कब्ज को बनने नही देती है, जो बवासीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है| इसके अलावा जोड़ो के दर्द, बुखार, पाचन संबंधित रोगो के लिए, रक्तपित्त, सिर दर्द आदि समस्या से निजात पाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है| आपको बता दे की इसके फायदे यही पर ही ख़त्म नही होते है, इसके अलावा भी इसके फायदे है जिसके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवायंगे|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Shalparni ki akriti)

यह पुरे भारत के वनों, खुले प्राकृतावास में एवं हिमालय पर1600 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है| शालपर्णी सुप्रसिद्ध योग दशमूल का एक अंग है| इसके पत्ते शाल के जैसे होते हैं, इसलिए इसे शालपर्णी कहते हैं| चरकसंहिता के अनुसार शालपर्णी का टी.बी. चिकित्सा तथा रसायनपाद में उल्लेख प्राप्त होता है| इसके अतिरिक्त बवासीर में प्रयुक्त सुनिष्णकघृत में भी शालपर्णी का उल्लेख मिलता है| सुश्रुतसंहिता में दस्त, वाताभिष्यन्द तथा विष रोगों की चिकित्सा में इसका प्रयोग मिलता है| इसकी दो प्रजातीयां पाई जाती है|

  1. Desmodium gangeticum (Linn.)Dc.—शालपर्णी

यह लगभग 1 मीटर तक ऊँचा पौधा होता है| इसकी शाखाये झुकी हुई और फैली हुई होते है| इसका तना कोणीय होता है| इसके पत्ते शाल के पत्तो के समान होते है तथा हरे रंग के होते है| इसके फूल सफेद तथा गुलाबी व गहरे नीले रंग कर होते है| इसकी फली लम्बी, चौड़ी, चपटी तथा टेढ़ी होती है| इसकी फलियों में रोम अत्याधिक मात्रा में होते है जिसके कारण यह कपड़ों में चिपक जाती है इसका फूलकल तथा फलकाल जुलाई से दिसम्बर तक होता है|  

  • Phyllodium pulchellum (L.) प्रांशु शालपर्णी—

यह ऊँचा झाड़ीदार पौधा होता है| इसकी शाखाये हरे रंग की तथा रोम युक्त होती है|  इसकी पत्तिया लम्बी, नोकदार तथा आयताकार होता है| इसके फूल मंजीर में लगे हुए, सफेद गुलाबी रंग के होते है| इसकी फली लम्बी होती है|  इसके पंचाग का प्रयोग चिकित्सा में लिया जाता है|

शालपर्णी  की प्रजातियाँ (Shalparni ki prajatiya)

1. Desmodium gangeticum (Linn.)Dc.

2. Phyllodium pulchellum (L.) 

शालपर्णी के सामान्य नाम (Shalparni common names) Herbal Arcade
शालपर्णी के सामान्य नाम (Shalparni common names) Herbal Arcade

शालपर्णी के सामान्य नाम (Shalparni common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name) Desmodium gangeticum
अंग्रेजी (English)Salparni 
हिंदी (Hindi)रिवन, सालवन
संस्कृत (Sanskrit)सौम्या, पीवरी, गुहा, शालपर्णी, स्थिरा, देवी, विदारिगन्धा, दीर्घाङ्गी, दीर्घपत्रा, अंशुमती
अन्य (Other)शालवान (उर्दू) शारपाणि (उड़िया) नेवीयेलाबुने (कन्नड़) सलवन (गुजराती) पूलादी (तमिल) कापावा (तेलगु) शालपान  (पंजाबी) शालिपर्णी (नेपाली) शालपूर्ही (पंजाबी) सालपर्णी (मराठी)
कुल (Family)Fabaceae

शालपर्णी  के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Shalparni ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha) त्रिदोषशामक (pacifies tridosha)
रस (Taste) मधुर (sweet), तिक्त (bitter)
गुण (Qualities) गुरु (heavy), स्निग्ध (oily)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) मधुर (sweet)
अन्य (Others) दीपन, स्नेहन, अनुलोमन, वृष्य, मूत्रल, बल्य
Ayurvedic properties of Shalparni Herbal Arcade
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शालपर्णी  के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Shalparni ke fayde or upyog)

बवासीर की समस्या को दूर करे (Shalparni for piles)

  • शालपर्णी का उपयोग बवासीर को ठीक करने में भी किया जाता है| बवासीर एक गंभीर बीमारी है, जो पुरुष और महिलाओं में किसी भी उम्र में हो सकती है| इसके कारण मलद्वार में सूजन और जलन होती है| यह बहुत ही पीड़ादायक हो सकता है| ऐसे में शालपर्णी की सूजनरोधी गुण जो मलद्वार के अंदर और बाहर सूजन कम करते है| साथ ही यह जलन और दर्द से राहत दिलाते है|

जोड़ो के दर्द में (Shalparni for joints pain)

  • आमवात के कारण लोगों को जोड़ो की समस्या हो जाती है| इसके अलावा भी बढती उम्र के साथ लोग जोड़ो के दर्द से परेशान रहते है| जोड़ो के दर्द से राहत पाने के लिए शालपर्णी का उपयोग किया जाता है| इसके उपयोग से जल्दी से राहत मिलती है|

मधुमेह रोग को दूर करे (Shalparni for diabetes)

  • जीवनशैली खराब होने से व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या हो जाती है| डायबिटीज की बीमारी ऐसी है जो शरीर का साथ कभी नहीं छोड़ती है| शरीर में ब्लड शुगर कम या अधिक होता रहता है| इसके लिए शालपर्णी का उपयोग डायबिटीज नियंत्रण करने में मदद करता है| यह ब्लड शुगर को सामान्य करने के साथ इंसुलिन को आसान बनाता है| डायबिटीज से पीड़ित लोगो के लिए शालपर्णी प्रभावित आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है|

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए (Shalparni for immunity)

  • शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत होना बहुत जरुरी होता है| प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होना यानि बीमारी से बचाव करना है| शालपर्णी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण के साथ अन्य गुण है जो सक्रमण से लड़ने में मदद करते है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते है|

पाचन तन्त्र को मजबूत बनाने के लिए (Shalparni for strong digestion)

  • यदि आपका पाचन तन्त्र कमजोर हो और बार – बार आपको उल्टी की समस्या हो जाती है| तो पाचन तन्त्र को मजबूत करने के लिए शालपर्णी का उपयोग कर सकते है|
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बुखार में (Shalparni for fever)

  • मौसम बदला के नही बार – बार बुखार की समस्या आ जाती है| बुखार जैसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए शालपर्णी में समभाग चिरायता मिलाकर काढ़ा बनाकर पिने से बुखार का शमन होता है|
  • इसके अलावा शालपर्णी, बला, मुनक्का, गिलोय तथा सारिवा को समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर  पीने से बुखार का शमन होता है|

आधासीसी से छुटकारा पाने के लिए शालपर्णी

  • यदि आपको किसी कारण वश आधासीसी की समस्या हो रही है तो शालपर्णी के रस को नाक के रास्त से लेने से आधासीसी से राहत मिलती है|

आँखों के रोगो में (Shalparni for eyes)

  • आँखों के रोगो से छुटकारा पाने के लिए बराबर भाग में शालपर्णी के जड़ तथा मरची को मिलाकर ताम्बे के बर्तन में घिसकर आँखों के काजल की तरह लगाने से आँखों में पीला पन और आँखों के समस्त रोग समाप्त कर सकते है|

दस्त से छुटकारा पाने के लिए (Shalparni for diarrhea)

  • खान पाने की गडबडी के कारण आपको दस्त की समस्या हो गई है| शालिपर्णी के जड़ से सिद्ध विविध द्रव्यों का सेवन करने से प्रकुपित वात तथा कफ का शमन होता है| दीपन, बल, ग्राही, रोचन आदि गुणों की वृद्धि होती है तथा अतिसार में लाभ होता है|
  • शालपर्णी की जड़ तथा त्रिकुट की दूध में उबालकर पिने से दस्त में लाभ होता है|

पेचिश में राहत पाए शालपर्णी

  • अगर आप पेचिश से परेशान है तो सोने या चांदी में बजाये हुए दूध को सोंठ, मरिच, पिप्पली तथा शालपर्णी मिलाकर इसे पका ले, और इसमे मधु मिलाकर पिने से पेचिश तथा दस्त में लाभ होता है|

ह्रदय रोगो के लिए (Shalparni for heart related disease)

  • अगर ह्रदय के किसी भी रोग से परेशान है तो शालपर्णी का पेस्ट बनाकर दूध के साथ सेवन करने से ह्रदय रोगो में लाभ होता है|

मूत्र संबंधित समस्या में (Shalparni for urinary disease)

  • मूत्र संबंधित समस्या में कई हो कारण होते हैं, जैसे कि किडनी में पथरी होना, मधुमेह आदि| ऐसे में शालपर्णी एक ऐसी जड़ी बूटी मानी जाती है, जो यह परेशानी खत्म कर देती है| शालपर्णी के सेवन से पेशाब की नली में होने वाली किसी भी प्रकार की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है|

रक्तपित में (Shalparni for blood bile)

  • अगर मौसम के कारण आपके नाक या कान से खून आते है तो इसे राहत पाने के लिए शालपर्णी तथा मूंग को मिलाकर इसका काढ़ा बनाकर पिने से नक्सीर में लाभ होता है|   

प्रसव के समय दर्द में उपयोगी शालपर्णी

  • इस औषधि का काढ़ा बनाकर पिने से प्रसव के दौरान दर्द कम होता है|

छोटे बच्चो के रोग में शालपर्णी

  • समभाग शालपर्णी, पृश्निपर्णी तथा सुपारी की छाल को मिलाकर काढ़ा बना लें| इस काढ़े में मधु मिला कर बच्चों को पिलाने से त्रिदोषों का शमन हेकर सभी प्रकार के अतिसार का निवारण होता है|

त्वचा के लिए (Shalparni for skin)

  • शालपर्णी त्वचा से संबंधित अधिकतम रोगों को ठीक करता है| इस में मौजूद कुछ गुण त्वचा पर दाग धब्बे नहीं होने देता| साथ ही यह त्वचा को झाइं से भी बचाता है और ठीक भी करता है|

शालपर्णी के अन्य उपयोग (Other benefits of Shalparni)

  • इसकी जड़ का उपयोग बुखार, जुकाम कीड़ो का नाश और कफ नाश करने के लिए किया जाता है|
  • इसके पंचाग का उपयोग बुखार, पाचन, कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है|
  • शालपर्णी के जड़ का उपयोग टाइफाइड और निमोनिया को ठीक करने के लिए रोजाना किया जा सकता है। 

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Shalparni)

  • जड़
  • त्ती

सेवन मात्रा (Dosages of Shalparni)

  • इसे चिकित्सा अनुसार ही प्रयोग करे|