खदिरारिष्ट: क्या आप भी हैं परेशान त्वचा रोगों (Skin disease) से, करें इसका इस्तेमाल और खुद देखें कमाल
खदिरारिष्ट का परिचय (Introduction of Khadirarishta: Benefits, Dosage)
खदिरारिष्ट क्या होता हैं?? (What is Khadirarishta?)
खदिरारिष्ट एक आयुर्वेदिक औषधि हैं जो अरिष्ट विधि के द्वारा बनायीं जाती हैं| यह औषधि सिरप के रूप में उपलब्ध होती हैं| यह औषधि त्वचा रोग, रक्त विकार, और आंत सम्बंधित रोगों को नष्ट करने में मदद करता हैं|खदिरारिष्ट औषधि पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता हैं और सांस सम्बंधित बिमारियों को जड़ से खत्म करने में सहायता करती हैं|
इस औषधि का मुख्य घटक खैर की लकड़ी की छाल होती हैं| इसी मुख्य घटक के नाम पर इस औषधि का नाम खदिरारिष्ट रखा गया हैं| यह औषधि वायु और कफ को कम करती हैं और पित्त को बढाती हैं| इसी कारण पित्त प्रधान प्रकृति वाले लोगो को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए| इस औषधि में कई मुख्य आयुर्वेदिक घटक होते हैं जो शरीर में उपस्थित परजीवी, बेक्टेरिया और विषाक्त पदार्थो का नाश करते हैं|
खदिरारिष्ट के घटक द्रव्य (contents of Khadirarishta)
- खैर की लकड़ी की छाल
- देवदारु
- बावची
- दारुहल्दी
- त्रिफला
- मिश्री
- शहद
- धाय के फूल
- पीपल
- पानी
- जायफल
- लोंग
- नागकेसर
- शीतल चीनी
- इलायची
- दाल चीनी
- तेज पात
खदिरारिष्ट बनाने की विधि| (how to make Khadirarishta)
सर्वप्रथम खैर की लकड़ी की छाल, देवदारु, बावची, दारुहल्दी और त्रिफला को दरदरा कूट ले| इसके बाद इसका काढ़ा बनाने के लिए इन कूटी हुई जड़ी बूटियों को एक बड़े बर्तन में पानी के साथ डाल दे| अब इसे धीमी आंच पर पकाए| इसे तब तक उबाले जब तक की इसमें डाले गये पानी का चोथाई हिस्सा शेष न रह जाये| चोथाई हिस्सा शेष रह जाने के बाद इसे नीचे उतार कर ठंडा कर ले| और इसे किसी बड़े बर्तन में ले लेवे |
इसके बाद इस द्रव्य में शहद और मिश्री मिलाये| अब बाकी बची हुई जड़ी बूटियों को कूट कर इस मिश्रण में मिला देवे| अब इस मिश्रण को अच्छे से बंद कर ताकि इसमें वायु प्रवेश न कर सके| अब इसे ऐसी ही अवस्था में 30 से 40 दिन रखे| 30 से 40 दिनों के भीतर यह औषधि तैयार हो जाती हैं| अब इसे छान कर उपयोग में लिया जा सकता हैं|
खदिरारिष्ट औषधि के उपयोग और फायदे | (Benefits of Khadirarishta)
त्वचा सम्बन्धी रोगों में
यह औषधि त्वचा रोग में लाभदायक होती हैं| आज कल के वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण के कारण त्वचा से सम्बंधित कई बिमारिया देखने को मिलती हैं| जल प्रदूषित होने के कारण वायरस और बेक्टेरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं| और वायु प्रदूषण के कारण वायरस और बेक्टेरिया बाहरी रूप से हमारी त्वचा पर आक्रमण करते हैं|
इन सभी स्तिथियों में त्वचा पर पानी आना, त्वचा पर पपड़ी जमना, त्वचा का तैलीय होना आदि त्वचा सम्बंधित बीमारियाँ होती हैं| इन सब के अतरिक्त भी त्वचा पर दाद, खाज, खुजली, त्वचा पर चकते, घाव व सूजन जैसी समस्याए भी हमारी त्वचा को नुक्सान पहुचाती हैं|
इन सभी समस्याओ या इनमे से किसी भी समस्या से घिरे व्यक्तियों को खादिराष्टि का सेवन करना ही चाहिए| इसके सेवन से त्वचा सम्बंधित रोग नही होते हैं| इसमें उपस्थित औषधीय गुण शरीर के आंतरिक भागो में जा कर वायरस और बेक्टेरिया को ख़तम करने में सहायक होते हैं | इसके परिणाम स्वरूप त्वचा से सम्बंधित हो रही बीमारी में राहत मिलती हैं|
कुष्ठ रोग में लाभदायक
कुष्ठ रोग कुपोषण के कारण फैलता हैं| परन्तु कई जगह भ्रान्तिया बनी हुई हैं की यह रोग वंशानुगत होता हैं या पिछले जन्मो का कर्म| लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं हैं| यह बीमारी बेक्टेरिया के कारण फैलती हैं| इस बीमारी को फैलने में 4 से 5 साल तक लग जाते हैं| इस बीमारी का यदि शुरू में ही इलाज़ कर दिया जाता हैं तो यह व्यक्ति को संक्रमित नही कर सकती हैं| इस बीमारी के शुरुआत में यह सबसे पहले त्वचा पर प्रभाव डालती हैं|
इस स्तिथि में त्वचा पर रंगहीन दाग हो जाते हैं और किसी भी प्रकार की चुभन का अहसास नही होता हैं| धीरे धीरे यह आँखों, श्वसन तंत्र और शरीर के अन्य भागो पर भी अपना असर दिखाता हैं| इस बीमारी को पहचानना बहुत आवश्यक होता हैं| इन स्थितियों के बाद हो सकता हैं की व्यक्ति के शरीर का कोई हिस्सा सुन्न भी पड़ जाये| ऐसी स्तिथि में खदिरारिष्ट एक बहुत ही बढ़िया उपाय हैं| इस औषधि के सेवन से व्यक्ति शरीर के भीतर उपस्थित बेक्टेरिया खत्म हो जाते हैं जिससे की रोगी को राहत मिलती हैं और वह धीरे धीरे ठीक हो ने में सहायता मिलती हैं |
शरीर में उपस्थित परजीवियों का विनाश संभव –
यह औषधि शरीर में या आँतों में उपस्थित परजीवियों का नाश कर मनुष्य को आराम पहुचाती हैं| यह परजीवी हमारी आंतो में कृमि के रूप में उपस्थित रहते हैं| ये कृमि बाजार में मिलने वाली खुली वस्तुओ के माध्यम से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं| इन कृमियो के अंडे बाजार में खुली वस्तुओ और कई सब्जियों और फलों पर होते हैं|
जब मनुष्य इन्हें खरीद कर बिना धोये इनका सेवन करता हैं तोह यह अंडे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं फिर इन अन्डो से कृमियो का निर्माण होता हैं| ये कृमि मनुष्य के शरीर में आने वाला भोजन ग्रहण करते हैं और शरीर को कमजोर बनाते हैं| खदिरारिष्ट के सेवन करने से यह हमारे शरीर में उपस्थित कृमियों को मार देता हैं| तथा शरीर में हुई कमजोरी की भी भरपाई कर देता हैं|
कफ और वायु को कम करती हैं
यह औषधि हमारे शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नही डालती हैं| जब हमारे शरीर में कफ और वायु की मात्रा अधिक हो जाती हैं तो यह हमारे लिए नुकसान दायक होती हैं| शरीर में अधिक कफ सीधा नाक, मुह और गले पर असर करता हैं| अधिक कफ के कारण कभी कभी हमें सांस लेने में भी परेशानी होने लगती हैं|
तथा हमारे पेट में अधिक वायु होने के कारण ह्रदय पर दबाव बढता हैं जिससे हार्ट अटैक जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता हैं| इस समस्या को दूर करने और जड़ से ख़तम करने के लिए खदिरारिष्ट का प्रयोग करना चाहिए| यह औषधि कफ और वायु को कम करने के साथ साथ पित्त को बढ़ाता हैं इसलिए पित्त प्रकृति प्रधान वाले व्यक्ति इसका सेवन कम करे|
खदिरारिष्ट आम विष को दूर करे
इस औषधि के उपयोग हमारे शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थ का नाश होता हैं| जब हमारे शरीर में किसी कारण बेक्टेरिया या वायरस आ जाते हैं तोह यह हमारे शरीर को हानि पहुचाने लगते हैं और शरीर में विषाक्त पदार्थो का निर्माण करते हैं|
एग्जिमा रोग में लाभदायक
यह औषधि एग्जिमा जैसे रोग को मिटाने में लाभ दायक साबित हुई हैं| यह बीमारी कभी कभी वंशानुगत भी हो सकती हैं| इस रोग में रोगी को त्वचा पर लाल चकते, घाव, सूजन, खुजली आदि होती हैं| इस औषधि का सेवन करने से त्वचा सम्बंधित रोग से आराम मिलता हैं|
खदिरारिष्ट फूलबहरी रोग में असरकारक
इस बीमारी को ल्यूकोडर्मा के नाम से भी जाना जाता हैं| यह बीमारी किसी भी उम्र में शुरू हो सकती हैं| इस स्थिति में शरीर की स्वस्थ कोशिकाए प्रभावित होती हैं| इस रोग में घाव बहुत ही धीरे धीरे बढ़ता हैं या घाव स्थिर रहता हैं या बहुत ही तेजी से घाव बढ़ते हैं|
इसमें शरीर के जिन हिस्सों पर सूरज की रोशनी सीधी पड़ती हैं वे हिस्से ज्यादा प्रभावित होते हैं| इस स्तिथि में दर्द का अनुभव नही होता हैं| खदिरारिष्ट औषधि सफ़ेद दाग को खत्म करने में सहायक होती हैं अर्थात इसके उपोग से शरीर की त्वचा पर हो रहा फूलबहरी रोग को मिटाने में सहायता ली जा सकती हैं |
रक्त विकार की समस्याओ का समाधान
रक्त विकार की समस्याओ में रक्त सम्बंधित बीमारियों का वर्णन किया जाता हैं| रक्त विकार की स्तिथि में रक्त प्रवाह वाले मार्ग जब किसी कारण अवरुद्ध हो जाते हैं और उनके अवरुद्ध होने के कारण खून के थक्के बनना शुरू हो जाते हैं| तथा इससे कई नयी बिमारिया जन्म ले लेती हैं हैं| ऐसी स्थिति में रक्त विकारो को दूर करने के लिए खदिरारिष्ट औषधि का प्रयोग किया जाना चाहिए|
इस औषधि के सेवन से यह रक्त में उपस्थित सभी प्रकार के विकार को खत्म कर एक मनुष्य को स्वस्थ रक्त प्रवाह प्रदान करती हैं| रक्त विकार की समस्याओ को खत्म करने के साथ साथ यह रक्त में हिमोग्लोबिन का संतुलन भी करती हैं जिससे एनीमिया रोग नही होता हैं|
खदिरारिष्ट अन्य रोगों में लाभदायक
1) यह औषधि ह्रदय रोग को मिटने में भी कार्य करती हैं| यदि किसी व्यक्ति की धड़कन का अचानक तेजी से धडकना या कम धडकना आदि जैसी समस्याओ पर कार्य करती हैं| इसके अतिरिक्त यह ह्रदय पर बन रहे दबाव को भी कम करती हैं|
2) यह औषधि पाचन सम्बंधित समस्याओ को खत्म करती हैं| इससे पाचन आसानी से होता हैं| यह औषधि पेट को साफ़ रखती हैं|
3) यह औषधि यकृत पर धनात्मक असर डालती हैं| यह यकृत का संतुलन बनाये रखती हैं|
4) यह औषधि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में भी सहायक होती हैं| यह शरीर के भीतर जा कर वायरस और बेक्टेरिया को आसानी से खत्म कर देती हैं|
खदिरारिष्ट औषधि की सेवन विधि और मात्रा (doses of Khadirarishta)
आयु | मात्रा |
10 वर्ष से ऊपर की आयु वाले बच्चो को | 10 से 15 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्ति को | 15 से 30 मिलीमीटर |
दिन में कितनी बार सेवन करना चाहिए | सुबह और शाम |
सेवन का उचित समय | खाना खाने के बाद |
किसके साथ सेवन करे | गुनगुने पानी के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
सावधानियाँ और परहेज (Precautions of Khadirarishta)
1) इस औषधि में अल्कोहल होने के कारण इसे पानी के साथ ही लेना चाहिए |
2) 3 साल से छोटे बच्चो को इस दवाई का सेवन नही करवाना चाहिए |
3) इस औषधि की सेवन अवधि में खट्टा, मिर्च मसाले, गरम मसाले फ़ास्ट फ़ूड या अम्लीय आहार का सेवन नही करना चाहिए|
4) इस औषधि का उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के नही करे|
खदिरारिष्ट की उपलब्धता (Availability of Khadirarishta)
1) बैधनाथ खदिरारिष्ट (Baidyanath khadirarishta)
2) डाबर खदिरारिष्ट (Dabur khadirarishta)
3) जंडू खदिरारिष्ट (Zandu khadirarishta)
4) सांडू खदिरारिष्ट (sandu khadirarishta)
5) धूतपापेश्वर खदिरारिष्ट (Dhootpapeshwar khadirarishta)
6) ज्वाला फार्मेसी खदिरारिष्ट (Jwala pharmacy khadirarishta)
7) संजीवन खदिरारिष्ट (Sanjeevan khadirishta)
8) दिव्य खदिरारिष्ट (Divya pharmacy khadirarishta)
9) बेसिक आयुर्वेदा खदिरारिष्ट (Basic aayurveda khadirarishta)
10) बालू हर्बल्स खदिरारिष्ट (Balu herbals khadirarishta)
11) कोट्टकल खदिरारिष्ट (Kottakkal khadirarishta)
12) डी. ए. वी. आयुर्वेदिक प्रोडक्ट खदिरारिष्ट (DAV Ayurvedic product khadirarishta)
13) अग्निवेश खदिरारिष्ट
14) सुश्रुत खदिरारिष्ट
15) भारद्वाज खदिरारिष्ट
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