राई (Rai)
राई का परिचय: (Introduction of Rai)
राई क्या है? (What is Rai?)
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे राई या राजिका के बारे में| राई तो सभी भारतीय रसोइयों की शान होती है| छोटी से लेकर बड़ी चीज बनाने में भी राई का बहुत बड़ा सहयोग होता है| पोहे, इडली, डोसा, सांभर, अचार, चटनी, दाल आदि खाद्य पदार्थों में इसका प्रयोग किया जाता है|
लेकिन क्या आप जानते हैं राजिका के औषधीय गुणों के बारे में| जी हां राजिका में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं जिनके माध्यम से हम निरोगी बने रह सकते हैं| इसका सेवन करने से अस्थमा, कफ संबंधी समस्या, त्वचा रोग, पेट दर्द आदि में लाभ लिया जा सकता है| आइए आज आपको भी राई से होने वाले फायदों के बारे में परिचित कराते हैं|
राई की प्रजातियां (Rai ki prajatitya)
- राई
- काली राई
राई का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Rai ki akriti)
इसका पौधा लगभग एक से डेढ़ मीटर तक ऊंचा होता है| इसके पत्ते लगभग 30 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं| फूलों का रंग पीला होता है| इस की फली पतली होती है जो नीचे से फटी हुई रहती है तथा आगे से यह नुकीली रहती है| इसके बीज छोटे, लाल भूरे रंग के, गोल और झुर्रीदार होते हैं| इसका पुष्प काल एवं फल काल कृषि अवस्था के 3 महीने बाद पर्यंत होता है|
काली राई का बाह्य स्वरूप (Kali Rai ki akriti)
इसका पौधा लगभग 90 सेंटीमीटर तक ऊँचा और सीधा होता है| इसके पत्ते सरल और 10 से 20 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं| इसके फूल भी पीले होते हैं| फली की लंबाई एक से डेढ़ सेंटीमीटर के मध्य होती है तथा आगे से यह नुकीली होती है| बीज तीन से पांच की संख्या में भूरे काले रंग के एक पंक्ति में व्यवस्थित होते हैं| यह दिसंबर से जनवरी के मध्य फलता फूलता है|
राई के सामान्य नाम (Rai common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Brassica juncea |
अंग्रेजी (English) | Brown mustard, Common Indian mustard, |
हिंदी (Hindi) | राई, लाल राई, माकड़ा राई |
संस्कृत (Sanskrit) | आसुरी, तीक्ष्णगंधा, क्षुज्जनिका, राजिका, राजी, क्षुदभिजनक, कृष्णिका, कृष्णसर्षप |
अन्य (Other) | असुर (कश्मीर) ससम (कोंकणी) सासि (कन्नड़) सरसवा (गुजराती) कडुगु (तमिल) आबालु (तेलुगु) |
कुल (Family) | Brassicaceae |
राई के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Rai ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata) |
रस (Taste) | कटु (pungent) |
गुण (Qualities) | तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | शोथहर, लेखन, विदाही |
राई के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Rai ke fayde or upyog)
अस्थमा के लिए राई के फायदे (Rai for asthma)
- अस्थमा की समस्या होने पर यदि आप राई के चूर्ण में घृत तथा शहद मिलाकर दिन में दो बार लेते हैं तो इससे अस्थमा या श्वास में लाभ मिलता है|
कफ को बाहर निकाले (Rai for asthma)
- कफ यदि अंदर चिपक रहा हो और बाहर नहीं निकल रहा हो तो ऐसे में राजिका और मिश्री को उचित मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार लेने से कफ पतला होता है तथा आसानी से बाहर निकल आता है|
अपच और पेट दर्द में (Rai for indigestion and stomach)
- अपच या पेट दर्द होने पर इस औषधि के चूर्ण में शक्कर मिलाकर सेवन करना चाहिए| इसके बाद लगभग आधा कप पानी भी पीना चाहिए| इससे पेट दर्द और अपच की समस्या का समाधान होता है|
- इसके अतिरिक्त यदि आध्य्मान की समस्या हो रही हो तो ऐसे में राजिका में शक्कर मिलाकर ले तथा बाद में आधा कप पानी में चूने को मिलाकर पीना चाहिए|
त्वचा संबंधी रोगों में (Rai for skin disease)
- शरीर के किसी स्थान पर यदि कांटा चुभ जाए तो ऐसे में राजिका के आटे में घी और मधु मिलाकर प्रभावित स्थान पर लेप करना चाहिए| यह लेप करने से कांटा ऊपर आ जाता है|
- कुष्ठ में यदि राजिका के आटे को पुराने गाय के घी में मिलाकर लेप किया जाता है तो इससे कुष्ठ रोग का शमन किया जा सकता है|
- बगल में होने वाली गांठ को पकाने के लिए गुड, गूगल, और राजिका को बारीक पीसकर पानी में मिलाकर कपड़े की पट्टी पर लेप चिपका दें| अब इस पट्टी को गांठ के ऊपर रखें| इससे गांठ जल्दी पकती है|
- दाद होने पर काली राजिका को सिरके के साथ पीसकर प्रभावित स्थान पर लेप करना चाहिए|
- इसके अलावा दाद वाले स्थान पर आप काली राजिका को पानी के साथ पीसकर भी लेप कर सकते हैं|
सूजन के लिए (Rai for swelling)
- शरीर पर आई सूजन में यदि काली राजिका के तेल की मालिश की जाती है तो इससे सूजन को दूर किया जा सकता है|
- राजिका और नमक को पानी में पीसकर सूजन वाले स्थान पर लगाने से भी सूजन का शमन होता है|
- फेफड़ों की सूजन, लीवर की सूजन, श्वास नलिका की सूजन हो तो ऐसे में काली राजिका बहुत फायदेमंद साबित होता है|
खांसी को दूर करें (Rai for cough)
- बच्चों में होने वाली खांसी में यदि छाती पर काले राजिका के तेल की मालिश की जाती है तो इससे खांसी दूर की जा सकती है|
सिर दर्द में (Rai for headache)
- यदि आपका सिर एक और से दर्द करता है तो ऐसे में काली राई को पीसकर माथे पर लेप करना चाहिए| इसके अलावा सामान्य सिर दर्द में भी आप राई का लेप कर सकते हैं|
बालों के लिए फायदेमंद (Rai for hairs)
- यदि बाल बहुत अधिक मात्रा में झड़ रहे हैं तो ऐसे में राई का फांट बनाकर बालों को धोना चाहिए| इससे बाल गिरना तो बंद होते ही हैं इसके साथ ही सिर में होने वाली जुए, फुंसी, खुजली आदि रोग भी दूर होते है|
- आधी कच्ची और आधी सेकी हुई राई को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर सिर में मालिश करने से बालों में वृद्धि होती है|
जुखाम में (Rai for cold)
- जुखाम में आप काली राई के तेल को पैरों के तलवे पर लगा सकते हैं| इससे जुकाम में लाभ मिलता है| नाक पर इसके तेल की मालिश करने से नाक का बहना तुरंत बंद हो जाता है|
गठिया में (Rai for gout)
- काली राई को पीसकर गठिया से प्रभावित स्थान पर लेप करने से गठिया के दर्द में लाभ मिलता है| इसके अलावा आप काली राई के तेल में कपूर मिलाकर भी गठिया में लेप कर सकते हैं|
- गृध्रसी या साइटिका में राई का लेप करने से लाभ मिलता है|
- यदि जोड़ों में दर्द कई दिनों तक बना रहता है तो ऐसे में राई और सहीजन की छाल को छाछ में पीसकर लेप करें|
- राई के तेल में पकौड़े या पूरी को तलकर खाना चाहिए इससे वात विकारों में लाभ मिलता है|
नेत्र संबंधी रोग (Rai for eye disease)
- आंखों की पलकों पर फुंसी होने पर राई के चूर्ण को घृत में मिलाकर लगाना चाहिए| इससे जल्द ही फुंसी का शमन होता है|
कान के लिए (Rai for ears)
- कान में किसी प्रकार की सूजन है या घाव है तो इसके लिए राई के आटे को सरसों के तेल या एरंड के तेल में मिलाकर लेप करना चाहिए|
हृदय के लिए (Rai for heart)
- हृदय में दर्द हो बेचैनी हो तथा कमजोरी महसूस होती हो तो ऐसे में हाथ पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करनी चाहिए| इससे हृदय को लाभ मिलता है|
वमन में (Rai for vomit)
- वमन या उल्टी होने पर राई और कपूर को पीसकर गर्म करके पेट पर लेप करना चाहिए| इससे उल्टी होना बंद होती है|
बुखार के लिए (Rai for fever)
- बुखार में यदि जीभ पर सफेद मैल जम गया हो तथा भूख प्यास नहीं लगती हो और बुखार हल्का-हल्का रहता हो तो ऐसे में राई के आटे को दिन में दो बार शहद के साथ ले|
दस्त में लाभदायक (Rai for fever)
- उल्टी दस्त में यदि पेट पर राई का लेप किया जाता है तो इससे दस्त बंद होती है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Rai)
- बीज
- तेल
सेवन मात्रा (Dosage of Rai)
- चिकित्सक के अनुसार