कपास (Cotton seed): 19 आयुर्वेदिक उपयोग व घरेलु नुस्खे(Cotton: benefits, usages)
कपास का परिचय (Introduction of Kapas)
कपास क्या है? (Kapas kya hai?)
भारत में सभी लोग कपास को आसानी से जानते और पहचानते हैं| ऐसा इसलिए क्यों कि भारत सूती वस्त्र के उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर हैं और सूती वस्त्र का उत्पादन रुई से होता हैं जो हमे कपास से प्राप्त होती हैं| हम सब लोग और भारत देश के लगभग सभी किसान इस के पौधे को रुई और कपडे बनाने के लिए ही उपयोगी मानते हैं|
क्या होगा यदि आपसे कहा जाए इस में औषधीय गुण होते हैं और इसका उपयोग रोगो के समापन में किया जाता हैं| शायद ही किसी व्यक्ति को विश्वास हो| परन्तु यह पूर्ण रूप से सत्य हैं कि इस का प्रयोग रोगो को दूर करने के लिए किया जाता हैं|
कई स्थानों की शोभा बढ़ाने के लिए भी इसके पौधे लगाये जाते हैं| तो चलिए आज हम आपको ले चलते हैं कपास के पौधे के उन चमत्कारी गुणों के पास जिनसे आप शायद ही परिचित होंगे|
कपास में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Kapas ke poshak tatv)
- शर्करा
- प्रोटीन
- फास्फोरस
- कैल्शियम
- लौह
- तेल
- ताम्र
- विटामिन ए, बी, सी, डी, ई
- अल्कोहल आदि|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Kapas ki akriti)
यह एक झाड़ीदार पौधा होता हैं जिसकी पत्तियों का आकार मानव के हाथ के पंजो के समान होता हैं| इसके फल सफ़ेद रंग के होते हैं जिनके पकने के बाद इनमे से रुई निकलती हैं| इसकी जड़ बाहर से पीले तथा अन्दर से सफ़ेद रंग की होती हैं| सर्दी से गर्मी के मध्य इसके फूल और फल लगते हैं| इसकी दो जातियां होती है| एक जो बिना उगाये जंगलो में या कई जगहों पर उग जाती है और दूसरी जिसे बाग़ बगीचों में उगाया जाता है| वनों में उगने वाली कपास को अरण्य कपास और बगीचों में उगने वाली कपास को देवकर्पास कहा जाता है|
कपास के सामान्य नाम (Kapas common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Gossypium herbaceum |
अंग्रेजी (English) | Cotton plant |
हिंदी (Hindi) | कपास, रुई, बिनौला |
संस्कृत (Sanskrit) | तुंडकेशी, समुद्रान्ता, कार्पास |
अन्य (Other) | कपास (उर्दू) हत्ति (कन्नड़) कपसिया (गुजराती) तुला (बंगाल) कापसी (मराठी) |
कुल (Family) | Malvaceae |
कपास के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Kapas ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | पित्त्वर्धक (मूलत्वक), कफशामक, वातशामक (बीज) |
रस (Taste) | मधुर (बीज), कषाय, कटु (मूलत्वक) |
गुण (Qualities) | लघु, तीक्ष्ण (मूलत्वक) स्निग्ध (बीज) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (मूलत्वक), मधुर (बीज) |
अन्य (Others) | वेदनास्थापन, व्रणरोपण, आर्तवजनन, स्तन्यजनन |
कपास के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Kapas ke fayde or upyog)
नेत्र रोगों में उपयोगी (Kapas for eyes)
- पिसे हुए इस के पत्तों में दही को मिलाकर आंखों के आसपास लगाने से आंखों में होने वाली पीड़ा या दर्द का शमन होता है|
कान के रोगों में (Kapas for ear)
- कान का दर्द होते समय यदि कपास के पत्तों का रस कान में डाला जाता है तो कान में होने वाला दर्द कम हो जाता है|
- सर्ज छाल चूर्ण में कपास के फलों का स्वरस तथा शहद मिलाकर कान में डालने से कान का बहना बंद होता है|
खांसी में (Kapas for cough)
- कपास के फूलों के रस में शहद मिलाकर पीने से खांसी और श्वास नली में होने वाले सूजन में लाभ मिलता है|
प्यास में
- दोनों तरह के कपास के फलों का पेस्ट बनाकर उसे जल में घोलकर पीने से प्यास की समस्या में लाभ होता है|
दस्त में लाभकारी कपास (Kapas for diarrhea)
- प्लक्ष रस तथा उसी मात्रा में कपास को शहद के साथ लेने से कफ के कारण होने वाले अतिसार में लाभ मिलता है|
- पेचिश, दस्त जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए सुबह शाम कपास के पत्तों का चूर्ण बनाकर उनका सेवन करना चाहिए|
- कपास के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त की समस्या का समापन होता है|
सिर से जुड़े रोगो में (Kapas for head problems)
- बालों की रुसी को समाप्त करने के लिए इस के तेल का प्रयोग हमेशा उत्तम रहता हैं|
- इस की पीसी हुई मींगी का लेप बनाकर सिर पर लगाने से सिर दर्द का शमन होता हैं|
पाचक अग्नि बढ़ाने में उपयोगी कपास (Kapas for digestion)
- कपास के फूलों का चूर्ण बनाकर उसे शहद के साथ लेने से पाचक अग्नि बढ़ती है तथा उदर रोगों का नाश होता है|
अर्श की समस्या में (Kapas for piles)
- नींबू के रस तथा कपास के पत्तों के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से अर्श या में लाभ होता है|
पथरी के कारण होने वाले दर्द में (Kapas for calculus)
- कपास के फूलों एवं पत्तों का चूर्ण बनाकर लेने से पथरी के कारण होने वाले मूत्राशय के दर्द में राहत मिलती है|
- कपास के पत्तों का रस और नींबू के रस को मिलाकर पीने से पथरी छोटे-छोटे टुकड़ों में मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाती है|
- यदि मूत्र त्याग करते समय जलन या दर्द होता हो तो कपास की जड़ का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए|
आमवात में
- इस के पत्तों का चूर्ण बनाकर उन्हें जोड़ों पर लगाने से दर्द तथा सूजन का शमन होता है|
- इस की मींगी के तेल की मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है|
- कपास के पत्तों पर तेल लगाकर उन्हें हल्का गर्म करके जोड़ों पर बांधने से जोड़ों में होने वाले दर्द का शमन होता है|
त्वचा रोग में लाभदायक कपास (Kapas for skin)
- इस के फूलों से निर्मित कल्क को लगाने से कुष्ठ रोग का शमन होता है|
- कपास के पंचांग रस में पकाए हुए तेल को लगाने से मुख्यतः कपाल कुष्ठ की समाप्ति होती है|
- आग से जलने पर या किसी गर्म पदार्थ से जलने पर होने वाली समस्याओं में कपास के फूलों का चूर्ण तथा बीजों के तेल को मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए|
मूत्रकृच्छ में (Kapas for urinary problems)
- कपास के फूलों एवं पत्तों के चूर्ण का सेवन करने से मूत्रकृच्छ जैसी समस्याओं में बहुत अच्छा लाभ मिलता है|
- यदि मूत्र दाह की समस्या है तो कपास की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से इस समस्या में आराम मिलता है|
प्रदर की समस्या में
- चावल के धोवन के साथ इस की जड़ के कल्क को पीने से प्रदर की समस्या के साथ-साथ खून की कमी जैसी समस्या भी समाप्त होती है|
- अनावर्त या कष्टावर्त जैसी समस्या होने पर दिन में एक से दो बार इस के फूल के चूर्ण का सेवन करना चाहिए|
स्तन की समस्याओं में
- इस के बीजों का चूर्ण बनाकर उसमें दूध और शक्कर मिलाकर पीने स्तनों की वृद्धि होती है|
- इस की जड़ तथा छाल के चूर्ण में गन्ने के रस को तथा शहद को मिलाकर पीने से स्तन्य (दूध) की वृद्धि होती है|
अंडकोष में सूजन आने पर
- अंडकोष पर इस औषधि की मींगी और सोंठ का लेप करना चाहिए| इससे सूजन का शमन होता है|
उन्माद रोग में
- इसके फल की मज्जा, गूगल और गंधक से निर्मित वटी का सेवन करने से इस रोग का शमन होता है|
सूजन आने पर (Kapas for swelling)
- रुई की जड़ से बनी हुई भस्म को लगाने से सूजन की समस्या में लाभ मिलता है तथा इसे लगाते समय पथ्य और अपथ्य का ध्यान रखना चाहिए|
बिच्छू काटने पर
- बिच्छू के काटने पर होने वाली पीड़ा या जलन का समापन करने के लिए इस के फलों को पीसकर उन में घी मिलाकर प्रभावित स्थान पर लेप करना चाहिए|
सभी प्रकार के विष को समाप्त करने में उपयोगी कपास
- उचित मात्रा में यदि इस की मींगी को दूध के साथ पीसकर पिया जाता है तो सभी प्रकार के विष या जहर का शमन होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Kapas)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- फूल
- पंचांग
सेवन मात्रा (Dosages of Kapas)
- चूर्ण -2 से 4 ग्राम
- वटी -1 से 2 वटी
- क्वाथ -15 से 25 ml