अमृतादि गुग्गुल: जाने 15 तरह के रोगों में अमृत के समान कार्य करने वाली औषधि के बारे में
अमृतादि गुग्गुल का परिचय (Introduction of Amritadi guggul: benefits, Doses, contents)
अमृतादि गुग्गुल क्या हैं? (Amritadi guggul kya hai?)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं जिसका मुख्य घटक गिलोय होता हैं जिसे अमृत भी कहा जाता हैं| किसी भी व्यक्ति के जीवन में गिलोय एक अमृत के समान कार्य करता हैं इसी कारण इस औषधि को भी अमृतादि कहा जाता हैं|
यह मुख्य रूप से वात रोग, चर्म रोग और रक्त विकार में काम में ली जाती हैं| इसका सेवन करने से से गठिया, अर्श, कुष्ठ, आमवात, सूजन अदि रोगों को समाप्त किया जा सकता हैं| पाचन तंत्र पर भी यह औषधि काफी सकारात्मक प्रभाव दिखाती हैं| अमृतादि गुग्गुल के बारे में इस लेख में पूरी जानकारी दि गयी हैं|
अमृतादि गुग्गुल के घटक द्रव्य (Amritadi guggul ke gatak dravya)
- गिलोय
- गुग्गुल
- हरड
- बहेड़ा
- आंवला
- पानी
- दंतीमूल
- त्रिकुटा
- वायविडंग
- गुर्च
- त्रिफला
- दालचीनी
- निशोथ
अमृतादि गुग्गुल बनाने की विधि (Amritadi guggul banane ki vidhi)
त्रिकुटा और त्रिफला के प्रत्येक द्रव्य को अलग अलग लेना चाहिए| इस औषधि को बनाने के लिए गुर्च, गुग्गुल, हरड, आंवला, बहेड़ा, इन सब को कूटकर उचित मात्रा में जल ले कर काढ़ा बनाये| जब डाले गए जल का चौथाई हिस्सा शेष रह जाये तो इसे छान लें| अब इसे पुनः तब तक पकाते रहे जब तक की यह गाढ़ा ना हो जाये| इसके बाद इसमें दंतीमूल, त्रिकुटा, वायविडंग, गिलोय, त्रिफला, दालचीनी, निशोथ इन सबका चूर्ण गर्म पाक में मिलाये और ठंडा होने पर इसकी गोलिया बना कर सुखा लें|
अमृतादि गुग्गुल के फायदे (Amritadi guggul ke fayde)
वातरक्त में (for gout)
जब शरीर की प्रकुपित वायु रक्त को दूषित कर देती हैं और यूरिक एसिड की मात्रा शरीर में बढ़ जाती हैं| इस स्थिति में जोड़ो पर बहुत तेज दर्द, लालिमा, सूजन आ जाती हैं| यह शुरुआत में थोडा थोडा ही होता हैं लेकिन आगे चल कर यह शरीर के एक से अधिक जोड़ो में भी दर्द उत्पन्न करने लगता हैं|
वातरक्त रोग में इस औषधि का सेवन करने पर आराम मिलता हैं तथा यह यूरिक एसिड को भी कम करने में मदद करती हैं|
कुष्ठ रोग में (for leprosy)
इस रोग में वात दूषित हो कर रक्त में मिल जाता हैं जिसका असर त्वचा पर होता हैं| इस रोग का यदि समय पर उपचार नही किया जाता हैं तो यह एक दुर्लभ बीमारी का रूप ले लेती हैं| चूँकि यह रोग रक्त और वात विकार के कारण होता हैं इसलिए इस रोग का उपचार इस औषधि का सेवन करके किया जा सकता हैं|
अर्श या पाइल्स रोग में (for piles)
पाइल्स भी गुदा से जुड़ा हुआ एक बेहद दुखदायक रोग हैं| इसे बवासीर भी कहा जाता हैं| इस रोग में रोगी के गुदा के आसपास सूजन आ जाती हैं और गुदा द्वार के आस पास या अन्दर अथवा बाहर की और मस्से बन जाते हैं| यह मस्से खूनी और बादी दो प्रकार के होते हैं|
खूनी बवासीर में मस्सों से खून गिरता हैं| इस रोग में मल त्याग करने में बहुत परेशानी आती हैं और कष्ट भी होता हैं| यह औषधि धीरे धीरे मस्सो को कम कर उन्हें समाप्त करने में सहायता प्रदान करती हैं|
आमवात में (for Rheumatism)
जब किसी व्यक्ति की पाचक अग्नि मंद होती हैं तो भोजन का पाचन सही प्रकार से नही हो पाता हैं तो अपचा भोजन शरीर में पड़ा पड़ा सड़ने लगता हैं| इसके कारण यह एक विष के समान कार्य करता हैं| यह विष जब शरीर की वात से रक्त में घुल जाता हैं और जोड़ो में दर्द, लालिमा, सूजन उत्पन्न करता हैं|
इस औषधि का सेवन करने से पाचक अग्नि तीव्र होती हैं जिससे शरीर में भोजन का पाचन सही से हो पाता हैं और कई अन्य तत्व रक्त और वाथ के विकार को समाप्त करते हैं जिससे आमवात रोग का नाश होता हैं|
भगंदर रोग में (for fistula)
इस रोग को फिशर भी कहा जाता हैं | यह रोग गुदा सम्बंधित रोग होता हैं जिसमे मरीज के गुदा के अन्दर फोड़े या घाव हो जाते हैं | इससे मरीज को मल त्याग करने में बहुत अधिक पीड़ा होती हैं | यह घाव या फोड़े बड़े या छोटे हो सकते हैं | इस स्थिति से बाहर निकलने के हेतु किसी भी व्यक्ति के लिए अमृतादि गुग्गुल एक उत्तम औषधि होती हैं |
अमृतादि गुग्गुल के अन्य फायदे (Other benefits of Amritadi guggul)
- मन्दाग्नि को तेज करें
- त्वचा रोगों में
- दुष्टव्रण में
- प्रमेह
- नाड़ीव्रण
- सूजन को खत्म करें
- रक्त को साफ़ करें
- एसिडिटी में
- कब्ज़ में
- उदर कृमि को मिटाए
अमृतादि गुग्गुल की सेवन विधि (Amritadi guggul ki sevan vidhi)
- 2 से 4 गोली का सेवन गिलोय के क्वाथ के साथ या गर्म जल के साथ करें|
अमृतादि गुग्गुल का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Amritadi guggul ke sevan ki savdhaniya)
- किसी भी व्यक्ति को औषधि का सेवन करने से किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए |
- इसका सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए |
- यदि आप किसी प्रकार के रोग से ग्रसित हैं और उस रोग की चिकित्सा ले रहे हैं तो आपको इसका सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक को जानकारी देनी चाहिए|
- गर्भवती महिला या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन बिना किसी निर्देश के नही करना चाहिए|
अमृतादि गुग्गुल की उपलब्धता (Amritadi guggul ki uplabdhta)
- धूतपापेश्वर अमृतादि गुग्गुल (Dhootpapeshwar Amritadi guggul)
- दीप आयुर्वेदा अमृतादि गुग्गुल (Deep ayurveda Amritadi guggul)
- डाबर अमृतादि गुग्गुल (Dabur Amritadi guggul)
- बेसिक आयुर्वेदा अमृतादि गुग्गुल (Basic Ayurveda Amritadi guggul)
- आयुर्वेदा 24 अमृतादि गुग्गुल (Ayurveda 24 Amritadi guggul)
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