benefits of varahi kand Herbal Arcade
Herbs

वाराही कन्द (Varahi kand)

वाराही कन्द  का परिचय: (Introduction of Varahi kand)

Table of Contents

वाराही कन्द क्या है? (What is Varahi kand?)

शारीरिक कमजोरी के साथ – साथ योवन की कमजोरी भी बढती जा रही है| इस कमजोरी से छुटकारा पाने के लिए लोग तरह –तरह की दवाई का उपयोग करते है| फिर भी कोई लाभ नही मिलता है| ऐसे में यदि कोई आयुर्वेदि की महान  औषधियों के उपयोग करना कोई चमत्कार से कम नही है| वाराही कन्द है रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है|

जो सभी प्रकार की कमजोरी, वीर्य विकार, नपुंसकता, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष और समय से पहले बुढ़ापा आ जाना आदि समस्या के लिए रामबाण औषधि है| जिसका उपयोग कही लोग इसका इस्तेमाल के रहे है| यह औयुर्वेद में जानी मानी औषधि है जो प्राचीन काल से ही इसका उपयोग किया जाता आ रहा है|

आइये इसके फायदे के बारे में विस्तार से जानते है की इसका उपयोग किन – किन बीमारी में किया जाता है| और यह कितनी सारी लाभकारी है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Varahi kand ki akriti)

यह सुन्दर लता भारत के हिमालयी क्षेत्रों में लगभग 1850 मीटर की ऊँचाई तक वर्षा ऋतु में सड़क के किनारे पेड़ो परफैली हुई पायी जाती है| इसके कन्द में छोटे छोटे रेशे रहते हैं जो दिखने में वाराह (सुअर) के बाल जैसे दिखते हैं, इसलिए इसे वाराही कन्द कहते हैं| इसके पत्ते के अक्ष में पत्ते प्रकलिका होती है जो भूरे रंग की तथा गोलाकार होती है, जिससे नये पौधे निकलते हैं| इसे वायु कन्द भी कहते हैं| इसको उबालकर या भून कर खाते हैं|

इसका कन्द विशेष बड़ा नहीं होता है| यह देखने में सूकर के मुख जैसा एक ओर मोटा एवं दूसरी ओर पतला, दृढ़, सघन लम्बे रोमों से युक्त अंदर से सफेद रंग का तथा ऊपर काले या मटमैले-भूरे रंग का होता है| इसको काटने या नख से कुरेदने पर दूध निकलता है यह स्वाद में कड़वा एवं चरपरा होता है| इसका फलकाल व फूलकाल जुलाई से दिसम्बर तक होते है|

Dioscorea pentaphylla linn. – (पंचपत्री वाराहीकन्द )

इसकी वारही के जैसी आरोही लता होती है| तनों के आधार पर छोटे – छोटे कांटे पाए जाते हैं| नर एवं मादा फूल अलग- अलग मंजरी में लगे हुए होते हैं| इसके कंद लम्बे, गहरे, धूसर या काले रंग के तथा रोम युक्त होते हैं| कंद का प्रयोग सर्वांङ्ग दर्द, कब्ज, पेचिश,दर्द तथा सूजन  की चिकित्सा में किया जाता है|

वाराही कन्द  की प्रजातियाँ (Varahi kand ki prajatiya)

1. Dioscorea bulbifera linn.

2. Dioscorea pentaphylla linn

वाराही कन्द के पौषक तत्व (Varahi kand ke poshak tatva)

  • डायोसबल्बीनस
  • डायोसबल्लिवन
  • ग्लुकोसाइड
  • डायोस्कोरेटोक्सिन
  • डायोस्कोरेसिन
  • टैनिन
  • स्पोनिन
  • प्रोटीन
  • स्टार्च
  • खनिज
  • वसा
  • कार्बोहायड्रेट
  • एल्बुमिनोय्ड्स
वाराही कन्द के सामान्य नाम (Varahi kand common names) Herbal Arcade
वाराही कन्द के सामान्य नाम (Varahi kand common names) Herbal Arcade

वाराही कन्द के सामान्य नाम (Varahi kand common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name) Dioscorea bulbifera
अंग्रेजी (English)Potato yam
हिंदी (Hindi)बाराही कन्द, गेंठी;
संस्कृत (Sanskrit)वाराहवदना, गृष्टिक, वाराही, वाराहीकन्द
अन्य (Other)जमीनेकन्द  (उर्दू) पीताल  (उड़िया) करांडो (कोंकणी) सौरीया (गुजराती) कट्टूवकीलंगू (तमिल) चेडूपोड्डूडुम्पो (तेलगु) बनालु  (बंगाली)  जमीनखन्द (पंजाबी) गठालु  (मराठी) कट्टुकाचिल  (मलयालम)
कुल (Family)Dioscoreaceae

वाराही कन्द  के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Varahi kand ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha) त्रिदोषहर (pacifies tridosha)
रस (Taste) कटु (pungent), तिक्त (bitter), मधुर (sweet)
गुण (Qualities) लघु (light), स्निग्ध (oily)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)व्रणरोपण, दीपन, पाचन, अनुलोमन, बल्य
Ayurvedic properties of varahi kand Herbal Arcade
Ayurvedic properties of varahi kand Herbal Arcade

वाराही कन्द के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Varahi kand ke fayde or upyog)

पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए वाराही कन्द (Varahi kand for good digestion)

  • यदि आपकी पाचन शक्ति कमजोर है और आपको भूख भी नही लगती है तो वाराहीकंद का क्वाथ बनाकर इसमें  मुलेठी चूर्ण तथा मिश्री मिलाकर पीने से पाचन शक्ति बढती है|

आँखों के लिए वाराही कन्द  (Varahi kand for eyes)

  • वाराही कन्द आँखों के विकार के लिए बहुत ही लाभकारी होता है| यदि आपको आँखों से संबंधित रोग है और आप बहुत ही परेशान हो रहे है तो वाराही का कन्द उपयोग कर सकते है|

घुटनों के दर्द में उपयोगी (Varahi kand for knee pain)

  • आजकल बढती उम्र के साथ लोगों को घुटनों के दर्द की बहुत ही शिकायत रहती है|  यदि आप भी घुटनों के दर्द से परेशान है तो वाराही कन्द  का रस निकलकर घुटनों पर लेप करने से दर्द में आराम होता है|

कैंसर में (Varahi kand for cancer)

  • कैंसर जैसी भयंकर बीमारी को रोकने के लिए भी वाराही के कन्द का उपयोग किया जाता है, क्योकि इसमे कुछ ऐसे पौषक तत्व पाए जाते है जो कैंसर के लक्षणों को रोकने में मदद करते है|

मधुमेह में (Varahi kand for diabetes)

  • आजकल की जीवन शैली के कारण या जीवन में भाग दोड के कारण लोग डायबिटीज का शिकार हो जाते है| यह बीमारी धीरे धीरे फैलती है की पता भी नही चलता है, और लोग इस बीमारी का शिकार हो जाते है| यदि आप में से भी कोई इस बीमारी से गस्त है तो वाराही कन्द  का उपयोग करके मधुमेह को कुछ हद तक कम कर सकते है|

बवासीर में राहत पाने के लिए (Varahi kand for piles)

  • अगर आपके मसालेदार खाने की वजह से आपको बवासीर की समय हो रही है तो वाराहीकंद के चूर्ण को तवे पर भून कर इसमें घी तथा मिश्री मिलाकर सेवन करने से अर्श बवासीर का शमन होता है|
benefits of varahi kand Herbal Arcade
benefits of varahi kand Herbal Arcade

प्रमेह रोग से छुटकारा पाने के लिए वाराही कन्द 

  • वाराही कंद के चूर्ण को चावल के मांड के साथ सेवन करने से प्रमेह रोग में लाभ होता है| इसका सेवन प्रमेह, नपुंसकता, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन आदि में जल्दी से जल्दी राहत पा सकते है|

नासूर के घाव में राहत पाने के लिए वाराही कन्द 

  • बहेड़ा, आम की गुठली, वट जटा, निर्गुन्डी बीज, शंखिनी बीज तथा वाराहीकंद चूर्ण को तेल में मिलाकर लेप करने से नासूर के घाव, सूजन का शमन होता है|

सूजन में (Varahi kand for swelling)

  • यदि आपके शरीर पर कही चोट लगने के कारण या कोई अन्य सूजन हो तो उसमे वाराही कन्द का उपयोग करके जल्दी से लाभ पा सकते है| इसके लिए वाराही कंद के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से पुरे शारीर में सूजन का शमन होता है|

घाव के रोपण के लिए (Varahi kand for wound)

  • सभी प्रकार के घाव से छुटकारा पाने के लिए आप सूखे कन्द का उपयोग कर सकते है| इसके लिए सूखे कन्द का चूर्ण बनाकर घाव पर लगने से घाव जल्दी भरता है|

कुष्ठ रोग में (Varahi kand for leprosy)

  • यह रोग ऐसा रोग होता है जिससे सभी व्याक्ति परेशान रहते है| यदि आप में से कोई इस रोग से गस्त है तो इसे जल्द से जल्द छुटकारा पाने के लिए वाराही के पत्तो का उपयोग किया जाता है| इसके लिए वाराही के पत्तो का रस निकलकर त्वचा पर लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है|

मूत्र रोग में (Varahi kand for urinary disease)

  • यदि आपको मूत्र से संबंधित कोई भी रोग है तो उसमे भी वाराही कन्द का उपयोग कर सकते है| यह मूत्र के रोगो से छुटकारा दिलाने के लिए एक महत्पूर्ण औषधि है| जो आपके मूत्र की समस्या जैसे मूत्र का रुक – रुक कर आना, पेशाब करते समय जलन तथा दर्द आदि में यह बहुत ही लाभदायक है|

रसायन

  •  वाराहीकंद के चूर्ण को मधु के साथ दूध के अनुपान से एक महीने तक सेवन कर पच जाने पर केवल दूध, भात एवं घी के भोजन पर रहने से यौवन, कर्मसामर्थ्य आदि रसायन गुणों की प्राप्ति होती है|
  • वाराहीकंद चूर्ण से पकाए हुए दूध को मथकर,घी निकाल कर उस घी में मधु मिलाकर मात्रापूर्वक सेवन करने से बुढ़ापा रोग आदि का शमन हो दीर्घायु आदि रसायन गुणों का आधान होता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Varahi kand)

  • कन्द  
  • पत्ती

सेवन मात्रा (Dosages of Varahi kand)

  • कन्द का चूर्ण – 2 से 4 ग्राम या चिकित्सक के अनुसार ही प्रयोग करे