मूली (Muli)
मूली का परिचय: (Introduction of Muli)
मूली क्या है? (What is Muli)
एक सामान्य सब्जी मूली के बारे में आप जानते ही होंगे | मुरई को मिलाकर कई तरह की सब्जियां, पकोड़े, पराठे बनाये जाते है| लंबी और पतली सी दिखने वाली मूली को लोग बहुत ही पसंद से खाते हैं क्योंकि लोगों को यह पता है कि मुरई के अनेक फायदे हैं|
क्या आपको जानकारी है कि मुरई एक औषधि भी है| कई रोगों के इलाज में मूली के औषधीय गुण से लाभ मिलता है| आप भी अगर मूली का इस्तेमाल करते हैं, और मुरई के फायदे के बारे में नहीं जानते हैं तो आपको जरूर मूली से होने वाले लाभ के बारे में जानना चाहिए|
आप कई बीमारियों में मुरई के सेवन से स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं और अनेक रोगों की रोकथाम कर सकते हैं| आयुर्वेद में मूली के बारे में बहुत सारे फायदे बताई गई हैं| आइए इसके फायदों के बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवाते है की इसका उपयोग किस – किस बीमारी में किया जाता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Muli ki akriti)
इस मूली का उपयोग समस्त भारत में किया जाता है| यह सब्जी और सलाद के रूप में खाई जाती है| इसके बीज और जड़ से सफेद रंग का तैल निकलता है| इसका पौधा ऊँचा सीधा और एक वर्षीय होता है| इसके नये पत्ते सरसों के पत्तो के सम्मान होते है| इसकी फली सीधी व बेलनाकार तथा हरे रंग की होती है| इसके बीज भूरे रंग के होते है| इसकी जड़ लाल तथा सफेद रंग की और बेलनाकार जमीन के अंदर होती है इसे ही मुली कहते है| इसका फूलकाल व फलकाल दिसम्बर से अप्रैल तक होता है|
मूली दो प्रकार की होती है
सफेद और लाल
मूली के पौषक तत्व (Muli ke poshak tatva)
- प्रोटीन
- विटामिन बी, ए, सी
- आयरन
- आयोडीन
- कैल्शियम
- गंधक
- सोडियम
- मैग्नीशियम
- फास्फोरस
- क्लोरिन
मूली के सामान्य नाम (Muli common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Raphanus sativas |
अंग्रेजी (English) | Radish |
हिंदी (Hindi) | मूली, मुरई |
संस्कृत (Sanskrit) | लघुमूलक, मरुसंभव, चाणक्यमूलक, मूलिका, मूलक, दीर्घकन्दक, मृत्तिकाक्षार |
अन्य (Other) | मूली (उर्दू) मूल्लो (कोंकणी) मूलांगी (कन्नड़) मुरा (गुजराती) मुल्लंगि (तमिल) मुल्लगिं (तेलगु) मूला (बंगाली) मूला (नेपाली) मूली (पंजाबी) मूला (मराठी) मूल्लांगी (मलयालम) |
कुल (Family) | Brassicaceae |
मूली के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Muli ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | त्रिदोषहर (balance tridosha) |
रस (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | वेदनास्थापन, शोथहर, मधुमेहशामक, श्वासशामक |
मूली के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Muli ke fayde or upyog)
कब्ज में उपयोगी (Muli for constipation)
- यदि भोजन करने के बाद आप कब्ज और गैस की समस्या से परेशान रहते है तो आपको मूली का सेवन करना चहिए| इसमे मौजूद फाइबर किसी औषधि से कम नही है यदि आप इसे कुछ दिनों तक सेवन करते है तो आपको कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है|
उच्च रक्त चाप में (Muli for high blood pressure)
- यदि आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है तो आपको मुली का सेवन करना चहिए क्योकि मुली खाने से रक्तचाप को नियंत्रण में लिया जा सकता है| इसमे भरपूर मात्रा में पोटेशियम होता है| जो आपके उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करने में मदद करता है|
कैंसर में उपयोगी (Muli for cancer)
- मुली में भरपूर मात्रा में फोलिक एसिड, विटामिन- सी और एंथोकाइनिन पाया जाता है| यह तत्व शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद करता है| यह मुंह, पेट, आंत, और कीडनी के कैंसर से लड़ने में बहुत ही सहायक है|
जोड़ो के दर्द में (Muli for joints pain)
- बढती उम्र के साथ जोड़ो का दर्द बढ़ता ही जा रहा है| इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए मूली का उपयोग करना चहिए| इसमे कैल्शियम की भरपूर मात्रा होने से मुरई आपकी हड्डियों को मजबूत करने में सहायक है| इसे खाने से जोड़ों में दर्द से भी राहत मिलती है और सूजन से भी|
अनिद्रा में (Muli for insomnia)
- अगर आपको नींद नहीं आती है तो मुरई खाना से आपके लिए बेहद ही फायदेमंद है| यह न केवल नींद न आने की समस्या से छुटकारा दिलाएगी बल्कि नींद लेने के लिए प्रेरित करेगी|
दांतों के रोग में
- यदि आप दांतों के रोग से परेशान है तो मुरई के रस गरारे करने से या पिने से बहुत ही फायदा होगा| मुरई के रस से गरारे करने से मसुडो और दांतों में कोई बीमारी नही होती है|
पाचन तन्त्र में (Muli for digestion)
- पाचनतंत्र को मजबूत बनाने के लिए खाने के बाद मुरई का प्रयोग करें| भोजन से पहले खाने पर मुरई पचने में अधिक समय लेती है, लेकिन भोजन के बाद भोजन को पचाने में मदद करती है|
मोटापा घटाने के लिए
- इसमे कुछ ऐसे पौषक तत्व पाए जाते है जो मोटापा घटाने में मदद करता है| मूली के सेवन से पाचन तन्त्र भी मजबूत होता है और अधिक समय तक भूख भी नही लगती है, क्योकि यह भूख को शांत करता करती है| जिस कारण आपका वजन भी नही बढ़ता है|
ह्रदय रोगो में (Muli for heart)
- मूली एंथोसाइनिन का अच्छा स्रोत है जो शरीर से कही रोगो से लड़ने में मदद करता है| इन में से ह्रदय रोग भी है जो मुरई ह्रदय रोगो से अच्छी तरह से लड़ती है| और इसके सेवन से ह्रदय स्वस्थ भी रहता है|
मधुमेह में (Muli for diabetes)
- इसका सेवन मधुमेह रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारी है| इसके सेवन से ब्लड शुगर के स्तर पर असर नही होता है|यह खून की मात्रा में शुगर के अवशोषण को नियंत्रित करने में मदद करता है| इसलिय मधुमेह रोगियों के लिए मुरई का सेवन लाभकारी है|
खुनी बवासीर में (Muli for piles)
- मुरई कन्दों के ऊपर का सफेद मोटा छिलका उतार लें और पत्तों को अलग कर रस निकालें| इसमें छह ग्राम घी मिलाकर रोज सुबह – सुबह सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है|
- इसके साथ ही फिटकरी को एक लीटर मुरई के पत्ते के रस में उबालें| जब यह गाढ़ा हो जाए तो बेर के समान गोलियां बना लें। एक गोली मक्खन में लपेटकर खाएं| ऊपर से दही पीले इससे खूनी बवासीर में फायदा मिलता है|
बवासीर में
- मुरई के पत्तो का रस निकालकर इसको गाय के दूध के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है|
- बवासीर और पेट दर्द को दूर करने के लिए यह एक मसूर औषधि है| मुरई की सब्जी बनाकर खाने से बवासीर और पेट दर्द में आराम होता है|
मूत्र रोग में (Muli for urinary disease)
- जिस व्यक्ति को पेशाब रुक-रुक कर आता है उसे मुरई का सेवन करना चाहिए| रुक-रुक कर पेशाब आने की बीमारी में लाभ होता है| इसके लिए मूली के पत्ते के रस में कलमी शोरा मिलाकर पीने से भी मूत्र संबंधी विकारों में लाभ होता है|
आँखों में विकार (Muli for eyes)
- आंखों की कई तरह की बीमारियों में मुरई के इस्तेमाल से लाभ मिलता है| मुरई के रस को काजल की तरह आंखों में लगाएं। इससे आंखों की बीमारी ठीक होती है|
कान दर्द में मूली
- मुरई के रस को थोड़ा गर्म करें| इसमें मधु तथा तेल एवं सेंधा नमक मिलाकर कान में डालने से कान के दर्द से आराम मिलता है|
- मुरई क्षार और शहद को मिलाएं| इसमें बत्ती भिगोकर कान में रखने से कान बहना बन्द हो जाता है|
जुखाम में (Muli for cold)
- यदि आपको मौसम बदलने के कारण बार बार जुखाम की समस्या रहती है तो कच्ची मुरई का जूस बनाकर पिने से जुखाम में लाभ होता है|
गले को साफ करने में मूली
- मुरई के बीजों को पीसकर इसमे गर्म जल के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से कंठ का रोग ठीक होता है तथा इससे गला साफ होता है|
सांस के रोग में मूली
- मूली के रस में बराबर मात्रा में मधु और सेंधा नमक मिलाएं| इसका सेवन करने से सांस की नली से संबंधित परेशानी में आराम मिलता है|
- छाया में सुखाई हुई छोटी मुरई का भस्म बना लें| इसे सेवन करने से सांसों की बीमारी में लाभ होता है| इसके साथ चीनी और गुनगुना हलवा का सेवन करना अधिक गुणकारक होता है|
- मूली क्षार में शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से सांसों के रोग में लाभ होता है|
हिचकी में (Muli for hiccup)
- यदि आपको बार – बार हिचकी आने की समस्या है तो सुखी मुली का जूस बनाकर हिचकी तथा सांस के रोगो से छुटकारा मिलेगा|
पेट दर्द में मूली
- यदि आप पेट दर्द से निजात पाना चाहते है तो आप मूली का उपयोग कीजिये इसके लिए मूली के रस में आवश्यकतानुसार नमक मिलाएं| इसके साथ ही काली मिर्च का चूर्ण डालें| इसे बार बार पिने से पेट दर्द ठीक होता है|
- मूली के रस को सुबह सेवन करने से जलोदर रोग में लाभ होता है|
पीलिया में (Muli for jaundice)
- मूली के ताजे पत्तों को जल के साथ पीसकर उबालें| इसमें दूध की तरह झाग ऊपर आता है| इसको छानकर दिन में तीन बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है|
- मूली की सब्जी का सेवन करने से भी वात दोष के कारण होने वाले पीलिया रोग में फायदा होता है|
कुष्ठ रोग में (Muli for leprosy)
- कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए मूली के बीज को बहेड़ा के पत्ते के रस में पीस लें| इससे बीमार अंगों पर लगाएं इस उपाय से कुष्ठ रोग का इलाज होता है|
लीवर में (Muli for liver)
- मूली के चार टुकड़ों को चीनी मिट्टी के बरतन में रखें| ऊपर से छह ग्राम पिसा नौसादर छिड़ककर रात को ओस में रखें| सुबह जो पानी निकले उसको निकलकर इसे पीकर ऊपर से मूली के टुकड़े खा लें इससे लीवर और तिल्ली से संबंधित विकारों में लाभ होता है|
- इसके लिए एक ग्राम मूली बीजों को पीसकर सुबह शाम खाने से भी लिवर और तिल्ली की बीमारी में लाभ होता है|
कीडनी के विकार में (Muli for kidney)
- किडनी की खराबी के कारण अगर पेशाब आना बंद हो जाए तो मूली के रस को दिन में दो तीन बार पीने से बहुत लाभ होता है|
- मूली के पत्तो के रस में कलमीशोरा मिलाकर पिने से कीडनी के दर्द में लाभ मिलता है|
- यदि आप कीडनी की पथरी से परेशान है तो मूली के पत्तो के रस तीन में तीन बार पिने से कीडनी की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है|
मासिक विकार में मूली
- महिलाओं को बराबर मासिक धर्म संबंधी विकार के कारण परेशानी होती है| मासिक धर्म विकार में मूली बीजों के चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में पिएं| इससे मासिक धर्म संबंधी विकार ठीक होता है|
एनीमिया में (Muli for anemia)
- मूली के पत्ते सहित मूली के रस को निकाल लें| इसे दिन में तीन बार पीने से एनीमिया रोग में लाभ होता है|
सुजाक में मूली
- मूली को चार टुकड़ा कर लें| इन पर छह ग्राम भूनी फिटकरी डालें| इन्हें रात में ओस में रख दें| सुबह मूली को खा लें और मूली के ऊपर से जो पानी निकलता है उसे पी ले| इससे सूजाक रोग में लाभ होता है|
दस्त में (Muli for diarrhea)
- दस्त की समस्या में मूली के औषधीय गुण से फायदा मिलता है| कोमल मूली से बने काढ़ा में पीपर का चूर्ण मिला लें| इसे पीकर दस्त को रोक सकते हैं|
अजीर्ण में मूली
- कोमल मूली को मिश्री में मिलाकर खाएं| इससे एसिडिटी में लाभ मिलता है।
- मूली के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर सेवन करें| इससे अजीर्ण में लाभ होता है|
खांसी में
- छाया में सुखाई हुई छोटी मुरई का भस्म बना लें| इसे सेवन करने से खांसी की बीमारी में लाभ होता है| इसके साथ चीनी और गुनगुना हलवा का सेवन करना अधिक फायदेमंद होता है|
सूजन में मूली
- मुरई खाने के फायदे सूजन की समस्या में भी मिलती है| सूजन के इलाज के लिए तिल के साथ मुरई के बीजों का सेवन करें| ऐसा दिन में दो तीन बार करने से सूजन ठीक होती है|
दाद में
- मुली के बीजो को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद का शमन होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Muli)
- जड़
- पत्ते
- बीज
- फल
सेवन मात्रा (Dosages of Muli)
- जूस – 20 से 30 मिली
- काढ़ा – 10 से 30 मिली