निर्गुंडी (Nirgundi)
निर्गुंडी का परिचय: (Introduction of Nirgundi)
निर्गुंडी क्या है? (Nirgundi kya hai?)
यह एक ऐसा पौधा है जो अपने आप ही उग जाता है| निर्गुंडी को उगाने की जरुरत भी नही होती है लेकिन आपको शायद की पता होगा कि निर्गुंडी एक झाड़ीदार पौधा जिसे आप खरपतवार मानते हो उसके कितने सारे औषधीय गुण है|
निर्गुण्डी मांसपेशियों को आराम, दर्द से राहत, मच्छरों को दूर करने वाली और तनाव तथा अस्थमा को दूर करने वाली बहुत ही अच्छी जड़ी बूटी है| इसके पेड़ के विभिन्न भागो का प्रयोग किया जाता है| इसके हर एक भाग में औषधीय गुण पाया जाता है और इसके हर भाग को आयुर्वेद में औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है|
क्या आपको पता है कि निर्गुण्डी एक बहुत ही गुणी औषधि है जो प्रकुपित कफ और वात को नष्ट करता है और दर्द को कम करता है| इसको त्वचा के ऊपर लेप के रूप में लगाने से सूजन कम होता है| घाव को ठीक करने, घाव भरने आदि में निर्गुण्डी के फायदे मिलते हैं|
यह बैक्टीरिया और कीड़ों को नष्ट करता है| यह भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है| लीवर रोग में भी निर्गुण्डी से लाभ मिलता है| इसके यही फायदे नही बल्कि इसके अलावा बहुत सारे फायदे है जिसके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवायंगे| चलिए जानते है की इसके कौन – कौन से फायदे है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Nirgundi ki akriti)
इसका पौधा झड़ीदार व अनेक पत्तियों वाला होता है| इसकी शाखाये चतुष्कोणीय व कोमल होती है| इसकी छाल पीतली, चिकनी व भूरे रंग की होती है| इसके पत्ते हरे, सरल व तीन पत्तो से युक्त होते है| इसके फूल गुच्छे दार व बैंगनी रंग के होते है| इसके फल गोलाकार, अंडाकार तथा पकने के बाद काले हो जाते है तथा इसकी बीज की संख्या 3 से 4 होती है| इसके बीज का मुख भी कुछ अंडे के आकार के समान होता है| इसका फूल जून से दिसम्बर तथा फल काल सितम्बर से फरवरी तक आते है| सफेद निर्गुणी के फल पकने के बैंगनी रंग हो जाते है और इसका फूलकाल व फलकाल सितम्बर से फरवरी होता है|
निर्गुंडी की प्रजातियाँ (Nirgundi ki prajatiya)
- श्वेतपुष्पी (सिन्दुबार)
- नीलपुष्पी (निर्गुन्डी)
निर्गुंडी के सामान्य नाम (Nirgundi common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Vitex negundo |
अंग्रेजी (English) | Five leaved-chaste tree |
हिंदी (Hindi) | सम्भालू, सम्हालू, सन्दुआर, सिनुआर, मेउड़ी |
संस्कृत (Sanskrit) | निर्गुण्डी, सिंधुवार, इंद्रसुरस, इंद्राणीक |
अन्य (Other) | शिवा (उतराखण्ड ) इन्द्राणी (उड़िया) नगोड़ा (गुजराती) कुरुनोच्चि (तमिल) वाविली (तेलगु) निषिन्दा (बंगाली) सेवाली (नेपाली) सेवाली (पंजाबी) लिंगुर (मराठी) नोची (मलयालम) उसलाक (अरबी) सिस्बन (फारसी) |
कुल (Family) | verbenaceae |
निर्गुंडी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Nirgundi ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata) |
रस (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | केश्य, शोथहर, वेदनास्थापक, मेध्य |
निर्गुंडी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Nirgundi ke fayde or upyog)
जोड़ो के दर्द में (Nirgundi for joint pain)
- यदि आपको जोड़ो के दर्द की समस्या है तो आप यह प्रयोग कर सकते है निर्गुण्डी का चूर्ण या पत्तो का काढ़ा बनाकर आग में पकाकर तीन दिन में तीन बार सेवन करने से जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है|
कमर के दर्द में उपयोगी
- यदि कमर में दर्द हो रहा है और आप इससे छुटकारा पाना चाहते है तो निर्गुण्डी की जड़ का चूर्ण को तिली के तेल के साथ सेवन करने से कमर दर्द और इसी के साथ संधिवात व कम्पवात के दर्द से छुटकारा मिलता है|
सिर दर्द में उपयोगी निर्गुण्डी (Nirgundi for head ache)
- आज कल तनाव ता टेंशन के कारण सिर दर्द तो एक आम बात हो गई है सिर दर्द से छुटकारा पाने के लिए निर्गुण्डी के फल के चूर्ण दिन में दो तीन बार मधु के साथ सेवन करने से सिर दर्द में आराम मिलता है|
- इसके अलावा निर्गुण्डी के पत्तो को पीसकर सिर पर ले करने से सिर दर्द में आराम मिलता है|
- इसी के साथ ही निर्गुंडी, सेंधा नमक, सोंठ, देवदारु, पीपर, सरसों तथा आक के बीज को ठंडे पानी के साथ पीसकर गोली बना लें| इस गोली को जल में घिसकर मस्तक पर लेप करने से सरदर्द ठीक होता है|
सुजाक रोग में
- यदि आपको इस रोग की समस्या है तो आपको सूजाक की शुरुआती अवस्था में निर्गुण्डी के पत्तों का काढ़ा बहुत फायदेमन्द होता है|
- इसके अलावा जिस रोगी का पेशाब बंद हो गया हो, निर्गुण्डी को पानी में उबालकर एक चौथाई शेष रहने तक काढ़ा बना लें| इस काढ़ा को दिन में तीन बार पिलाने से पेशाब आने लगता है|
लीवर संबंधित रोग में (Nirgundi for liver)
- मलेरिया के बुखार में यदि रोगी की तिल्ली और लीवर बढ़ गए हो तो दो ग्राम निर्गुण्डी के पत्तों के चूर्ण में एक ग्राम हरड़ तथा गोमूत्र मिलाकर लेने से लाभ होता है|
- दो ग्राम निर्गुण्डी चूर्ण में काली कुटकी व 6 ग्राम रसोत मिलाकर सुबह-शाम सेवन करना चाहिए|
पाचन शक्ति में (Nirgundi for digestion)
- यदि आपको कुछ खाया पिया नही पच रहा है और पाचन शक्ति कमजोर है तो आपको निर्गुण्डी पत्तों के रस में दो दाने काली मिर्च और अजवायन चूर्ण मिलाकर इसे सुबह – शाम सेवन करने से पाचन शक्ति, पेट का दर्द ठीक होता है|
घेंघा रोग में (Nirgundi for goiter)
- इस रोग के कारण आज कल लोग बहुत ही परेशान रहते है| इसलिए इस रोग से छुटकारा पाने के लिए संभालू की जड़ को पानी में पीसकर छानकर दो-तीन बूंद नाक में डालने से घेंघा रोग में लाभ मिलता है|
मुँह के छालो में (Nirgundi for mouth ulcer)
- निर्गुण्डी के पत्तों को पानी में उबालकर, उस पानी से कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है|
- निर्गुंडी तेल को मुंह, जीभ तथा होठों में लगाने से तथा हल्के गर्म पानी में इस तेल को मिलाकर मुंह में रखकर कुल्ला करने से मुँह के छाले एवं फटे होंठों में लाभ होता है|
कान बहने पर निर्गुण्डी का उपयोग
- यदि आपका कान अंदर से बहता है तो निर्गुण्डी के पत्तों के रस में पकाए तेल के 1 या 2 बूंद कान में डालने से कान का बहना बंद होता है|
जांघो के सुन्न होने पर
- जांघों का सुन्न होना पर निर्गुंडी का प्रयोग फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि निर्गुंडी में कफ-वात दोनों दोषों को शांत करने का गुण पाया जाता है जिससे जांघों का सुन्न होना में निर्गुंडी फायदेमंद होता है|
मासिक धर्म में (Nirgundi for menstrual disorder)
- यदि आपको मासिकधर्म के दौरान दर्द या रक्तस्त्राव अधिक होना या अन्य विकार हो तो आपको निर्गुण्डी का उपयोग कर सकते है| इसके लिए निर्गुण्डी के बीज के चूर्ण का सुबह शाम सेवन करने से मासिकधर्म में विकारो में लाभ मिलता है|
- इसके अलावा निर्गुण्डी को पीसकर नाभि, बस्ति प्रदेश और योनि पर लेप करने से प्रसव आसानी से हो जाता है|
कामशक्ति में
- यदि आपकी कामशक्ति कमजोर है तो निर्गुंडी और सोंठ को एक साथ पीसकर आठ खुराक बना लें| एक खुराक रोज दूध के साथ सेवन करने से व्यक्ति की काम शक्ति बढ़ती है|
- इसके आलावा निर्गुण्डी मूल को घिसकर शिश्न पर लेप करने से लिंग का ढीलापन दूर होता है|
मोच में
- मोच से छुटकारा पाने के लिए निर्गुण्डी के पत्तो का घोल चोट पर बांधने से दर्द व सूजन से तुरंत आराम मिलता है|
स्तनपान कराने वाली महिलाओ के लिए
- स्तनों के दूध की वृद्धि के लिए निर्गुन्डी फायदेमंद हो सकती है क्योंकि निर्गुन्डी के पत्ते का प्रयोग स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाने में सहायक होते है|
फोड़ो के इलाज के लिए
- निर्गुंडी का प्रयोग फोड़ों के इलाज में किया जाता है क्योंकि निर्गुंडी में एन्टीबैक्ट्रियल और एंटीफंगल का गुण पाया जाता है जो कि घाव को फैलने नहीं देता है और फोड़े को जल्दी ठीक करने में मदद करता है|
नारू रोग में
- निर्गुण्डी के पत्तों का रस सुबह- शाम पिने से और फफोलों पर पत्तों की सेंक करने से नारू रोग ठीक होता है|
आधासीसी में निर्गुंडी
- यदि किसी व्यक्ति को आधासीसी दर्द की समस्या है तो निर्गुण्डी के पत्ते को पानी के साथ मिलाकर इसका घोल बना ले और इसे माथे पर लगाने से आधासीसी की समस्या खत्म होती है|
घाव में
- निर्गुण्डी का उपयोग कुछ इस तरह करने से पुराने व नये घाव ठीक हो जाते है| निर्गुण्डी के पत्तो को गर्म करके घाव पर बांधने से घाव धीर- धीरे ठीक हो जाते है|
खांसी में (Nirgundi for cough)
- खांसी के लिए तो यह बहुत जानी जाती है| खांसी को दूर करने के लिए निर्गुण्डी के पत्तो को दिन में दो बार दूध के साथ पिने से खांसी से राहत मिलती है|
बांझपन में लाभदायक निर्गुण्डी
- इस समस्या को दूर करने के लिए निर्गुण्डी के पत्तो को पानी में भिगोकर रात में रख दे, और सुबह उठकर इसे उबाल ले| इसे जब तक उबाले की यह आधा न रह जाये, फिर इसे उतारके इसमे पिसा हुआ गोखुर मिलाकर इससे मासिकधर्म ख़त्म होने के बाद इसे सेवन करने से बांझपन की समस्या दूर होती है|
दाद की जलन में निर्गुंडी (Nirgundi for ringworm)
- दाद से प्रभावित स्थान पर निर्गुण्डी पत्तों को घिस लें| इसके बाद निर्गुण्डी रस में मिलाकर लेप करें इससे शीघ्र लाभ होता है|
नाडी के घाव में
- निर्गुण्डी की जड़ एवं पत्तों के रस से पकाए हुए तिल तेल को पीने और उसकी मालिश आदि प्रयोग करने से नाडी के घाव के साथ नासूर, कुष्ठ, गठिया के दर्द, एक्जीमा आदि ठीक होते है|
बदगाँठ में निर्गुंडी
- यदि आपके शरीर पर कही पर गांठे हो गई है तो निर्गुण्डी के पत्तो को गर्म करके बांधने से बद – गांठ बिखर जाती है|
नाडी के दर्द में निर्गुंडी
- नाड़ी यानि नसों के दर्द में भी निर्गुंडी का उपयोग फायदेमंद होता है क्योंकि जहाँ भी दर्द होता है वहाँ यह प्रकोप जरूर मिलता है| निर्गुंडी में वात को शान्त करने का गुण होता है इसलिए निर्गुंडी नाड़ी दर्द में राहत देती है|
बुखार में (Nirgundi for fever)
- यदि आपको किसी भी प्रकार का बुखार है तो आप निर्गुण्डी का प्रयोग कर सकते है| इसके लिए निर्गुण्डी के पत्तों को पानी में उबालें चौथाई शेष रहने तक उबालकर काढ़ा बनायें| काढ़े में दो ग्राम पिप्पली का चूर्ण मिलाकर पिलाने से निमोनिया बुखार में लाभ होता है|
- निर्गुन्डी के पत्तों को पानी में उबालकर सुबह और शाम देने से बुखार और गठिया में लाभ होता है|
- मलेरिया में ठंड लगकर होने वाले तेज बुखार और कफ के कारण होने वाले बुखार के साथ अगर छाती में जकड़न हो तो निर्गुण्डी के तेल की मालिश करनी चाहिए| प्रयोग को ज्यादा असरदार बनाने के लिए तेल में अजवायन और लहसुन की कली डाल दें और तेल हल्का गुनगुना कर लें और इसे सेवन करने से बुखार से छुटकारा मिलता है|
गले के दर्द में (Nirgundi for throat)
- निर्गुंडी तेल को मुंह, जीभ तथा होठों में लगाने से, तथा हल्के गर्म पानी में इस तेल को मिलाकर मुंह में रख कर कुल्ला करने से गले का दर्द या टांसिल में लाभ होता है|
- निर्गुण्डी के पत्तों को पानी में उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से गले का दर्द ठीक होता है।
गर्भाशय के दर्द उपयोग में निर्गुंडी
- यदि किसी को भी गर्भाशय के अंदर सूजन है तो निर्गुण्डी के पत्तो को तेल के साथ पकाकर पेट पर बाँधने से दर्द से छुटकारा मिलता है|
पाचन में (Nirgundi for digestion)
- निर्गुण्डी के पत्तो के रस को पीसी हुई काली मिर्च व अजवाइन के साथ सुबह शाम सेवन करने से पाचन शक्ति ठीक होती है|
हाथ पैरो को जलन में निर्गुंडी
- अगर आपके हाथ पैरो में जलन है तो आपको निर्गुण्डी का प्रयोग करना चाहिए क्योकि इसमे एंटी इन्फ्लामेटोरी और एनाल्जेसिक गुण पाये जाते है जो कि जलण और सूजन को कम करने में सहायक होता है|
सिर की फुंसियो में
- सिर की फुंसियां, अरुंषिका वराही के इलाज को दूर करने में निर्गुंडी का उपयोग फायदेमंद होता है क्योंकि निर्गुंडी में एन्टीबैट्रिअल और एंटीफंगल का गुण पाया जाता है जो कि त्वचा की इन समस्याओं को दूर करने में सहायक है|
फाइलेरिया में निर्गुंडी
- धतूरा, एरंड मूल, संभालू, पुनर्नवा, सहजन की छाल तथा सरसों को एक साथ मिला कर लेप करने से पुराने से पुराने हाथीपाँव (फाइलेरिया) में भी लाभ होता है|
सूजन में (Nirgundi for swelling)
- निर्गुण्डी के पत्तों को पीसकर गर्म करके लेप करने से अंडकोषों में होने वाली सूजन, जोड़ों की सूजन, आमवात आदि रोगों में सूजन के कारण होने वाली पीड़ा में लाभ होता है|
बच्चो के दांत निकलने पर परेशानी में निर्गुंडी
- बच्चों के दांत निकलने की परेशानी में निर्गुण्डी की जड़ को बालक के गले में पहनाने से आराम मिलता है| दांत जल्दी निकल आते हैं|
शारीरिक कमजोरी में निर्गुंडी (Nirgundi for weakness)
- निर्गुन्डी की जड़, फल और पत्तों के रस से पकाकर 15 से 20 ग्राम घी को नियमित पीने से शरीर पुष्ट होता है तथा शारीरिक कमजोरी दूर होती है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Nirgundi)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- पंचांग
- छाल
- फुल
- तैल
- फल
सेवन मात्रा (Dosages of Nirgundi)
- जूस -10 से 20 मिली
- चूर्ण -3 से 6 ग्राम
निर्गुण्डी से निर्मित औषधियां
- निर्गुण्डीकल्प
- निर्गुण्डीतेल