उलटकंबल (Ulatkambal): अब होगा स्त्रियों के मासिक धर्म की हर एक समस्या का समाधान(Benefits and Usage)
उलटकंबल का परिचय (Introduction of Ulatkambal)
उलटकंबल क्या है? (Ulatkambal kya hai?)
नमस्कार दोस्तों आज हम चर्चा करेंगे एक ऐसे पौधे और जड़ी बूटी के बारे में जो दिखने में तो छोटा हैं लेकिन बिलकुल इसके विपरीत यह बहुत बड़े लाभ देता हैं| उलटकंबल नामक यह पौधा स्त्रियों के मासिक धर्म से जुडी हुई हर एक समस्या का समाधान कर सकता हैं| इसके अतिरिक्त यह संतान प्राप्ति करवाने में भी सहायता करता हैं|
स्त्रियों की समस्याओं में तो इसका उपयोग किया ही जाता हैं बाकी बचे और भी कई रोगों में इसका प्रयोग अलग अलग तरह से किया जाता हैं| यह भारत में उत्तर-पश्चिम भागों से लेकर सिक्किम तक पाया जाता हैं|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Ulatkambal ki akriti)
यह जल्दी बढ़ने वाला एक झाड़ीदार पौधा होता हैं| इसकी शाखाएँ कोमल, मुलायम होती हैं| इसकी छाल सफ़ेद रंग की तथा रेशेदार होती हैं| वर्षा ऋतु में यह फूलों से तथा सर्दी में यह फलों से भर जाता हैं| इसके फूलों का रंग पीला, बैंगनी या गहरा लाल होता हैं| इसकी जड़ भूरे रंग की होती हैं जिसके अन्दर सफ़ेद रंग का गूदा भरा रहता हैं| इसकी जड़ो को काटने पर गोंद जैसा पदार्थ निकलता हैं|
उलटकंबल के सामान्य नाम (Ulatkambal ke samany naam)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Abroma augusta |
अंग्रेजी (English) | Devil’s cotton, Indian hemp, Cotton abroma |
हिंदी (Hindi) | उलटकंबल |
संस्कृत (Sanskrit) | पिशाचकार्पास |
अन्य (Other) | ओलटकम्बोल (उर्दू) पिसाचोगानजई (उड़िया) उलटकंबल (गुजराती) सानुकापासी (नेपाली) एब्रोमाह (अरबी) |
कुल (Family) | Sterculiaceae |
उलटकंबल के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic Properties of Ulatkambal)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata), पित्तवर्धक (increase pitta) |
रस (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | राजोरोध, कष्टार्तव, गर्भाशयबल्य, आर्तवजनन |
उलटकंबल के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Ulatkambal ke fayde or upyog)
सिर दर्द में लाभदायक उलटकंबल (Ulatkambal for head ache)
- यदि आप बार बार सिर दर्द की शिकायत से परेशान है तो इस पौधे के पत्र को पीस कर माथे पर लगाने से सिर दर्द का समापन होता हैं| इसके साथ ही व्यक्ति को तनाव से भी मुक्ति मिलती है|
फेफड़ों की सूजन में (Ulatkambal for lungs)
- जब किसी व्यक्ति के फेफड़ों में विभिन्न कारणों से सूजन या किसी अन्य प्रकार का विकार हो तो इस औषधि की जड़ के रस को पीने से फेफड़ों की सूजन में लाभ होता हैं तथा व्यक्ति जल्दी अच्छा हो जाता हैं|
प्रमेह रोग में (Ulatkambal for gonorrhea)
- प्रमेह से पीड़ित लोगो को इसके के पत्तों का काढ़ा बना कर पीना चाहिए इससे प्रमेह रोग से छुटकारा मिलता हैं| और स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है|
मासिक धर्म सम्बन्धी विकारों को समाप्त करे उलटकंबल (Ulatkambal for menstrul disorder)
- उलटकंबल की जड़ के रस को उचित समय तक सेवन करने से मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द का शमन होता हैं|
- यदि मासिक धर्म समय पर नही आता हैं और जब आता हैं तो जांघो और कमर में असहनीय दर्द होता हैं| इस स्थिति में इसकी जड़ के रस में शक्कर मिला कर 2 महीने तक लेने से लाभ मिलता हैं|
- उलटकंबल का काढ़ा बना कर मासिक धर्म के शुरू होने से एक हफ्ते पहले मासिक धर्म आने तक देना चाहिए| इससे मासिक धर्म के विकार की समाप्ति होती हैं|
- उलटकंबल की जड़ का चूर्ण बना कर शहद के साथ सेवन करने से मासिक धर्म की समस्या समाप्त होती हैं|
सूजाक रोग का शमन करे उलटकंबल
- इस पौधे के पत्तों और छाल का काढ़ा बना कर पीने से सूजाक रोग में आराम मिलता हैं|
पूयमेह में
- इसके पौधे के पत्तों और छाल के रस का सेवन करने से इस रोग का शमन होता हैं|
आमवात में (Ulatkambal for rheumatic disease)
- कब्ज़, भोजन न पचना, मंद पाचक अग्नि आदि कारणों से उत्पन्न हुए आमवात को समाप्त करने के लिए इस के पत्तों का काढ़ा बना कर पीना चाहिए इससे आमवात में लाभ होता हैं तथा इसके कारण होने वाली वेदना का भी शमन होता है|
प्रमेह पीडिका में
- प्रभावित स्थान पर इस दिव्य औषधि की जड़ को पीस कर लगाने से इस प्रकार के त्वचा रोगों का शमन होता हैं|
बांझपन से छुटकारा (Ulatkambal for sterility)
- कई स्त्रियाँ मासिक धर्म के समय पर न आने से बांझपन की शिकार हो जाती है और उन्हें संतान प्राप्ति नही हो पाती इस समस्या को दूर करने के लिए इसकी पत्तियों का रस बना कर उचित मात्रा में सेवन करने से गर्भ ठहरता हैं और बांझपन से छुटकारा मिलता हैं|
मूत्र गाढ़ा होने पर
- मूत्र विकार से पीड़ित व्यक्ति को होने वाली समस्या जैसे मूत्रकृच्छ, मूत्राघात और विशेष रूप से मूत्र गाढ़ा होने वाले जैसे मूत्र विकारों में इस औषधि के स्वरस का सेवन मूत्र रोगों का नाश होता हैं|
अर्श या बवासीर में (Ulatkambal for piles)
- आज के दौर में बवासीर के रोगियों की वृद्धि होती जा रही है ऐसे में इसे रोकना कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है बवासीर के रोगियों को इसका सेवन जरुर करना चाहिए| इसका सेवन करने से अर्श या बवासीर जैसे रोगों से बहुत जल्द मुक्ति पाई जा सकती हैं|
उलटकंबल के उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Ulatkambal)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- पंचांग
उलटकंबल की सेवन मात्रा (Dosage of Ulatkambal)
- चूर्ण – दो से पांच ग्राम तक
- क्वाथ- 10 से 20 ml तक