त्रिफलारिष्ट: करें उदर रोग सहित 12 बिमारियों का आसानी से इलाज़
त्रिफलारिष्ट का परिचय (Triphalarishta ka introduction)
त्रिफलारिष्ट क्या हैं ? (Triphalarishta kya hai?)
त्रिफलारिष्ट एक आयुर्वेदिक औषधि हैं| यह औषधि सिरप के रूप में उपलब्ध होती हैं| इस औषधि का मुख्य घटक त्रिफला होता हैं| त्रिफला के तीन फल हरड, आंवला और बहेड़ा होता हैं| त्रिफला होने के कारण ही इस औषधि को त्रिफलारिष्ट कहा जाता हैं| इस औषधि को हम एक टॉनिक के रूप में पहचान सकते हैं| यह औषधि उदर रोगों में फायदा करती हैं| इस औषधि का सेवन करने से खून में कमी, चक्कर आना, गुल्म रोग, भगंदर रोग और सांस से जुडी हुई सारी समस्याओं का समाधान भी यह औषधि कर सकती है| यह औषधि व्यक्ति को युवा बनाये रखने और ओज को बरकरार रखने में भी लाभदायक होती हैं| इस औषधि में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जो मनुष्य को पोषण देकर उसे पुष्ट और बलवान बनाते हैं|
त्रिफलारिष्ट के घटक द्रव्य (Triphalarishta ke gatak dravy)
- हरड
- बहेड़ा
- आंवला
- चित्रक
- पीपल
- अजवायन
- लौह चूर्ण
- वायविडंग का चूर्ण
- शहद
- पुराना गुड़
त्रिफलारिष्ट बनाने की विधि (Triphalarishta banane ki vidhi)
हरड, बहेड़ा, आंवला, चित्रक, पीपल, अजवायन, लौह चूर्ण और वायविडंग के चूर्ण तथा गुड और शहद को घी लगे चिकने मिट्टी के बर्तन में भर कर बर्तन का मुंह बंद कर के जौ के ढेर में रख देवें| इस औषधि को बनांते समय जल का उपयोग नही किया जाता परन्तु बिना जल के आसव अरिष्ट नही बन सकते| अतः इसके लिए एक श्वेण जल दिया गया हैं क्योंकि त्रिफला इस योग का मुख्य द्रव्य हैं|
इस प्रकार इस औषधि को 1 महीने के बाद बाहर निकल लेवें| यह तैयार औषधि त्रिफलारिष्ट हैं अब इस औषधि का सेवन किया जा सकता हैं|
त्रिफलारिष्ट औषधि के फायदे और उपयोग (Triphalarishta ke fayde)
एनीमिया रोग में (for anemia)
जब शरीर में रक्त की अल्पता आ जाती हैं अर्थात शरीर में खून की कमी आ जाती हैं तो इसे एनीमिया रोग या पांडू रोग कहा जाता हैं| एनीमिया शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर गिरने या हिमोग्लोबिन के अणु में अनचाहे परिवर्तन से खून की कमी हो सकती हैं | किशोरावस्था और रजोनिवृति के बीच की आयु में यह सबसे ज्यादा होता हैं| गर्भवती महिलाओं को भी एनीमिया की समस्या रहती हैं| इस स्थिति में त्वचा का सफ़ेद दिखना, अधिक थकावट, कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्या आ सकती हैं| त्रिफलारिष्ट औषधि का प्रयोग कर के शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढाया जा सकता हैं जिससे शरीर में खून की कमी को भी खत्म किया जा सकता हैं|
गुल्म रोग को हटायें (for gum disease)
यह रोग वात दोष के कारण उत्पन्न होता हैं| मनुष्य शरीर में नाभि के ऊपर एक गोल स्थान होता हैं जंहा वायु जमा हो कर गोला बन कर रुक जाती हैं या पेट में गांठ की तरह उभार बना देती हैं| यह समस्या मल मूत्र का वेग रोकने, चोट लगने से, भारी खाना खाने से, रुखा सुखा और दूषित भोजन करने से ऐसा हो सकता हैं| इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए त्रिफलारिष्ट औषधि का प्रयोग करना चाहिए| इस औषधि का सेवन करने से यह गुल्म रोग को जड़ से खत्म कर देती हैं|
भगंदर रोग में लाभदायक(for Fistula)
इस रोग में मरीज के गुदा के अन्दर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता हैं| घाव छोटा या बड़ा हो सकता हैं| जब फोड़ा फट जाता हैं तो इससे खून बहने लग जाता हैं| इस पीड़ादायक रोग को दूर करने के लिए त्रिफलारिष्ट औषधि का प्रयोग करना चाहिए| यह औषधि शरीर के भीतर जा कर इस समस्या को जड़ से खत्म कर देती हैं|
संग्रहणी रोग में लाभदायक
यह औषधि संग्रहणी रोग में काफी लाभदायक सिद्ध हुई हैं| इस रोग में बिना किसी दर्द के पानी के समान दस्त आती हैं| यह रोग गंभीर होने पर सांयकाल के भोजन के बाद भी व्यक्ति को मल त्यागने जाना पड़ता हैं| इस स्थिति में व्यक्ति कमजोर हो जाता हैं, शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं| कमजोरी के कारण वह अपने रोजमर्रा के कार्य नही कर सकता हैं और इसके कारण व्यक्ति चिडचिडा रहता हैं| इस रोग से तुरंत छुटकारा पाने के लिए त्रिफलारिष्ट औषधि का उपयोग करना चाहिए|
कुष्ठ रोग में असरदार (for Leprosy)
यह एक जीर्ण संक्रमण होता हैं जिसका असर व्यक्ति की आँखों, त्वचा, और श्वसन तंत्र पर पड़ता हैं| यह रोग लेप्री नामक जीवाणु के कारण फैलता हैं| यह बीमारी शरीर में पोषण की कमी के कारण होती हैं| इसे कोढ़ की बीमारी भी कहा जाता हैं| कई बार इसके लक्षण पूरी तरह से सामने आने में 4 से 5 साल तक लग जाते हैं| इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए त्रिफलारिष्ट औषधि का प्रयोग किया जाता हैं| इस औषधि पोषक तत्व होते हैं जो व्यक्ति को पोषण देते हैं तथा कुष्ठ रोग को खत्म करने में सहयता करतें हैं|
प्रमेह रोग को समाप्त करें
इस रोग को गोनोरिया रोग भी कहा जाता हैं| यह एक यौन संचारित बीमारी होती हैं| यह महिलाओं तथा पुरुषो के प्रजनन मार्ग में संक्रमण का कारण हो सकते हैं| इसके जीवाणु मुंह, गला, आँख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं| इस रोग को दूर करने का त्रिफलारिष्ट एक सर्वोत्तम औषधि हैं| यह औषधि शरीर के भीतर जा कर संक्रमण को खत्म करती हैं और व्यक्ति को प्रमेह रोग से मुक्त करती हैं|
वातोदर से आराम दिलाएं
जब गलत खान पान के कारण या किन्ही अन्य कारणों से जब किसी व्यक्ति के पेट में गैस बनती हैं तो उसे बहुत अधिक तेज पेट दर्द होता हैं| इस समस्या को वातोदर कहा जाता हैं| इस स्थिति में त्रिफलारिष्ट औषधि का सेवन करने से यह पेट की सारी समस्याओ के साथ साथ गैस की समस्या को भी खत्म करता हैं जिससे व्यक्ति को तुरंत राहत मिलती हैं|
पित्तोदर की समस्या को खत्म करें
यह औषधि पित्तोदर समस्या को खत्म कर सकती हैं| जब पित्त के बिगड़ने से पेट में कोई समस्या आती हैं इसे पित्तोदर कहा जाता हैं| इस स्थिति में शरीर के अंग आँखे और मल मूत्र आदि सब पीला हो जाता हैं| इस स्थिति में बुखार आने की भी सम्भावना होती हैं| इस रोग को दूर करने के लिए त्रिफलारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए| इसके सेवन से यह रोग दूर होने के साथ साथ शरीर को मजबूती भी मिलती हैं|
सांस सम्बंधित परेशानी में लाभदायक (for Breathing problems)
यह औषधि सांस से जड़ी हुई लगभग सभी समस्याओ को समाप्त करने की क्षमता रखती हैं| सांस से जुडी हुई परेशानी जैसे दमा, फेफड़ो में संक्रमण जैसी कई बिमारियों को खत्म करती हैं| त्रिफलारिष्ट शरीर मे श्वसन तंत्र को नियंत्रित कर के सांस से जुडी सभी परेशानियों को समाप्त कर देती हैं|
कास रोग में फायदेमंद (for cough)
कास रोग में जब शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती हैं तो यह सीधे फेफड़ो पर, गले, नाक और श्वसन तंत्र पर असर डालती हैं जिसके कारण कभी कभी व्यक्ति को सांस लेने तक में दिक्कत आ सकती हैं| इस औषधि का सेवन करने से यह शरीर के भीतर जा कर कफ की मात्रा को नियंत्रित करती हैं जिससे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं| यदि आपको भी कफ से सम्बन्धी कोई भी समस्या हैं तो आपके लिए त्रिफलारिष्ट औषधि उत्तम औषधि हैं|
हिचकी की परेशानी दूर करें (for Hiccup)
यदि आपको बार हिचकी आती हैं या हिचकी आने पर पीड़ा होती हैं तो आपको त्रिफलारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए| जब हिचकी पीड़ादायक हो जाती हैं तो हिचकी आते समय पसलियों और आंतो में बहुत अधिक पीड़ा होती हैं| इस पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए त्रिफलारिष्ट बहुत ही उपयोगी औषधि हैं| किसी भी प्रकार की हिचकी से परेशान व्यक्ति को त्रिफलारिष्ट औषधि का प्रयोग करना चाहिए|
कब्ज़ की समस्या में (for constipation)
कब्ज़ की समस्या को आयुर्वेद में बद्धकोष्ठ भी कहा जाता हैं| कब्ज़ के कारण जब पेट साफ़ नही होता हैं तो व्यक्ति स्वस्थ महसूस ना कर के हर समय चिडचिडा महसूस करता हैं| इस समस्या को खत्म करने के लिए त्रिफलारिष्ट औषधि का प्रयोग करना चाहिए| यह औषधि कब्ज़ की समस्या को खत्म करती हैं और व्यक्ति को स्वस्थ बनाये रखती हैं|
हलीमक की समस्या को हटायें
इस रोग में खाने से अरुचि होने लगती हैं| यह रोग वातपित्त के कोप से उत्पन्न होता हैं| इस स्थिति में त्वचा में हरापन, कालापन या धुमिलापन लिए पीली हो जाती हैं तथा अंगो में पीड़ा बनी रहती हैं| इस स्थिति से निकलने के लिए त्रिफलारिष्ट एक कारगर औषधि हैं| इस औषधि का सेवन करने वाले व्यक्ति में यह रोग धीरे धीरे कम होता जाता हैं|
आयु बढ़ाएं और ओज बनाये रखे
इस औषधि के औषधि के औषधीय गुण में कई ऐसे तत्व हैं जो व्यक्ति को युवा बनाते हैं| इसके साथ साथ यह व्यक्ति की आयु भी बढाती हैं| यह व्यक्ति के शरीर और मुख का ओज बनाये रखती हैं| इस औषधि के सेवन का कोई दुष्प्रभाव नही होता हैं| कोई भी व्यक्ति इस औषधि का सेवन कर सकता हैं|
त्रिफलारिष्ट औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा (Triphalarishta ki sevan vidhi)
आयु | मात्रा |
बच्चो के लिए | 5 से 10 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्तियों के लिए | 10 से 25 मिलीलीटर |
दिन में कितनी बार ले | दिन में दो बार सुबह शाम |
सेवन का उचित समय | खाना खाने के बाद |
किसके साथ ले | गुनगुने जल के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
त्रिफलारिष्ट औषधि का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Triphalarishta ka sevan karte samay savdhaniya)
- इस औषधि को नमी से दूर रखे|
- औषधि को बराबर मात्रा में जल के साथ ही लेवें |
- इसके उपयोग से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लेवें|
त्रिफलारिष्ट औषधि की उपलब्धता (Triphalarishta ki uplabdhta)
- भारद्वाज त्रिफलारिष्ट
- MORBINO TRIPHALARISHTA
READ MORE ARTICLES
Note- यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा| (If you have any question feel free to ask. We will respond to each valuable comment)