अदरक / सोंठ जिसके जायके के बिना अधूरी है रसोई, आइए जाने इसके 25 फायदे (Ginger – Benefits and Doses)
अदरक / सोंठ क्या है?
अदरक के बारे में तो सब लोग जानते ही होंगे| अदरक को ही सुखाकर सोंठ के नाम से बेचा जाता है| सामान्य भाषा में सूखी हुई अदरक को ही सोंठ कहा जाता है| आयुर्वेद में सोंठ के कई ऐसे लाभ बताए गए हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों को समाप्त कर सकते हैं| इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है| आज हम विस्तार से इस सोंठ के बारे में चर्चा करने वाले हैं| आयुर्वेद में काफी लंबे समय से इसको उपचार में लिया जाता है| यदि आप भी इसके फायदे जानना चाहते हैं तो इस लेख को विस्तार से पढ़ें|
सोंठ का बाह्य स्वरूप
इसका पौधा लगभग 120 सेंटीमीटर तक लंबा हो सकता है| हर साल इसके प्रकंद से नई शाखाओं का जन्म होता है| इसका प्रकंद सफेद पीले रंग का तथा बाहर से कुछ भूरे रंग का दिखाई पड़ता है| यह कई भागों में बटा हुआ होता है तथा इसमें से एक खुशबू आती रहती है| इसका तना कोमल होता है जो पत्तों से ढका हुआ रहता है| इसके पत्ते भाले के आकार के तथा आगे से नुकीले होते हैं| यह लगभग 35 सेंटीमीटर तक लंबे हो सकते हैं और साथ ही 3 सेंटीमीटर तक चोडे भी हो सकते हैं|इसके फूल हरे पीले बैंगनी आदि रंगों के हो सकते हैं| इसके फल कुछ बैंगनी रंग के होते हैं| इसके फूल और फल सितंबर से जनवरी के मध्य आते है|
सोंठ / अदरक के सामान्य नाम (common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Zingiber officinale |
अंग्रेजी (English) | Wet ginger root, Zingibil, Common ginger |
हिंदी (Hindi) | अदरक, सोंठ |
संस्कृत (Sanskrit) | नागर, अदरक, शृङ्गवेर, कटुभद्रा, आर्दिका, विश्वा |
अन्य (Other) | अद्रक (उर्दू) ओडा (उड़िया) अलेम (कोंकणी) अलाम (तमिल) अदुवा (नेपाली) |
कुल (Family) | Zingiberaceae |
अदरक के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic properties of)
Ayurvedic Properties (Gun-dharm) | |
दोष (Dosha) | कफशामक (Balances kapha) |
रस (Taste) | कटु |
गुण (Qualities) | गुरु (Heavy), रुक्ष (dry), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (Sweet) |
अन्य (Others) | तृपतिघ्ना, अर्शोघ्ना, दीपन, शूलप्रशमना, तृष्णा निग्रहणा, शोथहर |
सोंठ के फायदे
फेफड़ों के लिए लाभदायक सोंठ का सेवन
- सोंठ का सेवन फेफड़ों के लिए बहुत अधिक लाभदायक माना जाता है| शहद और सोंठ के चूर्ण को एक साथ मिलाकर लेने से फेफड़े में जमा कफ बाहर निकलने लगता है| इसके साथ ही इससे सांस संबंधी समस्याओं में भी निजात मिलता है| इस प्रकार आप अस्थमा की समस्या में भी इसका प्रयोग करके राहत पा सकते हैं|
प्रसव अवस्था के बाद आने वाली कमजोरी में
- प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आने लगती है| ऐसे में इस कमजोरी को भरना बहुत अधिक आवश्यक हो जाता है| इसके लिए यदि आप सोंठ का सेवन करते हैं तो इससे आप कमजोरी को दूर कर सकते हैं| प्रसव के बाद खाने वाले लड्डू में आप सोंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन कर सकते हैं|
कैंसर के लिए
- कैंसर से बचने के लिए या कैंसर की अवस्था में आप सोंठ का सेवन कर सकते हैं| इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कैंसर को कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है|
खांसी जुकाम और बुखार के लिए
- यदि सोंठ के चूर्ण का सेवन शहद के साथ किया जाता है तो इससे खांसी जुखाम और बुखार तीनों में ही अतिशय लाभ मिलता है|
- इसके अलावा बुखार में सोंठ और धमासा का काढ़ा बनाकर ले सकते हैं| इस काढ़े को पीने से बुखार में लाभ मिलता है|
हड्डियों से जुड़ी समस्याओं में
- हड्डियों से जुड़ी समस्याओं में आमवात में तथा गठिया रोग में भी इसके अच्छे लाभ देखे गए हैं| यदि आप पिपली और सोंठ का काढ़ा बनाकर उचित मात्रा में सेवन करते हैं तो इससे गठिया रोग दूर किया जा सकता है|
- इसके अलावा यदि सोंठ और गुड़ को बराबर मात्रा में पीसकर उसे दूध के साथ लेने से आमवात जैसी समस्याओं में भी आराम मिलता है|
वजन कम करने के लिए
- शहद और सोंठ को गुनगुने पानी में डालकर यदि रोज सुबह सुबह खाली पेट लिया जाता है तो इससे वजन कम होने की संभावना और भी बढ़ जाती है|
पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाएं
- सोंठ का सेवन आपको पाचन से जुड़ी हुई लगभग हर समस्या का समाधान देने में सहायक होता है| यदि आपको भूख ना लगने की समस्या है तो यह भी आपके पाचन से जुड़ी हुई समस्या ही है| इसमें यदि आप सोंठ का सेवन करते हैं तो आपको भूख खुलकर लगने लगती है|
- इसके साथ यदि सोंठ का काढ़ा बनाकर लगभग 30ml तक की मात्रा में सेवन करते हैं तो इससे पाचक अग्नि तेज होती है जिससे भोजन के पाचन में आसानी होती है तथा अपच की समस्या दूर होती है|
- कई लोगों को खाना खाने के बाद अजीर्ण की समस्या होती है| इस समस्या का समाधान आप भोजन के बाद सोंठ का सेवन करके कर सकते हैं| इसके अतिरिक्त यदि आप भोजन से पहले गुड में इस औषधि का चूर्ण मिलाकर लेते हैं तो इससे भी अजीर्ण में तो लाभ होता ही है इसके साथ ही यह कब्ज और बवासीर की समस्या में भी लाभ देता है|
रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाएं
- सोंठ में रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने के गुण पाए जाते हैं| अतः जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है वह नियमित रूप से सोंठ का सेवन कर सकते हैं| यदि आप पित्त प्रकृति के हैं तो इसका सेवन जरा संभलकर करना चाहिए|
सिर दर्द में
- सिर दर्द की समस्या होने पर दूध में सोंठ का पेस्ट मिलाकर उसे छानकर नाक में एक से दो बूंद डालने से तेज सिरदर्द का भी शमन किया जा सकता है|
हृदय के लिए लाभदायक
- इस औषधि का सेवन आप हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए भी कर सकते हैं| इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है जिससे हृदय से जुड़ी अनेक बीमारियों से बचाव होता है|
हिक्का की समस्या होने पर
- हिक्का या हिचकी की समस्या होने पर यदि आप दूध के साथ सोंठ को मिलाकर लेते हैं तो इससे हिचकी की समस्या बंद होती है|
मधुमेह के लिए
- मधुमेह में लोगों को कई सारी चीजें खाने की मनाही होती है लेकिन इसका सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है| यह रक्त में उपस्थित शर्करा का स्तर कम करने में सहायक होती है जिससे मधुमेह रोग नियंत्रण में रहता है|
कान दर्द के लिए
- कान दर्द होने पर सोंठ के रस को हल्का गर्म करके कुछ बूंदें कान में डालने से कान दर्द का शमन किया जा सकता है|
दांत दर्द में
- सोंठ के टुकड़े को दांतो के बीच चबाने से दांत दर्द में लाभ मिलता है|
अमृत की समस्या में
- एसिडिटी या अम्ल पित्त की समस्या होने पर सोंठ और परवल का काढ़ा बनाकर लगभग 30ml तक की मात्रा में सेवन करना चाहिए| इससे आपको एसिडिटी में तो राहत मिलती ही है साथ ही उल्टी, बुखार आदि में भी लाभ मिलता है|
दस्त पर रोक लगाएं
- सोंठ और सुगंध बाला के काढ़े का सेवन करने से दस्त में लाभ मिलता है|
- इसके अलावा दस्त में आप सोंठ के पेस्ट को हल्का गर्म करके पानी के साथ ले सकते हैं|
गुल्म रोग में
- सोंठ और निशोथ के चूर्ण को गाय के दूध के साथ लेने से गुल्म रोग का शमन होता है आप दूध के स्थान पर द्राक्षारस का सेवन भी कर सकते हैं|
दर्द में
- किसी भी प्रकार का दर्द होने पर सोंठ तथा सहीजन के काढ़े का 30ml तक की मात्रा में सेवन करना चाहिए|
- बराबर मात्रा में सोंठ एरंड की जड़ और जो का काढ़ा बनाकर पीने से दर्द में आराम मिलता है|
ग्रहणी रोग में
- गिलोय, सोंठ, नागरमोथा का काढ़ा बनाकर लेने से ग्रहणी रोग का शमन किया जा सकता है|
बवासीर के लिए सोंठ
- बराबर मात्रा में चित्रक की जड़ और सोंठ का चूर्ण इन दोनों को सीधु के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है|
- इसके अलावा आप सोंठ के चूर्ण में दुगनी मात्रा में गुड़ मिलाकर गोली बनाकर यदि सेवन करते हैं तो इससे भी बवासीर में लाभ मिलता है|
- सोंठ और पाठा के चूर्ण का सेवन करने से बवासीर में होने वाले दर्द में आराम मिलता है|
पीलिया रोग में
- पीलिया रोग की समस्या होने पर इंद्रायण और सोंठ का चूर्ण लेकर इसमें बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर लेना चाहिए|
मूत्र संबंधी रोगों में
- यदि बार-बार मूत्र आने की समस्या हो रही हो तो ऐसे में सोंठ के रस में मिश्री मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए|
- मूत्र त्याग करते समय यदि कठिनाई आ रही हो तो ऐसे में बराबर मात्रा में सोंठ, कटेरी की जड़, बला की जड़, गोखरू तथा गुण इन सब को दूध में उबालकर दिन में दो बार लेने से मूत्र त्यागते समय आने वाली कठिनाई दूर होती है|
अंडकोष की वृद्धि होने पर
- पुरुषों में होने वाली अंडकोष की वृद्धि में यदि सोंठ के रस में शहद मिला कर लिया जाता है तो इससे लाभ मिलता है|
त्वचा संबंधी रोगों में
- अदरक के रस में गुड़ मिलाकर पीने से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है|
- कुष्ठ रोग में यदि सोंठ, मदार की पत्ती, अडूसा के पत्ते, निशोथ, बड़ी इलायची, कुंदरू इन सब को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना कर इसे पलाश के क्षार तथा गोमूत्र में घोलकर लेप बना लें| इस लेप को कुष्ठ से प्रभावित स्थान पर लगाने से तथा धूप में बैठने से कुष्ठ रोग दूर होता है|
सूजन का शमन करें
- सोंठ से बने हुए काढ़े में काला नमक, हींग तथा सोंठ का चूर्ण मिलाकर लेने से सभी प्रकार के दर्द में लाभ होता है| इसे लेने से यदि कब्ज की समस्या होती है तो इसके चूर्ण को जौ के काढ़े के साथ लेना चाहिए|
सोंठ के उपयोगी अंग
- प्रकंद
सोंठ की सेवन मात्रा
- चूर्ण- 2 ग्राम तक
- स्वरस- 5-10 ml तक
- क्वाथ- 15-२० ml तक