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पुनर्नवा (Punarnava) : जैसा नाम वैसा काम पुरे लीवर को नया करने की क्षमता है इसमें (Benefits and Usage)

पुनर्नवा का परिचय:(Introduction of Punarnava)

Table of Contents

पुनर्नवा क्या है? (Punarnava kya hai?)

प्रकति की गोद में ऐसी जड़ी बूटियां और औषधियां है जो हमारे जीवन को स्वस्थ बनाने में मदद करती है| प्राचीन काल से ही उतम स्वास्थ्य के लिए देशी जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जा रहा है| इनमे से पुनर्नवा भी एक ऐसी जड़ी बूटी है जो हमारे सेहत में सुधार कर आयु बढ़ाने में मदद करती है|

इसका पौधा बरसात के महीनों में उष्णकटिबंधीय प्रदेशो में पाया जाता है| यह भारत में सभी स्थानों पर आसानी से मिल जाता है| भारत के कुछ क्षेत्रो में इसे भोजन पकाने में भी इस्तेमाल किया जाता है और क्या आपको पता है की यह सबसे अधिक आपके लीवर को एक दम स्वस्थ रखने में मदद करता है, या कहे तो यह लीवर को पुनः जीवित करने  के लिए वरदान है|

पुनर्नवा एक ऐसी औषधि है जो कई प्रकार के रोगों को शरीर से दूर रखने और उनके उपचार में भी मदद करती है| इसका सेवन करने वाले लोग गंभीर बीमारियों के चपेट में आने से भी बचते हैं| आमतौर पर जड़ी-बूटी के रूप में पाया जाता है लेकिन इसे टेबलेट और पाउडर के रूप में सबसे ज्यादा लोगों के द्वारा खरीदा जाता है| इस कारण इसका सेवन करने में काफी मदद मिलती है और लोग इससे लाभदायक परिणाम भी प्राप्त करते हैं| आइये इसके फायदों के बारे में विस्तार से जानते है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Punarnava ki akriti)

पुनर्नवा का बहुवर्षायु शाक भारतवर्ष में वर्षा ऋतु में सब जगह उत्पन्न होता है| इसकी दो जातियां लाल और सफेद पाई जाती हैं| इसका पौधा जमीन पर फैलने वाला होता है| इसका तना बैंगनी रंग का होता है| इसके पत्ते विपरीत दिशा मे फैले हुए लचीले व हरे रंग के होते है| प्रत्येक पत्ता दो पत्तो से जुड़ा हुआ होता है, जिसकी एक पट्टी छोटी व दूसरी बड़ी होती है| इसके फूल लाल व गुलाबी रंग के व बहुत छोटे होते है| इसके फल चिपचिपे व बीज युक्त होते है| इसकी जड़ सफेद जड़ पुनर्नवा की अपेक्षा कम मोटी पर अधिक लंबी होती है| जड़ टूटने पर एक गाढ़ा दूध जैसा रस निकलता है| इसकी जड़ स्वाद में कड़वी तथा उग्रगन्धी होती है|  इसका फूलकाल व फल काल अगस्त से जनवरी तक होता है|

पुनर्नवा  की प्रजातियाँ (Punarnava ki prajatiya)

  1. सफेद पुनर्नवा

2.लाल  पुनर्नवा

पुनर्नवा के सामान्य नाम (Punarnava common names) Herbal Arcade
पुनर्नवा के सामान्य नाम (Punarnava common names) Herbal Arcade

पुनर्नवा के सामान्य नाम (Punarnava common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Boerhavia diffusa
अंग्रेजी (English)Hogweed
हिंदी (Hindi)लाल पुनर्नवा, सांठ, गदहपुर्ना
संस्कृत (Sanskrit)पुनर्नवा, शोथघ्नी, विशाख, श्वेतमूला, दीर्घपत्रिका, कठिल्लक
अन्य (Other)बाषखीरा (उर्दू) सनाडिका (कन्नड़) राती साटोडी (गुजराती) मुकत्तै  (तमिल) अतिकामामिदि (तेलुगु) पुनर्नोबा (बंगाली) औंले साग (नेपाली) खट्टन  (पंजाबी) पुनर्नवा (मराठी) थाजूथमा  (मलयालम)
कुल (Family)Nyctaginaceae 

पुनर्नवा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Punarnava ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha) त्रिदोषहर (pacifies tridosha)
रस (Taste) मधुर (sweet), तिक्त (bitter), कषाय (ast.)
गुण (Qualities) लघु (light), रुक्ष (dry)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) मधुर (sweet)
अन्य (Others)लेखन, शोथहर, दीपन, रेचन, अनुलोमन
Ayurvedic properties of Punarnava Herbal Arcade
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सांठ/पुनर्नवा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Punarnava ke fayde or upyog)

लीवर के लिए पुनर्नवा (Punarnava for liver)

  • लीवर शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है| जब रोगों का शरीर पर हमला होता है तब एक अस्वस्थ लीवर के लिए मुश्किलें और भी बढ़ जाती है| तब यह लीवर से जुडी मुश्किल को दूर करने के काम आता है| यह नियमित रूप से पित्त के स्राव को प्रोत्साहित करने में मदद करता है, जो कि यकृत को स्वस्थ और कार्यात्मक रखता है|

तिल्ली की वृद्धि के लिए पुनर्नवा (Punarnava for spleen enlargement)

  • यदि आप तिल्ली के किसी भी रोग से परेशान है तो सफेद पुनर्नवा की जड़ तन्दुलोदक के साथ पीसकर लेने से तिल्ली में लाभ होता है|

मधुमेह में (Punarnava for diabetes)

  • अगर ठीक से नियंत्रण न किया जाए तो मधुमेह बेहद खतरनाक हो सकता है| पुनर्नवा एक जड़ी बूटी है जो मधुमेह को नियंत्रित करने में आपकी मदद कर सकती है| ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी पत्ती और पत्तियों से अर्क शरीर में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करती है, जो मधुमेह रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है|

कैंसर से छुटकारा पाने के लिए (Punarnava for cancer)

  • पुनर्नवा की जड़े और पत्ते कैंसर के मरीज़ों के लिए वरदान है| इसके इस्तेमाल से शरीर में नयी कोशिकाएं बनने लगती हैं और धीरे धीरे कैंसर से लड़ने में मरीज़ कामयाब हो जाता है, इसी प्रकार धीरे –धीरे कैंसर का शमन करने में सहायता मिलती है|

अस्थमा मे पुनर्नवा (Punarnava for asthma)

  • यदि आपको सांस संबंधित कोई भी परेशानी है तो पुनर्नवा की जड़ में हल्दी मिलाकर सेवन करने से अस्थाम की समस्या से छुटकारा मिलता है|

मोटापा में (Punarnava for obesity)

  • यदि आजकल खानपान की वजह से आपका मोटापा बढ़ता ही जा रहा है तो पुनर्नवा का काढ़ा बनाकर सेवन करने से आप अपने मोटापा से निजात पा सकते है|

कीडनी के लिए (Punarnava for kidney)

  • यदि आप कीडनी से जुडी समस्या से परेशान है तो किडनी से जुड़ी बीमारियों के खतरे को दूर करने के लिए पुनर्नवा का सेवन करें| पुनर्नवा के पौधे और कुछ अन्य जड़ी बूटियों को मिलाकर बीमार किडनी को स्वस्थ बनाया जा सकता है| इसके सेवन से किडनी से जुड़ी बीमारी के जोखिम को भी कम किया जा सकता है|

बवासीर में (Punarnava for piles)

  • यदि किसी को भी  बवासीर है, तो वह पुनर्नवा को पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर पीए, इससे कुछ ही दिनों में बवासीर की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा|
Benefits of Punarnava Herbal Arcade
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रक्तचाप नियंत्रण के लिए (Punarnava for blood pressure)

  • रक्तचाप को नियंत्रण करने के लिए पुनर्नवा घोल को आप शहद के साथ मिलाकर खा सकते हैं| इसमें मौजूद मैग्नीशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में काफी मददगार साबित हो सकती है| इसके सेवन से रक्तचाप को नियंत्रण करने के कारण आप हार्ट अटैक जैसी समस्या से बच सकते है|

अनिद्रा में (Punarnava for insomnia)

  • आजकल की थकान के कारण नींद नही आती है तो पुनर्नवा का काढ़ा बनाकर पिने से आपकी थकान भी उतर जाएगी और नींद भी अच्छी आएगी|

गठिया में (Punarnava for gout)

  • अगर आपको जोड़ो के दर्द की समस्या है तो पुनर्नवा के काढ़े के साथ कपूर तथा सोंठ के चूर्ण को मिलाकर कुछ दिनों तक पिने से गठिया का शमन होता है|

कुष्ठ रोग में (Punarnava for leprosy)

  • यदि आपको त्वचा संबंधित कोई भी समस्या है जैसे कुष्ठ रोग है तो पुनर्नवा को सुपारी के साथ खाने से कुष्ठ रोग तथा त्वचा के रोगो का शमन होता है|

एनीमिया में (Punarnava for anemia)

  • यदि आप एनीमिया से पीड़ित है तो आपको पुनर्नवा का उपयोग करना चहिए|  इसके लिए पुनर्नवा के मंडूर को छाछ के साथ पीने से खून की कमी, तिल्ली का बढ़ना, बवासीर, विषम ज्वर, दस्त, पेट के कीड़ो आदि का शमन होता है|  

पीलिया में (Punarnava for jaundice)

  • पीलिया से पीड़ित व्याक्ति के लिए यह औषधी बहुत ही महत्वपूर्ण है| इसके लिए पुनर्नवा के पंचाग के रस में हरड का चूर्ण मिलाकर पिने से पीलिया में लाभ मिलता है|

आँखों के रोग के लिए (Punarnava for eyes)

  • यदि आप आँखों के किसी भी रोग से पीड़ित है तो आपको इस का उपयोग करना चहिए| पुनर्नवा मूल स्वरस में भाङ्गरा रस मिलाकर लगाने से आँखों को लाभ होता है तथा गोमय रस में सफेद  पुनर्नवा मूल तथा पिप्पली मिलाकर अंजन करने से रात्रि अंधता में लाभ होता है|
  • इसकी मूल को कांजी व तैल या जल में घिसकर लगाने से निशान्धता (रात्रि अंधता) रोग व मोतियाबिंद में लाभ होता है|
  • पुनर्नवा की जड़ को गाय के घी के साथ पीसकर आँखों के चारो और काजल की तरह लगाने से आँखों के रोगो का शमन होता है|

गर्भावस्था  की सूजन में (Punarnava for swelling in pregnency)

  • पुनर्नवा की जड़, देवदारु तथा मुर्वा को मिश्री के चूर्ण  के साथ मिलाकर मधु के साथ सेवन करने से गर्भवस्था में उत्पन्न हुई हाथ पैरो की सूजन का शमन होता है|

कमजोरी को दूर करने के लिए (Punarnava for weakness)

  • यदि आपको आजकल की थकान के कारण कमजोरी महसूस हो रही है तो  पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है और शरीर हष्ट पुष्ट हो जाता है|

ह्रदय रोगो में (Punarnava for heart disease)

  • यदि आप ह्रदय रोगो से बहुत ही परेशान है है तो पुनर्नवा के पत्तो का शाक बनाकर सेवन करने से रोगो में काफी लाभ मिलता है|

प्रदर में

  • यदि आपको किसी भी तरह के प्रदर की समस्या है तो पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण को जलभांगरे के रस के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ मिलता है|

खांसी में (Punarnava for cough)

  • आज कल मौसम बदला नही के खांसी जुखाम की समस्या आ जाती है| इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण में शक्कर मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से खांसी की समस्या दूर होती है|

सिर के रोग में (Punarnava for head related problems)

  • पुनर्नवा की जड़ का हलवा बनाकर सेवन करने से सिर के रोगो का शमन होता है|

सुख प्रसव में पुनर्नवा

  • यदि किसी महिला को प्रसव के दौरान दर्द या अन्य समस्या का सामना करना पड़ता है तो इसकी मूल को तेल में पकाकर योनि में धारण करने से प्रसव जल्दी से  हो जाता है|

योनि के दर्द में

  • यदि किसी महिला को योनि में दर्द हो रहा है तो इस के रस का योनि में लेप करने से योनि के दर्द से छुटकारा मिलता है|

भूख बढाने के लिए पुनर्नवा (Punarnava for increse hunger)

  • यदि आपको भूख नही लगती है तो पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण को पीसकर शहद के साथ खाने से भूख बढ़ती है|

पेट के रोगो में (Punarnava for stomach)

  • यदि आपको किसी भी प्रकार का पेट से जुड़ा हुआ रोग है तो इस की जड़ को गोमूत्र के साथ लेने से पेट के रोगो में लाभ मिलता है|

जलोदर में

  • यदि आपके पेट में पानी भर गया है , और बहुत ही परेशान हो रहे हो तो इसको शोरा में डालकर पीने से जलोदर में लाभ मिलता है|

गुल्म रोग में (Punarnava for gum disease)

  • यदि आप गुल्म रोग से पीड़ित है तो पुनर्नवा का उपयोग कर सकते है| इसके लिए इस की जड़ तथा कालशाक में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से गुल्म रोग तथा सुई चुभने जैसी पीड़ा का शमन होता है|

सभी प्रकार के विष में

  • यदि आपको किसी बिच्छु, चींटी, चूहे, सांप ने काट लिया है तो सफेद पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण  को मधु के साथ मिलाकर सेवन करने से विष का प्रभाव कम होता है |

बच्चो के रोगो में पुनर्नवा का उपयोग (Punarnava for children)

  • औषधि के पत्ते के रस, मिश्री चूर्ण तथा पिप्पली चूर्ण,  इन तीनों को मिलाकर पकाएं| जब चाशनी गाढ़ी हो जाए तो उतारकर बन्द बोतल में भर लें, इस शरबत की 5 से 8 बूंद तक बच्चों को दिन में तीन बार चटाने से बच्चों की खांसी, श्वास, फुफ्फुस-विकार आदि अनेक बीमारियों में आराम होता है|

पुनर्नवा के उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Punarnava)

  • जड़
  • पत्ती
  • पंचांग

पुनर्नवा की सेवन मात्रा (Dosages of Punarnava)

  • जूस -5 से 10 मिली
  • बीज का चूर्ण -1 से 3 ग्राम

पुनर्नवा के सेवन की सावधानी (precautions)

  • इसका अधिक सेवन करने से उल्टी की समस्या हो सकती है|

पुनर्नवा से निर्मित औषधियां