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शटी (Shati)

शटी (कपूर कचरी )का परिचय: (Introduction of Shati)

Table of Contents

शटी क्या है? (What is Shati)

कपूर कचरी यानि शटी के बारे में आप जानते ही होंगे यह एक ऐसी औषधि है जिसका उपयोग सिर के रोगो को दूर करने से लिए किया जाता है| यह कोई मामूली औषधि नही सिर तथा बालो के रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है| आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी औषधिया है| जिनका प्रयोग रोगो के उपचार के लिए किया जाता है|

इसकी जड़ में बहुत अधिक सुगंध आने के कारण इसे मूलिका नाम से भी जाना जाता है| इन में से कपूर कचरी है जो रोगो के लिए एक रामबाण की तरह प्रयोग करती है|  इसमे बहुत सारे औषधि गुण पाए जाते है, जो अतिसार तथा बवासीर, खांसी, बुखार, टी.बी और गुल्म आदि रोगो को दूर करने से लिए बहुत ही फायदेमंद है|

क्या आपको पता है की यह वात तथा कफ से होने वाले बीमारियों में बहुत लाभकारी है| इसके फायदे यही पर ही समाप्त नही होते है इसके और भी फायदे है| जिसके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवाएंगे| आइये तो जानते है की इस का उपयोग किन – किन बीमारी में किया जाता है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Shati ki akriti)

सुश्रुत संहिता में ज्वर, गुल्म, सांस व खांसी में शाटीका  क्वाथ, बृहत्यादि क्वाथ योग में शटी का प्रयोग मिलता है| इसकी दो प्रजातियाँ पायी जाती है जिसका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है| प्रथम प्रजाति को शटी तथा द्वतीय प्रजाति को सुलोचना या गुलबकाबली के नाम से जाना जाता है| गुलबकाबली का विशेष रूप से नेत्रों के विकारों में प्रयोग किया जाता है|

Hedychium spicatum Ham. Ex Smith (शटी)

यह अल मीटर तक ऊँचा अनेक सालो तक जीवत रहने वाला पौधा होता है| इसके प्रकंद लम्बे बाहर की ओर खुरदरे लाल भूरे रंग के होते है| इसके पत्ते हल्दी के पत्तो जसे चौड़े तथा आयताका, भालाकार होते है| इसके फूल सफेद रंग के होते है| इसके फल चिकने गोलाकार बीज युक्त होते है| इसका फूलकाल व फलकाल अगस्त से दिसम्बर तक होता है| 

Hedychium coronarium j. konig (सुलोचना नेत्र्या )

 यह लगभग 1 मी तक ऊँचा प्रकन्दयुक्त शाकीय पौधा होता है| इसकी पत्तियां भालाकार, नुकीली, चिकनी होती हैं| इसके फूल सफेद रंग के होते हैं| फल गोलाकार तथा चिकने होते हैं| इसके अर्क का प्रयोग आँखों के रोगों की चिकित्सा में बहुत किया जाता है|

शटी के सामान्य नाम Herbal Arcade
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शटी के सामान्य नाम (Shati common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Hedychium spicatum
अंग्रेजी (English)Spiked ginger lily
हिंदी (Hindi)गंधपलाशी, कपूर कचरी, सितरूटी;
संस्कृत (Sanskrit)शटी, पलाशी, षड्ग्रन्था, सुव्रता, गन्धमूलिका, गन्धारिका, गन्धवधू, वधू
अन्य (Other)कपूरकचरी  (उर्दू) गन्धशटी  (कन्नड़) कपूरकचूर (गुजराती) चीलीक (तमिल) कच्चूरालू (तेलगु) शटी  (बंगाली) कपूर कचरो(नेपाली) खोर  (पंजाबी) कपूरकचूर (मराठी) पालसी (मलयालम)
कुल (Family)Zingiberaceae 

शटी  के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Shati ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha)कफ, वात शामक (pacifies cough and vata)
रस (Taste)कटु (pungent), तिक्त (bitter), कषाय (ast.)
गुण (Qualities)लघु (light), तीक्ष्ण (strong)
वीर्य (Potency)उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect)कटु (pungent)
अन्य (Others) शोथहर, वेदनास्थापक, रेचन, दीपन, ग्राही
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शटी  के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Shati ke fayde or upyog)

सांस से संबंधित रोग के लिए (Shati for asthma)

  • यदि आप सांस से संबंधित किसी भी रोग से पीडीत है तो शटी तथा पुष्करमूल के बारीक़ चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से हिचकी तथा  सांस के रोग का शमन होता है|
  • इसके अलावा शट्यादि चूर्ण को शक्कर के साथ सेवन करने से हिचकी तथा तमक सांस में लाभ होता है|

सांस की बदबू को दूर करे (Shati for bad breath)

  • अगर आपको अपच के कारण आपको सांस लेते समय दुर्गन्ध आती है तो शटी का काढ़ा बनाकर गरारे करने से सांस की बदबू का शमन होता है|

जुकाम में (Shati for cold)

  • यदि आपको मौसम बदलने के कारण बार – बार जुकाम की समस्या हो जाती है तो कपूरकचरी में समभाग भुंई आमला तथा त्रिकटु मिलाकर चूर्ण बना कर रख लें, फिर बाद में चूर्ण में गुड़ तथा घी  मिलाकर सेवन करने से जुकाम में लाभ होता है|

सूजन को दूर करे (Shati for swelling)

  • यदि आपके शरीर पर किसी अंग पर सूजन आ गई है तो कपूर कचरी चूर्ण का उपयोग कीजिये इसके उपयोग से आपको बहुत ही लाभ होता है| इसके प्रयोग में इसके चूर्ण का सूजन वाले स्थान पर लेप करने से सूजन का शमन होता है| 

बुखार को दूर करे (Shati for fever)

  • बुखार आने पर इस औषधि का प्रयोग बहुत ही फायदेमंद होता है| बुखार को दूर करने के लिए शटी की जड़ के रस का सेवन करने से बुखार, दर्द का शमन होता है|

जोड़ो के दर्द में (Shati for joints pain)

  • यदि आपके जोड़ो में वात के कारण दर्द हो रहा है तो शटी तथा सोंठ के पेस्ट में सफेद पुनर्नवा का काढ़ा मिलाकर साथ दिन तक सेवन करने से वात जन्य जोड़ो के दर्द में आराम होता है|

त्वचा के विकार में (Shati for skin)

  • अगर आपको त्वचा संबंधित समस्या है जैसे फुजली, फोड़े फुंसी, दाद आदि विकारो में कपूर कचरी की जड़ हो त्वचा पर लगाने से त्वचा के विकारो का शमन होता है|

घाव में (Shati for wound)

  • चोट के कारण हुए घाव को भरने के लिए शटी की जड़ को पीसकर घाव पर लगाने से घाव का रोपण होने लगता है|

पेट दर्द में (Shati for stomach)

  • अगर आपको पेट दर्द की समस्या है तो शटी का उपयोग कर सकते है इसके लिए कपूर कचरी के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द में आराम मिलता है|

पाचन में (Shati for digestion)

  • अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है और आपको भूख भी नही लगती है तो शटी का उपयोग करके अपने पाचन को ठीक कर सकते है|

बवासीर में शटी

  • बवासीर का मुख्य कारण कब्ज की समस्या है| अगर आप भी बवासीर की समस्या के शिकार हो गये है तो इसे छुटकारा पाने के लिए शटी तथा पलाश के बीजो के पेस्ट को पकाकर छाछ तथा मरची का चूर्ण मिलाकर पिने से बवासीर के रोगी में लाभ होता है|
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शुक्रदोष में शटी

  • यदि शुक्र यदि ग्रथित के रोग में निकल रहा है तो शटी की राख बनाकर घी के साथ सेवन करने से लाभ होता है|

अजीर्ण में शटी

  • यदि आपके पाचन की गडबडी के कारण आपको अजीर्ण की समस्या हो गई है तो शटी के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से अजीर्ण में लाभ होता है|

उल्टी का शमन करे (Shati for vomit)

  • किसी बीमारी या अशुद्ध भोजन करने से अक्सर उल्टी की समस्या हो जाती है| इसे दूर करने से लिए कपूरकचरी में समभाग दारुहल्दी, छोटी हरीतकी, सोंठ और पिप्पली मिलाकर चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को लेकर घी में मिलाकर सेवन करें तथा ऊपर से थोड़ी छाछ पिएं| उल्टी में लाभ होता है|
  • इसके अलावा कपूरकचरी को गुलाब जल के साथ पीसकर की गोलियां बनाकर एक या दो गोली सुबह शाम को  सेवन करने से उल्टी में लाभ होता है|

दस्त की समस्या में (Shati for diarrhea)

  • दस्त से ग्रस्त रोगियों के लिए कपूर कचरी के चूर्ण में समभाग खांड मिलाकर सेवन करने से दस्त में लाभ होता है| तथा जल सेवन करने से अजीर्ण शमन होता है|

सांस से संबंधित रोग के लिए (Shati for asthma)

  • यदि आप सांस से संबंधित किसी भी रोग से पीडीत है तो शटी तथा पुष्करमूल के बारीक़ चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से हिचकी तथा  सांस के रोग का शमन होता है|
  • इसके अलावा शट्यादि चूर्ण को शक्कर के साथ सेवन करने से हिचकी तथा तमक सांस में लाभ होता है|

सांस की बदबू को दूर करे (Shati for bad breath)

  • अगर आपको अपच के कारण आपको सांस लेते समय दुर्गन्ध आती है तो शटी का काढ़ा बनाकर गरारे करने से सांस की बदबू का शमन होता है|

जुकाम में (Shati for cold)

  • यदि आपको मौसम बदलने के कारण बार – बार जुकाम की समस्या हो जाती है तो कपूरकचरी में समभाग भुंई आमला तथा त्रिकटु मिलाकर चूर्ण बना कर रख लें, फिर बाद में चूर्ण में गुड़ तथा घी  मिलाकर सेवन करने से जुकाम में लाभ होता है|

बालो के लिए (Shati for hairs)

  • क्या आपके बाल खराब हो रहे है तो शटी आपके लिए बहुत ही लाभकारी है कपूर कचरी के प्रकन्द का काढ़ा बनाकर बालों को धोने से बाल स्वच्छ, घने व मुलायम होते हैं|

सिर के घाव में शटी

  • यदि आपके सिर में घाव हो गये है तो शटी की राख बनाकर तिली के तैल में मिलाकर सिर पर लगाने से सिर की खुजली, कीड़े तथा फोड़े – फुंसी दूर होती है|

सिर दर्द से राहत पाने के लिए (Shati for headache)

  • यदि बुखार आने की वजह से या टेंशन या फिर किसी अन्य कारण से आपका सिर दर्द कर रहा है तो शटी के बारीक चूर्ण को तैल में मिलाकर नाक के रास्ते से लेने से सिर दर्द का शमन होता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Shati)

  • प्रकंद

सेवन मात्रा (Dosages of Shati)

  • चूर्ण – 2 से 4 ग्राम या इसका उपयोग चिकित्सक की मदद से ही करे

शटी से निर्मित औषधियां

  • शटयादि चूर्ण
  • शटयादि क्वाथ

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