रोहितकारिष्ट: रोहिड़ा की छाल से बनी औषधि के 11 प्रभावशाली फायदें(Benefits of Rohitkarishth)
रोहितकारिष्ट का परिचय (Introduction of Rohitakarishta: Benefit, dose)
क्या होता हैं रोहितकारिष्ट ?? (Rohitakarishta kya hai?)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं जिसे अरिष्ट विधि द्वारा बनाया जाता हैं| इस औषधि का मुख्य घटक रोहिडा वृक्ष की छाल होता हैं इसी कारण इस औषधि को रोहितकारिष्ट कहा जाता हैं| यह मुख्य रूप से जिगर और तिल्ली के रोगों को समाप्त करने के लिए उपयोग में ली जाती हैं| इसका सेवन करने से यह रक्त को साफ़ करने के साथ साथ सफ़ेद रक्त कोशिकाओं का भी निर्माण करती हैं|
प्लीहा की सूजन भी इस औषधि के प्रयोग से खत्म होती हैं| इन सब रोगों के अतिरिक्त इस औषधि को ह्रदय के रोग, पाचन तंत्र से जुडी कोई भी समस्या और पीलिया जैसी घातक बिमारियों को जड़ से खत्म करने में उपयोग में ली जाती हैं| भूख की कमी होने पर इस औषधि का सेवन उत्तम रहता हैं|
रोहितकारिष्ट औषधि के घटक द्रव्य (Rohitakarishta ke ghatak)
- रोहिडा की छाल
- पानी
- गुड़
- धातकी
- पीपली
- पीपलामूल
- चव्य
- चित्रक
- सोंठ
- दालचीनी
- इलायची
- तेज पत्ता
- हरीतकी
- बहेड़ा
- आंवला
रोहितकारिष्ट औषधि बनाने की विधि (Rohitakarishta banane ki vidhi)
यह औषधि एक आयुर्वेदिक औषधि हैं| इस औषधि को उचित मात्रा में लेने पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नही होता| यह औषधि अरिष्ट विधि द्वारा बनायीं जाती हैं| इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले रोहिडा के पेड़ की छाल का मोटा जोकूट बना लेवें| अब किसी बर्तन में उचित मात्रा में पानी के साथ कूटी गयी पेड़ की छाल को धीमी आंच पर काढ़ा बनाने के लिए छोड़ दे| काढ़ा तब तक तैयार नही होता जब तक डाले गए पानी का चौथाई हिस्सा शेष ना रह जाएँ| चौथाई हिस्सा शेष रह जाने के बाद इसे नीचे उतार कर ठंडा कर लें|
अब इस मिश्रण में गुड़ और धाय के फूल मिलाएं| इसके पश्चात बाकी बची सारी औषधियों को कूट कर इस मिश्रण में डाल दें| अन इस मिश्रण को किसी वायुरोधी पात्र में बहर कर किसी सुरक्षित स्थान पर एक महीने के लिए रख दें| लगभग एक महीने के बाद यह औषधि तैयार होगी जिसे हम रोहितकारिष्ट औषधि कह सकते हैं| अब इस औषधि का सेवन किया जा सकता हैं|
रोहितकारिष्ट औषधि के फायदे और उपयोग (Rohitakarishta ke fayde)
रोहितकारिष्ट तिल्ली ( SPLEEN ) की वृद्धि कम करें
जब व्यक्ति के शरीर में प्लीहा अर्थात तिल्ली की वृद्धि हो जाती हैं तो शरीर कमजोर हो जाता हैं, भूख नही लगती, पाचक अग्नि मंद पड़ जाती हैं, पेट भरा भरा लगना, खाने की इच्छा न होना जैसी कई समस्याएँ आती हैं| इन सभी समस्याओ को रोहितकारिष्ट औषधि के माध्यम से जड़ से खत्म किया जा सकता हैं| यह औषधि बढे हुए प्लीहा को कम कर इन सभी समस्याओं का समाधान करती हैं|
यकृत विकार को समाप्त करें
इस औषधि के माध्यम से यकृत सम्बंधित सारी समस्याएं खत्म करती हैं| यकृत की सूजन जैसी समस्या के कारण कई व्यक्ति अपनी जान तक गँवा देते हैं| इस औषधि का सेवन करने से यह यकृत से जुडी हुई सूजन हो या यकृत में किसी भी प्रकार का विकार हो सारी समस्याएँ यह औषधि जड़ से खत्म कर देती हैं| यकृत के सही प्रकार से काम करने से व्यक्ति का शरीर स्वस्थ महसूस करता हैं|
रोहितकारिष्ट कोलाइटिस रोग को खत्म करें
आँतों में सूजन, जलन या दूसरी तरह की तमाम बिमारियों को कोलाइटिस कहतें हैं| इस रोग में पेट में ऐंठन, दस्त, बुखार, वजन कम होना आदि जैसे लक्षण सामने आते हैं| इन सरे रोगों को जड़ से खत्म करने के लिए रोहितकारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए| यह औषधि इन सारी बिमारियों को खत्म करने के साथ ही शरीर को पुष्ट और बलवान भी बनाती हैं|
गुल्म रोग में
रोहितकारिष्ट पेट में नाभि के ऊपर खाली हिस्से में भरी हुई समस्या को खत्म करने में सहायक होती हैं| जब नाभि के ऊपर खाली स्थान में वायु भर जाती हैं तो इसे गुल्म रोग कहते हैं| इस रोग के कारण नाभि के ऊपर वाले हिस्से में उभार आ जाता हैं जिसके कारण रोगी को पेट दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं| गुल्म रोग को खत्म करने में यह औषधि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं|
रोहितकारिष्ट मंद पाचक अग्नि को तीव्र करें
यह औषधि पेट में मंद पड़ी पाचक अग्नि को तीव्र करती हैं| पाचक अग्नि मंद होने के कारण भोजन सही से नही पच पाता जिसके परिणामस्वरूप अपच, गैस, कब्ज़ जैसी कई बिमारियों का सामना करना पड़ता हैं| पाचक अग्नि के मंद होने से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार और चिडचिडा रहने लगता हैं| रोहितकारिष्ट औषधि पाचक अग्नि को तीव्र करने की एक उत्तम औषधि हैं|
ह्रदय रोगों से लड़ने में सहायक
ह्रदय से जुड़े रोग कई बार व्यक्ति के जीवन के लिए घातक साबित होतें हैं| ह्रदय रोग जैसे धडकनों का अनियमित रूप से धड़कना, ह्रदय की स्थिति में परिवर्तन, दिल में छेद, ह्रदय का सही तरह से काम नही कर पाना आदि कई रोगों में रोहितकारिष्ट औषधि का सेवन काफी हद तक फायदेमंद साबित होता हैं| इस औषधि का सेवन नियमित मात्रा में और नियमित रूप से करने के बाद ह्रदय से जुडी सारी परेशानियों का समाधान निश्चित हैं|
पांडु रोग में फायदेमंद
जब शरीर में रक्त की अल्पता आ जाती हैं अर्थात शरीर में खून की कमी आ जाती हैं तो इसे एनीमिया रोग या पांडू रोग कहा जाता हैं| एनीमिया शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर गिरने या हिमोग्लोबिन के अणु में अनचाहे परिवर्तन से खून की कमी हो सकती हैं | किशोरावस्था और रजोनिवृति के बीच की आयु में यह सबसे ज्यादा होता हैं|
गर्भवती महिलाओं को भी एनीमिया की समस्या रहती हैं| इस स्थिति में त्वचा का सफ़ेद दिखना, अधिक थकावट, कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्या आ सकती हैं| इस औषधि का प्रयोग कर के शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढाया जा सकता हैं जिससे शरीर में खून की कमी को भी खत्म किया जा सकता हैं|
संग्रहणी रोग को खत्म करें
पाचन क्रिया के सही ना होने के कारण इस प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं| इस रोग में व्यक्ति को पानी के समान मल त्याग करना पड़ता हैं| यज समस्या गंभीर होने के बाद व्यक्ति को सांयकाल के भोजन के तुरंत बाद भी मल त्याग करने जाना पड़ता हैं| इस समस्या का समाधान करने लिए इस रोग से ग्रसित किसी भी व्यक्ति को रोहितकारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए|
रोहितकारिष्ट सूजन को खत्म करें
रोहितकारिष्ट औषधि शरीर में सामान्य प्रकार की सूजन को दूर करने के लिए रामबाण इलाज़ होता हैं| इस औषधि का उपयोग सूजन के समय करने से इस औषधि में उपस्थित औषधीय गुण सूजन खत्म करके व्यक्ति को आराम देती हैं|
त्वचा रोगों में
यह औषधि त्वचा रोगों को खत्म करने में भी लाभदायक साबित हुई हैं| त्वचा पर चकते पड़ना या त्वचा का लाल होने जैसी समस्याओं पर यह औषधि सकारात्मक प्रभाव डालती हैं| त्वचा को चमदार बनायें रखने के लिए भी इस औषधि का उपयोग किया जाता हैं|
बवासीर रोग को करें खत्म
यह एक बहुत ही तकलीफदे बिमारी होती हैं| इस समस्या में गुदा के अन्दर और बाहर तथा मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती हैं| इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं| इस समस्या से निजात पाने के लिए इस औषधि का प्रयोग बहुत ही उत्तम रहता हैं| इस पीड़ा से ग्रसित किसी भी व्यक्ति को इस औषधि का सेवन करना चाहिए|
कफ और पित्त को संतुलित करें
शरीर में कफ और पित्त का होना अति आवश्यक होता हैं| परन्तु जब शरीर में इनकी वृद्धि या कमी हो जाती हैं तो हार्मोन्स भी असंतुलित होने लगता हैं जिस कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से अस्त व्यस्त हो जाता हैं| यह औषधि वात,पित्त और कफ तीनो ही आवश्यक चीजों का संतुलन बनाये रखती हैं| जब किसी भी व्यक्ति के शरीर में त्रिदोषो में से कोई भी दोष कुपित हो जाएँ तो उन्हें इस औषधि का सेवन करना चाहिए|
रोहितकारिष्ट औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा (Rohitakarishta ki sevan vidhi)
आयु | मात्रा |
बच्चो के लिए | 5 से 10 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्तियों के लिए | 10 से 25 मिलीलीटर |
दिन में कितनी बार ले | दिन में दो बार सुबह शाम |
सेवन का उचित समय | खाना खाने के बाद |
किसके साथ ले | गुनगुने जल के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
रोहितकारिष्ट औषधि का सेवन करते समय रखी जाने वाली सवधानियाँ (Rohitakarishta ka sevan karte samay savdhaniya)
- इसका सेवन गर्भवती महिला को नही करना चाहिए क्योंकि इस औषधि में चित्रक होता हैं जो कि गर्भाशय से रक्तस्त्राव को प्रभावित करता हैं| इस औषधि को नमी से दूर रखना चाहिए|
- औषधि का सेवन करने से पहले किसी चिकित्सक की सलाह जरुर लेवें|
- स्तनपान कराने वाली महिलाएं इस औषधि का सेवन चिकित्सक की सलाह अवश्य लें|
- औषधि का सेवन उचित मात्रा में ही करें|
रोहितकारिष्ट औषधि की उपलब्धता (Rohitakarishta ki uplabdhta)
- बैधनाथ रोहितकारिष्ट ( BAIDYANATH ROHITKARISHTA )
- सांडू रोहितकारिष्ट (SANDU ROHITKARISHTA )
- डाबर रोहितकारिष्ट (DABUR ROHITKARISHTA )
- बेसिक आयुर्वेदा रोहितकारिष्ट (BASIC AYURVEDA ROHITKARISHTA )
- गुआफा रोहितकारिष्ट (GUAPHA ROHITKARISHTA )
- कोट्टकल रोहितकारिष्ट (KOTTAKKAL ROHITKARISHTA )
- सुश्रुत रोहितकारिष्ट (SUSHURUT ROHITKARISHTA )
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