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औषधी दर्शन

त्रयोदशांग गुग्गुल: हड्डियों से जुड़े और अन्य 12 मर्ज की एक दवा

त्रयोदशांग गुग्गुल का परिचय (Trayodashang guggul introduction: benefits, dosage)

Table of Contents

त्रयोदशांग गुग्गुल क्या हैं? (Trayodashang guggul kya hai?)

त्रयोदशांग गुग्गुल एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि हैं जो शरीर में वात से जुड़े हुए सभी प्रकार के रोगों को समाप्त करने में काम में ली जाती हैं | आयुर्वेद के अनुसार शरीर में किसी भी प्रकार की गति वात के कारण ही होती हैं परन्तु जब वात कुपित हो जाये तो यह शारीरिक गतिविधियों पर प्रभाव डालती हैं |
वात दोष के कारण होने वाला किसी भी प्रकार का दर्द, गठिया रोग, लकवा, गृघ्रसी- वात जैसे और भी कई रोग त्रयोदशांग गुग्गुलु के उपयोग से समाप्त किये जा सकते हैं | यदि इसका सेवन उचित मात्रा में नियमित रूप से किया जाये तो व्यक्ति के हाथ और पेरो में आई विकृति जिसे लंगड़ा भी कहा जाता हैं, तक को समाप्त करने में समर्थ हैं |

त्रयोदशांग गुग्गुल के घटक द्रव्य (Trayodashang guggul ke ghatak)

  • बबूल की छाल
  • असगंध
  • हाउबेर
  • गिलोय
  • शतावर
  • गोखरू
  • काला निशोथ
  • रास्ना
  • सौंफ
  • कचुर
  • अजवायन
  • सौंठ का चूर्ण
  • शुद्ध गुग्गुल
  • घी
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त्रयोदशांग गुग्गुल बनाने की विधि (Trayodashang guggul banane ki vidhi)

इस औषधि को बनाने के लिए दी गयी सभी औषधियों को अच्छे से कूट कर इनका चूर्ण बना लें | अब इस चूर्ण में थोडा थोडा घी (ली गयी गूगल की आधी मात्रा में) डाल कर कूटे | जब यह गोली बनाने के लायक हो जाये तो इसकी गोलियां बना कर सुखा लें | इसके बाद इन्हें उपयोग में लिया जा सकता हैं |

त्रयोदशांग गुग्गुल के फायदे (Trayodashang guggul ke fayde)

गृघ्रसी में (in Sciatica)

आयुर्वेद में इस रोग को वात के अंतर्गत रखा गया हैं | जब रीढ़ की हड्डी को चोट या झटको से बचाने वाली दो गद्देदार डिस्क ख़राब होती हैं या उनमे किसी प्रकार की क्षति होती हैं तो इस समस्या का सामना करना पड़ता हैं |
इसके कारण शरीर में कमजोरी, प्रभावित अंग में दर्द, बैठने या खड़े होने में समस्या आती हैं | कभी कभी तो रोगी का चलना फिरना तक नामुमकिन सा हो जाता हैं | इस गंभीर समस्या से बाहर निकलने के लिए त्रयोदशांग गुग्गुलु का उपयोग सबसे उचित रहता हैं |

रूमेटाइड अर्थराइटिस और गठिया रोग (in gout)

इस रोग का प्रभाव मुख्य रूप से जोड़ो पर पड़ता हैं | इस रोग में जोड़ो में सूजन, चुभन और जोड़ो का लाल हो जाना जैसी समस्याएँ सामने आती हैं | यह पीड़ा एक जोड़े से खत्म हो कर शरीर के किसी दूसरे जोड़ में होना शुरू हो जाती हैं | इसके कारण दैनिक जीवन पूर्ण रूप से अस्त व्यस्त हो जाता हैं | इस स्थिति से निकलने के लिए त्रयोदशांग गुग्गुल का प्रयोग करना चाहिए | इसका नियमित सेवन करने से यह समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाती हैं |

त्रयोदशांग गुग्गुल के फायदे herbal arcade
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मांसपेशियों में ऐंठन की समाप्ति

अधिक शारीरिक परिश्रम के कारण या शरीर में रक्त का प्रवाह ठीक ढंग से ना हो पाने पर भी मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या आ सकती हैं | अधिक व्यायाम करने से भी यह समस्या हो सकती हैं | इसके कारण शरीर पर नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ता हैं जिससे हमारे कई कार्य प्रभावित होते हैं|
मांसपेशियों की ऐंठन को समाप्त करने के लिए त्रयोदशांग गुग्गुल का उपयोग बेहतर होता हैं |

पक्षाघात या लकवे में

इस रोग में जब व्यक्ति के शरीर में रक्त की आपूर्ति पूरी तरह नही हो पाती हैं तो उसे लकवा मार जाता हैं| शरीर की ऐसी स्थिति जिसमे शरीर का एक हिस्सा या पूरा शरीर सुन्न पड़ सकता हैं | चेहरे पर, चेहरे का सिर्फ एक हिस्सा, पैर या कोई अन्य हिस्सा इसकी चपेट में आ सकता हैं | इसे लकवे की स्थिति कहा जाता हैं | यह स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत गंभीर हो सकती हैं | इस समस्या से निजात पाने के लिए त्रयोदशांग गुग्गुल का उपयोग नियमित रूप से चिकित्सक की सलाह अनुसार करना चाहिए |

ऑस्टियो अर्थराइटिस में

जब एक उम्र के बाद हड्डियों का सुरक्षा कवच हटने लगता हैं या उसका क्षरण होने लगता हैं तो यह स्थिति उत्पन्न होती हैं | इसमें हड्डियों में सूजन तथा वजन उठाने वाले अंगो जैसे पीठ और घुटनों पर मुख्य रूप से असर पड़ता हैं | त्रयोदशांग गुग्गुल इस अवस्था में काफी उपयोगी सिद्ध होती हैं |


सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस या मन्यास्तम्भ

गर्दन में होने वाला दर्द और जकड़न, गर्दन के पीछे से शुरू होने वाला सिर दर्द, कंधो का दर्द और जकड़न आदि लक्षण इस रोग के अंतर्गत आते हैं | बार होने वाले या निरंतर बने रहने वाले इस दर्द में यह औषधि एक रामबाण इलाज़ होती है |

अन्य रोगों में

  • भूख ना लगना
  • बदहजमी
  • एनीमिया
  • मोटापा
  • दर्द
  • हड्डियों के दर्द में
  • कमर दर्द में

त्रयोदशांग गुग्गुल के सेवन का प्रकार और मात्रा (Trayodashang guggul ki sevan vidhi)

  • 2 से 4 गोली का सेवन गर्म जल या दूध के साथ करना चाहिए |

त्रयोदशांग गुग्गुलु का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Trayodashang guggul ke sevan ki savdhaniya)

  • औषधि का सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए |
  • इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लें |
  • गर्भवती महिला को भी इसके सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए

त्रयोदशांग गुग्गुलु की उपलब्धता (Trayodashang guggul ki uplabdhta)

हड्डियों में दर्द के समय खाने वाले और परहेज किये जाने वाले खाद्य पदार्थ (Pathya or apathya)

खाने योग्य पदार्थ (पथ्य)खाने हेतु अयोग्य पदार्थ (अपथ्य)
पुराने चावल, बथुवा, हरी और पतेदार सब्जियां, मूंग की दाल, पपीता, लौकी, तुरई, अंजीर, मुनक्का, किशमिश, चौकर युक्त आटा, लहसुन, अदरक, तक्र, करेला, निम पत्र, गुनगुना जल, यव आदि |नए चावल, काला चना, तेल, चना, दूषित जल,शीतल जल, दही, गुड, मछली, मांस आदि |

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