पत्रांगासव: मासिक धर्म के दर्द के साथ 10 अलग अलग बिमारियों को इसके सेवन से करें समाप्त
पत्रांगासव का परिचय (Introduction of Patrangasava: benefit, dose)
पत्रांगासव क्या हैं?? (what is Patrangasava)
पत्रांगासव एक जानी मानी आयुर्वेदिक औषधि हैं| यह औषधि मुख्य रूप से स्त्रियों के लिए ही होती हैं| स्त्रियों की सारी समस्याओं से निबटने के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जाता हैं| पतंग काष्ठ इस औषधि का मुख्य घटक हैं| इसे गर्भाशय का टॉनिक भी कहा जाता हैं| शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन इस औषधि के माध्यम से खत्म की जा सकती हैं|
यह औषधि कफ, वात तथा पित्त का संतुलन करती हैं| स्त्रियों की किसी भी प्रकार की प्रदर समस्याओं, मासिक धर्म के समय होने वाला दर्द, कमर दर्द, कमजोरी जैसी सभी परेशानियों को खत्म कर महिलाओं को बहुत जल्द आराम पहुचाती हैं| यह औषधि शीतल प्रवृति की होती हैं| इन सब के अतिरिक्त उदर रोग और पांडू रोग को भी यह औषधि जड़ से खत्म कर देती हैं|
पत्रांगासव औषधि के घटक द्रव्य (Contents of Patrangasava)
- पतंग काष्ठ
- खैरसार
- वासामूल
- सेमल के फूल
- बला
- भिलावा
- गुडहल की कली
- सारिवा
- आम की गुठली की मींगी
- दारुहल्दी
- रसोंत
- चिरायता
- सफ़ेद जीरा
- बिल्व
- भांगरा
- दालचीनी
- केसर
- लौंग
- लौह भस्म
- द्राक्षा
- धातकी
- पानी
- चीनी
- शहद
पत्रांगासव औषधि बनाने की विधि (How to make Patrangasava contents herbal arcade)
इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले द्राक्षा, धाय के फूल और शहद को छोड़कर सभी औषधियों को अच्छी तरह से कूट लें| इसके पश्चात उचित जल की मात्रा में द्राक्षा, शहद और धाय के फूल को मिला दें| अब अच्छे से घुल जाने के बाद बाकी बची सभी औषधियों के चूर्ण को मिश्रण में डाल कर अच्छे से घोलें| अब इस मिश्रण को चिकने पात्र में भर कर एक महीने के लिए किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें| लगभग एक महीने के बाद यह औषधि तैयार हो जाती हैं| तैयार मिश्रण अब पत्रांगासव औषधि बन चुकी हैं| अब इस औषधि का सेवन किया जा सकता हैं|
पत्रांगासव औषधि के फायदें और उपयोग (Benefits of Patrangasava)
श्वेत प्रदर की समस्या को जड़ से खत्म करें
यह औषधि मुख्य रूप से महिलाओं की प्रदर समस्या को खत्म करने के लिए बनाया गया हैं| महिलाओं में श्वेत प्रदर की समस्या एक आम बात हैं इस समस्या को ल्यूकोरिया कहा जाता हैं| इस स्थिति में महिला का शरीर कमजोर होता चला जाता हैं| इस औषधि का सेवन करने से महिलाओं में श्वेत प्रदर की समस्या समाप्त होती हैं और हर महिला एक स्वस्थ जीवन जी सकती हैं|
पत्रांगासव से रक्त प्रदर की समस्या का समाधान
श्वेत प्रदर की समस्या के साथ साथ यह औषधि रक्त प्रदर की समस्या को भी जड़ से खत्म कर देती हैं| मासिक धर्म के समय अत्यधिक रक्त प्रवाह होने के कारण शरीर में खून की कमी हो सकती हैं जिससे शरीर कमजोर हो जाता हैं| अत्यधिक रक् प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए पत्रांगासव औषधि का प्रयोग किया जाता हैं|
गर्भाशय विषहरक
यह आसव गर्भाशय को भी बलवान बनाता हैं| गर्भ नही ठहरना, गर्भ रह कर असमय में भी स्त्राव या गर्भपात हो जाना, मरा हुआ बच्चा पैदा होना, संतान होते ही मर जाना, रोगी संतान होना आदि जैसी गंभीर समस्याओं को भी इस औषधि का सेवन समाप्त कर सकता हैं| इस औषधि के साथ में चन्द्रप्रभा वटी का उपयोग करने से विशेष लाभ होता हैं|
कमर दर्द का निवारण
इस आसव का प्रयोग स्त्रियों की कमर दर्द का एक बहुत ही अच्छा उपाय हैं| यह औषधि कमर दर्द को तो ठीक करती ही हैं बल्कि उनमे हो रहे या होने वाले किसी विकार को समाप्त करती हैं| हर स्त्री को इस औषधि का सेवन करना ही चाहिए| इससे स्त्रियों की तंदरुस्ती तथा सुन्दरता बनी रहती हैं| जितना महिलाओं का स्वास्थ्य सही बना रहेगा स्त्रियों की सुन्दरता भी उतनी ही बरक़रार रहेंगी| इन सभी स्थितियों में इस औषधि का प्रयोग उत्तम रहता हैं|
पत्रांगासव सूजन मिटायें
शरीर के किसी अंग तक खून जब नही पहुच पाता तो उस हिस्से में वायु या पानी भर जाता हैं तथा वह हिस्सा सूज जाता हैं| सूजन वाले हिस्से पर अंगुली लगाने पर वंहा गड्ढा सा बन जाता हैं तथा धीरे धीर वह भर जाता हैं| इस प्रकार की सूजन को मिटाने के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जा सकता हैं| यह औषधि इस समस्या को खत्म करने में सहायता करती हैं|
पांडू रोग को खत्म करें
हमारे गलत खान पान के कारण खून में कमी होना एक आम बात हैं परन्तु जब शरीर में खून की कमी जड़ जमा ले तो मनुष्य दिन दिन कमजोर होता जाता हैं| इस कारण मनुष्य के शरीर में आई खून की कमी को दूर करने के लिए मुख्य रूप से पत्रांगासव औषधि का प्रयोग करना चाहिए| यह औषधि शरीर में उपस्थित हिमोग्लोबिन जिन्हें लाल रक्त कणिकाएं भी कहा जाता हैं, का स्तर बढाती हैं और मनुष्य फिर से पहले जैसे हष्ट पुष्ट होने लगता हैं|
शरीर में जलन को दूर करें
यह औषधि शरीर में हो रही जलन को समाप्त कर व्यक्ति को राहत पहुंचाता हैं| इस औषधि की प्रवृति शीतल होती हैं जिससे यह शरीर की जलन, गर्मी जैसी समस्याओं को जड़ से खत्म कर रोगी को शीतलता प्रदान करती हैं|
पाचन तंत्र को मजबूत बनायें
पाचन तंत्र में विकार होने के कारण भोजन का पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता है| भोजन का पाचन सही प्रकार से ना होने के कारण अपच, कब्ज आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं| भोजन का पाचन सही प्रकार से ना होने का कारण मंद पाचक अग्नि हो सकता है| इस औषधि का सेवन करने से यह पाचन तंत्र में उपस्थित मंद पाचक अग्नि को तीव्र करती है जिससे भोजन का पाचन आसानी से और जल्दी हो जाता है|
वात, पित्त और कफ को संतुलित करें
हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन होना बहुत आवश्यक होता हैं| यदि शरीर में इनका संतुलन नही रहता हैं तो खांसी, अपच, गैस, पाचक अग्नि मंद पड़ना, वायु दोष जैसे कई रोग शरीर में जड़ जमा लेतें हैं| इस औषधि का प्रयोग करने से शरीर में इनका संतुलन यदि बिगड़ गया हो तो सही हो जाता हैं और इन सब रोगों से मुक्ति मिलती हैं|
ज्वर में लाभदायक
यह औषधि सामान्य ज्वर में लाभदायक होती हैं| ज्वर के समय दूसरी दवाइयों का सेवन करने से ज्वर केवल कुछ समय के लिए ही खत्म होता हैं| जिससे शरीर में कमजोरी बनी रहती हैं| ज्वर के समय इस औषधि का प्रयोग करने से यह ज्वर को जड़ से खत्म करती हैं तथा कमजोरी को भी खत्म करती हैं|
पत्रांगासव औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा (Dosage of Patrangasava)
आयु | मात्रा |
बच्चो के लिए | 5 से 10 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्तियों के लिए | 10 से 25 मिलीलीटर |
दिन में कितनी बार ले | दिन में दो बार सुबह शाम |
सेवन का उचित समय | खाना खाने के बाद |
किसके साथ ले | गुनगुने जल के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
पत्रांगासव औषधि का सेवन करते समय रखी जाने वालीं सावधानियाँ (Precautions of Patrangasava)
- इस औषधि को नमी से दूर रखें|
- औषधि का सेवन जल के साथ ही करें |
- मधुमेह के रोगी को इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए |
- गर्भावस्था के दौरान इस औषधि का सेवन नही करना चाहिए|
- खाली पेट इस औषधि का सेवन ना करें|
पत्रांगासव औषधि की उपलब्धता (Availability of Patrangasava)
- बैधनाथ पत्रांगासव (BAIDYANATH PATRANGASAVA)
- दिव्य पत्रांगासव (DIVYA PHARMACY PATRANGASAVA)
- बेसिक आयुर्वेदा पत्रांगासव (BASIC AYURVEDA PATRANGASAVA)
- डाबर पत्रांगासव (DABUR PATRANGASAVA)
- सुश्रुत पत्रांगासव (SUSHRUT PATRANGASAVA)
- वंडर हर्बल्स पत्रांगासव (WONDER HERBALS PATRANGASAVA)
- गुआफा पत्रांगासव (GUAPHA PATRANGASAVA)
- मुलतानी पत्रांगासव (MULTANI PATRANGASAVA)
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