अश्वगंधारिष्ट: क्या आप भी हैं मानसिक विकार और दुर्बलता जैसे रोगों का शिकार, तो आज ही शुरू करें इसका इस्तेमाल
अश्वगंधारिष्ट का परिचय| (Introduction of Ashwagandharishta: Benefits, Dosage, Contents)
क्या होता हैं अश्वगंधारिष्ट? (What is Ashwagandharishta)
यह एक ऐसी औषधि हैं जो पुरुषो और महिलाओ दोनों में होने वाली बिमारियों को खत्म कर सकती हैं| यह पुरुषो के प्रजनन अंगो के सुधार में भी सहायक होती हैं| इस औषधि का मुख्य घटक अश्वगंधा हैं जो मनुष्य के शरीर की कमजोरी को मनुष्य की ताकत में बदल देती हैं| अश्वगंधा होने के कारण ही इस औषधि को अश्वगंधारिष्ट कहते हैं|
यह औषधि मनुष्य के मस्तिष्क को ताकत देती हैं| यह यादाश्त को बढ़ाने में भी सहायक हैं| यह घुटनों के दर्द में भी सहायक होता हैं| अश्वगंधारिष्ट पाचन क्रिया को बेहतर करती हैं| इसके सेवन से भूख भी बढ़ती हैं| यह औषधि कमजोर मांस पेशियों का विकास करने में भी मददगार साबित हुई हैं| अश्वगंधारिष्ट सिरप के रूप में उपलब्ध रहती हैं| इसका उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाता हैं|
अश्वगंधारिष्ट के घटक द्रव्य | (Contents of Ashwagandharishta)
- अश्वगंधा
- सफ़ेद मूसली
- मंजिष्ठा
- बड़ी हरड (हरीतकी)
- हल्दी
- दारुहल्दी
- मुलेठी
- रसना
- विदारी कुंद
- अर्जुन की छाल
- नागरमोथा
- निशोथ
- अनंत मूल सफ़ेद
- अनंत मूल काली
- सफ़ेद चन्दन
- लाल चन्दन
- बच
- चीते की छाल
- सोंठ
- मिर्च
- पीपल
- दालचीनी
- तेजपत्ता
- इलायची
- नागकेसर
- प्रियंगु
- शहद
- धाय के फूल
- पानी
अश्वगंधारिष्ट बनाने की विधि | (How to make Ashwagandharishta)
अश्वगंधा की जड़, सफ़ेद मूसली, मंजिष्ठा, बड़ी हरड, हल्दी, दारुहल्दी, रसना, विदारी कुंद, अर्जुन की छाल, नागरमोथा, निशोथ, अनंतमूल काली, अनंतमूल सफ़ेद, सफ़ेद चन्दन, लाल चन्दन,चीते की छाल को कूटकर इनका काढ़ा बनाने के लिए एक बर्तन में पानी ले| इसके बाद इन सभी कुटी हुई औषधियों को पानी में डाल कर धीमी आंच पर उबलने के लिए छोड़ दे|
इन्हें तब तक निचे न उतारे जब तक कि डाले गये पानी का आठवां हिस्सा शेष न रह जाये| आठवा हिस्सा शेष रह जाने पर इसे उतार कर ठंडा कर ले| ठंडा होने के बाद इसमें बची हुई जड़ी बूटियों बच, सोंठ, मिर्च, पीपल, दालचीनी, तेजपत्ता, इलायची, नागकेसर, प्रियंगु, शहद और धाय के फूल को मिश्रण में डाल दे| मिश्रण जब अच्छी तरह से घुल जाये तोह इसे अच्छे से बंद करके किसी सुरक्षित स्थान पर २ महीने के लिए रख देवे| २ महीने बाद अश्वगंधारिष्ट तैयार हो जाता हैं|
अश्वगंधारिष्ट के उपयोग और फायदे | (Benefits of Ashwagandharishta)
वैसे तो अश्वगंधारिष्ट के कई फायदे हैं जो बिना किसी नुकसान के रोगियों को फायदा पहुचाते हैं| अश्वगंधारिष्ट ने कई पुरानी बीमारियों को जड़ से मिटाया हैं| अश्वगंधारिष्ट के फायदे और गुण निम्न प्रकार से हैं-
अश्वगंधारिष्ट से मानसिक विकार का समाधान | (For mental disorders)
अश्वगंधारिष्ट एक ऐसी औषधि हैं जो अलग अलग प्रकार के रोगों में फायदेमंद होती हैं| इन अलग अलग प्रकार के रोगों में एक प्रकार का रोग मानसिक विकार भी होता हैं| मानसिक विकार को मनोविकार भी कहा जाता हैं| मनोविकार की स्थिति में मनुष्य के मन और दिमाग में गलत विचार पैदा होने लगते हैं| मनुष्य हर छोटी छोटी चिंता को बड़ी समज बैठता हैं और अवसाद (डिप्रेशन) जैसी बीमारियों का शिकार हो जाता हैं|
सामान्य से अधिक चिंता होने और अधिक तथा फालतू विचारो के कारण मनुष्य को अपने रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत होने लगती हैं| ऐसी ही कई समस्याओ में सहायता करने के लिए अश्वगंधारिष्ट का विकास किया गया हैं|
अश्वगंधारिष्ट के उपयोग से मन और मस्तिष्क में शांति का अनुभव होता हैं और अवसाद जैसी कई बीमारियों का समापन हो जाता हैं| इसके उपयोग से मनुष्य को अपने रोजमर्रा के कामो में दिक्कत नही आती और मनुष्य अपने सब काम शांतिपूर्ण तरीके से पूरे कर सकता हैं|
शारीरिक दुर्बलता की समस्या का समाधान | (For physial weakness)
यदि किसी व्यक्ति में जन्म जात या किसी रोग के कारण या खान पीन के बदलाव के कारणों से शरीर में दुर्बलता आ गयी हैं तोह उन व्यक्तियों को अश्वगंधारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए| इस औषधि के सेवन से शरीर की दुर्बलता दूर होती हैं| शरीर को ताकत मिलती हैं| सोचने की क्षमता को भी बढ़ावा मिलता हैं| कोई भी कमजोर व्यक्ति इसे लेने के बाद स्फूर्ति और तनावरहित महसूस करता हैं| इस औषधि की सबसे अच्छी बात हैं कि इसका हमारे शरीर के ऊपर कोई भी और किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता हैं| यह औषधि कमजोरी को मिटाने के साथ साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाती हैं|
अश्वगंधारिष्ट से अनिंद्रा की समस्या का हल | (For Insomnia)
जब व्यक्ति तनाव में रहता हैं| या कभी व्यक्ति को थकान होती हैं तोह व्यक्ति सही तरह से नींद नही ले पाता हैं| कभी कभी व्यक्ति को अकारण ही अनिंद्रा की समस्या आने लगती हैं| अनिंद्रा की समस्या के कारण व्यक्ति हर समय चिड चिड़ा रहता हैं तथा हर समय कमजोरी महसूस करता हैं| इन सभी समस्याओ के समाधान के लिए अश्वगंधारिष्ट सिरप एक महत्वपूर्ण औषधि हैं| इसके उपयोग से तनाव खत्म होगा और इसे उपयोग करने वाला हर व्यक्ति चैन की नींद ले सकता हैं|
हड्डियों और जोड़ो के दर्द में सहायक | (for join pain and bones pain)
अश्वगंधारिष्ट मुख्य रूप से जोड़ो और हड्डियों के दर्द में भी कारगर दवाई के रूप में उपयोग में ली जाती हैं| जब समय के साथ साथ व्यक्ति की आयु बढती जाती हैं तब व्यक्ति को अपने शरीर का और जयादा और अच्छी तरह से ध्यान रखना चाहिए परन्तु आज कल के खान पान में वोह ताकत नही रही कि मनुष्य अपना ध्यान रख सके|
इसलिए बढती उम्र के साथ बुजुर्गो के घुटनों में दर्द बढता चला जाता हैं| बुजुर्गो के साथ साथ नोजवानो की हड्डी पर लगी हुई चोट भी दर्द करती हैं | इन सारे दर्द के इलाज में अश्वगंधारिष्ट औषधि सहायता करती हैं| इसके उपयोग से पुरानी हड्डी की चोट हो या बुजुर्गो के घुटनों का दर्द इन सभी का कारगर उपाय हैं यह औषधि |
अश्वगंधारिष्ट से मिर्गी रोग का उपचार – (For Epilepsy)
जब हमारे मस्तिष्क में उपस्थित तंत्रिका तंत्र में कोई विकृति पैदा हो जाती हैं तो मनुष्य को एक प्रकार का दौरा पड़ता हैं | इसे मिर्गी रोग कहा जाता हैं| अश्वगंधारिष्ट के सेवन से इस बीमारी का इलाज संभव हैं|
अश्वगंधारिष्ट का सेवन करने से यह हमारे मस्तिष्क के भीतर जा कर मष्तिष्क की विकृति को सही करने में मदद करता हैं जिससे इस बीमारी से राहत मिलना आसान हो जाता हैं| मिर्गी रोग के अतिरिक्त यह औषधि पागलपन में भी लाभदायक होती हैं| यह रोगी इन्सान के शरीर के भीतर जा के मष्तिष्क सम्बन्धी रोगों का नाश करने में मदद करती हैं|
पाचन तंत्र की कमजोरी दूर करे | (For increase power of digestion)
अश्वगंधारिष्ट मनुष्य के पाचन तंत्र में हो रही समस्याओ से भी छुटकारा दिलाता हैं| पाचन तंत्र में हो रही समस्या जैसे अपच, गैस, आंतो का साफ़ ना होना आदि पेट की समस्याओ में सहायक होता हैं| यह हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाता हैं| एक स्वस्थ पाचन तंत्र एक स्वस्थ शरीर की पहचान होता हैं|
जब हमारा पाचन तंत्र मजबूत होगा तो हम हर चीज़ को आसानी से पचा सकते हैं जब हमारा पाचन अच्छी तरह होगा तो पेट में कोई समस्या नही होगी| इस तरह एक इन्सान पाचन तंत्र स्वस्थ होने के बाद स्फूर्ति महसूस करेगा| यह औषधि पाचक अग्नि मंद पड़ जाने पर उसे तीव्र कर देती हैं जिससे भोजन आसानी से पच जाता हैं |
नसों को शांत करने में | (For Calm the nerves)
आयुर्वेदिक औषधि को प्रकृति ने हमे उपहार के रूप में दी हैं| इसका प्रयोग नसों को शांत करने के लिए भी किया जाता हैं| यह सिरप शरीर में जा कर हार्मोन्स को संतुलित कर के नसों को शांत करता हैं|
ह्रदय सम्बन्धी रोग में | (For heart disease)
यह औषधि ह्रदय रोग में भी प्रभावी होती हैं| यह ह्रदय को मजबूत बनाती हैं| ह्रदय के मजबूत बने रहने से हमारा ह्रदय सही तरीके से खून को पंप कर सकता हैं| जिसके परिणामों के अनुसार उच्च रक्त चाप और निम्न रक्त चाप जैसी समस्याओ म भी फायदा मिल सकता हैं| इससे हार्ट अटैक जैसी समस्याओ से बचा जा सकता हैं|
पुरुषो के जननांग के विकारो में लाभ दायक |
यह औषधि अलग अलग फायदों के साथ पुरुषो के जननांग अंगो में विकार को सुधारने में काम आती हैं| इसका उपयोग करके पुरुष सम्बन्धी रोगों को मिटाया जा सकता हैं|
अश्वगंधारिष्ट का सेवन | (Doses of Ashwagandharishta)
औषधि की सेवन मात्रा | 12 से 24 मिलीलीटर |
दिन में कितनी बार सेवन करे | दिन में दो बार |
सेवन का उचित समय | सुबह और शाम भोजन के बाद |
किसके साथ सेवन करे | साफ़ पानी के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
अश्वगंधारिष्ट की सावधानियाँ | (Precautions of Ashwagandharishta)
- गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन न करे|
- इसे पानी के साथ या अधिक मात्रा में ही ले|
- इसे लेते वक़्त डॉक्टर की सलाह ले|
अश्वगंधारिष्ट की उपलब्धता (Brands)
1) डाबर अश्वगंधारिष्ट (Dabur ashwgandharishta)
2) बैधनाथ अश्वगंधारिष्ट (Baidyanath ashwgandharishta)
3) सांडू अश्वगंधारिष्ट (Sandu ashwgandharishta)
4) धूतपापेश्वर अश्वगंधारिष्ट (dhootpapeshwar ashwgandharishta)
5) मुलतानी अश्वगंधारिष्ट (Multani ashwgandharishta)
6) झंडू अश्वगंधारिष्ट (Zandu ashwgandharishta)
7) दीप आयुर्वेदा अश्वगंधारिष्ट (Deep Ayurveda ashwgandharishta)
8) दिव्य अश्वगंधारिष्ट (Divya pharmacy ashwgandharishta)
9) कोट्टकल अश्वगंधारिष्ट (Kottakkal ashwgandharishta)
10) स्वदेशी अश्वगंधारिष्ट (Swadeshi ashwgandharishta)
11) गुआफा अश्वगंधारिष्ट (Guapha ashwgandharishta)
12) बेसिक आयुर्वेदा अश्वगंधारिष्ट (Basic Ayurveda ashwgandharishta)
13) वंडर हर्बल्स अश्वगंधारिष्ट (Wonder herbals ashwgandharishta)
14) बी ए पी एस अश्वगंधारिष्ट (BAPS ashwgandharishta)
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Note- यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा| (If you have any question feel free to ask. I will respond to each valuable comment)
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