अर्जुनारिष्ट: रखे आपके दिल का हर पल बेहतर खयाल
अर्जुनारिष्ट का परिचय: फायदें, सेवन (Arjunarishta: benefits, doses)
अर्जुनारिष्ट क्या हैं? (What is Arjunarishta??)
अर्जुन नामक पेड़ की छाल से बनी होने के कारण इस औषधि को अर्जुनारिष्ट कहा जाता हैं| यह औषधि ह्रदय के मरीजो के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं| यह औषधि द्रव्य के रूप में होती हैं| यह औषधि कैलेस्ट्रोल को कम करने में सहायक होती हैं | इस औषधि के माध्यम से सीने में दर्द, उच्च रक्त चाप, हार्ट फेल, दिल में छेद आदि रोगों को मिटाने में सहायता मिल सकती हैं |
इन सब के अतिरिक्त यह थकान, कमजोरी, खांसी, गले में समस्या आदि रोगों भी नष्ट करने में मदद करती हैं | यह ताकत में सुधार के साथ साथ आंतो को साफ करने में भी मदद करती हैं | यह औषधि छाती में हो रहे दर्द पर भी धनात्मक रूप से असर करती हैं और दर्द से जल्द ही आराम देती हैं
अर्जुनारिष्ट में उपस्थित घटक द्रव्य | (Contents of Arjunarishta)
- अर्जुन वृक्ष की छाल
- द्राक्षा (दाख)
- महुए के फूल
- गुड
- धाय के फूल
अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि | (How to make Arjunarishta)
अर्जुन के पेड़ की मोटी और कथई रंग की छाल बीमारियों में ज्यादा असरदार होती हैं| अर्जुनारिष्ट बनाने के लिए मोटी और कथई रंग की अर्जुन के पेड़ की छाल को इतना कुटा जाता हैं कि वोह बिलकुल बारीक न होकर थोड़ी मोटी रहे| इसे कूटने के बाद ताम्बे या पीतल के बर्तन में दाख और महुआ के फूल और कुटी गयी अर्जुन के पेड़ की छाल को रात भर भिगो के रखना चाहिए|
पानी की मात्रा अर्जुन के पेड़ की छाल की मात्रा की १० गुनी होनी चाहिए| रात भर इन तीनो औषधियों को भिगोये रखने के बाद सुबह इनका काढ़ा बनाने के लिए इन्हें धीमी आंच पर रख कर छोड़ दें| जब तक पानी का चोथाई हिस्सा शेष ना बचे तब तक इसे लकड़ी से हिलाते रहे| आंच धीमी रखे| पूरी तरह पकने के बाद इसे नीचे उतार कर ठंडा कर लेवें| इसके बाद एक पुराना मटका ले जिस से पानी निकले नही| अब उस मटके के अन्दर वाली सतह पर घी का लेप करे| काढ़े के ठन्डे होने के बाद उसे मटके मेंडाले|
इसके बाद अब मटके में गुड और धाय के फूल डाले और उसे अच्छी तरह से हिलाए| अच्छी तरह से हिलाने के बाद मटके को किसी कपडे से अच्छी तरह ढक दे और कोई रस्सी या लम्बा कपडा मटके की गर्दन के चारो और लपेट दे| अब इसे ऐसे स्थान पर रखे जंहा हवा हो अर्थात मटके को किसी ठंडी और हवादार जगह पर रखे | अब इसे ऐसे ही १ महीने के लिए छोड़ दे| १ महीने के बाद अर्जुनारिष्ट तैयार हैं| अब इसका सेवन किया जा सकता हैं|
अर्जुनारिष्ट औषधि के उपयोग और फायदे | (Benefits of Arjunarishta)
अर्जुनारिष्ट ह्रदय रोग में | (In Heart disease)
- इसके उपयोग से चिंता, भय या सामान्य दिनों में जब ह्रदय तेजी से धडकता हैं तोह अर्जुनारिष्ट के उपयोग से यह समस्या दूर हो जाती हैं|
- कमजोर ह्रदय वाले व्यक्ति अगर इसका उपयोग करते हैं तो अर्जुनारिष्ट उनके ह्रदय को मजबूत बनती हैं|
- अर्जुनारिष्ट उच्च रक्त चाप (बेचेनी, घबराहट, लगातार सर दर्द आदि) एवम निम्न रक्तचाप (थकान, तनाव, प्यास लगना, त्वचा में पीलापन आदि) को संतुलित करता हैं| इसके अतिरिक्त यह औषधि ह्रदय को मजबूत बनाते हुए खून को पूरी तरह से शरीर में सही तरीके से संचारित करती है|
- कैलोस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने से हार्ट अटैक (ह्रदयगात) जैसी समस्या आ सकती हैं लेकिन अर्जुनारिष्ट के उपयोग से यह कैलोस्ट्रोल की मात्रा संतुलित कर देता हैं जिस से इन सब बीमारियों से बचा जा सकता हैं|
- शरीर में वायु अधिक हो जाने के कारण ह्रदय पर जो दबाव बनता हैं उसे अर्जुनारिष्ट की सहायता से कम किया जा सकता हैं|
- इसके वृक्ष की छाल का चूर्ण बनाकर सुबह शाम सेवन करने से हमारा ह्रदय सही आकर में आ जाता और उसमे किसी तरह का विकार नही रहता|
उदर रोग में | (In Stomach problems)
- जब किसी व्यक्ति के शरीर में पित्त की वृद्धी होती हैं तब अर्जुनारिष्ट के उपयोग से पित्त का संतुलन बना रहता हैं|
- आंतो के साफ़ न होने से इसका असर हमारे पाचन तंत्र पर होगा जिस से अपच की समस्या होगी अतः अर्जुनारिष्ट आंतो
की सफाई में भी कारगर हैं| - यह औषधि पाचन तंत्र को मजबूत बनाती हैं| यह पाचन तंत्र में मंद पाचक अग्नि को तीव्र करके भोजन जल्दी पचाने में सहायक होती हैं जिसके कारण अपच जैसी समस्याओ से छुटकारा मिलता हैं |
फेफड़ो के रोग में | (For Lungs disease)
- अस्थमा या किसी अन्य कारण से हुई फेफड़ो में सूजन मिटाने के लिए अर्जुनारिष्ट मददगार औषधि हैं|
- अर्जुनारिष्ट के उपयोग से पुरानी खांसी, गले की कोई समस्या जैसे खराश और कफ की समस्या भी दूर होती हैं|
- यह सांस की बीमारी जैसे फेफड़े का केंसर, अस्थमा आदि बीमारियों में लाभदायक हैं
अर्जुनारिष्ट अन्य रोग में | (For other disease)
- दुर्बल व्यक्ति के इसके उपयोग से शरीर में दुर्बलता नही रहती हैं| इस औषधि के उपयोग से यह शरीर को पुष्ट और बलवान बनाती हैं|
- यह स्त्री और पुरुष दोनों पर समान रूप से कार्य करती हैं|
- यह कमजोरी और थकान मिटाने में सहायक हैं| कमजोरी और थकान के अतिरिक्त यह तनाव सम्बन्धी समस्याओ का भी समाधान करने में कारगर औषधि सिद्ध हुई हैं|
- इन सब के अतिरिक्त यह छाती का दर्द और छाती की चोटों में भी लाभ दायक हैं| यह छाती के दर्द और छाती के चोटे किसी दुर्घटना का परिणाम भी हो सकती हैं |
- यह मनुष्य की प्रजनन क्षमता को बढाता हैं| और खासकर पुरुषो की प्रजनन क्षमता बढ़ने में यह औषधि काफी फायदेमंद होती हैं |
- शरीर में पसीना अधिक आना, बेचेनी, घबराहट जैसी समस्याओ में भी अर्जुनारिष्ट लाभदायक हैं
- अर्जुनारिष्ट मानसिक शक्ति को तो बढाता ही हैं उसके साथ ही यह शारीरिक कमजोरी को भी खत्म करने में सहायता प्रदान करता हैं |
- नींद कम आना (अनिंद्रा) और तनाव को ख़तम करने के लिए अर्जुनारिष्ट का उपयोग करना चाहिए|
- इस औषधि के उपयोग से मनुष्य के शरीर में हुई पेशियों की एंठन भी समाप्त हो जाती है|
- इनके अतिरिक्त यह औषधि रक्तपित्त जिसे आम भाषा में नकसीर भी कहा जाता हैं , में भी असरदार साबित हुई हैं|
अर्जुनारिष्ट औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा | (Doses of Arjunarishta)
आयु | मात्रा |
बच्चो के लिए | 5 से 10 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्तियों के लिए | 10 से 25 मिलीलीटर |
औषधि के सेवन का उचित समय | सुबह और रात्रि के भोजन के बाद |
औषधि का सेवन दिन में कितनी बार करे | दिन में दो बार |
औषधि का सेवन किसके साथ करे | बराबर मात्रा या अधिक मात्रा में गुनगुने पानी के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार के अनुसार |
अर्जुनारिष्ट का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Precautions of Arjunarishta)
- मधुमेह के रोगियों को इस औषधि का परहेज करना चाहिए|
- ५ वर्ष से ज्यादा उम्र वाले बच्चे यह ले सकते हैं| जबकि ५ वर्ष कम आयु के बच्चे इसका सेवन नही कर सकते हैं|
- गर्भावस्था और स्तनपान के दोरान इसे लेने से बचना चाहिए|
- यदि इसे लेते समय आपको चक्कर आते हो या रक्तचाप निम्न हो जाता हो तोह इस समय गाड़ी चलने से बचना चाहिए|
- इसे तय समयावधि में लेना चाहिए|
- इसमें अल्कोहल होने के कारण इसका सेवन पानी के साथ ही करना चाहिए|
अर्जुनारिष्ट की उपलब्धता | (Availability of Arjunarishta)
- डाबर अर्जुनारिष्ट (Dabur arjunarishta)
- दिव्य अर्जुनारिष्ट (Divya Pharmacy)
- बैधनाथ अर्जुनारिष्ट (Baidyanath arjunarishta)
- कपिवा अर्जुनारिष्ट (Kapiva arjunarishta)
- धूतपापेश्वर अर्जुनारिष्ट (Dhootpapeshwar arjunarishta)
- बेसिक आयुर्वेदा अर्जुनारिष्ट (Basic ayurveda arjunarishta)
- कामधेनु अर्जुनारिष्ट (Kamdhenu arjunarishta)
- सांडू अर्जुनारिष्ट (sandu arjunarishta)
- दीप आयुर्वेदा अर्जुनारिष्ट (Deep ayurveda)
- स्वदेशी अर्जुनारिष्ट (Swadeshi arjunarishta)
- रूद्र फार्मेसी अर्जुनारिष्ट (Rudra pharmacy)
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Note– यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा|
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