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जामुन (Jamun)

जामुन का परिचय: (Introduction of Jamun)

Table of Contents

जामुन क्या है? (Jamun kya hai?)

इसका नाम सुनते ही हर किसी व्यक्ति के मुहं में पानी आ जाता है| यह जामुनी रंग का होता है और गर्मियों में आने वाला फल होता है| जामुन को हम बड़े  ही चाव से खाते है| जामुन का उपयोग  खाने के लिए नही बल्कि अनेक रोगों के उपचार ले लिए भी किया जाता है| जामुन एक मौसमी फल होता है| यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है|

 क्या आप जानते है की स्वादिष्ट होने के साथ ही इसके बहुत सारे फायदे  है और यह आपकी सिर से लेकर पैर तक की कई बीमरी को नष्ट करता है| जामुन का आयुर्वेद में बिना किसी हिचकिचाहट के प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह पोषक का भंडार होता है| जामुन में 70% पानी पाया जाता है|  आयुर्वेद में जामुन को सबसे ज्यादा मधुमेह को नियंत्रण में करने के लिए उपयोग किया जाता है|

 आग से जले हुए स्थान पर यदि आप जामुन में पत्तो का लेप लगाते है तो यह बहुत ही फायदेमंद होगा| यह एक उतम फल है आइये आज आपको परिचित करवाते है जामुन से और इसके दिव्य गुण कारी फायदों से|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Jamun ki akriti)

इसकी ऊँचाई  लगभग 15-से 30 मीटर होती है और यह मोटा और घनी शाखओ वाला होता है| इसकी छाल चिकनी वे भूरे रंग की होती है| इसके फल का आकार गोला व अंडाकार गुछे अंदर होते  है| इसकी पत्ते विपरीत,अंडाकार चमकीले चिकने हरे रंग के होते है| इसके फूल सफेद व गुछेदार होते है| इसके फल जब कच्चे होते है तब हरे रंग के होते है और पक जाने के बाद बैंगनी रंग के हो जाते है| इसके बीज एकल 1-2 सेमी लम्बे होते है| इसका पुष्प काल मार्च से मई तथा फल काल मई से जुलाई तक होता है|

Jamun Leaves Herbal Arcade
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जामुन  की प्रजातियाँ (Jamun ki prajatiya)

  1. श्वेत जामुन
  2. काठ  जामुन
  3. भूमि  जामुन
  4. जामुन
  5. क्षद्र जामुन

जामुन सिजिजीयम क्युमिनाइ इसका सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है क्योकि की इसमे सबसे अधिक औषधीय  गुण पाए जाते है और  यह आपके शरीर लिए बहुत ही लाभदायक होता है| अन्य औषधियों में इसकी तुलना में कम गुण पाये जाते है इसलिए आयुर्वेद में इसका अधिक प्रयोग किया जाता है|

जामुन  के सामान्य नाम (Jamun common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Syzygium cumini
अंग्रेजी (English)Jamubul tree
हिंदी (Hindi)बड़ी जामुन, फेड़ना, फलेंद्र, राजजामुन,
संस्कृत (Sanskrit)फलेंद्रा,  राजजम्बू ,  महाफला,  सुरभि पत्रा,  महाजम्बू, जम्बू,
अन्य (Other)जमू (असमिया ) जामन (उर्दू ) जामो  (उड़िया ) जम्बोल (कोंकणी ) नराला  (कन्नड़ ) नवल  (तमिल ) जाम  (बंगाली ) कालो जामुन  (नेपाली ) जामुल  (पंजाबी ) जामन  (मराठी )  
कुल (Family)myrtaceae
जामुन के सामान्य नाम Herbal Arcade
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जामुन के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Jamun ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha) पित्तशामक, वातवर्धक (pacifies pitta and increase vaat)
रस (Taste) कषाय (astringent), मधुर (sweet), अम्लीय (sour)
गुण (Qualities) लघु (light), रुक्ष (dry)
वीर्य (Potency) शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)त्वगदोषहर, दाह प्रशमन, स्तम्भक
Ayurvedic properties of jamun Herbal Aracde
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जामुन के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Jamun ke fayde or upyog)

आँखों के दर्द में (Jamun for eyes)

  • नेत्र- विकार -बच्चों हो या बड़े, सभी को आंखों से संबंधित परेशानी होती ही है| आंखों से संबंधित कई तरह के विकार होते हैं, जैसे- आँखों में दर्द या जलन| आप इसमें फलेंद्र का इस्तेमाल कर सकते हैं| फलेंद्र के 15-20 कोमल पत्तों को 400  मिली पानी में पका लें| जब यह काढ़ा एक चौथाई बच जाए, तो इससे आंखों को धोएं। इससे लाभ होता है|

मोतियाबिंद में जामुन

  • अनेक लोगों को मोतियाबिंद की समस्या होती है, इसमें फलेंद्र बहुत ही काम आता है| फलेंद्र की गुठली के चूर्ण को शहद में अच्छी तरह से मिला लें| इसकी तीन-तीन ग्राम की गोलियां बना लें| रोज 1-2 गोलिया सुबह- श्याम खाए और इन्हीं गोलियों को शहद में घिसकर काजल की तरह लगाएं| इससे मोतियाबिन्द में लाभ मिलता है|

कान में पस बहने में (Jamun for ear)

  • कभी-कभी घाव होने पर या अन्य कारणों से कान से पस निकलने लगता है| इसके लिए फलेंद्र की गुठली को शहद में घोंट लें| इसकी1-2  बूंद कान में डालने से कान का बहना बन्द हो जाता है|

दांत दर्द में  जामुन (Jamun for teeth)

  •  दांत की हर समस्या में जामुन फायदेमंद होता है फलेंद्र के पत्तों की राख बना लें| इससे दांत और मसूड़ों पर मलने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं|
  • फलेंद्र के पके हुए फलों के रस को मुंह में भरकर, अच्छी तरह हिलाकर कुल्ला करें इससे पाइरिया ठीक होता है|

मुहं के छाले में (Jamun for mouth ulcers)

  • यदि किसी कारण से आपके मुहं में छाले हो गये है तो फलेंद्र के पत्तो का रस से कुल्ला करने से आपके मुहं के छालों में जल्दी से लाभ मिलेगा|

गले के  रोग में (Jamun for throat)

  • यदि किसी कारण आपके गले में खराश या कोई अन्य परेशानी हो तो आप 10 -15 मिली फलेंद्र के फल का रस नियमित रूप से  सेवन करने से ये समस्याएँ समाप्त होती है|

अतिसार में जामुन (Jamun for diarrhea)

  • अगर आपको बार बार दस्त की परेशानी हो रही है तो 5-10  मिली जामुन के पत्ते का रस बना लें| और इसे बकरी के दूध के साथ मिलाकर  सेवन करने से  दस्त में  जल्दी ही लाभ होता है|
  • 2 – 5 ग्राम फलेंद्र की छाल के चूर्ण में 2 चम्मच मधु  मिलाकर 250 मिली दूध के साथ पिने से दस्त के साथ आने वाले रक्त को भी रोकता है|
  • 10 मिलि फलेंद्र की छाल और रस बराबर बकरी के दूध में मिलाकर पिने से संग्रहणी में  लाभ मिलता है|
  • 10 ग्राम फलेंद्र के पेड़ की छाल को 500 मिली पानी में पकाएं| जब यह एक चौथाई बच जाए तो पिएं| इससे पेचिश में लाभ मिलता है|

उल्टी में (Jamun for vomit)

  • बार- बार उल्टी होने  पर  आम तथा फलेंद्र के कोमल पत्तों को समान मात्रा, या फिर 20 ग्राम की मात्रा में लें| इसे 400  मिली पानी में पकाएं| जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए| तो इसे ठंडा कर पिलाएं| इससे उल्टी बन्द हो जाएगी|

बवासीर में जामुन (Jamun for piles)

  • बवासीर होने पर जामुन के कोमल पत्ती के 20 मिली रस में, थोड़ीसी शक्कर मिला | इसे दिन में तीन बार पीने से बवासीर से बहने वाला खून बन्द हो जाता है।
  • 10  ग्राम जामुन के पत्तों को 250 मिली गाय के दूध में घोंट लें। सात दिन तक दोपहर तथा शाम को पीने से बवासीर में गिरने वाला खून बन्द हो जाता है|

लीवर (Jamun for liver)

  • तिल्ली या लीवर में सूजन हो तो, 10  मिली जामुन की गुठली के रस का सेवन करें| इससे लाभ मिलता है| जामुन का सिरका 10 मिली रोज लेने से तिल्ली और लिवर के बढ़ने के विकार में बहुत लाभ होता है|

पीलिया (Jamun for jaundice)

  •  यदि आपको पीलिया है तो फलेंद्र के 10-15 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से पीलिया, खून  की कमी तथा रक्त विकार में लाभ मिलता है|

पथरी में (Jamun for calculus)

  •  यदि आपको किसी कारण आपके पेट या किसी अन्य अंग में पथरी है तो  आपको पके हुए जामुन का सेवन करने से आपकी पथरी  गलकर बाहर निकल जाएगी|
  • फलेंद्र के 10 मिली रस में 250 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर दिन में 2-3 बार पिने से आपके मूत्राशय की पथरी नष्ट होती  है|
  • फलेंद्र  के 10-15  ग्राम कोमल पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें| इसमें 2-3  नग काली मिर्च का चूर्ण बुरककर मिला लें| इसका सुबह-शाम सेवन करने से पथरी पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है| पथरी के लिए यह एक उत्तम उपचार है|

मधुमेह में जामुन (Jamun for diabetes)

  • मधुमेह में जामुन  का सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है| जामुन की 100 ग्राम जड़ को साफ कर, 250 मिली पानी में पीस लें| इसमें 20 ग्राम मिश्री डालकर सुबह और शाम भोजन से पहले पिएं| इससे मधुमेह में लाभ होता है| 
  • जामुन की गुठली का चूर्ण 1 भाग, शुण्ठी चूर्ण 1  भाग और गुड़मार बूटी 2  भाग को मिला लें। इसे पीसकर कपड़े से छान लें| इस मिश्रण को ऐलोवेरा के रस में डुबाने के बाद बेर जैसी गोलियाँ बना लें| दिन में तीन बार 1-1 गोली मधु के साथ लेने से मधुमेह में लाभ होता है|
  • 300 -500   मिग्रा जामुन के बीज को सूखाकर उसका चूर्ण बनाकर तीन बार लेने से मधुमेह  में लाभ होता है|
  • 250 ग्राम जामुन के पके हुए फलों को 500 मिली उबलते हुए जल में डालें। कुछ समय के लिए उबलने दें| ठंडा होने पर फलों को मसलकर कपड़े से छान लें| इसे रोज तीन बार पीने से मधुमेह और धातु रोग में लाभ होता है|
  • बड़े आकार के जामुन के फलों को धूप में सुखा कर चूर्ण कर लें| 10 से 20 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण का दिन में तीन बार सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है|
  • जामुन की छाल की राख मधुमेह की उत्तम औषधि है| 625 मिलीग्राम से 2 ग्राम तक की मात्रा में राख का सेवन करें| दिन में 3 बार सेवन करने से पेशाब ठीक तरह  से आता है| 
जामुन का पेड़ Herbal Arcade
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उपदंश  में जामुन

  • इस  रोग के उपचार के लिए जामुन के पत्तो से पकाया हुआ तेल लगाने से इस रोग से छुटकारा मिलता है|

जोड़ो के दर्द में (Jamun for joints pain)

  •  इस रोग के उपचार के लिए जामुन की जड़ को उबालकर, पीसकर हड्डियों पर रगड़ने से जोड़ो के दर्द  में लाभ मिलता है| 

घाव में  (Jamun for wound)

  • आपके शरीर पर कही पर भी चोट लगी है या पुरानी चोट हो और घाव नही भर रहा है तो जामुन की छाल को महीन पीसकर घाव पर लगाने से घाव कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा|
  • जामुन के 5-6 पत्तो को पीसकर लगाने से घाव में से पस  बाहर निकल जाता है|और घाव स्वच्छ हो जाता है|

दाद में जामुन

  • जामुन के 8-10 पत्तो को पीसकर लेप करने से सफेद दाद मिट जाते है|
  • जूतों के कारण पैर में जख्म हो  गया है| तो जामुन की गुठली को पानी में पीसकर लगाएं| इससे बीमारी ठीक होती है|
  • जामुन के तने को उबालकर काढ़ा बना लें| इससे घाव को धोने से घाव जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है|

नकसीर में (Jamun for blood bile)

  • इसमें जामुन का सेवन इस तरह से करना चाहिए| 5-10  मिली जामुन के पत्ते के रस का दिन में तीन बार सेवन करें। भोजन से पहले नियमित रूप से सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है|
  • जामुन की एक चम्मच छाल को रात में 1 गिलास पानी में भिगोकर रखें। सुबह इसे मसल कर छान लें| इस प्रकार तैयार हिम में मधु मिलाकर पिलाने से रक्तपित्त में लाभ होता है|

जहर का प्रभाव कम करने के लिए  जामुन

  • विष को कम करने के लिए जामुन की सुखी हुई गुठली को पीसकर 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए|
  • हानिकारक जानवरों के काटने से शरीर में विष फैलने लगता है, और इससे जान को जोखिम भी हो सकता है| जामुन के पत्तों को पानी में पीस लें| इस मिश्रण को पिलाने से विष का प्रभाव कम होता है|

गठिया में (Jamun for gout)

  • अगर आप गठिया की समस्या से पीडित है तो फलेंद्र की छाल को खूब उबाल कर  बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने  से इस रोग से आपको जल्दी से छुटकारा मिलता है|

मोटापे में (Jamun for obesity)

  • यदि आप कुछ दिनों तक फलेंद्र के रस का इस्तेमाल करते हो तो आप अपने मोटापे से जल्दी राहत पा सकते है|

त्वचा में (Jamun for skin)

  •  फलेंद्र का त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए आंतरिक और बाहय दोनों प्रकार से उपयोग कर सकते है| फलेंद्र की छाल एक अच्छी रक्तशोधक होती है, जो कि खून को साफ़ कर त्वचा के रोगो  से छुटकारा दिलाती है| 

कैंसर में (Jamun for cancer)

  • यदि आपको किसी भी प्रकार का कैंसर हो गया है तो फलेंद्र का इस्तेमाल कर सकते है और इस बीमारी से जल्दी से छुटकारा पा सकते है|

ह्रदय के लिए (Jamun for heart)

  • यह ह्रदय के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है| इसके रस का  नियमित रूप से सेवन करने से आपके ह्रदय की धडकन के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है|

एनीमिया में (Jamun for anemia)

  • यदि किसी भी व्यक्ति को शरीर में खून की कमी हो तो वह फलेंद्र का भरपूर मात्रा में उपयोग कर सकते है| जिससे आपका खून का स्तर बढ़ता है|

रक्तचाप में (Jamun for blood pressure)

  • यदि की भी व्यक्ति को रक्तचाप की समस्या है तो फलेंद्र का सबसे अधिक उपयोग करना चहिए क्योकि यह आपके रक्तचाप के स्तर को नियंत्रण रखता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Jamun)

  • छाल  
  • पत्ती
  • बीज
  • फल

सेवन मात्रा (Dosages of Jamun)

  • जूस -10-20
  • चूर्ण -2-3 ग्राम
  • क्वाथ -50-100 मिग्रा या चिकित्सक के अनुसार

जामुन से निर्मित औषधियां

  • पञ्चपल्लव योग
  • जम्ब्वाद्य तेल