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ईसबगोल: कब्ज़ हो या दस्त हर वक्त काम देगी ये औषधि (Isabgol: 21 benefits, usages)

ईसबगोल का परिचय (Introduction of Isabgol)

Table of Contents

ईसबगोल क्या है? (Isabgol kya hai?)

आज हम बात करेंगे ऐसी औषधि के बारे में जिसका नाम शायद आपने सुना हो| अगर आप इसके बारे में जानते हैं तो निश्चित ही इसका सेवन कर रहे होंगे यदि नही तो इस जानकारी के बाद आप इसका सेवन बहुत जल्द शुरू कर देंगे| ईसबगोल एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं जिसका सेवन शरीर के कई रोगों में अलग अलग तरीके से किया जाता हैं|

इसे डिम्बाकृति होने के कारण ईषदगोल, घोड़े के कान की तरह बीज होने से अश्वकर्ण बीज, बीज शीतल होने के कारण शीतल बीज आदि नामों से भी जाना जाता है| हर कोई व्यक्ति आज कल के दौर में सिर से लेकर पांव तक किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होता हैं| इसका सेवन लगभग इन सभी बिमारियों में बहुत ही सरलता के साथ किया जाता हैं|

यह मुख्य रूप से ईरान में हुआ करती थी तथा वहीँ से इसे मंगाया जाता था परन्तु वर्तमान काल में इसकी खेती भारत के गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में की जाती हैं और इसी के साथ विश्व में ईसबगोल का सबसे अधिक उत्पादन भारत में ही किया जाता हैं| आज हम चर्चा करेंगे कि इसका प्रयोग किन किन रोगों में किस प्रकार करना चाहिए|

ईसबगोल की प्रजातियाँ (Isabgol ki prajatiya)

  • ईसबगोल
  • जंगली ईसबगोल

ईसबगोल का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Isabgol ki akriti)

यह एक छोटे पौधे के रूप में होता हैं तथा इसकी पत्तियों का आकार धान की पत्तियों के समान होता हैं| इसके फूलों का आकार अंडाकार या बेलनाकार होता हैं तथा इसके फल भी अंडाकार होते हैं| इसके बीज घोड़े के कान के आकार के और चिकने तथा पीले-भूरे रंग के होते हैं| बीजों के ऊपर उपस्थित भूसी भी काफी काम की होती हैं| इसके फूल और फल दिसम्बर से मार्च के मध्य आते हैं|

जंगली ईसबगोल का बाह्य स्वरुप (Jangali Isabgol ki akriti)

यह एक सीधा और शाकीय पौधा होता हैं| इसके पत्तों का आकार सरल और एकान्तर होता हैं| इसके फूल अलग अलग या गुच्छो में हो सकते हैं| फलों का आकार अंडाकार होने के साथ ही इसके बीज काफी छोटे होते हैं| इसके फल और फूल अप्रैल से अक्टूबर के मध्य आते हैं|

ईसबगोल के सामान्य नाम Herbal Arcade
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ईसबगोल के सामान्य नाम (Isabgol ke samany naam)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Plantago ovate forssk
अंग्रेजी (English)Psyllium, Isabgol, Blond Psyllium, Spogel seeds
हिंदी (Hindi)ईसबगोल, इश्बगुल, इशबघोल
संस्कृत (Sanskrit)अश्वगोलम, इशद्गोलम, शीतबिजम
अन्य (Other)इसबगुल (उड़िया) इसबगोलु (कन्नड़) इसबगोल (मराठी) इसपगोल (तेलुगु) इशोपगोल (बंगाली)
कुल (Family)Plantaginaceae

जंगली ईसबगोल के सामान्य नाम (Jangali Isabgol ke samany naam)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Plantago ovate forssk
अंग्रेजी (English)Greater plaintain, plaintain ribgrass
हिंदी (Hindi)ईसबगोल जंगली, लुहुरिया
संस्कृत (Sanskrit)अश्वगोल वन्य
अन्य (Other)गुल (कश्मीर) घुजबे (पंजाबी) बरहंग (उर्दू) इशप्पुकोल वीटाइ (तमिल)
कुल (Family)Plantaginaceae

ईसबगोल के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Isabgol ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha) वातपित्तशामक (pacifies vata and pitta)
रस (Taste) मधुर (sweet)
गुण (Qualities) स्निग्ध (oily), गुरु (heavy), पिच्छिल
वीर्य (Potency)शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect)मधुर (sweet)
अन्य (Others)दाहप्रशमन, शोथहर, स्नेहन, अनुलोमन, मूत्रजनन 
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ईसबगोल के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Isabgol ke fayde)

कब्ज़ की समस्या में असरदार ईसबगोल (Isabgol for constipation)

  • गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले यदि इस की भूसी का सेवन किया जाता हैं तो इससे कब्ज़ की समस्या समाप्त होती हैं|

पेचिश में

  • इस की भूसी की आधी मात्रा में मिश्री और सोंफ मिलकर सुबह, दोपहर और शाम को लेने से पेचिश की समस्या में लाभ होता हैं|

सिर दर्द में उपयोगी ईसबगोल (Isabgol for head ache)

  • ईसबगोल और यूकेलिप्टस के पत्तों को बारीक पीस कर लेप बनाकर माथे पर लगाने से सिर दर्द का समापन होता हैं|

जुखाम में (Isabgol for cold and cough)

  • यदि आप जुखाम से परेशान हैं तो इसका काढ़ा बना कर पीने से आपको आराम मिल सकता हैं|

कान दर्द में (Isabgol for ears ache)

  • इसके लुआब और प्याज के रस को बराबर मात्रा में गुनगुना कर के 2 से 3 बूंद कान में डालने से कान दर्द का समापन होता हैं|

मुंह के छालों को खत्म करे ईसबगोल

  • छालें होने पर औषधि से उत्पन्न लुआब से कुल्ला करने पर आराम मिलता हैं|

दांत दर्द में (Isabgol for teeth ache)

  • दांत में सिरके से भीगे हुए ईसबगोल को दबा कर रखने से दांत दर्द खत्म होता है|

दमा रोग में ईसबगोल का प्रयोग (Isabgol for asthma)

  • हल्के गर्म पानी में यदि इस के बीजो का सेवन किया जाता हैं तो इस रोग का शमन होता हैं|

अतिसार में (Isabgol for diarrhea)

  • दही के साथ यदि इससे उत्पन्न भूसी का सेवन किया जाता हैं तो अतिसार, रक्तातिसार आदि में लाभ मिलता हैं|
  • भूने हुए ईसबगोल के बीजो को खाने से इस समस्या से आराम मिलता हैं|
  • इस के बीजो को उबालकर बचे हुए पानी का सेवन दिन में 3 बार करने से दस्त की समस्या पर रोक लगती हैं|

अर्श में (Isabgol for piles)

  • इस औषधि से निर्मित शरबत को पीने से रक्तार्श में लाभ होता हैं|
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स्वप्नदोष में (Isabgol for night fall)

  • सोने से पहले मूत्र त्याग कर, बराबर मात्रा में औषधि और मिश्री को मिला कर दूध के साथ सोने से घंटा पहले सेवन करें| इससे स्वप्नदोष की समस्या जल्द ही समाप्त होती हैं|

गठिया की समस्या में (Isabgol for gout)

  • ईसबगोल की मोटी परत या पुल्टिस प्रभावित जोड़े पर बांधने से गठिया तथा अन्य कारणों से होने वाले जोड़ो के दर्द में आराम मिलता हैं|

मोटापे को समाप्त करे (Isabgol for obesity)

  • इस औषधि का प्रयोग करके मोटापे को जल्द ही और आसानी से समाप्त किया जा सकता हैं|

खुजली में उपयोगी ईसबगोल

  • ईसबगोल का लेप प्रभावित स्थान पर करने से खुजली का शमन होता हैं|

मूत्र रोग में (Isabgol for urinary problems)

  • ईसबगोल को थोड़ी देर पानी में भिगो कर थोड़ी देर के बाद उसमे मिश्री मिला कर पीने से मूत्र विकारों में जल्द लाभ मिलता हैं|

खांसी में (Isabgol for cough)

  • ईसबगोल की भूसी का उपयोग सूखी खांसी में बहुत अच्छे परिणाम दिलाता हैं|

ह्रदय रोगों में (Isabgol for heart problems)

  • ईसबगोल के सेवन से रक्तचाप, कोलेस्ट्रोल जैसी ह्रदय सम्बन्धी समस्याएँ खत्म होती हैं|

अल्सर में (Isabgol for ulcer)

  • यदि आप भी अल्सर की समस्या से परेशान हैं तो इश्बगुल का सेवन करने से आपको अल्सर की समस्या में लाभ मिल सकता हैं|

मधुमेह में (Isabgol for diabetes)

  • मधुमेह आज कल एक आम समस्या बन चुकी हैं जिससे हर रोगी निजात पाना चाहता हैं| ऐसी स्थिति में यदि इश्बगुल का सेवन किया जाता हैं तो मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता हैं|

घाव में

  • घाव पर ईसबगोल का सेवन करने से घाव जल्दी सूखता हैं तथा जल्दी भरता है|

श्वेत प्रदर में

  • इश्बगुल की भूसी का सेवन करने से श्वेत प्रदर की समस्या का समापन होता हैं|

जंगली ईसबगोल के औषधीय फायदे (Jangali Isabgol ke fayde)

आँखों की जलन को समाप्त करे (jangali Isabgol for eyes disorder)

  • इसके पत्तों का काढ़ा बना कर आँखों को धोने से आँखों में होने वाली जलन के साथ साथ और भी नेत्र विकारों की समाप्ति होती हैं|

कान दर्द में (jangali Isabgol for ear pain)

  • जंगली ईसबगोल के पत्तों के रस को कान में डालने से कान दर्द का समापन होता हैं|

मसूड़ों की सूजन और दांत विकारों में (jangali Isabgol for teeth problem)

  • पीसे हुए जंगली ईसबगोल के पत्तों में मक्खन मिला कर दांतों पर और मसूड़ों पर रगड़ने से लाभ मिलता है|

खांसी में (jangali Isabgol for cough)

  • जंगली ईसबगोल के पत्तों का काढ़ा बना कर गरारें करने से खांसी का शमन होता है|

दस्त में (jangali Isabgol for diarrhea)

  • जंगली ईसबगोल के बीजों का चूर्ण बना कर लेने से दस्त पर रोक लगती हैं|

घाव में

  • जंगली ईसबगोल के पत्तों को पीस कर घाव पर लगाने से घाव से निकलने वाला खून बंद होता हैं और घाव भी जल्दी भरता हैं|

जीव के द्वारा काटने पर

  • जंगली ईसबगोल के पत्तों को पीस कर प्रभावित स्थान पर लगाने से शरीर में विष के कारण होने वाले प्रभाव सूजन, जलन, दर्द आदि में आराम मिलता हैं|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Isabgol)

  • पत्ती
  • बिज
  • फल की भूसी

सेवन मात्रा (Isabgol dosage)

  • चूर्ण -5-10 gram

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