इच्छाभेदी रस कब्ज़ का सबसे बड़ा दुश्मन, जानिए यह कैसे कार्य करता हैं
इच्छाभेदी रस का परिचय (introduction of Ichhabhedi ras: Benefit, Dosage)
इच्छाभेदी रस क्या होता हैं ?? (What is Ichhabhedi ras)
इच्छाभेदी रस एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं जो गोलियों के रूप में होती हैं | इस औषधि का प्रयोग पेट के शुद्धिकरण के लिए किया जाता हैं | कब्ज़ होने के कारण जब मल अपक्व रूप से पेट या आँतों में रहता हैं तो इससे शरीर में आमविष फैलने लगता हैं |
इसका मुख्य घटक जमालगोटा होता हैं जो पेट से जुडी हुई और भी कई सारी समस्याओं को समाप्त कर देता हैं | यह अजीर्ण, अफारा, पीलिया, कुष्ठ रोग, हिक्का, गुल्म रोग और कृमियों तथा और भी कई बिमारियों को समाप्त करने की चिकित्सा लेने से पहले पेट साफ़ करने में काफी उपयोगी हैं | इसमें जमालगोटा होने के कारण इसका सेवन ध्यान से करना चाहिए |
इच्छाभेदी रस के घटक द्रव्य (Contents of Ichhabhedi ras)
- जमालगोटा
- शुद्ध पारा
- शुद्ध गंधक
- सोहागे का फूला
- सोंठ
- काली मिर्च
- निम्बू का रस
इच्छाभेदी रस बनाने की विधि (How to make Ichhabhedi ras)
शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, सोहागे का फूला, सोंठ, काली मिर्च इन सभी को उचित मात्रा में ले कर नीम्बू के रस में 6 घंटे तक घुटाई कर लें| अब इसकी गोलियां बना कर सुखा लें | इस प्रकार यह औषधि पूरी तरह से तैयार हो चुकी हैं अब इसका उपयोग किया जा सकता हैं |
इच्छाभेदी रस के फायदे (Benefits of Ichhabhedi ras)
कब्ज़ को दूर करें
यह मुख्य रूप से पेट के शुद्धिकरण के लिए काम में ली जाती हैं | क्योंकि इस औषधि में जमालगोटा मिला होता हैं जो बहुत उष्ण प्रकृति का होता हैं | जब कोई पदार्थ पाचन क्रिया के प्रतिकूल खा लिया जाये और उससे यदि व्यक्ति को कब्ज़ हो तो इच्छाभेदी रस का सेवन लाभदायक होता हैं|
प्रतिकूल भोजन से जब पाचक अग्नि मंद पड़ जाती हैं तो पाचन की क्रिया धीरे होने लगती हैं जिसके कारण कब्ज़ की समस्या का सामना करना पड़ता हैं | इस प्रकार होने वाली कब्ज़ में का प्रयोग करना चाहिए |
कुपित कफ और वात से छुटकारा
वात और कफ शरीर में जरुरी होते हैं, परन्तु जब ये कुपित हो जाये तो शरीर के अंगो में परेशानियां आने लगती हैं | जब कफ बढ़ जाता हैं तो सांस, कास जैसी समस्या आती हैं और जब वात कुपित हो जाता हैं तो पेट में वायु भरने या उससे ह्रदय पर दबाव की समस्या आने लगती हैं |
इसके माध्यम से इनको नियंत्रित किया जा सकता हैं जिससे कफ और वात से जुडी समस्या को समाप्त किया जा सकता हैं |
इच्छाभेदी रस का प्रयोग निम्न रोगों की चिकित्सा से पहले पेट साफ़ करने हेतु किया जाता हैं –
- पेट में कृमि की समस्या होने पर
- वात दोष में
- रक्त दोष में
- त्वाचा दोष में
- श्वास रोग म
- खांसी
- हिक्का की परेशानी में
- गुल्म रोग में
- कुष्ठ रोग में
- शूल में
- उदर रोगों में
- मलावरोध में
- कफ को दूर करने में
सेवन विधि (Dose of Ichhabhedi ras)
- एक से दो गोली सुबह शीतल जल या चीनी के शर्बत के साथ लें
- जब गोली खाने के बाद दस्त शुरू हो जाये तो एक दस्त के बाद दो तीन घूंट ठंडा पानी पी लें | जितने घूंट ठन्डे पानी की ली जाएगी उतने ही दस्त आयेंगे |
- जब दस्त को बंद करना हो तो थोडा सा गर्म पानी पी लें |
- इसके बाद दही भात खाएं |
इच्छाभेदी रस के सेवन में कुछ ध्यान रखने योग्य बातें (Precautions of Ichhabhedi ras)
- इसका सेवन गर्भवती महिला को नही करना चाहिए |
- नूतन ज्वर रोगी, अतिसार रोगी, पुरानी कब्ज़, पुरानी कब्ज़ और बार बार आफरा आने पर भी इसका उपयोग उचित नही रहता |
- जिनके वृक्को में उग्रता हो उन्हें यह रस बार बार नही देना चाहिए नही तो मुंह पर सूजन आ जायेगी |
- नाजुक स्त्री, पुरुष और बचो को इसका सेवन नही करना चाहिए |
उपलब्धता (Availability of Ichhabhedi ras)
- बैधनाथ इच्छाभेदी रस (BAIDYANATH ICCHHABHEDI RAS)
- डाबर इच्छाभेदी रस (DABUR ICCHHABHEDI RAS)
- धूतपापेशवर इच्छाभेदी रस (DHOOTPAPESHWAR ICCHHABHEDI RAS)
- बेसिक आयुर्वेदा इच्छाभेदी रस (BASIC AYURVEDA ICCHHABHEDI RAS)
- दीप आयुर्वेदा इच्छाभेदी रस (DEEP AYURVEDA ICCHHABHEDI RAS)
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