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सूतशेखर रस का परिचय (Sutshekhar ras introduction: benefits, dosage)
सूतशेखर रस क्या हैं? (Sutshekhar ras kya hai?)
सूतशेखर रस एक आयुर्वेदिक औषधि हैं जिसे मुख्य रूप से एसिडिटी के लिए तथा और भी कई पित्त से जुड़े रोगों का शमन करने के लिए लिया जाता हैं| आयुर्वेद में एसिडिटी को अम्लपित्त या पित्त बनना कहा जाता हैं|
यह रस दो तरह के होते हैं- 1. स्वर्ण युक्त तथा 2. स्वर्ण रहित | दोनों रस में कुछ मुख्य तरह का अंतर नही होता हैं| स्वर्ण युक्त सूतशेखर रस ह्रदय और मस्तिष्क को भी बल देता हैं शेष सभी गुण समान हैं|
पित्त रोगों के साथ साथ यह मूत्रकृच्छ, गुल्म रोग, पेट से जुडी कई समस्याओं में यह औषधि फायदेमंद हैं| इस लेख में सूतशेखर रस (स्वर्ण रहित) के सारे फायदों को विस्तार में बताया गया हैं|
सूतशेखर रस के घटक (Sutshekhar ras ke ghatak)
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गंधक
- रौप्य भस्म
- सोंठ
- काली मिर्च
- पीपल
- शुद्ध धतूरे के बीज
- शुद्ध टंकण
- ताम्र भस्म
- दालचीनी
- तेजपात
- छोटी इलायची
- नागकेसर
- शंख भस्म
- बेलगिरी
- कचूर
- भांगरे का रस
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सूतशेखर रस बनाने की विधि (Sutshekhar ras banane ki vidhi)
इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले पारा और गंधक की कज्जली बनाये| दूसरी तरफ भांगरे के रस और भस्मो को छोड़कर सभी औषधियों का चूर्ण बना लें| इसके बाद कज्जली, भस्म और चूर्ण को मिला कर भांगरे के रस की 21 भावना 21 दिन तक करें| गोली बनने के योग्य होने पर इसकी गोलियां बना कर सुखा लें|
सूतशेखर रस के फायदे (Sutshekhar ras ke fayde)
अम्लपित्त या एसिडिटी में (for acidity)
आयुर्वेद के अनुसार जब पेट में पित्त की मात्रा बढ़ने लगती हैं तो यह तकलीफ आने लगती हैं| इसके कारण पेट में जलन, खट्टी डकारे आना, सीने में जलन होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं| इस औषधि में पित्त शामक गुण होते हैं| यदि इस रस का प्रयोग इस अवस्था में किया जाये तो यह पित्त का शमन कर रोगी को राहत देती हैं|
भ्रमरोग या चक्कर आना
व्यक्ति के शरीर में खून का उतार चढाव बहुत धीरे या तेजी से होने लगता हैं (उच्च या निम्न रक्तचाप) या अधिक समय तक भूखा और प्यासा रहने से, कमजोरी, खून की कमी आदि कारणों से व्यक्ति को चक्कर आ सकते हैं| ऐसी अवस्था में इस रस का उपयोग करने से लाभ मिलता हैं|
मूत्रकृच्छ में
यह रोग महिलाओं में अपने गर्भाशय के स्थान से हटने पर होता हैं| मूत्राशय में पथरी भी इस रोग का कारण होती हैं| इसमें रोगी को मूत्र त्याग करने की तीव्र इच्छा होती हैं परन्तु मूत्र का त्याग नही हो पाता हैं| यदि हो भी जाये तो बूंद बूंद और वो भी बड़े कष्ट के साथ होता हैं|
ऐसी स्थिति में इस रस का सेवन करना बहुत उपयुक्त और उचित रहता हैं|
रक्तपित्त में या नकसीर में (for blood bile)
नकसीर को आयुर्वेद में रक्तपित्त कहा जाता हैं| इस रोग में रक्त नाक से, गुदा मार्ग से, मूत्र मार्ग जैसे अंगो से बाहर निकलने लगता हैं| इसमें पित्त प्रकुपित हो कर रक्त को ऊपर या नीचे की और धकेलता हैं|
यह रोग अधिक गर्म खाने, मसालेदार भोजन, ज्यादा धूप में रहना, अधिक परिश्रम करने के कारण हो सकते हैं| इनके अतिरिक्त भी इसके कई कारण होते हैं| रक्तपित्त में इस औषधि का उपयोग करने से यह पित्त का शमन करती हैं और रोगी को राहत दिलाती हैं|
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सूतशेखर रस के अन्य फायदे (Sutshekhar ras ke any fayde)
- मुंह के छालो में
- वात को शांत करें
- प्रकुपित पित्त की समाप्ति
- भूख ना लगने की समस्या में
- पेट दर्द में
- पेट में सूजन
- खांसी में
- गुल्म रोग में
सूतशेखर रस की सेवन विधि (Sutshekhar ras ki sevan vidhi)
- 1-1 गोली का सेवन सुबह शाम करना चाहिए|
- इसे शहद या शक्कर के साथ लिया जा सकता हैं परन्तु दाड़िमवलेह या आंवला मुरब्बे के साथ लेने से विशेष लाभ होता हैं|
सूतशेखर रस का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Sutshekhar ras ke sevan ki savdhaniya)
- गर्भवती महिला को इस औषधि का सेवन बिनी किसी चिकित्सक परामर्श के नही करना चाहिए|
- इस औषधि में डाले गए किसी पदार्थ से यदि आपको एलर्जी हो तो इसके सेवन से बचे|
- अधिक मात्रा में इसका सेवन ना करें|
- यदि आप किसी और रोग की चिकत्सा ले रहे हैं तो यह जानकारी अपने चिकित्सक को जरुर दें|
सूतशेखर रस की उपलब्धता (Sutshekhar ras ki uplabdhta)
- बैधनाथ सूतशेखर रस (BAIDYANATH SUTSHEKHAR RAS)
- झंडू सूतशेखर रस (JHANDU SUTSHEKHAR RAS)
- डाबर सूतशेखर रस ( DABUR SUTSHEKHAR RAS)
- गुआफा सुतशेखर रस (GUAPHA SUTSHEKHAR RAS)
- ऊंझा सूतशेखर रस (UNJHA SUTSHEKHAR RAS)
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