सिंहनाद गुग्गुल: त्वचा रोग और जोड़ो में दर्द जैसे 10 अद्भुत फायदे (Singhnad guggul: introduction: Benefits and Dosage)
सिंहनाद गुग्गुल का परिचय
सिंहनाद गुग्गुल क्या हैं? (Singhnad guggul kya hai?)
यह औषधि मुख्य रूप से वात रोगों का शमन करने वाली एक आयुर्वेदिक औषधि हैं | सिंहनाद गुग्गुल का सेवन वातरक्त, गुल्म रोग, दर्द, उदर्द रोग, आमवात, पक्षाघात जैसे और भी कई प्रकार के वात रोगों में किया जाता हैं |
मनुष्य की पंगुता को भी इस औषधि के सेवन से समाप्त किया जा सकता हैं | यह औषधि पित्त और कफ के कारण होने वाली समस्या से भी निजात दिलाती हैं | सिंहनाद गुग्गुल वात रोगों में किस प्रकार लाभ देती हैं इससे पहले हम जानेंगे की वात रोग होते क्या हैं ?
वात रोग क्या हैं? (vaat rog kya hai?)
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में होने वाली कोई भी गतिविधि वात या वायु के कारण होती हैं | वात दोष का गुण हैं कि यह जिसके साथ मिलता हैं उसी के गुण धारण कर लेता हैं |
उदाहरण के लिए यदि पित्त दोष के साथ यह मिला तो इसमें गर्मी वाले गुण आ जाते हैं और यदि यह कफ दोष के साथ मिला तो इसमें शीतलता वाले गुण आ जाते हैं |
चूंकि शरीर में गतिविधयां वात दोष के कारण होती हैं इसलिए यदि वात दोष किसी भी प्रकार से प्रकुपित होती हैं तो शरीर में जहां जहां प्रकुपित वायु जाएगी वहां वहां पीड़ा होगी | इसका मुख्य असर जोड़ो पर होता हैं |
वात रोग के कारण (vaat rog ke karan)
- विरुद्ध आहार (improper food habits)
- शीत आहार (cold food)
- अतिव्यायाम (excess exercise)
- अधिक रात तक जागना (Remaining awake at night in excess)
- वेग धारण (Suppression of natural urges)
- दिन में सोना (sleep during day time)
- सही प्रकार से ना बैठना (uncomfortable posture)
- रस, रक्त आदि धातुओ का क्षय होना (Depletion of dhatus)
जैसे आदि कारणों से वात रोगों का जन्म होता हैं |
वात रोग में खाने योग्य और अयोग्य पदार्थ (vaat rog me kya khaye)
खाने योग्य पदार्थ (पथ्य) | खाने हेतु अयोग्य पदार्थ |
घी, तेल, फैट वाली चीज़े, गेहूं, तिल, अदरक, लहसून, गुड, नमकीन, छाछ, माखन, पनीर, गाय का दूध, बादाम, खीरा, गाजर, चुकंदर, पालक, शकरकंद, मूंग की दाल, राजमा, सोया दूध आदि | | बाजरा, मक्का, जौ, ब्राउन राइस, पत्तगोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, कोल्ड कॉफ़ी, ब्लैक टी, ग्रीन टी, नाशपती और कच्चे फल आदि | |
सिंहनाद गुग्गुल के फायदे (Singhnad guggul ke fayde)
आमवात (रुमेटाइड आर्थराइटिस) में
यह औषधि आमवात के लिए एक उत्तम औषधि हैं| जब व्यक्ति की पाचक अग्नि मंद पड़ जाती हैं तो भोजन सही तरह से नही पच पता हैं | नही पचे हुए भोजन को आयुर्वेद में आम कहा जाता हैं | यह शरीर में एक विष की भाँती कार्य करता हैं |
जब वायु आम में मिल जाती हैं तो इसके गुण धारण कर लेती हैं | इसी कारण यह जहां कहीं शरीर में जाएगी तो वहां वहां दर्द उत्पन्न करेगी | इसका मुख्य प्रभाव जोड़ो पर पड़ता हैं |
इसमें जोड़ो में चुभन, दर्द, लाल होना जैसी कई समस्याएँ आती हैं | सिंहनाद गुग्गुल का प्रयोग इस रोग में करने पर बहुत अच्छा लाभ मिलता हैं | यह औषधि इस रोग में दो प्रकार से कार्य करती हैं-
- आमविष को विरेचन से बाहर निकालती हैं |
- पाचक अग्नि तो तेज करती हैं जिससे नए विष का निर्माण ना हो |
सिंहनाद गुग्गुल के साथ आमवात में यदि इन औषधियों का प्रयोग किया जाये तो जल्द और अच्छे परिणाम मिलते हैं | जैसे-
मुख्य औषधि | सहायक औषधियां |
सिंहनाद गुग्गुल | महारास्नादि काढ़ा, महावातविध्वंस रस, पुनर्नवादि काढ़ा, महाविषगर्भ तेल |
वातरक्त (गठिया) में (for gout)
अनेक कारणों से जब शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नही निकल पाते हैं तो इससे कई बिमारियाँ जन्म ले लेती हैं | इसी प्रकार जब यूरिक एसिड शरीर से बाहर ना निकल कर वापस से रक्त में घुलने लगता हैं तो गठिया की समस्या आती हैं |
यह तकलीफ सामान्यतः 40 की उम्र के बाद देखने को मिलती हैं | इसके कारण जोड़ो में सूजन और दर्द बना रहता हैं जिसके कारण दैनिक जीवन के काम करने में भी समस्या आने लगती हैं | इस औषधि में गुग्गुल मिलायी जाती हैं जो सूजन, दर्द और वात रोग का शमन करने में सहायता करती हैं |
सिंहनाद गुग्गुल के साथ वातरक्त में यदि इन औषधियों का प्रयोग किया जाये तो जल्द और अच्छे परिणाम मिलते हैं | जैसे-
मुख्य औषधि | सहायक औषधियां |
सिंहनाद गुग्गुल | महारास्नादि काढ़ा, महायोगराज गुग्गुल, योगराज गुग्गुल, अमृतारिष्ट आदि |
कुष्ठ रोग में (for leprosy)
यह त्वचा सम्बन्धी एक विकार हैं जो शरीर में वात और रक्त के विकार के कारण उत्पन्न होता हैं| सिंहनाद गुग्गुल का उपयोग यदि इस रोग में किया जाये तो इससे काफी अच्छा लाभ मिलता हैं |
सिंहनाद गुग्गुल के साथ कुष्ठ रोग में यदि इन औषधियों का प्रयोग किया जाये तो जल्द और अच्छे परिणाम मिलते हैं | जैसे-
मुख्य औषधि | सहायक औषधियां |
सिंहनाद गुग्गुल | महामंजिष्ठादि काढ़ा, आरोग्यवर्धिनी वटी, सारिवाद्यासव, खदिरारिष्ट, महायोगराज गुग्गुल आदि | |
गुल्म रोग में
इस रोग को वात रोग के अन्दर रखा गया हैं | इस रोग में नाभि के ऊपर एक खाली स्थान होता हैं जहाँ वायु का गोला आ कर रुक जाता हैं | इसकी वजह से तेज पेट दर्द, नाभि के ऊपर वाली जगह उभार बनना, भूख में कमी जैसे लक्षण सामने आते हैं |
सिंहनाद गुग्गुल का प्रयोग इस रोग में करना उचित होता हैं क्योंकि यह औषधि वात रोग को समाप्त करती हैं |
शूल में (in pain)
यह औषधि शरीर में हो रहे किसी भी प्रकार के दर्द को समाप्त करने की क्षमता रखती हैं | इस औषधि के औषधीय गुण कंधो का दर्द, गर्दन का दर्द या और भी किसी प्रकार का दर्द को समाप्त कर सकते हैं |
पक्षाघात में (in paralysis)
पक्षाघात को लकवा भी कहा जाता हैं | यह दिव्य औषधि लकवा जैसे रोग का असर कम करने में सहायक होती हैं | इसके अलावा इसका सेवन करने से मनुष्य में पंगुत्वा न नाश होता हैं |
अन्य फायदे (Singhnad guggul ke anay fayde)
- उदर रोगों में
- खांसी में
सिंहनाद गुग्गुल के घटक द्रव्य (Singhnad guggul ke ghatak)
- त्रिफला चूर्ण
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध गुग्गुल
- एरंड का तेल
सिंहनाद गुग्गुल बनाने की विधि (Singhnad guggul banane ki vidhi)
सबसे पहले त्रिफला चूर्ण और गंधक दोनों को मिला कर उसमे एरंड का तेल मिला दें | इसके बाद गुग्गुल को गरम पानी में घोल कर खूब गुटाई करें | इसके बाद इन्हें मिला कर गोलियां बना ले और इन्हें सुखा कर रख लें | अब इस औषधि का उपयोग किया जा सकता हैं |
सिंहनाद गुग्गुल की सेवन विधि (Singhnad guggul ki sevan vidhi)
- 1-1 गोली सुबह शाम गर्म दूध या जल के साथ लें|
सिंहनाद गुग्गुल का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Singhnad guggul ke sevan ki savdhaniya)
- गर्भवती महिला को इस औषधि के सेवन से बचना चाहिए |
- जीर्ण रोगी को इसके सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए |
सिंहनाद गुग्गुल की उपलब्धता (Singhnad guggul ki uplabdhta)
- दिव्य सिंहनाद गुग्गुल (DIVYA PHARMACY SINGHNAD GUGGUL)
- बैधनाथ सिंहनाद गुग्गुल (BAIDYANATH SINGHNAD GUGGUL)
- स्वदेशी सिंहनाद गुग्गुल (SWADESHI SINGHNAD GUGGUL)
- धूतपापेशवर सिंहनाद गुग्गुल (DHOOTPAPESHWAR SINGHNAD GUGGUL)
- डाबर सिंहनाद गुग्गुल (DABUR SINGHNAD GUGGUL)
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