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कांचनार: Kanchnar(Introduction, Benefits and Usages)

कांचनार का परिचय: (Introduction of Kanchnar)

Table of Contents

कांचनार क्या है? (What is Kanchnar?)

यह बहुत सुन्दर फूलों वाली औषधि होती है| इसे वैसे तो कई नामों से जाना जाता है परन्तु इसका साधारण और सबसे अधिक प्रचलित नाम है कांचनार | पूरे भारत में यह देखने को मिलता है| इसका प्रमुख कार्य गांठ को समाप्त करना होता है| मुख्य रूप से गले की गांठ को|

इसके अलावा भी इसके कई फायदे है जैसे कुष्ठ, पाचन के लिए, रक्तपित्त में, खांसी में, मेदोरोग आदि में| यह गण्डमाला नामक रोग का शमन करता है तथा इसी कारण इसे गंडारि के नाम से भी जाना जाता है| चमर के समान फूल वाला होने के कारण चमरिक, चित्रित पुष्प और विदीर्ण पत्ते होने के कारण कर्बुदार आदि नामो से इसे जाना जाता है|

आइये आज आपको भी इसके उन सभी फायदों से परिचित कराते है जिनसे अधिकतर लोग अनजान और वंचित रहते है| इसका सेवन आप भी उचित प्रकार से कर के कई बिमारियों से मुक्ति पा सकते है|

कांचनार की प्रजातियाँ (Species of Kanchnar)

फूलों के आधार पर यह मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है-

  • सफ़ेद कांचनार (अधिक प्रयोग में ली जाने वाली)
  • पीली कांचनार
  • लाल कांचनार

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Morphology of Kanchnar)

इसका पेड़ मध्यम आकार का होता है| छाल का रंग धूसर होता है| पत्तें दो खंडो में बटे हुए होते है| आकृति में ये ह्रदय के समान तथा कुछ चोडे होते है| पत्तों का वृंत रोमश होता है| फूल बड़े और सफ़ेद, बैंगनी तथा लाल रंग के हो सकते है| फूलों के अंतर्दल में पीला रंग होता है| इसकी फली चिकनी, लम्बी, चपटी और कुछ मुड़ी हुई होती हैं जिनके अन्दर लगभग 10 से 15 बीज तक हो सकते है| फरवरी से मार्च के बीच फूल तथा अप्रैल से मई के मध्य फल लगते है|

कांचनार के सामान्य नाम (Kanchnar common names) Herbal Arcade

कांचनार के सामान्य नाम (Common names of Kanchnar )

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Bauhinia variegata
अंग्रेजी (English)Mountain ebony
हिंदी (Hindi)कचनार, कञ्चनार,कचनाल, गोरिआल
संस्कृत (Sanskrit)काञ्चनार, काञ्चनक, गण्डारि, शोणपुष्पक, युग्मपत्रक, स्वल्पकेसरी, गण्डारी
अन्य (Other)बोरोडा (उड़िया) केंपुमन्दरा (कन्नड़) काचनॉल (उर्दू) चम्पाकाटी (गुजराती) देवकाञ्चनमु (तेलुगु) कोईरालो (नेपाली)
कुल (Family)Caesalpiniaceae

कांचनार के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic Properties of Kanchnar)

दोष (Dosha)कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta)
रस (Taste)कषाय (astringent)
गुण (Qualities)रुक्ष (dry), लघु (light)
वीर्य (Potency)शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect)कटु (pungent)
अन्य (Others)गण्डमालानाशक, व्रणशोधक, कुष्ठशामक
Ayurvedic properties of kanchnar Herbal Arcade

कांचनार के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Benefits and usages of Kanchnar)

गण्डमाला या घेंघा रोग का शमन करे कांचनार (Kanchnar for goiter)

  • यदि आप गण्डमाला रोग से ग्रसित हैं तो कांचनार की छाल का लेप बना कर लगाये| इससे आपको इस रोग में आराम मिलेगा|
  • इसके अलावा कांचनार और गुग्गुल से निर्मित औषधि कांचनार गुग्गुल का भी प्रयोग कर सकते है|
  • इसकी छाल के काढ़े से यदि गरारे किये जाते हैं तो भी इस अवस्था में लाभ पाया जा सकता है|
  • इसके रस का कषाय होने तथा इसके शीत होने के कारण की यह लासिकाग्रंथियों पर काफी अच्छा असर करता हैं तथा इसी के के कारण यह सूजन का भी शमन कर पाता है|
  • इसका सेवन आप थाइरोइड जैसे रोगों में भी कर सकते है|

कैंसर या अन्य गांठो के लिए (Kanchnar for cancer)

  • आप इस औषधि का सेवन केंसर में होने वाली गांठो या बिना कैंसर के कारण उठने वाली गांठो को दूर करने के लिए भी कर सकते है|

त्वचा या कुष्ठ रोगों में लाभदायक (Kanchnar for skin disease)

  • इसके काढ़े से यदि त्वचा रोग से प्रभावित स्थान को धोया जाता है तो इससे त्वचा रोगों में लाभ मिलता है|
  • इसके अलावा इसकी जड़ का लेप बना कर त्वचा रोगों, घावो तथा सूजन वाले स्थान पर लगाने से भी लाभ मिलता है|
  • इससे निर्मित औषधियों का सेवन कुष्ठ रोग में काफी हद तक फायदा पहुंचाता है|

पेट के कीड़ों का शमन करे (Kanchnar for stomach bugs)

  • इस औषधि की जड़ और पत्तों को कुछ पानी की मात्रा में अच्छी तरह उबाले| जब यह पानी एक चौथाई बच जाए तो इसे उतार कर पी ले| इससे पेट के कीड़ों का जल्द ही शमन होता है और खाया पीया अंग लगता है|

कब्ज़ के लिए फायदेमंद (Kanchnar for constipation)

  • यदि आपको बार बार कब्ज़ की समस्या हो रही हैं तो ऐसे में कांचनार के फूलों का गुलकंद बना कर सेवन करना चाहिए| इससे कब्ज़ में लाभ मिलता है|

बवासीर के लिए (Kanchnar for piles)

  • इस औषधि की जड़ के चूर्ण को यदि छाछ के साथ लेने से बवासीर में आराम मिलता है|
  • कांचनार की छाल के चूर्ण को दही से साथ लेने से भी फायदा मिलता है|
  • इसके फूल को उचित मात्रा में पानी के साथ उबाले| डाले गये पानी का जब चौथाई हिस्सा बाकी रह जाये तो छान के पी ले| इस पराक्र बनाये गए काढ़े का सेवन बवासीर के लिए अच्छा होता है|

पाचन तंत्र से सम्बंधित समस्याओं का समाधान करे (Kanchnar for good digestion)

  • यदि आप अतिसार या पेचिश जैसी समस्याओं से परेशान हैं तो आपको जरुर कांचनार का सेवन करना चाहिए| इसकी प्रकृति ठंडी होने के कारण यह आपको दस्त और पेचिश से आराम दिलाने में मदद करता है|

मुंह के छालों को ठीक करे (Kanchnar for mouth ulcers)

  • कांचनार की छाल, बबूल की फली और इसके साथ यदि अनार के फूलों का काढ़ा बना कर गरारे किये जाते है तो इससे मुख के छालों का शत प्रतिशत शमन किया जा सकता है|

रक्तपित्त में (Kanchnar for blood bile)

  • इस रोग के समापन के लिए कांचनार के फूलों को सुखा ले| अब इन फूलों का चूर्ण बना कर इन्हें शहद के साथ ले| इससे जल्द ही रक्तपित्त की समस्या में आपको आराम देखने को मिलेगा|

कांचनार के अन्य फायदे (Other Benefits of Kanchnar)

  • प्रदर की समस्या में
  • खांसी में
  • मेदोरोग में
  • गुदभ्रंश में
  • मूत्र सम्बन्धी रोगों में
  • बुखार में
  • रसौली में
  • भूख बढ़ाने के लिए

उपयोगी अंग (भाग) (Important Parts of Kanchnar)

  • जड़
  • पत्ती
  • फूल

सेवन मात्रा (Dosage of Kanchnar)

  • जूस – 10-20 ml
  • चूर्ण – 3-6 ग्राम
  • वटी – 1-2
  • क्वाथ – 40-60 ml

कांचनार से निर्मित औषधियां (Medicines Manufactured from Kanchnar)