मृत्युंजय रस (Mrityunjya ras)
मृत्युंजय रस का परिचय (Introduction of Mrityunjya ras)
मृत्युंजय रस क्या होता है? (Mrityunjya ras kya hai?)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि है| जो हर प्रकार के ज्वर को दूर करती है| मृत्युंजय रस नये व पुराने बुखार को तो दूर करता ही है इसके साथ ही सन्निपात, अजीर्ण ज्वर को तो एक सप्ताह में दूर करता है| वात्त-पित्त में होने वाले ज्वर के कारण यदि देह में जलन, प्यास ज्यादा हो, आँखों के सामने अन्धेरा छा जाना, सिर दर्द, मुंह का सूखना, वमन, जोड़ो में दर्द होने वाले लक्षण हो तो इससे यह छुटकारा दिलाती है |
मृत्युंजय रस बच्चों में होने वाले न्युमोनिया रोग के लिए लाभदायक है| यह औषधि शरीर में हो रही अन्य बीमारी को भी दूर करने में सहायक है तथा अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद करती है| यदि आप भी इनमे से किसी भी प्रकार की समस्या से परेशान है तो बिना किसी हिचकिचाहट के इसे ले सकते है| आइये इससे होने वाले अन्य फायदों के बारे में भी विस्तार से जानते है|
मृत्युंजय रस के घटक (Mrityunjya ras ke gatak)
- शुद्ध विष
- काली मिर्च चूर्ण
- पिप्पली चूर्ण
- शुद्ध गंधक
- सुहागा शुद्ध
- शुद्ध हिंगुल
- जम्बीरी निम्बुस्वरस
मृत्युंजय रस बनाने की विधि (Mrityunjya ras banane ki vidhi)
इन सभी घटकों को खरल में डालकर जम्बीर निम्बुस्वरस से एक दिन घोटकर मूंग के दाने के समान एक –एक गोली बनाकर धूप में सुखा कर रख ले|
मृत्युंजय रस के फायदे (Mrityunjya ras ke fayde or upyog)
ज्वर में (Mrityunjya ras for fever)
ज्वर का मतलब बुखार से है| बुखार भी कई तरह के होते है| टायफायड में आने वाला बुखार, मलेरिया का बुखार, निमोनिया में आने वाला बुखार आदि| मलेरिया और टायफायड में आने वाले बुखार जानलेवा बुखार होता है|
यह बुखार बहुत ही खतरनाक होते है क्यों कि कोई कोई बुखार आमतौर से छ: या सात दिन के होते है| पर ये बुखार बहुत समय तक चलने वाले बुखार होते है जो आगे जाकर भयकंर बीमारी का रूप धारण कर लेते है| कभी किसी किसी व्यक्ति की तो मृत्यु तक हो जाती है| तो समय रहते इसका उपचार करने के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जाता है|
जब बुखार का वेग बढ़ा हुआ हो, और रोगी भी बलवान हो, तब उसे मृत्युंजय रस की पूरी मात्रा देनी चाहिए| इसकी पूरी मात्रा चार गोली तक है| महिला, बालक, बुजुर्ग को इसकी आधी यानि दो गोली की मात्रा देनी चाहिए| और बच्चों को एक गोली ही दे| नवीन ज्वर का वेग इस गोली के कारण एक प्रहर में ही समाप्त हो जाता है| ज्वर मध्यम तथा पुराना है तो ये दो, तीन दिन में समाप्त हो जाता है और यह औषधि सन्निपात व अजीर्ण ज्वर हो तो उसे एक सप्ताह में दूर कर देता है|
वात–पित्त ज्वर में उपयोगी
वात पित्त ज्वर में व्यक्ति को ठीक तरह से मल मूत्र से प्रवाह नही हो पता है और नींद की कमी होने लगती है| और शरीर कमजोर पड़ने लगता है| वात –पित्त के खराब होने से सीने में जलन, बार बार भूख लगना आदि समस्या आने लगती हैं| इस प्रकार के रोग से बचने के लिए इस रस का प्रयोग किया जाता है |
वात पित्त में ज्वर की गति अधिक हो, देह में जलन ज्यादा हो, प्यास ज्यादा हो, सिर दर्द, मुंह का सूखना, अरुचि, आँखों के सामने अंधेरा छा जाना, जोड़ो में दर्द आदि लक्षण हो तो ऐस रोगी व्यक्ति को नारियल के पानी के साथ मृत्युंजय रस देने से तुरंत फायदा होगा|
सन्निपात ज्वर में उपयोगी
सन्निपात ऐसा रोग जिससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है इस रोग के कारण वात, पित्त और कफ तीनो ही बिगड़ जाते है जिससे व्यक्ति चिढचिढ़ा हो जाता है और पागलपन जैसे व्यवहार करने लगता है| इस रोग में सबसे पहले कफ का इलाज करना चाहिए क्योंकि कफ के शांत होते ही वात और पित्त दोनों ही शांत हो जाते है | इस रोग में बार बार बुखार आता है| बुखार में व्यक्ति का ताप चढ़ने और उतरने लगता है| ये बुखार अचानक ही आने वाला बुखार है जिसके कारण सिर भारी बार –बार प्यास लगना, छाती में दर्द व सिर दर्द होने लगता है| ऐसी अवस्था दिन में तीन बार इसे अदरक रस के साथ इस का प्रयोग करना चाहिए|
मध्यम ज्वर में या जब ज्वर उतर नही रहा हो, भूख नही लग रही हो और शरीर में भारीपन लगने लगे तो ऐसी अवस्था में पिप्पली के चूर्ण और मधु के रस के साथ मृत्युंजय रस मिलाकर देना चाहिए | ऐसा करने से शरीर को जल्दी लाभ मिलता है |
न्युमोनिया में उपयोगी
न्युमोनिया रोग ऐसा रोग होता है, जो किसी भी व्यक्ति में आसानी से हो जाता है| ये रोग शुरू होने के तुरंत बाद बुखार अधिक आ जाता है और उस रोगी का मुख लाल या पीला दिखाई देने लगता है, दर्दनाक खांसी चलने लगती है, श्वास लेने मे तकलीफ होती है, आपके ह्रदय की गति भी बढ़ने लगती है तथा खांसी –जुखाम जैसी बीमारियाँ बार बार उत्पन्न होने लगती है| ऐसी अवस्था में इस रस का प्रयोग करना चहिये|
सुजाक में उपयोगी
ये रोग पुरुषो और महिलाओ दोनों में देखने को मिलते है| लेकिन यह रोग पुरुषो में कम दिखाई देते है| कुछ पुरुषो में यह लक्षण होते है| व्यक्ति के योनि में दर्द होना, स्राव पीला या हर होना, लिंग का सफेद होना, पेशाब करते समय जलन होना यह सब समस्या हमारे खान पान की वजह से उत्पन्न होती होती है|
इसके कारण होने वाले रोग जैसे- भूख नही लगना , जी मचलना, बार बार बीमार पड़ना,उल्टी जेसा महसूस होना | कास-श्वसनाशक यानि खंसी या काली खांसी होती है| जो दो वर्ष के बच्चो में देखने को मिलती है| ये रोग श्वास नली को प्रभावित करता है और इसके दर्द के कारण ज्वर उत्पन्न होता है| इसके उपचार के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जाता है|
अन्य फायदे (Other benefits of Mrityunjya ras)
- बुखार में होने वाले दर्द में
- पाचक अग्नि बढ़ाये
- भूख लगने में सहायक
- कब्ज़ में
- ह्रदय सम्बंधित समस्या में
मृत्युंजय रस का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Mrityunjya ras ke sevan ki savdhaniya)
- इस औषधि का सेवन अधिक मात्रा में ना करे |
- यदि आप किसी रोग की पहले से चिकित्सा ले रहे है तो अपने चिकित्सक को जरुर बतावे|
- गर्भवती महिला और स्तनपान करने वाली महिला को इसके सेवन से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए
मृत्युंजय रस की उपलब्धता (Mrityunjya ras ki uplabdhta)
- बेधनाथ
- बेसिक आयुर्वेदा