रस माणिक्य (Ras Manikya)
रस माणिक्य का परिचय (Introduction of Ras Manikya)
रस माणिक्य क्या हैं? (Ras Manikya kya hai?)
यह वात और कफ का शमन करने वाली एक आयुर्वेदिक औषधि हैं| इसी कारण वात और कफ के कारण होने वाले किसी भी प्रकार के त्वचा रोग को इस औषधि के सेवन से समाप्त किया जा सकता हैं| यह तासीर में गर्म होती हैं अर्थात यह कुपित वात को शांत कर पित्त को बढाती हैं|
इसके साथ ही गर्म तासीर की होने के कारण यह छाती में जमे हुए कफ को भी आसानी से बाहर निकल देती हैं| रस माणिक्य का सेवन करने से सभी प्रकार के कुष्ठ रोग, वातरक्त, आमवात, भगंदर, नासूर, विषम ज्वर, जीर्ण ज्वर, सन्निपात जैसे रोगों का भी शमन किया जा सकता हैं| इसके अतिरिक्त भी इसके बहुत सारे फायदे हैं जिन्हें इस लेख में बताया गया हैं|
रस माणिक्य के घटक द्रव्य (Ras Manikya ke gatak dravya)
- शुद्ध वंशपत्री
- हरताल
- श्वेत अभ्रक पत्र
- मुलतानी मिट्टी
- माणिक्य
रस माणिक्य बनाने की विधि (Ras Manikya banane ki vidhi)
शुद्ध वंशपत्री हरताल को चूर्ण कर के श्वेत अभ्रक पत्रों पर बिछा दें| अब मुलतानी मिट्टी और कपडे से इसकी संधि कर दें| इसके बाद जब तक अभ्रक पत्रों का रंग गहरा लाल ना होजये तब तक उसे पकाएं| इसके बाद जब यह अपने आप ठंडा हो जाये तो उसमे से माणिक्य के टुकडों के सदृश रस को निकल कर सुरक्षित रख लें|
रस माणिक्य के फायदे (Ras Manikya ke fayde)
कुष्ठ रोग में (For leprosy)
दुर्लभ से दुर्लभ त्वचा रोग को भी आयुर्वेद में कुष्ठ रोग के अंतर्गत रखा गया हैं| आयुर्वेद में 20 तरह के कुष्ठ रोग बताये गए हैं उन सभी में यह औषधि काम में ली जाती हैं| इसका सेवन करने से मुख्य रूप से पुण्डरीक कुष्ठ, चर्मदल कुष्ठ, मंडल कुष्ठ, गलित कुष्ठ और श्वेत कुष्ठ रोगों का नाश होता हैं|
कुष्ठ रोग एक ऐसा रोग हैं जो धीरे बढता ही जात हैं| ऐसे में इस रोग की समाप्ति के लिए रस माणिक्य का उपयोग उचित रहता हैं|
वातरक्त और आमवात में (For gout)
इन दोनों रोग में जोड़ो में दर्द, अकड़न, सूजन, चुभन आदि जैसी समस्याएँ सामने आती हैं| दोनों रोगों में लक्षण लगभग समान ही रहते हैं परन्तु कारण अलग अलग होते हैं| वातरक्त में शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के कारण रोग उत्पन्न होता हैं|
जबकि आमवात में पाचक अग्नि मंद होने के कारण अपक्व भोजन, वात और उसके बाद रक्त में घुल कर जोड़ो में दर्द उत्पन्न करता हैं| इन दोनों रोगों को समाप्त करने के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जाता हैं|
विसर्प रोग में
इस रोग में शरीर में चोट लगी हुई जगह या छिली हुई जगह पर जब कोई विशेष कीटाणु लग जाते हैं तब इस रोग की उत्पत्ति होती हैं| यह कीटाणु या बेक्टेरिया धीरे धीरे संक्रमण उत्पन्न करने लगते हैं जिसके कारण रोगी को तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, त्वचा पर चकते आदि लक्षण सामने आने लगते हैं| इस संक्रमण में इस औषधि का सेवन करने से इसे समाप्त किया जा सकता हैं|
भगंदर रोग में (For fissure)
यह रोग भी गुदा द्वार से ही जुड़ा हुआ हैं| इस रोग में गुदा द्वार या नली में फोड़ा हो जाता हैं| यह फोड़ा आगे चलकर घाव में बदल जाता हैं| इससे मल त्याग में बहुत परेशानी आती हैं| मल त्याग करते समय बहुत अधिक दर्द होता हैं| इस रोग से छुटकारा पाने के लिए यह औषधि एक कारगर औषधि हैं |
विषम ज्वर में
इस ज्वर में बुखार आने का कोई नियमित समय नही होता हैं| यह ज्वर एक दिन छोड़कर हर दूसरे दिन या तीसरे दिन जैसे अन्तराल में आता हैं| ऐसे में कोई भी व्यक्ति दुर्बल होता जाता हैं| इस ज्वर को समाप्त करने के लिए इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए|
जीर्ण ज्वर में (For chronic fever)
जब ज्वर अधिक दिनों तक रहता हैं तो उसे जीर्ण ज्वर कहा जाता हैं| विषम ज्वर के साथ साथ इस औषधि का सेवन करने से जीर्ण रोग की भी समाप्ति होती हैं|
ह्रदय रोग में (In heart disease)
यह औषधि ह्रदय या उसकी धमनियों में आने वाले अवरोध को दूर करने में सहायता करती हैं| इसलिए ह्रदय मजबूत और सुरक्षित बना रहता हैं| यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो आप को भी इस औषधि का सेवन करना चाहिए|
सन्निपात में
सन्निपात रोग होने का कारण व्यक्ति के शरीर में उपस्थित त्रिदोष का असंतुलन होता हैं| जब किसी एक दोष के थोडा सा ऊपर नीचे होने के कारण व्यक्ति को बीमारियाँ होती हैं तो जाहिर सी बात हैं कि तीनो ही दोषों के बिगड़ जाने पर व्यक्ति का हाल बेहाल हो जाता हैं| सन्निपात के कारण तेज बुखार, शारीरिक दुर्बलता तथा मस्तिष्क को भी आघात पहुँचता हैं|
कभी कभी तो व्यक्ति मूर्छित तक हो जाता हैं| ऐसे में सन्निपात किसी भी रोगी को संभालना मुश्किल हो जाता हैं| इस औषधि का सेवन सन्निपात में कराने से रोगी को आराम मिलता हैं और ह्रदय की भी सुरक्षा बनी रहती हैं|
रस माणिक्य का उपयोग अन्य रोगों में (Other benefits of Ras Manikya)
- उपदंश में
- नाक और मुख के रोगों में
- खांसी में
- निमोनिया में
- वीर्य दोष में
- टी.बी. रोग में
- नपुसंकता में
- बांझपन में
- दमा में
- एनीमिया में
रस माणिक्य की सेवन विधि (Ras Manikya ki sevan vidhi)
• 1 से 2 गोली का सेवन के अनुसार शहद, गाय के घी या मक्खन मिश्री के साथ करें|
रस माणिक्य का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Ras Manikya ke sevan ki savdhaniya)
- इस औषधि का सेवन बिना किसी चिकित्सक की सलाह के नही करना चाहिए |
- गर्भवती महिला को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए |
- जीर्ण रोगी इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक को रोग की जीर्णता के बारे में पूरी जानकारी दें |
- औषधि का सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए |
- पित्त प्रधान लोगो को पित्त शामक औषधि के साथ इसका प्रयोग करना चाहिए|
रस माणिक्य की उपलब्धता (Ras Manikya ki uplabh)
- बैधनाथ रस माणिक्य (Baidhyanath Ras Manikya)
- डाबर रस माणिक्य (Dabur Ras Manikya)
- ऊंझा रस माणिक्य (Unjha Ras Manikya)
- साधना रस माणिक्य (Sadhna Ras Manikya)
- मुलतानी रस माणिक्य (Multani Ras Manikya)
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